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RBI ने Mannakrishna Investments पर जुर्माना लगाया, जानें क्यों और कितना

 देश के केंद्रीय बैंक भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने कुछ दिशा-निर्देशों का पालन नहीं करने पर Mannakrishna Investments  पर ₹3.10 लाख का जुर्माना लगाया। आरबीआई ने इसकी जानकारी दी। 



-खबर को विस्तार से पढ़ने केलिए इस लिंक पर क्लिक करें 


(साभार- www.rbi.org.in)

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Rajanish Kant सोमवार, 1 दिसंबर 2025
RBI ने HDFC Bank पर ₹91.00 लाख का भारी भरकम जुर्माना लगाया, जानें क्यों

 देश के केंद्रीय बैंक भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने HDFC Bank पर कुछ दिशा-निर्देशों का पालन नहीं करने पर ₹91.00 लाख का भारी भरकम जुर्माना लगाया है।  RBI ने इसकी जानाकारी दी है। 



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(साभार- www.rbi.org.in)

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Rajanish Kant
Lending and Deposit Rates of Scheduled Commercial Banks – November 2025

 अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों की ऋण और जमा दरें – नवंबर 2025



वर्ष 2025 के नवंबर माह के दौरान प्राप्त अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (एससीबी) (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और लघु वित्त बैंकों को छोड़कर) के ऋण और जमा दर संबंधी आंकड़े सारणी 1 से 7 में प्रस्तुत किए गए हैं।

मुख्य बातें:

ऋण दरें:

  • एससीबी के नए रुपया ऋणों पर भारित औसत उधार दर (डब्ल्यूएएलआर) अक्‍तूबर 2025 में 8.64 प्रतिशत पर रहा (सितंबर 2025 में 8.50 प्रतिशत)।

  • एससीबी के बकाया रुपया ऋणों पर डब्ल्यूएएलआर सितंबर 2025 में 9.26 प्रतिशत से घटकर अक्‍तूबर 2025 में 9.24 प्रतिशत हो गया।

  • एससीबी की एक वर्षीय निधि की सीमांत लागत आधारित ऋण दर (एमसीएलआर) की माध्यिका अक्‍तूबर 2025 में 8.55 प्रतिशत से कम होकर नवंबर 2025 में 8.50 प्रतिशत हो गई।

जमा दरें:

  • एससीबी की नई रुपया मीयादी जमाओं पर भारित औसत घरेलू मीयादी जमा दर (डब्ल्यूएडीटीडीआर) अक्‍तूबर 2025 में 5.57 प्रतिशत पर रहा (सितंबर 2025 में 5.61 प्रतिशत)।

  • एससीबी की बकाया रुपया मीयादी जमाओं पर डब्ल्यूएडीटीडीआर अक्‍तूबर 2025 में 6.78 प्रतिशत था (सितंबर 2025 में 6.82 प्रतिशत)।



(साभार- www.rbi.org.in)

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Rajanish Kant
Personal Loan में 14% की बढ़ोतरी, Home, Gold, Vehicle Loan सबसे ज्यादा लिये गए- RBI

बैंक ऋण का क्षेत्रवार अभिनियोजन – अक्‍तूबर 2025



वर्ष 2025 के अक्‍तूबर माह1 के लिए 41 चुनिंदा अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (एससीबी) से जुटाए गए बैंक ऋण के क्षेत्रवार अभिनियोजन संबंधी आंकड़े, जो सभी एससीबी के कुल खाद्येतर ऋण का लगभग 95 प्रतिशत होता है, विवरण I और II में दिए गए हैं।

वर्ष-दर-वर्ष (व-द-व) आधार पर, खाद्येतर बैंक ऋण2 31 अक्‍तूबर 2025 को समाप्त पखवाड़े की स्थिति के अनुसार 11.1 प्रतिशत की दर से बढ़ा3, जबकि पिछले वर्ष के इसी पखवाड़े में यह 11.7 प्रतिशत था (अर्थात, 01 नवंबर 2024)।

31 अक्‍तूबर 2025 को समाप्त पखवाड़े की स्थिति के अनुसार बैंक ऋण3 के क्षेत्रवार अभिनियोजन की मुख्य बातें नीचे दी गई हैं:

  • कृषि और संबद्ध कार्यकलापों हेतु प्रदत्त ऋण में वर्ष-दर-वर्ष 8.9 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई (पिछले वर्ष के इसी पखवाड़े में 15.5 प्रतिशत)।

