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RBI MPC का ब्याज दर पर फैसला आज, क्या EMI घटेगी?

 


देश के केंद्रीय बैंक भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक पॉलिसी कमिटी (MPC) का प्रमुख दरों पर आज फैसला आएगा। 6 जून को बैठक शुरू हुई थी।  इससे पहले अप्रैल में हुई बैठक में प्रमुख दरों को जस का तस रखा गया था। जानकारों के मुताबिक, इस बार भी प्रमुख दर में किसी तरह के बदलाव की संभावना नहीं है। 

>RBI की मौजूदा प्रमुख दर: ((साभार: www.rbi.org.in)

नीति रिपो दर: 6.50%
स्थायी जमा सुविधा दर: 6.25%
सीमांत स्‍थायी सुविधा दर: 6.75%
बैंक दर: 6.75%
प्रत्‍यावर्तनीय रिपो दर: 3.35%

सीआरआर: 4.50%

एसएलआर: 18.00%

आधार दर: 8.75% - 10.10%

एमसीएलआर (ओवरनाइट): 7.90% - 8.50%

बचत जमा दर: 2.70% - 3.00%

सावधि जमा दर > 1 वर्ष: 6.00% - 7.25%


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Rajanish Kant गुरुवार, 8 जून 2023
RBI MPC की बैठक जारी, 8 जून को ब्याज दर पर आएगा फैसला, क्या EMI घटेगी?


देश के केंद्रीय बैंक भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक पॉलिसी कमिटी (MPC) की प्रमुख दरों पर फैसला लेने के लिए आज से बैठक शुरू हो गई है। 8 जून को प्रमुख दरों पर महत्वपूर्ण ऐलान किया जाएगा। अप्रैल में हुई बैठक में प्रमुख दरों को जस का तस रखा गया था। जानकारों के मुताबिक, इस बार भी प्रमुख दर में किसी तरह के बदलाव की संभावना नहीं है। 

>RBI की मौजूदा प्रमुख दर: ((साभार: www.rbi.org.in)

नीति रिपो दर: 6.50%
स्थायी जमा सुविधा दर: 6.25%
सीमांत स्‍थायी सुविधा दर: 6.75%
बैंक दर: 6.75%
प्रत्‍यावर्तनीय रिपो दर: 3.35%

सीआरआर: 4.50%

एसएलआर: 18.00%

आधार दर: 8.75% - 10.10%

एमसीएलआर (ओवरनाइट): 7.90% - 8.50%

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Rajanish Kant मंगलवार, 6 जून 2023
RBIPolicy: RBI का बड़ा ऐलान, रेपो रेट 6.50% पर जस का तस रखा, लगातार छह बढ़ोतरी के बाद रेपो रेट नहीं बढ़ाने का फैसला

  






देश के केंद्रीय बैंक भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक पॉलिसी कमिटी यानी  RBI MPC  ने रेपो रेट को 6.50% पर  जस का तस रखा है। लगातार छह बढ़ोतरी के बाद रेपो रेट नहीं बढ़ाने का फैसला बैठक में किया गया है। हालांकि, बैठक में महंगाई को काबू में करने के लिए रेपो रेट में 0.25 प्रतिशत की बढ़ोतरी की संभावना जताई जा रही थी। आपको बता दूं कि यह 3,5 और 6 अप्रैल को चली। यह RBI MPC की प्रमुख दरों पर वित्त वर्ष 2023-24 की पहली बैठक है। 

>RBI की मौजूदा दरें (साभार- www.rbi.org.in)

नीति रिपो दर: 6.50%
स्थायी जमा सुविधा दर: 6.25%
सीमांत स्‍थायी सुविधा दर: 6.75%
बैंक दर: 6.75%
प्रत्‍यावर्तनीय रिपो दर: 3.35%
सीआरआर: 4.50%
एसएलआर: 18.00%

2023-24 के लिए मौद्रिक नीति समिति की बैठकों की तिथियां
3, 5 और 6 अप्रैल 2023
6-8 जून 2023
8-10 अगस्त 2023
4-6 अक्तूबर 2023
6-8 दिसंबर 2023
6-8 फरवरी 2024

मौद्रिक नीति वक्तव्य, 2023-24
मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) का संकल्प
3, 5 और 6 अप्रैल 2023

वर्तमान और उभरती समष्टि-आर्थिक परिस्थिति का आकलन करने के आधार पर मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने आज (6 अप्रैल 2023) अपनी बैठक में यह निर्णय लिया है कि:

  • चलनिधि समायोजन सुविधा (एलएएफ) के अंतर्गत नीतिगत रेपो दर को 6.50 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखा जाए।

स्थायी जमा सुविधा (एसडीएफ) दर 6.25 प्रतिशत तथा सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) दर और बैंक दर 6.75 प्रतिशत पर अपरिवर्तित बनी हुई है।

  • एमपीसी ने निभाव को वापस लेने पर ध्यान केंद्रित रखने का भी निर्णय लिया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मुद्रास्फीति उतरोत्तर संवृद्धि को समर्थन प्रदान करते हुए लक्ष्य के साथ संरेखित हो।

ये निर्णय, संवृद्धि को समर्थन प्रदान करते हुए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) मुद्रास्फीति को +/- 2 प्रतिशत के दायरे में रखते हुए 4 प्रतिशत का मध्यावधि लक्ष्य हासिल करने के अनुरूप है।

इस निर्णय में अंतर्निहित मुख्य विचार नीचे दिए गए विवरण में व्यक्त किए गए हैं।

आकलन

वैश्विक अर्थव्यवस्था

2. उच्च स्तर पर मुद्रास्फीति के बने रहने, कुछ उन्नत अर्थव्यवस्थाओं (एई) की बैंकिंग प्रणाली में उथल-पुथल, तंग वित्तीय स्थितियों और दीर्घकालिक भू-राजनीतिक युद्ध स्थिति के बीच वैश्विक आर्थिक गतिविधि आघात-सहनीय बनी हुई है। हाल की वित्तीय स्थिरता संबंधी चिंताओं ने जोखिम से बचने, सुरक्षित बने रहने को प्रेरित किया है और वित्तीय बाजार में अस्थिरता को बढ़ा दिया है। आक्रामक मौद्रिक रुख और संचार पर फरवरी में तेज वृद्धि को उलटते हुए, सुरक्षित आश्रय की मांग पर सॉवरेन बांड प्रतिफल में मार्च में तेज गिरावट आई। एमपीसी की पिछली बैठक के बाद से इक्विटी बाजारों में गिरावट आई है और अमेरिकी डॉलर ने अपने लाभ को कम कर दिया है। कमजोर बाहरी मांग, कुछ उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में बैंकिंग संकट से स्पिलओवर, अस्थिर पूंजी प्रवाह और कुछ कमजोर अर्थव्यवस्थाओं में ऋण संकट, संवृद्धि की संभावनाओं पर दबाव डालते हैं।

घरेलू अर्थव्यवस्था

3. राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा 28 फरवरी 2023 को जारी दूसरे अग्रिम अनुमान (एसएई) में 2022-23 में भारत के वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर को 7.0 प्रतिशत रखा गया है। निजी खपत और सार्वजनिक निवेश, संवृद्धि के प्रमुख चालक थे।

4. चौथी तिमाही में आर्थिक गतिविधि आघात-सहनीय बनी रही। रबी खाद्यान्न उत्पादन 2022-23 में 6.2 प्रतिशत तक बढ़ सकती है। जनवरी में औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) में 5.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि आठ प्रमुख उद्योगों का उत्पादन जनवरी में 8.9 प्रतिशत और फरवरी में 6.0 प्रतिशत की तेजी से बढ़ा, जो औद्योगिक गतिविधि की क्षमता का संकेत देती है। सेवा क्षेत्र में, घरेलू हवाई यात्री यातायात, बंदरगाह माल-भाड़ा यातायात, ई-वे बिल और टोल संग्रह ने चौथी तिमाही में बेहतर वृद्धि दर्ज की, जबकि रेलवे माल-भाड़ा यातायात में मामूली वृद्धि दर्ज की गई। क्रय प्रबंधकों के सूचकांक (पीएमआई) ने मार्च में विनिर्माण और सेवाओं दोनों में सतत वृद्धि का संकेत दिया।

5. शहरी मांग संकेतकों में, यात्री वाहनों की बिक्री में फरवरी में मजबूत वृद्धि दर्ज की गई, जबकि जनवरी में टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुओं की बिक्री में कमी आई। ग्रामीण मांग संकेतकों में, फरवरी में ट्रैक्टर और दोपहिया वाहनों की बिक्री मजबूत रही। जहां तक निवेश गतिविधि का संबंध है, फरवरी में इस्पात की खपत और सीमेंट उत्पादन की वृद्धि में तेजी आई। पण्य निर्यात और तेल से इतर स्वर्ण से इतर आयात फरवरी में संकुचित हुए जबकि सेवा निर्यात में मजबूत वृद्धि जारी रही।

