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IORS-इंटर ऑपरेबल विनियामक सैंडबॉक्स (आईओआरएस)-अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

 


यह प्रश्न (FAQ) इंटर-ऑपरेबल विनियामक सैंडबॉक्स (IoRS) पहल का व्यापक अवलोकन प्रदान करते हैं और संभावित प्रतिभागियों के सामान्य प्रश्नों का समाधान करते हैं:

प्रश्न 1. विनियामक सैंडबॉक्स क्या है?

विनियामक सैंडबॉक्स आमतौर पर नियंत्रित/परीक्षण विनियामक वातावरण में नए उत्पादों या सेवाओं के लाइव परीक्षण को संदर्भित करता है, जिसके लिए विनियामक परीक्षण के सीमित उद्देश्य के लिए कुछ विनियामक छूट की अनुमति दी जा सकती हैं।

प्रश्न 2. भारत में किन विनियामकों/प्राधिकरणों ने विनियामक सैंडबॉक्स के लिए पहल की है?

भारत में वित्तीय क्षेत्र के विनियामकों/प्राधिकरणों ने अपने-अपने क्षेत्रों में नवोन्मेष को बढ़ावा देने के लिए विनियामक सैंडबॉक्स स्थापित किए हैं। इनमें निम्नलिखित विनियामक शामिल हैं:

  • भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI)

Link: Publications - FinTech

  • भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI)

Link: https://www.sebi.gov.in/legal/circulars/jun-2021/revised-framework-for-regulatory-sandbox_50521.html

  • भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI)

Link: https://irdai.gov.in/document-detail?documentId=6541188

  • अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण (IFSCA)

Link: https://ifsca.gov.in/Viewer?Path=Document%2FLegal%2Ffe-framework_27-04-202227042022122844.pdf&Title=Framework
%20for%20FinTech%20Entity%20in%20the%20International%20Financial
%20Services%20Centres%20%28IFSCs%29&Date=27%2F04%2F2022

  • यह ध्यान देने योग्य है कि पेंशन निधि विनियामक और विकास प्राधिकरण (PFRDA) के पास वर्तमान में अपना स्वयं का विनियामक सैंडबॉक्स नहीं है।

प्रश्न 3. इंटर-ऑपरेबल विनियामक सैंडबॉक्स (आईओआरएस) पहल की उत्पत्ति क्या है?

वित्तीय स्थिरता और विकास परिषद-उप समिति (एफएसडीसी-एससी) के तत्वावधान में फिनटेक पर एक अंतर-विनियामक तकनीकी समूह (आईआरटीजी ऑन फिनटेक) का गठन किया गया था। फिनटेक पर आईआरटीजी के विचारार्थ विषयों (टीओआर) में विनियामक सैंडबॉक्स में प्रवेश के लिए एक से अधिक वित्तीय क्षेत्र के विनियामकीय दायरे में आने वाले हाइब्रिड उत्पाद/सेवा से संबंधित मुद्दों पर चर्चा और हाइब्रिड उत्पादों/सेवाओं के लिए आईओआरएस हेतु मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार करना शामिल था। इस समूह में, वित्तीय क्षेत्र के विनियामकों/प्राधिकरणों (आरबीआई, सेबी, आईआरडीएआई, आईएफएससीए और पीएफआरडीए) के सदस्यों के अतिरिक्त, आर्थिक कार्य विभाग (डीईए), वित्त मंत्रालय और इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई), भारत सरकार का प्रतिनिधित्व है। एक से अधिक वित्तीय क्षेत्र के विनियामकीय दायरे में आने वाले नवीन उत्पादों/सेवाओं के परीक्षण की सुविधा के लिए, फिनटेक पर अंतर-विनियामक तकनीकी समूह (फिनटेक पर आईआरटीजी) द्वारा आईओआरएस के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार की गई है। एसओपी को इस लिंक से देखा जा सकता है:- FinTech

प्रश्न 4. इंटर-ऑपरेबल विनियामक सैंडबॉक्स क्या है?