  • उद्योग क्षेत्र को प्रदत्त ऋण में वर्ष-दर-वर्ष 10.0 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, जबकि पिछले वर्ष के इसी पखवाड़े में यह 8.1 प्रतिशत थी। ‘सूक्ष्म एवं लघु’, और ‘मध्यम’ उद्योगों को प्रदत्त ऋण में दो अंकों में वृद्धि जारी रही। बड़े उद्योगों में, ‘सभी अभियांत्रिकी’, ‘आधारभूत संरचना’, ‘निर्माण’, ‘वस्त्र’, और ‘वाहन, वाहन कलपुर्जे एवं परिवहन उपकरण’ के बकाये ऋण में वर्ष-दर-वर्ष उत्प्लवित वृद्धि दर्ज की गई।

  • सेवा क्षेत्र को प्रदत्त ऋण में वर्ष-दर-वर्ष 13.0 प्रतिशत की वृद्धि दर दर्ज की गई (पिछले वर्ष के इसी पखवाड़े में 12.5 प्रतिशत)। ‘गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों’ (एनबीएफसी) और ‘व्‍यापार’ खंड हेतु प्रदत्त ऋण के वृद्धि में तेजी आई, जबकि ‘वाणिज्यिक स्थावर संपदा’ खंड में स्थिर वृद्धि दर्ज की गई।

  • ‘वैयक्तिक ऋण’ खंड हेतु प्रदत्त ऋण में वर्ष-दर-वर्ष 14.0 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, जबकि एक वर्ष पहले यह 12.9 प्रतिशत थी। वृद्धि में यह सुधार मुख्‍यत: ‘आवास’, ‘स्‍वर्ण आभूषणों पर ऋण’, और ‘वाहन ऋण’ द्वारा संचालित था।

1 आंकड़े माह के अंतिम रिपोर्टिंग शुक्रवार से संबंधित हैं, जो क्षेत्रवार और उद्योगवार बैंक ऋण (एसआईबीसी) विवरणी पर आधारित हैं।

2 खाद्येतर ऋण के आंकड़े माह के अंतिम रिपोर्टिंग शुक्रवार हेतु धारा-42 विवरणी पर आधारित हैं, जिसमें सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक (एससीबी) शामिल हैं।

3 आंकड़ों में बैंक के साथ गैर-बैंक के विलय के प्रभाव को शामिल किया गया है।




(साभार- www.rbi.org.in)

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Rajanish Kant
RBI ने Tumkur Grain Merchants Co-operative Bank पर जुर्माना लगाया, जानें क्यों और कितना

भारतीय रिज़र्व बैंक ने तुमकूर ग्रेन मर्चेंट्स को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, कर्नाटक पर मौद्रिक दंड लगाया



भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने दिनांक 20 नवंबर 2025 के आदेश द्वारा तुमकूर ग्रेन मर्चेंट्स को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, कर्नाटक (बैंक) पर आरबीआई द्वारा ‘पर्यवेक्षी कार्रवाई ढांचा (एसएएफ़)’ के अंतर्गत जारी विशिष्ट निदेशों के अननुपालन के लिए ₹1 लाख (एक लाख रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 46(4)(i) और 56 के साथ पठित धारा 47ए(1)(सी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

31 मार्च 2024 को बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में आरबीआई द्वारा बैंक का सांविधिक निरीक्षण किया गया। भारतीय रिज़र्व बैंक के निदेशों के अननुपालन के पर्यवेक्षी निष्कर्षों तथा उससे संबंधित पत्राचार के आधार पर, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया, जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि उक्त निदेशों के अनुपालन में विफलता के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए। नोटिस पर बैंक के उत्तर, और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक ने, अन्य बातों के साथ-साथ, यह पाया कि बैंक के विरुद्ध निम्नलिखित आरोप सिद्ध हुए हैं, जिसके लिए मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है:

एसएएफ़ के अंतर्गत जारी निदेशों का अननुपालन करते हुए बैंक ने:

i. 100% से अधिक जोखिम-भार वाले नए ऋण और अग्रिम स्वीकृत किए;

ii. मियादी जमाराशि पर भारतीय स्टेट बैंक द्वारा लगाई गई ब्याज दरों से अधिक ब्याज दरें प्रदान कीं; और

iii. उच्च स्तर के एनपीए/ चूक वाले क्षेत्रों को ऋण सुविधाएं स्वीकृत / नवीनीकृत कीं।

यह कार्रवाई, विनियमकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य बैंक द्वारा ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है। इसके अलावा, इस मौद्रिक दंड को लगाने से भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक के विरुद्ध की जाने वाली किसी भी अन्य कार्रवाई पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।

 


(साभार- www.rbi.org.in)

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Rajanish Kant बुधवार, 26 नवंबर 2025
RBI ने The District Co-operative Central Bank, Kurnool पर जुर्माना लगाया, जानें क्यों और कितना