6. अनाज, दूध और फलों में उच्च मुद्रास्फीति और सब्जियों की कीमतों में धीमी अवस्फीति के कारण सीपीआई हेडलाइन मुद्रास्फीति दिसंबर 2022 में 5.7 प्रतिशत से बढ़कर फरवरी 2023 में 6.4 प्रतिशत हो गई। ईंधन मुद्रास्फीति उच्च बनी रही, हालांकि मिट्टी के तेल (पीडीएस) की कीमतों में गिरावट और अनुकूल आधार प्रभावों के कारण फरवरी में कुछ नरमी देखी गई थी। मूल मुद्रास्फीति (अर्थात्, खाद्य और ईंधन को छोड़कर सीपीआई) उच्च बनी रही और यह जनवरी-फरवरी में 6 प्रतिशत से ऊपर थी। कपड़े और जूते, तथा परिवहन और संचार की मुद्रास्फीति में देखी गई कमी, व्यक्तिगत देखभाल और प्रभाव तथा आवास में मुद्रास्फीति में तेजी से काफी हद तक ऑफसेट हुई।

7. एलएएफ के अंतर्गत औसत दैनिक अवशोषण दिसंबर-जनवरी में औसतन 1.6 लाख करोड़ से घटकर फरवरी-मार्च के दौरान 1.4 लाख करोड़ हो गया। 2022-23 के दौरान, मुद्रा आपूर्ति (एम3) में 9.0 प्रतिशत की वृद्धि हुई और खाद्य से इतर बैंक ऋण में 15.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई। 31 मार्च 2023 तक भारत की विदेशी मुद्रा आरक्षित निधि 578.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर था।

संभावना

8. 2023-24 में मुद्रास्फीति की गति को घरेलू और वैश्विक दोनों कारकों द्वारा आकार दिया जाएगा। रिकॉर्ड रबी खाद्यान्न उत्पादन की उम्मीद, खाद्य कीमतों की संभावना के लिए अच्छा संकेत है। हालांकि, हाल की बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि के प्रभाव पर नजर रखने की जरूरत है। उच्च लागत और मौसमी कारकों के कारण दूध की कीमतें स्थिर रह सकती हैं। कच्चे तेल की कीमतों की संभावना उच्च अनिश्चित बनी हुई है। आयातित मुद्रास्फीति जोखिमों की संभावित बढ़ोत्तरी के कारण वैश्विक वित्तीय बाजार में अस्थिरता बढ़ी है। रिज़र्व बैंक के उद्यम सर्वेक्षणों के अनुसार, लागत में कमी की स्थिति, विनिर्माण और सेवाओं के उत्पादन मूल्य वृद्धि की गति में कुछ कमी ला रही है। तथापि, इनपुट लागतों का विलंबित प्रभाव अंतरण मूल मुद्रास्फीति को बढ़ाए रख सकता है। इन कारकों को ध्यान में रखते हुए तथा 85 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल की वार्षिक औसत कच्चे तेल की कीमत (भारतीय टोकरी) और सामान्य मानसून की आशा करते हुए, सीपीआई मुद्रास्फीति 2023-24 के लिए 5.2 प्रतिशत पर अनुमानित है, जोकि पहली तिमाही में 5.1 प्रतिशत, दूसरी तिमाही में 5.4 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 5.4 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 5.2 प्रतिशत और जोखिम समान रूप से संतुलित रहना अनुमानित है (चार्ट 1)।

9. एक अच्छी रबी फसल से ग्रामीण मांग मजबूत होनी चाहिए, जबकि संपर्क-गहन सेवाओं में निरंतर उछाल से शहरी मांग को समर्थन मिलना चाहिए। विनिर्माण में क्षमता उपयोग की प्रवृत्ति से ऊपर पूंजीगत व्यय पर सरकार का जोर, दोहरे अंकों की ऋण वृद्धि और कमोडिटी की कीमतों में कमी से विनिर्माण और निवेश गतिविधि को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। भारतीय रिज़र्व बैंक के सर्वेक्षणों के अनुसार, व्यवसाय और उपभोक्ता भविष्य की संभावना को लेकर आशान्वित हैं। धीमे वैश्विक व्यापार और उत्पादन को देखते हुए, विलंबित बाह्य मांग में वृद्धि हो सकती है। दीर्घकालिक भू-राजनीतिक तनाव, तंग वैश्विक वित्तीय स्थिति और वैश्विक वित्तीय बाजार में अस्थिरता से संभावना के लिए जोखिम उत्पन्न हो सकता है। इन सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए, 2023-24 के लिए वास्तविक जीडीपी संवृद्धि 6.5 प्रतिशत अनुमानित है; जोकि जोखिम में समान रूप से संतुलन के साथ पहली तिमाही में 7.8 प्रतिशत, दूसरी तिमाही में 6.2 प्रतिशत; तीसरी तिमाही में 6.1 प्रतिशत; और चौथी तिमाही में 5.9 प्रतिशत रहना अनुमानित है (चार्ट 2)।

