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RBI की तरफ से Uttar Pradesh Cooperative Bank में पैसा रखने वालों के लिए अपडेट

 भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की द्वितीय अनुसूची में "उत्तर प्रदेश कोऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, लखनऊ" का नाम बदलकर "उत्तर प्रदेश स्टेट कोऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, लखनऊ" करना



भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की दूसरी अनुसूची में "उत्तर प्रदेश कोऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, लखनऊ" का नाम दिनांक 17 सितंबर 2025 की अधिसूचना CO.DOR.RAUG.No.S4790/07.12.000/2025-2026 के माध्यम से बदलकर "उत्तर प्रदेश स्टेट कोऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, लखनऊ" कर दिया गया है, जिसे भारत के राजपत्र (भाग III-खंड 4) में दिनांक 24 अक्तूबर 2025 को प्रकाशित किया गया है।


(साभार- www.rbi.org.in)

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1-कोऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी में रहने वाले हर लोगों के लिए जरूरी किताब।
2-अचानक की गई बंदी इंसान को संभलने का मौका नहीं देती। ऐसे में आनंद के साथ जीने के उपाय क्या हैं। मेरी इस किताब में पढ़िये...बंदी में कैसे रहें बिंदास" 
3-अमीर बनने के लिए पैसों से खेलना आना चाहिए। पैसों से खेलने की कला सीखने के लिए पढ़िये...
4-बच्चों को फाइनेंशियल एजुकेशन क्यों देना चाहिए पर हिन्दी में किताब- 'बेटा हमारा दौलतमंद बनेगा' - 
5-अमीर बनने की ख्वाहिश हममें से हर किसी की होती है, लेकिन इसके लिए लोगों को पैसे से पैसा बनाने की कला तो आनी चाहिए। कैसे आएगी ये कला, पढ़िये - 'आपका पैसा, आप संभालें' - 
6-इंसान के पास संसाधन या मार्गदर्शन हो या ना हो, सपने जरूर होने चाहिए। सिर्फ सपने के सहारे भी कामयाब होने वालों की दुनिया में कमी नहीं है। - 'जब सपने बन जाते हैं मार्गदर्शक' -
7-बेटियों को बहादुर बनने दीजिए और बनाइये, ये समय की मांग है,  "बेटी तुम बहादुर ही बनना " -
8 -अपनी हाउसिंग सोसायटी को जर्जर से जन्नत बनाने के लिए पढ़ें,  डेढ़ साल बेमिसाल -

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Rajanish Kant मंगलवार, 2 दिसंबर 2025
RBI की तरफ से इन Regional Rural Banks (RRBs) में खाता रखने वालों के लिए बड़ा अपडेट

भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की द्वितीय अनुसूची में शामिल करना / हटाना - क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (आरआरबी)



दिनांक 8 अक्तूबर 2025 की अधिसूचना DoR.LIC.No.S5379/16.13.300/2025-26 के माध्यम से निम्नलिखित आठ क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (आरआरबी) के नाम भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की द्वितीय अनुसूची में शामिल किए गए हैं तथा भारत के राजपत्र (भाग III - खंड 4) में दिनांक 11 नवंबर 2025 को प्रकाशित किया गया है:

क्रम सं.आरआरबी का नाम
1आंध्र प्रदेश ग्रामीण बैंक
2गुजरात ग्रामीण बैंक
3कर्नाटक ग्रामीण बैंक
4मध्य प्रदेश ग्रामीण बैंक
5महाराष्ट्र ग्रामीण बैंक
6ओडिशा ग्रामीण बैंक
7राजस्थान ग्रामीण बैंक
8उत्तर प्रदेश ग्रामीण बैंक

2. इसके अलावा, दिनांक 8 अक्तूबर 2025 की अधिसूचना DoR.LIC.No.S5377/16.13.300/2025-26 द्वारा निम्नलिखित उन्नीस पूर्ववर्ती क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के नाम को भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की दूसरी अनुसूची से हटाया गया तथा भारत के राजपत्र (भाग III-खंड 4) में दिनांक 11 नवंबर 2025 को प्रकाशित किया गया है:

क्रम सं.पूर्ववर्ती आरआरबी का नाम
1आंध्र प्रगति ग्रामीण बैंक
2आंध्र प्रदेश ग्रामीण विकास बैंक
3चैतन्य गोदावरी ग्रामीण बैंक
4सप्तगिरि ग्रामीण बैंक
5बड़ौदा गुजरात ग्रामीण बैंक
6सौराष्ट्र ग्रामीण बैंक
7कर्नाटक विकास ग्रामीण बैंक
8कर्नाटक ग्रामीण बैंक
9मध्य प्रदेश ग्रामीण बैंक
10मध्यांचल ग्रामीण बैंक
11महाराष्ट्र ग्रामीण बैंक
12विदर्भ कोंकण ग्रामीण बैंक
13ओडिशा ग्राम्य बैंक
14उत्कल ग्रामीण बैंक
15राजस्थान मारुधरा ग्रामीण बैंक
16बड़ौदा राजस्थान क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक
17बड़ौदा यू.पी. बैंक
18आर्यावर्त बैंक
19प्रथम यू.पी. ग्रामीण बैंक

 


(साभार- www.rbi.org.in)

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Rajanish Kant
RBI की तरफ से Model Coop. Bank में खाता रखने वालों के लिए जरूरी खबर

 "मॉडल को-ऑप. बैंक लि." को भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की द्वितीय अनुसूची में शामिल करना

"मॉडल को-ऑप. बैंक लि." को भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की द्वितीय अनुसूची में दिनांक 20 अक्तूबर 2025 की अधिसूचना CO.DOR.RAUG.No.S5697/08-02-498/2025-26 के माध्यम से शामिल किया गया है, जिसे भारत के राजपत्र (भाग III - खंड 4) में दिनांक 11 नवंबर 2025 को प्रकाशित किया गया है।


(साभार- www.rbi.org.in)

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Rajanish Kant
RBI ने The Arni Cooperative Town Bank पर जुर्माना लगाया, जानें क्यों और कितना

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दि अर्नी को-ऑपरेटिव टाउन बैंक लिमिटेड, तमिलनाडु पर मौद्रिक दंड लगाया



भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 27 नवंबर के आदेश द्वारा दि अर्नी को-ऑपरेटिव टाउन बैंक लिमिटेड, तमिलनाडु (बैंक) पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी 'पूंजी पर्याप्तता पर विवेकपूर्ण मानदंड - प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक (यूसीबी)', 'एक्सपोज़र मानदंड और सांविधिक / अन्य प्रतिबंध – यूसीबी' तथा 'स्वर्ण ऋण – एकबारगी पुनर्भुगतान – प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक (यूसीबी)' संबंधी कतिपय निदेशों के अननुपालन के लिए 2 लाख (दो लाख रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 46(4)(i) और 56 के साथ पठित धारा 47ए(1)(सी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

31 मार्च 2024 को बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक का सांविधिक निरीक्षण किया गया। भारतीय रिज़र्व बैंक के निदेशों के अननुपालन के पर्यवेक्षी निष्कर्षों तथा उससे संबंधित पत्राचार के आधार पर, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया, जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि उक्त निदेशों के अनुपालन में विफलता के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए। नोटिस पर बैंक के उत्तर और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक ने, अन्य बातों के साथ-साथ, यह पाया कि बैंक के विरुद्ध निम्नलिखित आरोप सिद्ध हुए हैं, जिसके लिए मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है:

बैंक ने:

  1. अपने सदस्यों को शेयर पूंजी की वापसी की अनुमति दी, जबकि इसका सीआरएआर विनियामक न्यूनतम से कम था;

  2. उधार मानदंड से संबंधित शेयर का अनुपालन किए बिना कतिपय ऋण स्वीकृत किए, जबकि इसका सीआरएआर विनियामक न्यूनतम से कम था;

  3. कुछ नाममात्र के सदस्यों को निर्धारित विनियामक सीमा से अधिक ऋण स्वीकृत किए; और

  4. एकबारगी पुनर्भुगतान योजना के अंतर्गत निर्धारित विनियामक सीमा से अधिक स्वर्ण ऋण स्वीकृत किए।

यह कार्रवाई, विनियामकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य बैंक द्वारा ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है। इसके अलावा, इस मौद्रिक दंड को लगाने से भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक के विरुद्ध की जाने वाली किसी भी अन्य कार्रवाई पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।


(साभार- www.rbi.org.in)

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RBI ने The Kallidaikurichi Cooperative Urban Bank पर जुर्माना लगाया, जानें क्यों और कितना

 भारतीय रिज़र्व बैंक ने दि कल्लिडैकुरिची को-ऑपरेटिव अर्बन बैंक लिमिटेड, तमिलनाडु पर मौद्रिक दंड लगाया



भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने दिनांक 27 नवंबर 2025 के आदेश द्वारा दि कल्लिडैकुरिची को-ऑपरेटिव अर्बन बैंक लिमिटेड, तमिलनाडु (बैंक) पर आरबीआई द्वारा जारी ‘पूंजी पर्याप्तता के लिए विवेकपूर्ण मानदंड-'प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक (यूसीबी)' संबंधी संबंधी कतिपय निदेशों के अननुपालन के लिए 50,000/- (पचास हजार रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 46(4)(i) और 56 के साथ पठित धारा 47ए(1)(सी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

31 मार्च 2024 को बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में आरबीआई द्वारा बैंक का सांविधिक निरीक्षण किया गया। भारतीय रिज़र्व बैंक के निदेशों के अननुपालन के पर्यवेक्षी निष्कर्षों तथा उससे संबंधित पत्राचार के आधार पर, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया, जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि उक्त निदेशों के अनुपालन में विफलता के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए। नोटिस पर बैंक के उत्तर और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक ने, अन्य बातों के साथ-साथ, यह पाया कि बैंक के विरुद्ध निम्नलिखित आरोप सिद्ध हुआ है, जिसके लिए मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है:

बैंक ने अपने सदस्यों को शेयर पूंजी की वापसी की अनुमति दी, जबकि उसका सीआरएआर विनियामकीय न्यूनतम से कम था।

यह कार्रवाई, विनियमकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य बैंक द्वारा ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है। इसके अलावा, इस मौद्रिक दंड को लगाने से भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक के विरुद्ध की जाने वाली किसी भी अन्य कार्रवाई पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।


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₹2000 मूल्यवर्ग के बैंकनोटों को वापस लेना – स्थिति

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 19 मई 2023 की प्रेस प्रकाशनी 2023-2024/257 के माध्यम से 2000 मूल्यवर्ग के बैंकनोटों को संचलन से वापस लेने की घोषणा की थी। 2000 के बैंकनोटों को वापस लेने संबंधी स्थिति को भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर प्रकाशित किया जाता रहा है। इस संबंध में पिछली प्रेस प्रकाशनी 1 नवंबर 2025 को प्रकाशित की गई थी।


2. 2000 के बैंकनोटों को जमा करने और/ या बदलने की सुविधा 7 अक्तूबर 2023 तक देश की सभी बैंक शाखाओं में उपलब्ध थी।

3. 2000 के बैंकनोटों को बदलने की सुविधा 19 मई 2023 से भारतीय रिज़र्व बैंक के 19 निर्गम कार्यालयों (भारतीय रिज़र्व बैंक निर्गम कार्यालय)1 में उपलब्ध है। 9 अक्तूबर 2023 से, भारतीय रिज़र्व बैंक के निर्गम कार्यालय, व्यक्तियों/ संस्थाओं से उनके बैंक खातों में जमा करने के लिए भी 2000 के बैंकनोट स्वीकार कर रहे हैं। इसके अलावा, जन सामान्य अपने बैंक खातों में जमा करने हेतु देश के किसी भी डाकघर से भारतीय डाक के माध्यम से भारतीय रिज़र्व बैंक के किसी भी निर्गम कार्यालय को 2000 के बैंक नोट भेज रहे हैं।

4. 19 मई 2023 को कारोबार की समाप्ति पर, जब 2000 के बैंकनोटों को वापस लेने की घोषणा की गई थी, संचलन में 2000 के बैंकनोटों का कुल मूल्य 3.56 लाख करोड़ था, जो अब 29 नवंबर 2025 को कारोबार की समाप्ति पर घटकर 5,743 करोड़ रह गया है। इस प्रकार, 19 मई 2023 तक संचलन में मौजूद 2000 बैंकनोटों में से 98.39% वापस आ गए हैं।

5. 2000 के बैंकनोट वैध मुद्रा बने रहेंगे।

 

(साभार- www.rbi.org.in)

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3-अमीर बनने के लिए पैसों से खेलना आना चाहिए। पैसों से खेलने की कला सीखने के लिए पढ़िये...
4-बच्चों को फाइनेंशियल एजुकेशन क्यों देना चाहिए पर हिन्दी में किताब- 'बेटा हमारा दौलतमंद बनेगा' - 
5-अमीर बनने की ख्वाहिश हममें से हर किसी की होती है, लेकिन इसके लिए लोगों को पैसे से पैसा बनाने की कला तो आनी चाहिए। कैसे आएगी ये कला, पढ़िये - 'आपका पैसा, आप संभालें' - 
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Rajanish Kant
निजी क्षेत्र के बैंकों की Credit Growth सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की तुलना में कम रही: RBI

अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों द्वारा ऋण पर तिमाही मूलभूत
सांख्यिकीय विवरणी (बीएसआर)-1– सितंबर 2025

आज, रिज़र्व बैंक ने अपने ‘भारतीय अर्थव्यवस्था पर डेटाबेस’ पोर्टल (https://data.rbi.org.in होमपेज > प्रकाशन) पर ‘तिमाही मूलभूत सांख्यिकीय विवरणी (बीएसआर)-1: अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (एससीबी)1 का ऋण - सितंबर 20252’ शीर्षक से अपना वेब प्रकाशन जारी किया। यह खाता-स्तरीय रिपोर्टिंग के आधार पर बैंक ऋण की विभिन्न वर्गीकरण संबंधी विशेषताओं जैसे कि उधारकर्ता का व्यवसाय/ गतिविधि/ संगठनात्मक क्षेत्र, खाते का प्रकार और उनकी ब्याज दरों को दर्शाता है। एससीबी (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर) द्वारा रिपोर्ट किए गए डेटा, बैंक समूहों, जनसंख्या समूहों3 और राज्यों के लिए प्रस्तुत किए जाते हैं।



मुख्य बातें:

  • बैंक ऋण वृद्धि (वर्ष-दर-वर्ष) जून 2025 में 9.9 प्रतिशत से बढ़कर सितंबर 2025 में 10.7 प्रतिशत हो गई (चार्ट-I4)।

Chart I
  • बकाया ऋण पर भारित औसत उधार दर (डबल्यूएएलआर) में 64 आधार अंक (बीपीएस) की बड़ी गिरावट देखी गई, जो सितंबर 2024 में 10.20 प्रतिशत से घटकर सितंबर 2025 में 9.56 प्रतिशत रह गई (चार्ट-II)। मुख्य ऋण श्रेणियों में, आवास ऋण में इसी अवधि के दौरान डबल्यूएएलआर में 92 बीपीएस की गिरावट देखी गई।

Chart II
  • सितंबर 2024 से निजी क्षेत्र के बैंकों की ऋण वृद्धि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की तुलना में कम रही, जिसके चलते सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की हिस्सेदारी सितंबर 2024 में 53.2 प्रतिशत से थोड़ी बढ़कर सितंबर 2025 में 53.9 प्रतिशत हो गई।

  • सितंबर 2025 में व्यक्तिगत ऋणों में (वर्ष-दर-वर्ष) 12.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो समग्र ऋण वृद्धि से अधिक थी। तथापि, आवास, शिक्षा, वाहन और अन्य व्यक्तिगत ऋण सहित व्यक्तिगत ऋणों की सभी प्रमुख श्रेणियों में पिछले वर्ष की तुलना में वृद्धि में कमी देखी गई।

  • पिछले वर्ष की तुलना में समग्र ऋण वृद्धि में गिरावट के अनुरूप, कृषि क्षेत्र में ऋण वृद्धि सितंबर 2024 में 13.2 प्रतिशत से घटकर सितंबर 2025 में 10.4 प्रतिशत हो गई; उद्योग क्षेत्र में भी इसी प्रकार की प्रवृत्ति देखी गई, जहाँ इसकी वृद्धि इसी अवधि में 10.4 प्रतिशत से घटकर 8.4 प्रतिशत हो गई।

  • सितंबर 2025 में घरेलू क्षेत्र5 का कुल ऋण में हिस्सा एक वर्ष पहले के 57.4 प्रतिशत से बढ़कर 58.5 प्रतिशत हो गया। उक्त अवधि में व्यक्तियों को दिए गए ऋण में 12.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई और अन्य घरेलू खंडों के लिए यह वृद्धि 14.9 प्रतिशत रही।

  • निजी कॉर्पोरेट क्षेत्र का कुल ऋण में एक-चौथाई हिस्सा रहा, जिसकी वार्षिक वृद्धि सितंबर 2025 में पिछली तिमाही के 7.9 प्रतिशत से बढ़कर 9.0 प्रतिशत हो गई।

 