इंटर-ऑपरेबल विनियामक सैंडबॉक्स (आईओआरएस) नवप्रवर्तकों को एक से अधिक वित्तीय क्षेत्र विनियामकों के विनियामकीय दायरे में आने वाले हाइब्रिड वित्तीय उत्पादों/सेवाओं का परीक्षण करने के लिए एक साझा मंच प्रदान करता है। विभिन्न विनियामकों के साथ अलग-अलग संपर्क करने की आवश्यकता को समाप्त करके, आईओआरएस परीक्षण प्रक्रियाओं को सरल बनाता है और वित्तीय पारितंत्र में नवोन्मेष को बढ़ावा देता है।

प्रश्न 5. (आईओआरएस) व्यक्तिगत विनियामक सैंडबॉक्स से किस प्रकार भिन्न है?

आईओआरएस ऐसे नवोन्मेषों का समर्थन करता है जिनके लिए कई विनियामकों के बीच सहयोग की आवश्यकता होती है, जबकि विनियामकों के अलग-अलग सैंडबॉक्स एक ही विनियामक के दायरे में समाधानों को पूरा करते हैं। इस प्रकार, आईओआरएस एक एकीकृत तंत्र है जो विभिन्न वित्तीय क्षेत्र के विनियामकों के विशिष्ट विनियामक सैंडबॉक्स रूपरेखाओं की जटिलताओं को दूर करता है और अंतर-क्षेत्रीय नवोन्मेष को बढ़ावा देने में सहायता करता है।

प्रश्न 6. आईओआरएस पहल में कौन से विनियामक/प्राधिकरण शामिल हैं?

इस पहल में कई विनियामकों के बीच सहयोग शामिल है:

  • भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) – बैंकिंग और भुगतान प्रणालियों हेतु

  • भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) – प्रतिभूति बाज़ारों हेतु

  • भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (आईआरडीएआई) – बीमा उत्पादों के लिए

  • पेंशन निधि विनियामक और विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) - पेंशन से संबंधित नवोन्मेषों हेतु (हालांकि पीएफ़आरडीए के पास एक अलग विनियामक सैंडबॉक्स नहीं है, लेकिन यह इंटर ऑपरेबल विनियामक सैंडबॉक्स (आईओआरएस) का एक हिस्सा है।

  • अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण (आईएफ़एससीए) – अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्रों में फिनटेक इकाई के लिए फ्रेमवर्क के अनुलग्नक I Framework for FinTech Entity in the International Financial Services Centres में निर्दिष्ट डोमेन क्षेत्रों में परीक्षण के लिए गुजरात अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय टेक-सिटी अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र (GIFT IFSC) का एकीकृत विनियामक प्राधिकरण।

प्रश्न 7. आईओआरएस में कौन भागीदारी कर सकता है?

सामान्यतः निम्नलिखित संस्थाएं आईओआरएस में भागीदारी कर सकती हैं: वित्तीय संस्थान, फिनटेक कंपनियां, रेगटेक प्रदाता, स्टार्ट-अप या अन्य नवप्रवर्तक जो विभिन्न वित्तीय क्षेत्रों से संबंधित उत्पाद/सेवाएं प्रदान करते हैं।

हालाँकि, पात्रता मानदंड मुख्य रूप से प्रधान विनियामक के आरएस रूपरेखा द्वारा नियंत्रित किए जाएंगे (इसका विवरण एफ़एक्यू के प्रश्न 2 के अंतर्गत प्रदान किया गया है)

प्रश्न 8. आईओआरएस के अंतर्गत किस प्रकार के उत्पादों या सेवाओं का परीक्षण किया जा सकता है?

आईओआरएस उन वित्तीय उत्पादों या सेवाओं के परीक्षण की अनुमति देता है जिनकी विशेषताएँ एक से अधिक वित्तीय क्षेत्र के विनियामकों (आरबीआई, सेबी, आईआरडीएआई, पीएफआरडीए और आईएफएससीए) के अधिकार क्षेत्र में आती हैं। ऐसे कुछ नवोन्मेषी समाधानों में रेगटेक और सुपटेक, डिजिटल भुगतान समाधान, बैंकिंग सेवाओं से जुड़े बीमा उत्पादों, इंश्योरटेक, वेल्थटेक, सीमापारीय भुगतान समाधान आदि के लिए क्रॉस-सेक्टोरल उत्पाद शामिल हैं।

प्रश्न 9. आईओआरएस में भाग लेने के क्या लाभ हैं?