Chart 1

10. सीपीआई हेडलाइन मुद्रास्फीति के लगातार सहन-सीमा बैंड के ऊपर रहने के कारण, एमपीसी ने लक्ष्य के साथ मुद्रास्फीति को संरेखित करने पर दृढ़ता से ध्यान केंद्रित करने का निर्णय लिया। मूल्य दबावों के सामान्यीकरण को नियंत्रित करना और मुद्रास्फीति की उम्मीदों को स्थिर करना आवश्यक है। घरेलू आर्थिक गतिविधि में आघात-सहनीयता को बनाए रखने के लिए न्यून एवं स्थिर कीमतों का वातावरण आवश्यक है। हालांकि, मई 2022 से नीति दर में संचयी रूप से 250 आधार अंकों की वृद्धि की गई है, जो अभी भी सिस्टम के माध्यम से काम कर रही है, लेकिन फिर भी मूल्य स्थिरता पर अपनी तैयारी में किसी भी प्रकार की ढिलाइ नहीं बरत सकते हैं। इन कारकों को ध्यान में रखते हुए, एमपीसी ने इस बैठक में नीतिगत रेपो दर को 6.50 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखने का निर्णय लिया, साथ ही, यदि आवश्यक हो तो कार्रवाई करने के लिए तैयार है। एमपीसी उभरती मुद्रास्फीति और संवृद्धि की संभावना पर कड़ी निगरानी रखना जारी रखेगी और भावी बैठकों में आवश्यक कार्रवाई करने में संकोच नहीं करेगी। एमपीसी ने निभाव को वापस लेने पर ध्यान केंद्रित रखने का भी निर्णय लिया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मुद्रास्फीति उतरोत्तर संवृद्धि को समर्थन प्रदान करते हुए लक्ष्य के साथ संरेखित हो।

11. एमपीसी के सभी सदस्य - डॉ. शशांक भिड़े, डॉ. आशिमा गोयल, प्रो. जयंत आर. वर्मा, डॉ. राजीव रंजन, डॉ. माइकल देवब्रत पात्र और श्री शक्तिकान्त दास ने सर्वसम्मति से नीतिगत रेपो दर को 6.50 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखने के लिए वोट किया।

12. डॉ. शशांक भिड़े, डॉ. आशिमा गोयल, डॉ. राजीव रंजन, डॉ. माइकल देवब्रत पात्र और श्री शक्तिकान्त दास ने निभाव को वापस लेने पर ध्यान केंद्रित रखने के लिए वोट किया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मुद्रास्फीति उतरोत्तर संवृद्धि को समर्थन प्रदान करते हुए लक्ष्य के साथ संरेखित हो। प्रो. जयंत आर. वर्मा ने संकल्प के इस हिस्से पर आपत्ति जताई।

13. एमपीसी की बैठक का कार्यवृत्त 20 अप्रैल 2023 को प्रकाशित किया जाएगा।

14. एमपीसी की अगली बैठक 6-8 जून 2023 के दौरान निर्धारित है।

(साभार: www.rbi.org.in)

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Rajanish Kant गुरुवार, 6 अप्रैल 2023
RBI Repo Rate Decision: आपकी EMI बढ़ेगी या घटेगी, अब से कुछ देर में फैसला सामने आएगा

 


देश के केंद्रीय बैंक भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक पॉलिसी कमिटी यानी  RBI MPC की प्रमुख दरों पर आज फैसला आने वाला है। माना जा रहा है कि बैठक में महंगाई को काबू में करने के लिए रेपो रेट में 0.25 प्रतिशत की बढ़ोतरी की जा सकती है। 3,5 और 6 अप्रैल को चल रही इस बैठक का फैसला आज आएगा। 4 अप्रैल को महावीर जयंती के मौके पर अवकाश की वजह से बैठक नहीं हुई थी। यह RBI MPC की प्रमुख दरों पर वित्त वर्ष 2023-24 की पहली बैठक है। 