1 सितंबर 2025 के अंतिम रिपोर्टिंग शुक्रवार के लिए पाक्षिक फॉर्म-ए विवरणी (भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 42(2) के अंतर्गत संकलित) पर आधारित बैंकिंग समुच्चय, हमारी वेबसाइट (होम>सांख्यिकी>जारी आंकड़े>पाक्षिक> भारत में अनुसूचित बैंकों की स्थिति का विवरण) पर पहले ही प्रकाशित किए गए थे और चुनिंदा प्रमुख बैंकों द्वारा रिपोर्ट किए गए सितंबर 2025 के लिए बैंक ऋण के क्षेत्र-वार अभिनियोजन पर समग्र स्तर का मासिक डेटा भी वेबसाइट (होम>सांख्यिकी> जारी आंकड़े >मासिक> बैंक ऋण का क्षेत्र-वार अभिनियोजन) पर जारी किया गया।

2 बीएसआर-1 के लिए संदर्भ तिथि तिमाही का अंतिम दिन है। श्रृंखला में पिछला डेटा, जो जून 2025 के अंत की स्थिति को शामिल करता है, 29 अगस्त 2025 को आरबीआई वेबसाइट पर प्रकाशित किया गया था।

3 बीएसआर के लिए उपयोग किया जाने वाला जनसंख्या समूह मानदंड वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार संबंधित राजस्व केंद्र की जनसंख्या के आकार पर आधारित है, जहां एससीबी की शाखाएं संचालित हो रही हैं और इन्हें ए) 'ग्रामीण' (10,000 से कम जनसंख्या), बी) 'अर्ध-शहरी' (10,000 से 1 लाख से कम की आबादी), सी) 'शहरी' (1 लाख से 10 लाख से कम की आबादी), डी) 'मेट्रोपॉलिटन' (10 लाख और उससे अधिक की आबादी) के रूप में वर्गीकृत किया गया है।

4 तुलना के उद्देश्य से, सितंबर 2023 से जून 2024 की अवधि के संवृद्धि के आंकड़ों की गणना एक गैर-बैंक के बैंक के साथ विलय को समायोजित करके की गई है।

5 घरेलू क्षेत्र में व्यक्तियों, स्वामित्व वाले उद्यमों, हिंदू अविभाजित परिवारों (एचयूएफ़) और साझेदारी फर्मों सहित अन्य शामिल हैं।


(साभार- www.rbi.org.in)

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2-अचानक की गई बंदी इंसान को संभलने का मौका नहीं देती। ऐसे में आनंद के साथ जीने के उपाय क्या हैं। मेरी इस किताब में पढ़िये...बंदी में कैसे रहें बिंदास" 
3-अमीर बनने के लिए पैसों से खेलना आना चाहिए। पैसों से खेलने की कला सीखने के लिए पढ़िये...
4-बच्चों को फाइनेंशियल एजुकेशन क्यों देना चाहिए पर हिन्दी में किताब- 'बेटा हमारा दौलतमंद बनेगा' - 
5-अमीर बनने की ख्वाहिश हममें से हर किसी की होती है, लेकिन इसके लिए लोगों को पैसे से पैसा बनाने की कला तो आनी चाहिए। कैसे आएगी ये कला, पढ़िये - 'आपका पैसा, आप संभालें' - 
6-इंसान के पास संसाधन या मार्गदर्शन हो या ना हो, सपने जरूर होने चाहिए। सिर्फ सपने के सहारे भी कामयाब होने वालों की दुनिया में कमी नहीं है। - 'जब सपने बन जाते हैं मार्गदर्शक' -
7-बेटियों को बहादुर बनने दीजिए और बनाइये, ये समय की मांग है,  "बेटी तुम बहादुर ही बनना " -
8 -अपनी हाउसिंग सोसायटी को जर्जर से जन्नत बनाने के लिए पढ़ें,  डेढ़ साल बेमिसाल -

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Meesho (मीशो) IPO 2025 | निवेश करें या नहीं?
Meesho (मीशो) IPO Details इस वीडियो में हम बात करेंगे मीशो (Meesho) IPO के बारे में – इस एपिसोड में जानिए- -कंपनी की खास खास बात -IPO का प्राइस बैंड -IPO में कम से कम निवेश -IPO अलॉट, पैसे रिफंड, लिस्टिंग की तारीख -IPO में कैसे निवेश करें 👉 वीडियो अंत तक ज़रूर देखें ताकि आप सही निवेश निर्णय ले सकें। अगर वीडियो पसंद आए तो LIKE 👍, SHARE 🔄 और SUBSCRIBE 🔔 करना न भूलें। ⚠️ Disclaimer: यह वीडियो केवल शिक्षा और जानकारी के उद्देश्य से है। किसी भी प्रकार की निवेश सलाह नहीं है। निवेश से पहले अपने वित्तीय सलाहकार से राय ज़रूर लें