  • नियंत्रित, कम जोखिम वाले वातावरण में नवीन समाधानों का परीक्षण किया जा सकेगा।

  • विभिन्न क्षेत्रों में अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए एकल खिड़की के माध्यम से कई विनियामकों के साथ वार्तालाप संभव होगा।

  • विनियामकों से प्रतिक्रिया और सैंडबॉक्स परीक्षण के आधार पर उत्पादों को परिष्कृत करने का अवसर प्राप्त होगा।

  • नवीन समाधानों के लिए बाजार में आने में लगने वाला समय में घटाव।

प्रश्न 10. आईओआरएस के अंतर्गत प्रधान विनियामक (PR) और सहयोगी विनियामक (AR) कौन है?

विनियामक की आरएस रूपरेखा, जिसके अधिकार क्षेत्र में उत्पाद की प्रमुख/बहुसंख्यक विशेषताएँ शामिल हैं, आईओआरएस के अंतर्गत 'प्रमुख विनियामक (पीआर)' होगा। वह विनियामक/विनियामकों, जिसके अधिकार क्षेत्र में उत्पाद की प्रमुख विशेषता के अलावा अन्य विशेषताएँ आती हैं, आईओआरएस के अंतर्गत 'सहयोगी नियामक (एआर)' होगा।

प्रश्न 11. किसी उत्पाद की प्रमुख विशेषता का निर्धारण कैसे किया जाता है?

प्रमुख विशेषता का मूल्यांकन दो कारकों के आधार पर किया जाता है:

  • मौजूदा वित्तीय उत्पादों (जैसे, ऋण, जमा, बीमा, पेंशन उत्पाद) में वृद्धि का प्रकार।

  • परीक्षण प्रक्रिया के दौरान उत्पाद के लिए मांगी गई छूट की संख्या, जिसमें बाद वाले को अधिक महत्व दिया गया।

यदि छूट की आवश्यकता होगी तो पी.आर./ए.आर. द्वारा मामले-दर-मामले आधार पर विचार किया जाएगा तथा इस संबंध में लिया गया निर्णय बाध्यकारी एवं अंतिम होगा।

प्रश्न 12. आईओआरएस में भाग लेने के लिए पात्रता मानदंड क्या हैं?

उत्पाद की प्रमुख विशेषताओं के आधार पर, संबंधित पीआर के आरएस के लिए लागू पात्रता मानदंड और नेटवर्थ मानदंड आईओआरएस में भागीदारी के लिए आवेदक इकाई पर भी लागू होंगे।

प्रश्न 13. आप आईओआरएस के लिए कैसे आवेदन कर सकते हैं?

आप आरबीआई के फिनटेक विभाग द्वारा आयोजित समन्वय समूह को iors@rbi.org.in पर ईमेल के माध्यम से एकल आवेदन पत्र जमा करके आवेदन कर सकते हैं। आवेदन पत्र इस लिंक के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है:

HREGULATORYSAND2710202399E00E923D554036A9C36B8600415194.PDF

प्रश्न 14. क्या आईओआरएस में आवेदन करने के लिए कोई शुल्क है?

जी नहीं, आईओआरएस में आवेदन करने के लिए कोई आवेदन शुल्क नहीं है। हालाँकि, आईओआरएस के अंतर्गत परीक्षण के लिए संबंधित पीआर का सैंडबॉक्स शुल्क, यदि कोई हो, लागू हो सकता है।

प्रश्न 15. क्या आईओआरएस के अंतर्गत आवेदन प्रस्तुत करने की कोई समय सीमा है?

जी नहीं, आवेदन पूरे वर्ष ‘ऑन-टैप’ आधार पर स्वीकार किए जाते हैं।

प्रश्न 16. आईओआरएस आवेदन की जांच कौन करेगा, तथा इसका प्रसंस्करण कैसे किया जाएगा?

प्रारंभिक जाँच भारतीय रिज़र्व बैंक के फिनटेक विभाग द्वारा की जाएगी। हालाँकि, विस्तृत जाँच पीआर द्वारा अपने सैंडबॉक्स रूपरेखा के आधार पर की जाएगी। पीआर आपके उत्पाद की उन विशिष्ट विशेषताओं की समीक्षा करने के लिए एआर के साथ समन्वय भी करेगा जो उनके विनियामक दायरे में आती हैं, जिससे एक सुचारू और कुशल प्रक्रिया सुनिश्चित की जा सके।

प्रश्न 17. क्या विदेशी फिनटेक संस्थाएं आईओआरएस में भाग लेने के लिए पात्र हैं?