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दि डिस्ट्रिक्ट को-ऑपरेटिव सेंट्रल बैंक लिमिटेड, कुरनूल, आंध्र प्रदेश पर मौद्रिक दंड लगाया



भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने दिनांक 20 नवंबर 2025 के आदेश द्वारा दि डिस्ट्रिक्ट को-ऑपरेटिव सेंट्रल बैंक लिमिटेड, कुरनूल, आंध्र प्रदेश (बैंक) पर बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (बीआर अधिनियम) की धारा 56 के साथ धारा पठित धारा 20 के प्रावधानों के उल्लंघन तथा आरबीआई द्वारा जारी 'अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी)’ संबंधी कतिपय निदेशों के अननुपालन के लिए 1.5 लाख (एक लाख पचास हजार रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, बीआर अधिनियम की धारा 46(4)(i) और 56 के साथ पठित धारा 47ए(1)(सी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

31 मार्च 2024 को बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) द्वारा बैंक का सांविधिक निरीक्षण किया गया। सांविधिक प्रावधानों के उल्लंघन तथा भारतीय रिज़र्व बैंक के निदेशों के अननुपालन के पर्यवेक्षी निष्कर्षों तथा उससे संबंधित पत्राचार के आधार पर, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया, जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि उक्त प्रावधानों एवं निदेशों के अनुपालन में विफलता के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए। नोटिस पर बैंक के उत्तर, और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक ने, अन्य बातों के साथ-साथ, यह पाया कि बैंक के विरुद्ध निम्नलिखित आरोप सिद्ध हुए हैं , जिसके लिए मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है:

बैंक ने:

i. अपने निदेशकों को ऋण स्वीकृत किए थे; और

ii. निर्धारित समय- सीमा के भीतर ग्राहकों के केवाईसी रिकॉर्ड को केंद्रीय केवाईसी रिकॉर्ड रजिस्ट्री (सीकेवाईसीआर) पर अपलोड करने में विफल रहा था।

यह कार्रवाई, सांविधिक और विनियमकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य बैंक द्वारा ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है। इसके अलावा, इस मौद्रिक दंड को लगाने से भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक के विरुद्ध की जाने वाली किसी भी अन्य कार्रवाई पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।

 


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भारतीय रिज़र्व बैंक ने दि डिस्ट्रिक्ट को-ऑपरेटिव सेंट्रल बैंक लिमिटेड, काकिनाड़ा, आंध्र प्रदेश पर मौद्रिक दंड लगाया



भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने दिनांक 20 नवंबर 2025 के आदेश द्वारा दि डिस्ट्रिक्ट को-ऑपरेटिव सेंट्रल बैंक लिमिटेड, काकिनाड़ा, आंध्र प्रदेश (बैंक) पर बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (बीआर अधिनियम) की धारा 56 के साथ धारा पठित धारा 20 के प्रावधानों के उल्लंघन के लिए 1 लाख (एक लाख रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, बीआर अधिनियम की धारा 46(4)(i) और 56 के साथ पठित धारा 47ए(1)(सी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

31 मार्च 2024 को बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) द्वारा बैंक का सांविधिक निरीक्षण किया गया। सांविधिक प्रावधानों के उल्लंघन के पर्यवेक्षी निष्कर्षों तथा उससे संबंधित पत्राचार के आधार पर, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया, जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि उक्त प्रावधानों के अनुपालन में विफलता के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए। नोटिस पर बैंक के उत्तर, और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक ने, अन्य बातों के साथ-साथ, यह पाया कि बैंक के विरुद्ध निम्नलिखित आरोप सिद्ध हुआ है, जिसके लिए मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है:

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Rajanish Kant
RBI ने The Fatehpur District Cooperative Bank पर जुर्माना लगाया, जानें क्यों और कितना

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दि फतेहपुर डिस्ट्रिक्ट को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, उत्तर प्रदेश पर मौद्रिक दंड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने दिनांक 20 नवंबर 2025 के आदेश द्वारा दि फतेहपुर डिस्ट्रिक्ट को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, उत्तर प्रदेश (बैंक) पर आरबीआई द्वारा जारी 'अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी)' संबंधी कतिपय निदेशों के अननुपालन के लिए 2 लाख (दो लाख रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, बीआर अधिनियम की धारा 46(4)(i) और 56 के साथ पठित धारा 47ए(1)(सी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