अगर रेपो रेट में बढ़ोतरी होती है तो लोन की ईएमआई बढ़ जाएगी। हालांकि, एफडी और आरडी कराने वालों को इसका फायदा मिल सकता है। 

>RBI की मौजूदा दरें (साभार- www.rbi.org.in)

नीति रिपो दर: 6.50%
स्थायी जमा सुविधा दर: 6.25%
सीमांत स्‍थायी सुविधा दर: 6.75%
बैंक दर: 6.75%
प्रत्‍यावर्तनीय रिपो दर: 3.35%
सीआरआर: 4.50%
एसएलआर: 18.00%

2023-24 के लिए मौद्रिक नीति समिति की बैठकों की तिथियां
3, 5 और 6 अप्रैल 2023
6-8 जून 2023
8-10 अगस्त 2023
4-6 अक्तूबर 2023
6-8 दिसंबर 2023
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Rajanish Kant
RBI मौद्रिक पॉलिसी कमिटी (MPC) की बैठक आज से, ब्याज दर 0.25% बढ़ने का अनुमान



देश के केंद्रीय बैंक भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक पॉलिसी कमिटी यानी  RBI MPC की प्रमुख दरों पर आज से तीन दिनों की बैठक शुरू हो रही है। माना जा रहा है कि बैठक में महंगाई को काबू में करने के लिए रेपो रेट में 0.25 प्रतिशत की बढ़ोतरी की जा सकती है। 3,5 और 6 अप्रैल को हो रही इस बैठक का फैसला 6 अप्रैल को आएगा। 4 अप्रैल को महावीर जयंती के मौके पर अवकाश की वजह से बैठक नही होगी। यह RBI MPC की प्रमुख दरों पर वित्त वर्ष 2023-24 की पहली बैठक है। 

अगर रेपो रेट में बढ़ोतरी होती है तो लोन की ईएमआई बढ़ जाएगी। हालांकि, एफडी और आरडी कराने वालों को इसका फायदा मिल सकता है। 

>RBI की मौजूदा दरें (साभार- www.rbi.org.in)

नीति रिपो दर: 6.50%
स्थायी जमा सुविधा दर: 6.25%
सीमांत स्‍थायी सुविधा दर: 6.75%
बैंक दर: 6.75%
प्रत्‍यावर्तनीय रिपो दर: 3.35%
सीआरआर: 4.50%
एसएलआर: 18.00%

2023-24 के लिए मौद्रिक नीति समिति की बैठकों की तिथियां
3, 5 और 6 अप्रैल 2023
6-8 जून 2023
8-10 अगस्त 2023
4-6 अक्तूबर 2023
6-8 दिसंबर 2023
6-8 फरवरी 2024


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Rajanish Kant सोमवार, 3 अप्रैल 2023
RBI Policy: आपकी EMI और बढ़ जाएगी| Your EMI will go up.

अनुमान के मुताबिक,  भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक पॉलिसी कमिटी ने रेपो रेट में 0.25 प्रतिशत की बढ़ोतरी करते हुए इसे 6.50 प्रतिशत कर दिया है। इससे लोन और महंगे हो सकते हैं, जबकि एफडी करने वालों को फायदा हो सकता है। 

> फैसले के बाद RBI की प्रमुख दरें:
नीति रिपो दर: 6.50%
स्थायी जमा सुविधा दर: 6.25%
सीमांत स्‍थायी सुविधा दर: 6.75%
बैंक दर: 6.75%
प्रत्‍यावर्तनीय रिपो दर: 3.35%


सीआरआर: 4.50%
एसएलआर: 18.00%

आधार दर: 8.65% - 9.40%
एमसीएलआर (ओवरनाइट): 7.30% - 8.40%
बचत जमा दर: 2.70% - 3.00%
सावधि जमा दर > 1 वर्ष: 6.00% - 7.25%

आपको बता दूं कि देश के केंद्रीय बैंक भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक पॉलिसी कमिटी की ब्याज दर पर तीन दिवसीय बैठक 6 फरवरी को शुरू हुई थी।  

पिछले हफ्ते ही अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व प्रमुख दर में चौथाई प्रतिशत की बढ़ोतरी कर चुका है। 



मौद्रिक नीति वक्तव्य, 2022-23
मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) का संकल्प
6-8 फरवरी 2023

वर्तमान और उभरती समष्टि-आर्थिक परिस्थिति का आकलन करने के आधार पर मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने आज (8 फरवरी 2023) अपनी बैठक में यह निर्णय लिया है कि:

  • चलनिधि समायोजन सुविधा (एलएएफ) के अंतर्गत नीतिगत रेपो दर को तत्काल प्रभाव से 25 आधार अंक बढ़ाकर 6.50 प्रतिशत कर दिया जाए।

परिणामस्वरूप, स्थायी जमा सुविधा (एसडीएफ) दर 6.25 प्रतिशत और सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) दर और बैंक दर 6.75 प्रतिशत हो गई है।

  • एमपीसी ने निभाव को वापस लेने पर ध्यान केंद्रित रखने का भी निर्णय लिया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मुद्रास्फीति आगे चलकर संवृद्धि को समर्थन प्रदान करते हुए लक्ष्य के भीतर बनी रहे।

ये निर्णय, संवृद्धि को समर्थन प्रदान करते हुए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) मुद्रास्फीति को +/- 2 प्रतिशत के दायरे में रखते हुए 4 प्रतिशत का मध्यावधि लक्ष्य हासिल करने के अनुरूप है।

इस निर्णय में अंतर्निहित मुख्य विचार नीचे दिए गए विवरण में व्यक्त किए गए हैं।

आकलन

वैश्विक अर्थव्यवस्था

2. प्रतिकूल भू-राजनीतिक परिस्थिति के बने रहने और विश्व भर में केंद्रीय बैंकों द्वारा किए गए मौद्रिक नीति सख्ती के प्रभाव के बावजूद, हाल के महीनों में वैश्विक संवृद्धि की संभावना में सुधार हुआ है। बहरहाल, 2023 के दौरान वैश्विक संवृद्धि में गिरावट आने की उम्मीद है। मुद्रास्फीति, उच्च स्तरों से कुछ नरमी दिखा रही है, जो केंद्रीय बैंकों को दर संबंधी कार्रवाइयों के आकार और गति को कम करने के लिए प्रेरित कर रहा है। हालांकि, केंद्रीय बैंक मुद्रास्फीति को अपने लक्ष्य के करीब लाने की अपनी प्रतिबद्धता दोहरा रहे हैं। बॉण्ड प्रतिफल अस्थिर बनी हुई है। अमेरिकी डॉलर अपने हालिया उच्च स्तर से नीचे आ गया है, और पिछली एमपीसी बैठक के बाद से इक्विटी बाज़ारों में बढ़ोत्तरी हुई है। प्रमुख उन्नत अर्थव्यवस्थाओं (एई) में कमजोर बाह्य मांग, संरक्षणवादी नीतियों की बढ़ती घटना, अस्थिर पूंजी प्रवाह और ऋण संकट, हालांकि, उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं (ईएमई) की संभावनाओं पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकते हैं।

घरेलू अर्थव्यवस्था

3. 6 जनवरी 2023 को राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा जारी किए गए प्रथम अग्रिम अनुमान (एफ़एई) ने भारत के वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की संवृद्धि को 2022-23 के लिए 7.0 प्रतिशत वर्ष-दर-वर्ष (व-द-व) रखा, जो कि निजी उपभोग और निवेश द्वारा संचालित था। आपूर्ति पक्ष पर, योजित सकल मूल्य (जीवीए), 6.7 प्रतिशत पर अनुमानित था।

4. उच्च आवृत्ति संकेतक यह बताते हैं कि 2022-23 की तीसरी और चौथी तिमाही में आर्थिक गतिविधि मजबूत रही है। 3 फरवरी 2023 तक की स्थिति के अनुसार रबी बुवाई का क्षेत्रफल पिछले वर्ष के क्षेत्रफल से 3.3 प्रतिशत अधिक था। औद्योगिक उत्पादन में अक्तूबर में 4.2 प्रतिशत तक की गिरावट के बाद नवंबर में 7.1 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई। विनिर्माण में क्षमता उपयोग अब अपने दीर्घकालिक औसत से ऊपर है। दिसंबर में बंदरगाह माल भाड़ा ट्रैफिक, ई-वे बिल और टोल कलेक्शन में तेजी रही। पिछले महीने की तुलना में कुछ नरमी के बावजूद जनवरी में विनिर्माण और सेवाओं के लिए क्रय प्रबंधक सूचकांक (पीएमआई) विस्तार में बना रहा।