हाँ, भारत में प्रवेश चाहने वाली विदेशी फिनटेक कंपनियाँ या वैश्विक महत्वाकांक्षाओं वाली भारतीय फिनटेक संस्थाओं के आवेदन भाग लेने के लिए पात्र हैं। ऐसे मामलों में, आईएफ़एससीए, पीआर के रूप में कार्य करेगा।

प्रश्न 18. आईओआरएस के अंतर्गत उत्पाद/समाधान का परीक्षण और मूल्यांकन कहां और कैसे किया जाएगा?

उत्पाद/समाधान का परीक्षण पीआर के सैंडबॉक्स रूपरेखा के अनुसार, एआर के समन्वय में किया जाएगा। पीआर आपके उत्पाद का मूल्यांकन अपनी रूपरेखा के आधार पर भी करेगा, और इसकी उपयुक्तता और व्यवहार्यता का आकलन करने के लिए अपने क्षेत्राधिकार के अंतर्गत विशिष्ट पहलुओं पर एआर से प्राप्त इनपुट और मूल्यांकन को शामिल करेगा।

चूंकि पेंशन निधि विनियामक और विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) के पास वर्तमान में अपना स्वयं का विनियामक सैंडबॉक्स नहीं है, इसलिए यह केवल आईओआरएस के तहत एआर के रूप में कार्य कर सकता है, पीआर के रूप में नहीं।

प्रश्न 19. आईओआरएस के परीक्षण चरण की अवधि क्या है?

परीक्षण चरण की अवधि संबंधित पीआर के सैंडबॉक्स रूपरेखा के अनुसार होगी।

प्रश्न 20. आईओआरएस के अंतर्गत मेरे उत्पाद का परीक्षण हो जाने के बाद मुझे क्या करना चाहिए?

आईओआरएस के तहत सफल परीक्षण के पश्चात, संस्था अपने उत्पाद को बाज़ार में लॉन्च करने से पहले आवश्यक प्राधिकरण और विनियामक अनुमोदन प्राप्त करने के लिए संबंधित पीआर और एआर से संपर्क कर सकती है। संबंधित विनियामकों के निर्णय अंतिम और बाध्यकारी होंगे। आईओआरएस से सफलतापूर्वक निकास करने वाले उत्पाद को व्यापक रूप से अपनाने के लिए संबंधित विनियामक द्वारा प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से प्रकाशित किया जाएगा।

प्रश्न 21. आप आईओआरएस के बारे में अधिक जानकारी कहाँ से प्राप्त कर सकते हैं?

आईओआरएस के लिए मानक संचालन प्रक्रिया को निम्नलिखित लिंक के माध्यम से देखा जा सकता है:- FinTech

प्रश्न 22. अतिरिक्त प्रश्नों के संदर्भ में किससे संपर्क किया जा सकता है?

किसी भी पूछताछ के लिए कृपया iors@rbi.org.in पर ईमेल करें



(साभार- www.rbi.org.in)

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Rajanish Kant गुरुवार, 18 सितंबर 2025
RBI ने Reserve Bank of India (Regulation of Payment Aggregators) निदेश, 2025 जारी किया, तत्काल प्रभाव से लागू

आरबीआई ने भारतीय रिज़र्व बैंक (भुगतान एग्रीगेटर्स का विनियमन) निदेश, 2025 जारी किया



भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने आज भारतीय रिज़र्व बैंक (भुगतान एग्रीगेटर्स का विनियमन) निदेश, 2025 जारी किया।

आरबीआई ने 16 अप्रैल 2024 को हितधारकों की टिप्पणियों के लिए भुगतान एग्रीगेटर्स के विनियमन संबंधी निदेशों का मसौदा जारी किया था। निदेशों के मसौदे में भुगतान एग्रीगेटर्स (पीए), जो प्रत्यक्ष/ आमने-सामने भुगतान का काम-काज संभालते हैं, के विनियमन के लिए एक रूपरेखा तैयार करने का प्रस्ताव दिया गया था। इसमें पीए के लिए मौजूदा निदेशों में कतिपय संशोधन का भी प्रस्ताव दिया गया था।

हितधारक से परामर्श संबंधी प्रक्रिया के भाग के रूप में, पीए, बैंकों, अन्य भुगतान प्रणाली प्रदाताओं, उद्योग संघों, विधि संबंधी फर्मों, व्यक्तियों आदि से इनपुट प्राप्त किए गए। प्राप्त इनपुट की जांच की गई और उन्हें निदेशों में उपयुक्त रूप से शामिल किया गया।