31 मार्च 2024 को बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) द्वारा बैंक का सांविधिक निरीक्षण किया गया। भारतीय रिज़र्व बैंक के निदेशों के अननुपालन के पर्यवेक्षी निष्कर्षों तथा उससे संबंधित पत्राचार के आधार पर, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया, जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि उक्त निदेशों के अनुपालन में विफलता के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए। नोटिस पर बैंक के उत्तर, और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक ने, अन्य बातों के साथ-साथ, यह पाया कि बैंक के विरुद्ध निम्नलिखित आरोप सिद्ध हुए हैं , जिसके लिए मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है:

बैंक निम्नलिखित में विफल रहा:

  1. खातों के जोखिम वर्गीकरण की समय-समय पर समीक्षा की एक प्रणाली स्थापित करने में, जिसकी अवधि कम से कम छह महीने में एक बार हो; और

  2. अपने ग्राहकों के केवाईसी का समय-समय पर अपडेट करने में।

यह कार्रवाई, विनियामकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य बैंक द्वारा ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है। इसके अलावा, इस मौद्रिक दंड को लगाने से भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक के विरुद्ध की जाने वाली किसी भी अन्य कार्रवाई पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।



(साभार- www.rbi.org.in)

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Rajanish Kant
National Mercantile Cooperative Bank में पैसा रखने वालों को RBI से राहत

बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित धारा 35ए के अंतर्गत निदेश –
नैशनल मर्केंटाइल को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, लखनऊ - निदेशों को वापस लेना



भारतीय रिज़र्व बैंक ने नैशनल मर्केंटाइल को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, लखनऊ को बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित धारा 35ए के अंतर्गत दिनांक 9 मार्च 2023 के निदेश सं. LKO.DOS.SED.No.S875/10-03-759/2022-23 के माध्यम से छह माह की अवधि के लिए निदेश जारी किए। इन निदेशों को समय-समय पर संशोधित किया गया और पिछली बार इसे 10 दिसंबर 2025 को कारोबार समाप्ति तक बढ़ाया गया था।

2. बैंक की वित्तीय स्थिति की समीक्षा करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक, इस बात से संतुष्ट होने पर कि जन हित में ऐसा करना आवश्यक है और बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित धारा 35 ए की उप-धारा (2) के अंतर्गत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, 21 नवंबर 2025 को कारोबार की समाप्ति से नैशनल मर्केंटाइल को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, लखनऊ को जारी किए गए उक्त निदेशों को वापस लेता है।

 



(साभार- www.rbi.org.in)

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Rajanish Kant सोमवार, 24 नवंबर 2025
Eurosystem के TARGET Instant Payment Settlement (TIPS)के साथ यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) को जोड़ना

 यूरोसिस्टम के टारगेट इंस्टेंट पेमेंट सेटलमेंट (टीआईपीएस) के साथ यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) को जोड़ना



भारतीय रिज़र्व बैंक, सीमापारीय भुगतान को बढ़ावा देने के लिए यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफ़ेस (यूपीआई) को अन्य क्षेत्राधिकारों की तेज़ भुगतान प्रणाली के साथ जोड़ने पर सक्रिय रूप से ज़ोर दे रहा है। ये पहलें सीमापारीय भुगतान को बढ़ाने के लिए जी20 रोडमैप के साथ जुड़ी हुई हैं, जिसमें सस्ते, कुशल, अधिक पारदर्शी और अधिक आसान विप्रेषण पर ध्यान केंद्रित किया गया है।

भारतीय रिज़र्व बैंक और एनपीसीआई इंटरनेशनल पेमेंट्स लिमिटेड (एनआईपीएल), यूरोपियन सेंट्रल बैंक के साथ मिलकर यूपीआई को टीएआरजीईटी इंस्टेंट पेमेंट सेटलमेंट (टीआईपीएस) से जोड़ने की पहल कर रहे हैं, जो यूरोसिस्टम द्वारा संचालित त्वरित भुगतान प्रणाली है। अच्छी और लगातार बातचीत के बाद, दोनों पक्ष यूपीआई-टीआईपीएस लिंक के लिए प्राप्ति चरण (रियलाइज़ेशन फ़ेज़) शुरू करने पर सहमत हो गए हैं।

प्रस्तावित यूपीआई-टीआईपीएस जोड़ने का उद्देश्य, भारत और यूरो क्षेत्र के बीच सीमापारीय विप्रेषण को आसान बनाना है और इससे दोनों क्षेत्राधिकारों के उपयोगकर्ता को लाभ प्राप्त होने की आशा है।

भारतीय रिज़र्व बैंक और एनआईपीएल, तकनीकी एकीकरण, जोखिम प्रबंधन और निपटान व्यवस्था सहित यूपीआई-टीआईपीएस लिंक को परिचालित करने के लिए यूरोपियन सेंट्रल बैंक के साथ मिलकर काम करते रहेंगे।




(साभार- www.rbi.org.in)

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