5. मजबूत विवेकाधीन खर्च से घरेलू मांग को बनाए रखा गया है। जैसा कि बेहतर यात्री वाहनों की बिक्री और घरेलू हवाई यात्री यातायात में परिलक्षित होता है, शहरी मांग ने आघात-सहनीयता का प्रदर्शन किया है। ग्रामीण मांग में सुधार हो रहा है। निवेश गतिविधि धीरे-धीरे जोर पकड़ रही है। दिसंबर में तेल से इतर स्वर्ण से इतर आयात में बढ़ोत्तरी हुई। दूसरी ओर, कमजोर वैश्विक मांग के कारण वस्तुओं का निर्यात दिसंबर में संकुचित हुआ।

6. सब्जियों की कीमतों में दोहरे अंकों की अपस्फीति के कारण सीपीआई हेडलाइन मुद्रास्फीति, नवंबर में 5.9 प्रतिशत तक कम होने के बाद, दिसंबर 2022 में घटकर 5.7 प्रतिशत (वर्ष-दर-वर्ष) हो गया। दूसरी ओर, अनाज, प्रोटीन आधारित खाद्य पदार्थों और मसालों में मुद्रास्फीति का दबाव बढ़ा। मुख्य रूप से मिट्टी के तेल की कीमतों में वृद्धि के कारण ईंधन मुद्रास्फीति में बढ़ोत्तरी हुई। स्वास्थ्य, शिक्षा और व्यक्तिगत देखभाल और प्रभावों में निरंतर मूल्य दबाव के कारण मूल सीपीआई (अर्थात्, खाद्य और ईंधन को छोड़कर सीपीआई) मुद्रास्फीति दिसंबर में बढ़कर 6.1 प्रतिशत हो गई।

7. एलएएफ के अंतर्गत औसत दैनिक अवशोषण अक्तूबर-नवंबर में औसतन 1.4 लाख करोड़ से बढ़कर दिसंबर-जनवरी के दौरान 1.6 लाख करोड़ होने के कारण, समग्र चलनिधि अधिशेष में बनी हुई है। वर्ष-दर-वर्ष आधार पर, 27 जनवरी 2023 तक मुद्रा आपूर्ति (एम3) में 9.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि गैर-खाद्य बैंक ऋण में 16.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई। 27 जनवरी 2023 तक की स्थिति के अनुसार भारत की विदेशी मुद्रा आरक्षित निधियां 576.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर थीं।

संभावना

8. मुद्रास्फीति की संभावना मिश्रित है। जबकि रबी फसल, विशेष रूप से गेहूं और तिलहन के लिए, की संभावनाओं में सुधार हुआ है, लेकिन प्रतिकूल मौसमी घटनाओं का जोखिम बना हुआ है। कच्चे तेल सहित वैश्विक कोमोडिटी मूल्य संभावना, मांग की संभावनाओं से जुड़ी अनिश्चितताओं के साथ-साथ भू-राजनीतिक तनावों के कारण आपूर्ति में व्यवधान के जोखिमों के अधीन है। विश्व के कुछ हिस्सों में कोविड के कारण आवाजाही पर लगे प्रतिबंधों में ढील के कारण कमोडिटी की कीमतों पर ऊर्ध्वगामी दबाव का प्रभाव पड़ने की उम्मीद है। आउटपुट मूल्य में इनपुट लागतों का निरंतर प्रभाव-अंतरण, विशेष रूप से सेवाओं में, मूल मुद्रास्फीति पर दबाव जारी रख सकता है। रिज़र्व बैंक के उद्यम सर्वेक्षण, विनिर्माण में इनपुट लागत और आउटपुट मूल्य दबावों में कुछ नरमी का संकेत करते हैं। इन कारकों को ध्यान में रखते हुए और कच्चे तेल की औसत कीमत (भारतीय टोकरी) 95 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल मानते हुए, चौथी तिमाही में 5.7 प्रतिशत के साथ 2022-23 में मुद्रास्फीति 6.5 प्रतिशत होने का अनुमान लगाया गया है। सामान्य मानसून के अनुमान पर, सीपीआई मुद्रास्फीति 2023-24 के लिए 5.3 प्रतिशत अनुमानित है, जोकि पहली तिमाही में 5.0 प्रतिशत, दूसरी तिमाही में 5.4 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 5.4 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 5.6 प्रतिशत तथा जोखिम समान रूप से संतुलित रहना अनुमानित है (चार्ट 1)।