पीए से संबंधित सभी विनियमों को समेकित करने के उद्देश्य से, इस मास्टर निदेश में पीए - क्रॉस बॉर्डर संबंधी निदेश [दिनांक 31 अक्तूबर 2023 के आरबीआई के परिपत्र सीओ.डीपीएसएस.पीओएलसी.क्रमांक एस-786/02-14-008/2023-24 के माध्यम से जारी] को भी शामिल किया गया है, जिसमें जारी होने के बाद प्राप्त प्रतिक्रिया के अनुसार संशोधन किए गए हैं।

निदेशों में अन्य बातों के साथ-साथ निम्नलिखित शामिल हैं:

क. पीए की विभिन्न श्रेणियों की परिभाषा का युक्तिकरण;

ख. प्राधिकरण प्रक्रिया;

ग. पीए द्वारा व्यापारियों की उचित जाँच करने की प्रक्रिया;

घ. एस्क्रो खातों में अनुमेय संचालन;

ये निदेश तत्काल प्रभाव से लागू होंगे, जब तक कि इसमें अन्यथा उल्लेख न किया गया हो।

 

(साभार- www.rbi.org.in)

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Rajanish Kant मंगलवार, 16 सितंबर 2025
RBI ने PhonePe पर ₹21 लाख का जुर्माना लगाया, जानें क्यों

 देश के केंद्रीय बैंक भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने कुछ दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करने पर PhonePe पर ₹21 लाख का जुर्माना लगाया है। आरबीआई ने इसकी जानकारी दी। 


खबर को विस्तार से पढ़ने के लिए इस  लिंक पर क्लिक करें 


(साभार- www.rbi.org.in)

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Rajanish Kant सोमवार, 15 सितंबर 2025
RBI ने सिक्किम स्टेट कोऑपरेटिव बैंक पर जुर्माना लगाया, जानें क्यों और कितना

भारतीय रिज़र्व बैंक ने सिक्किम स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, सिक्किम पर मौद्रिक दंड लगाया



भारतीय रिज़र्व बैंक(आरबीआई) ने दिनांक 8 सितंबर 2025 के आदेश द्वारा सिक्किम स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, सिक्किम (बैंक) पर आरबीआई द्वारा जारी 'अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी)' पर कतिपय निदेशों का अननुपालन करने के लिए 50,000/- (पचास हजार रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 46(4)(i) और 56 के साथ पठित धारा 47ए(1)(सी) के प्रावधानों के अंतर्गत आरबीआई को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

31 मार्च 2024 को बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) द्वारा बैंक का सांविधिक निरीक्षण किया गया। आरबीआई निदेशों के अननुपालन के पर्यवेक्षी निष्कर्षों और उससे संबंधित पत्राचार के आधार पर, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि उक्त निदेशों के अनुपालन में विफलता के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए। नोटिस पर बैंक के उत्तर और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान किए गए मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, आरबीआई ने, अन्य बातों के साथ-साथ, यह पाया कि बैंक के विरुद्ध निम्नलिखित आरोप सिद्ध हुआ है, जिसके लिए मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है:

बैंक निर्धारित समय-सीमा के भीतर ग्राहकों के केवाईसी रिकॉर्ड को सेंट्रल केवाईसी रिकॉर्ड्स रजिस्ट्री (सीकेवाईसीआर) पर अपलोड करने में विफल रहा।

यह कार्रवाई, विनियामकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है। इसके अलावा, इस मौद्रिक दंड को लगाने से भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक के विरुद्ध की जाने वाली किसी भी अन्य कार्रवाई पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।

 

(साभार- www.rbi.org.in)

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Rajanish Kant शुक्रवार, 12 सितंबर 2025
RBI ने प्रोग्रेसिव मर्केंटाइल कोऑपरेटिव बैंक पर जुर्माना लगाया, जानें क्यों और कितना

भारतीय रिज़र्व बैंक ने प्रोग्रेसिव मर्केंटाइल को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, जिला अहमदाबाद, गुजरात पर मौद्रिक दंड लगाया



भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने दिनांक 8 सितंबर 2025 के आदेश द्वारा प्रोग्रेसिव मर्केंटाइल को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, जिला अहमदाबाद, गुजरात (बैंक) पर आरबीआई द्वारा जारी 'प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों में निरीक्षण और लेखा परीक्षा प्रणाली', 'अपने ग्राहक को जानिए' और 'ग्राहक संरक्षण - अनधिकृत इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग लेनदेन में सहकारी बैंकों के ग्राहकों की देयता को सीमित करना' संबंधी कतिपय निदेशों के अननुपालन हेतु 3 लाख (तीन लाख रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 46(4)(i) और 56 के साथ पठित धारा 47ए(1)(सी) के प्रावधानों के अंतर्गत आरबीआई को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

31 मार्च 2024 को बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में आरबीआई द्वारा बैंक का सांविधिक निरीक्षण किया गया। आरबीआई के निदेशों के अननुपालन के पर्यवेक्षी निष्कर्षों और उससे संबंधित पत्राचार के आधार पर, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि उक्त निदेशों के अनुपालन में विफलता के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए। नोटिस पर बैंक के उत्तर पर विचार करने के बाद, आरबीआई ने, अन्य बातों के साथ-साथ, यह पाया कि बैंक के विरुद्ध निम्नलिखित आरोप सिद्ध हुए हैं, जिसके लिए मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है:

बैंक:

  1. लेन-देन की एक साथ जांच करने के बजाय तिमाही आधार पर समवर्ती लेखा परीक्षा की और रिपोर्ट देरी से प्रस्तुत की;

  2. कतिपय खातों के जोखिम वर्गीकरण की आवधिक समीक्षा करने में विफल रहा, जिसकी आवधिकता कम से कम छह महीने में एक बार होनी चाहिए; और

  3. अपने ग्राहकों को अनधिकृत इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग लेनदेन, यदि कोई हो, के संबंध में आपत्ति को सूचित करने के लिए एसएमएस अलर्ट पर "उत्तर" द्वारा तुरंत प्रतिक्रिया देने में सक्षम बनाने में विफल रहा।

यह कार्रवाई, विनियामकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है। इसके अलावा, इस मौद्रिक दंड को लगाने से आरबीआई द्वारा बैंक के विरुद्ध की जाने वाली किसी भी अन्य कार्रवाई पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।



(साभार- www.rbi.org.in)

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1-कोऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी में रहने वाले हर लोगों के लिए जरूरी किताब।
2-अचानक की गई बंदी इंसान को संभलने का मौका नहीं देती। ऐसे में आनंद के साथ जीने के उपाय क्या हैं। मेरी इस किताब में पढ़िये...बंदी में कैसे रहें बिंदास" 
3-अमीर बनने के लिए पैसों से खेलना आना चाहिए। पैसों से खेलने की कला सीखने के लिए पढ़िये...
4-बच्चों को फाइनेंशियल एजुकेशन क्यों देना चाहिए पर हिन्दी में किताब- 'बेटा हमारा दौलतमंद बनेगा' - 
5-अमीर बनने की ख्वाहिश हममें से हर किसी की होती है, लेकिन इसके लिए लोगों को पैसे से पैसा बनाने की कला तो आनी चाहिए। कैसे आएगी ये कला, पढ़िये - 'आपका पैसा, आप संभालें' - 
6-इंसान के पास संसाधन या मार्गदर्शन हो या ना हो, सपने जरूर होने चाहिए। सिर्फ सपने के सहारे भी कामयाब होने वालों की दुनिया में कमी नहीं है। - 'जब सपने बन जाते हैं मार्गदर्शक' -
7-बेटियों को बहादुर बनने दीजिए और बनाइये, ये समय की मांग है,  "बेटी तुम बहादुर ही बनना " -
8 -अपनी हाउसिंग सोसायटी को जर्जर से जन्नत बनाने के लिए पढ़ें,  डेढ़ साल बेमिसाल -

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Rajanish Kant
RBI से पुणे सहकारी बैंक के ग्राहकों को राहत नहीं

बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित धारा 35ए के अंतर्गत निदेश – पुणे सहकारी बैंक लिमिटेड, शिवाजीनगर, पुणे – अवधि बढ़ाना



भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 9 मार्च 2023 के निदेश CO.DOS.SED.No.S8240/12-22-493/2022-2023 द्वारा पुणे सहकारी बैंक लिमिटेड, शिवाजीनगर, पुणे, महाराष्ट्र को 10 मार्च 2023 को कारोबार की समाप्ति से छह महीने की अवधि के लिए निदेशाधीन रखा था। इन निदेशों की वैधता अवधि को समय-समय पर बढ़ाया गया और पिछली बार इसे 10 सितंबर 2025 तक बढ़ाया गया था।