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RBI ने जारी की 2025 की D-SIB बैंक सूची — SBI, HDFC और ICICI प्रमुख बने

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने 02 दिसंबर 2025 को अपनी वार्षिक प्रेस रिलीज़ जारी की, जिसमें इस साल की D-SIB (Domestic Systemically Important Banks – घरेलू रूप से प्रणालीगत महत्त्वपूर्ण बैंक) की ऑफिशियल सूची घोषित की गई।



प्रमुख बिंदु

  • इस सूची में State Bank of India (SBI), HDFC Bank और ICICI Bank को पुनः D-SIB के रूप में पहचाना गया।

  • बैंक को उनके Systemic Importance Score (SIS) के आधार पर अलग-अलग “बकेट” में रखा गया है।

  • इन बैंकों के लिए अतिरिक्त Common Equity Tier 1 (CET1) पूंजी की जरूरत तय की गई है, जो उनकी जोखिम-संतुलित संपत्तियों (Risk Weighted Assets, RWAs) का एक प्रतिशत या उससे कम हो सकती है, बकेट के अनुसार।

बैंक बकेट अतिरिक्त CET1 पूंजी आवश्यकता (RWAs का %)
State Bank of India (SBI) बकेट – 5                                  1.00% 
HDFC Bank बकेट – 2                                 0.40% 
ICICI Bank बकेट – 1                                    0.20% 

सम्मिलित बैंकों को अतिरिक्त CET1 पूंजी को उनके Capital Conservation Buffer के ऊपर बनाए रखना होगा।” — RBI प्रेस नोट

D-SIB क्या है, और यह क्यों मायने रखता है?

“Systemically Important Banks” वे बैंक होते हैं जिनकी बैंकिंग प्रणाली और देश की अर्थव्यवस्था पर व्यापक प्रभाव होता है — यानी, यदि ये बैंक अस्थिर हो जाएँ, तो इसका प्रभाव सिर्फ उनके ग्राहकों तक सीमित नहीं रहता, बल्कि पूरे वित्तीय तंत्र व आम अर्थव्यवस्था पर पड़ सकता है। इसलिए, RBI उन्हें विशेष रूप से वर्गीकृत करता है और उनकी पूंजी संबंधी आवश्यकता बढ़ा कर उन्हें और अधिक सुरक्षित बनाता है।

यह व्यवस्था यह सुनिश्चित करती है कि ये बड़े बैंक अपने ऋण, कर्ज और अन्य वित्तीय दायित्वों का सामना करने में सक्षम हों — जिससे बैंकिंग व्यवस्था की स्थिरता व वित्तीय प्रणाली में विश्वास बना रहे।

आपके लिए क्या मायने रखता है

  • यदि आप इन बैंकों (SBI, HDFC, ICICI) के ग्राहक हैं — चाहे वह बचत खाता हो, फिक्स्ड डिपॉज़िट हो, लोन हो या निवेश — तो आप जान लें कि RBI ने उन्हें “अत्यंत महत्वपूर्ण” बैंक माना है।

  • इसका मतलब है कि RBI की निगरानी, पूंजी सुरक्षा व रेगुलेटरी मानक आपके बैंकिंग अनुभव को और सुरक्षित बनाते हैं।

  • बैंकिंग व्यवस्था की कमजोरी आने पर आपके खाते या निवेश पर असर का खतरा कम होता है।

निष्कर्ष

RBI द्वारा D-SIB सूची में SBI, HDFC और ICICI बैंक का पुनः चयन इस बात का संकेत है कि ये बैंक न सिर्फ आकार में बड़े हैं, बल्कि देश की बैंकिंग प्रणाली पर उनकी ज़िम्मेदारी और भरोसे की भूमिका स्पष्ट है। निवेशक, खाता धारक और आम ग्राहक — सभी के लिए यह राहत की बात है।

RBI का यह कदम बैंकिंग संस्थानों में वित्तीय मजबूती, स्थिरता और जोखिम प्रबंधन को बढ़ावा देने की दिशा में एक अहम कदम है।

 




(साभार- www.rbi.org.in)

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