9. कृषि और संबद्ध गतिविधियों की मजबूत संभावनाओं से ग्रामीण मांग को बढ़ावा मिलने की संभावना है। संपर्क-गहन क्षेत्रों में वापसी और विवेकाधीन खर्च से शहरी खपत को समर्थन मिलने की उम्मीद है। रिज़र्व बैंक द्वारा किए गए सर्वेक्षण से पता चलता है कि कारोबार और उपभोक्ता, संभावना के बारे में आशावादी हैं। मजबूत ऋण संवृद्धि, आघात-सहनीय वित्तीय बाजार और पूंजीगत व्यय तथा अवसंरचना पर सरकार का निरंतर बल, निवेश के लिए एक अनुकूल वातावरण तैयार करता है। दूसरी ओर, निर्यात पर प्रतिकूल प्रभाव के साथ, वैश्विक गतिविधि में मंदी से बाह्य मांग में कमी आने की संभावना है। इन सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए, 2023-24 के लिए वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद की संवृद्धि 6.4 प्रतिशत अनुमानित है, जोकि पहली तिमाही में 7.8 प्रतिशत, दूसरी तिमाही में 6.2 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 6.0 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 5.8 प्रतिशत तथा जोखिम व्यापक रूप से संतुलित रहना अनुमानित है (चार्ट 2).

Chart 1 or 2

10. पिछले दो महीनों में मुद्रास्फीति में कमी, सब्जियों में मजबूत अपस्फीति से प्रेरित थी, जो गर्मी के मौसम में तेजी के साथ समाप्त हो सकती है। सब्जियों को छोड़कर हेडलाइन मुद्रास्फीति ऊपरी सहन-सीमा बैंड से काफी ऊपर बढ़ रही है और विशेष रूप से उच्च कोर मुद्रास्फीति दबावों के साथ उच्च बनी रह सकती है। इसलिए, मुद्रास्फीति, संभावना के लिए एक बड़ा जोखिम बनी हुई है। राजकोषीय समेकन जारी रहने से निजी निवेश के लिए अवसर मिलने के बावजूद, केंद्रीय बजट 2023-24 में पूंजी और अवसंरचना व्यय पर सतत ध्यान देने से घरेलू आर्थिक गतिविधि के आघात-सहनीय बने रहने की उम्मीद है। भले ही, मई 2022 से नीतिगत रेपो दर में की गई बढ़ोत्तरी, सिस्टम में अपने तरीके से काम कर रही है, लेकिन फिर भी मुद्रास्फीति पर सतर्क रहना अनिवार्य है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि यह सहन-सीमा बैंड के भीतर बनी रहे और लक्ष्य के साथ उत्तरोत्तर संरेखित हो। कुल मिलाकर, एमपीसी का यह विचार है कि मुद्रास्फीति के अनुमानों को नियंत्रित करने, मूल मुद्रास्फीति की सततता को रोकने और इस तरह मध्यम अवधि की संवृद्धि संभावनाओं को मजबूत करने के लिए आगे चलकर सुविचारित मौद्रिक नीति कार्रवाई आवश्यक है। तदनुसार, एमपीसी ने नीतिगत रेपो दर को 25 आधार अंक बढ़ाकर 6.50 प्रतिशत करने का निर्णय लिया। एमपीसी ने निभाव को वापस लेने पर ध्यान केंद्रित रखने का भी निर्णय लिया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मुद्रास्फीति आगे चलकर संवृद्धि को समर्थन प्रदान करते हुए लक्ष्य के भीतर बनी रहे।

11. डॉ. शशांक भिडे, डॉ. राजीव रंजन, डॉ. माइकल देवब्रत पात्र और श्री शक्तिकान्त दास ने नीतिगत रेपो दर को 25 आधार अंकों तक बढ़ाने के लिए वोट किया। डॉ. आशिमा गोयल और प्रो. जयंत आर. वर्मा ने रेपो दर में वृद्धि के विरुद्ध वोट किया।

12. डॉ. शशांक भिड़े, डॉ. राजीव रंजन, डॉ. माइकल देवब्रत पात्र और श्री शक्तिकान्त दास ने निभाव को वापस लेने पर ध्यान केंद्रित रखने के लिए वोट किया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मुद्रास्फीति आगे चलकर संवृद्धि को समर्थन प्रदान करते हुए लक्ष्य के भीतर बनी रहे। डॉ. आशिमा गोयल, और प्रो. जयंत आर. वर्मा ने संकल्प के इस हिस्से के विरुद्ध वोट किया।

13. एमपीसी की बैठक का कार्यवृत्त 22 फरवरी 2023 को प्रकाशित किया जाएगा।

14. एमपीसी की अगली बैठक 3, 5 और 6 अप्रैल 2023 के दौरान निर्धारित है।


(साभार: www.rbi.org.in)

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Rajanish Kant बुधवार, 8 फ़रवरी 2023