2. जनता के सूचनार्थ एतद्द्वारा अधिसूचित किया जाता है कि भारतीय रिज़र्व बैंक, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित धारा 35ए की उप-धारा (1) के अंतर्गत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए एतद्द्वारा निदेश देता है कि उपर्युक्त निदेश, दिनांक 4 सितंबर 2025 के निदेश DOR.MON.D-26/12-22-493/2025-2026 के अनुसार, बैंक पर 10 सितंबर 2025 को कारोबार की समाप्ति से 10 दिसंबर 2025 को कारोबार की समाप्ति तक लागू रहेंगे जो कि समीक्षाधीन होगा।

3. संदर्भाधीन निदेश के अन्य सभी नियम और शर्तें यथावत् रहेंगी। उपरोक्त अवधि बढ़ाए जाने को सूचित करने वाले दिनांक 4 सितंबर 2025 के निदेश की एक प्रति बैंक के परिसर में जनता के अवलोकनार्थ लगाई गई है।

4. भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा उपरोक्त वैधता को बढ़ाने और/ या संशोधित करने का यह अर्थ न लगाया जाए कि भारतीय रिज़र्व बैंक, बैंक की वित्तीय स्थिति से संतुष्ट है।

 

(साभार- www.rbi.org.in)

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Rajanish Kant गुरुवार, 11 सितंबर 2025
RBI से नेशनल मर्केंटाइल कोऑपरेटिव बैंक के ग्राहकों को राहत नहीं

बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित धारा 35ए के अंतर्गत निदेश – नेशनल मर्केंटाइल को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, लखनऊ – अवधि बढ़ाना



भारतीय रिज़र्व बैंक ने नेशनल मर्केंटाइल को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, लखनऊ को बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित धारा 35ए के अंतर्गत दिनांक 9 मार्च 2023 के निदेश सं. LKO.DOS.SED.No.S875/10-03-759/2022-2023 के माध्यम से 10 सितंबर 2023 को कारोबार की समाप्ति तक छह महीने की अवधि के लिए निदेश जारी किए थे, जिसकी वैधता अवधि को समय-समय पर संशोधित किया गया तथा पिछली बार इसे दिनांक 30 मई 2025 के निदेश DOR.MON/D-12/12-28-015/2025-2026 द्वारा 10 सितंबर 2025 को कारोबार की समाप्ति तक बढ़ाया गया था। भारतीय रिज़र्व बैंक इस बात से संतुष्ट है कि जनहित में, उक्त निदेश की परिचालन अवधि को 10 सितंबर 2025 को कारोबार की समाप्ति से आगे बढ़ाया जाना आवश्यक है।

2. तदनुसार, भारतीय रिज़र्व बैंक, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित धारा 35ए की उप-धारा (1) के अंतर्गत निहित शक्तियों का प्रयोग करते हुए, एतद्द्वारा उक्त निदेश को 10 सितंबर 2025 को कारोबार की समाप्ति से 10 दिसंबर 2025 को कारोबार की समाप्ति तक अगले तीन माह की अवधि के लिए बढ़ाता है जो कि समीक्षाधीन होगा।

3. संदर्भाधीन निदेश के अन्य सभी नियम और शर्तें यथावत् रहेंगी।

 

(साभार- www.rbi.org.in)

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Rajanish Kant
RBI ने The Manipur Women’s Cooperative Bank पर जुर्माना लगाया, जानें क्यों और कितना

देश के केंद्रीय बैंक भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने मणिपुर के कुछ दिशा-निर्देशों का पालन नहीं करने पर The Manipur Women’s Cooperative Bank पर ₹1.60 लाख का जुर्माना लगाया। आरबीआई ने इसकी जानकारी दी। 



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Rajanish Kant बुधवार, 10 सितंबर 2025
RBI ने Tripura State Co-operative Bank पर जुर्माना लगाया, जानें क्यों और कितना

 देश के केंद्रीय बैंक भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने कुछ दिशा-निर्देशों का पालन नहीं करने पर त्रिपुरा के  Tripura State Co-operative Bank पर ₹7.50 लाख का जुर्माना लगाया है। आरबीआई ने इसकी जानकारी दी। 



-इस खबर को विस्तार से पढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें 



(साभार- www.rbi.org.in)

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