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RBI ने Jilla Sahakari Kendriya Bank Maryadit पर जुर्माना लगाया, जानें क्यों और कितना

RBI ने जिला सहकारी केंद्रीय बैंक मर्यादित, उज्जैन, मध्य प्रदेश पर मौद्रिक जुर्माना लगाया


भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने 26 अगस्त, 2025 के एक आदेश द्वारा, बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 (BR अधिनियम) की धारा 26A सहपठित धारा 56 के प्रावधानों का उल्लंघन करने पर जिला सहकारी केंद्रीय बैंक मर्यादित, उज्जैन, मध्य प्रदेश (बैंक) पर ₹1 लाख (मात्र एक लाख रुपये) का मौद्रिक जुर्माना लगाया है। यह जुर्माना बैंकिंग विनियमन अधिनियम की धारा 56 सहपठित धारा 47A(1)(c) और धारा 46(4)(i) के प्रावधानों के तहत RBI को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) द्वारा 31 मार्च, 2024 तक बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में बैंक का वैधानिक निरीक्षण किया गया। वैधानिक प्रावधानों का पालन न करने के पर्यवेक्षी निष्कर्षों और उससे संबंधित पत्राचार के आधार पर, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उसे कारण बताओ नोटिस जारी कर यह बताने को कहा गया कि उक्त प्रावधानों का पालन न करने पर उस पर जुर्माना क्यों न लगाया जाए। नोटिस पर बैंक के उत्तर, व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान दिए गए अतिरिक्त निवेदनों और मौखिक निवेदनों पर विचार करने के बाद, आरबीआई ने अन्य बातों के साथ-साथ यह पाया कि बैंक के विरुद्ध निम्नलिखित आरोप सिद्ध हुए, जिसके लिए मौद्रिक जुर्माना लगाया जाना आवश्यक था:

बैंक निर्धारित समय के भीतर पात्र दावा न की गई राशि को जमाकर्ता शिक्षा एवं जागरूकता कोष में स्थानांतरित करने में विफल रहा।

यह कार्रवाई वैधानिक अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या समझौते की वैधता पर निर्णय देना नहीं है। इसके अतिरिक्त, यह मौद्रिक जुर्माना आरबीआई द्वारा बैंक के विरुद्ध शुरू की जाने वाली किसी भी अन्य कार्रवाई पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं डालता है। 


(साभार- www.rbi.org.in)

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2-अचानक की गई बंदी इंसान को संभलने का मौका नहीं देती। ऐसे में आनंद के साथ जीने के उपाय क्या हैं। मेरी इस किताब में पढ़िये...बंदी में कैसे रहें बिंदास" 
3-अमीर बनने के लिए पैसों से खेलना आना चाहिए। पैसों से खेलने की कला सीखने के लिए पढ़िये...
4-बच्चों को फाइनेंशियल एजुकेशन क्यों देना चाहिए पर हिन्दी में किताब- 'बेटा हमारा दौलतमंद बनेगा' - 
5-अमीर बनने की ख्वाहिश हममें से हर किसी की होती है, लेकिन इसके लिए लोगों को पैसे से पैसा बनाने की कला तो आनी चाहिए। कैसे आएगी ये कला, पढ़िये - 'आपका पैसा, आप संभालें' - 
6-इंसान के पास संसाधन या मार्गदर्शन हो या ना हो, सपने जरूर होने चाहिए। सिर्फ सपने के सहारे भी कामयाब होने वालों की दुनिया में कमी नहीं है। - 'जब सपने बन जाते हैं मार्गदर्शक' -
7-बेटियों को बहादुर बनने दीजिए और बनाइये, ये समय की मांग है,  "बेटी तुम बहादुर ही बनना " -
8 -अपनी हाउसिंग सोसायटी को जर्जर से जन्नत बनाने के लिए पढ़ें,  डेढ़ साल बेमिसाल -

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Rajanish Kant मंगलवार, 2 सितंबर 2025
RBI ने The Surat People’s Cooperative Bank पर जुर्माना लगाया, जानें क्यों और कितना

RBI ने सूरत पीपुल्स को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, सूरत पर मौद्रिक जुर्माना लगाया



भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने 28 अगस्त, 2025 के एक आदेश द्वारा सूरत पीपुल्स को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, सूरत (बैंक) पर RBI द्वारा 'बड़े ऋणों पर सूचना के केंद्रीय भंडार (CRILC) - UCBs को बड़े जोखिमों की रिपोर्टिंग' पर जारी कुछ निर्देशों का पालन न करने के लिए ₹18.30 लाख (केवल अठारह लाख तीस हज़ार रुपये) का मौद्रिक जुर्माना लगाया है। यह जुर्माना बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 46(4)(i) और 56 के साथ धारा 47ए(1)(सी) के प्रावधानों के तहत आरबीआई को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

31 मार्च, 2024 तक बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में आरबीआई द्वारा बैंक का वैधानिक निरीक्षण किया गया था। आरबीआई के निर्देशों का पालन न करने के पर्यवेक्षी निष्कर्षों और उस संबंध में संबंधित पत्राचार के आधार पर, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया था जिसमें उसे कारण बताने के लिए कहा गया था कि उक्त निर्देशों का पालन न करने पर उस पर जुर्माना क्यों न लगाया जाए। नोटिस पर बैंक के उत्तर, उसके द्वारा प्रस्तुत अतिरिक्त प्रस्तुतियाँ और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान दिए गए मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, आरबीआई ने पाया कि बैंक के विरुद्ध निम्नलिखित आरोप सही पाए गए, जिसके लिए मौद्रिक जुर्माना लगाना आवश्यक है:

बैंक ने निर्धारित समय के भीतर कुछ उधारकर्ताओं से संबंधित ऋण जानकारी केंद्रीय बड़े ऋणों पर सूचना भंडार (सीआरआईएलसी) को रिपोर्ट नहीं की।

यह कार्रवाई नियामक अनुपालन में कमियों के आधार पर की गई है और इसका उद्देश्य बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या समझौते की वैधता पर कोई प्रभाव डालना नहीं है। इसके अतिरिक्त, मौद्रिक जुर्माना लगाने से आरबीआई द्वारा बैंक के विरुद्ध की जाने वाली किसी भी अन्य कार्रवाई पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा। 


(साभार- www.rbi.org.in)

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RBI ने Jilla Sahakari Kendriya Bank Maryadit पर जुर्माना लगाया, जानें क्यों और कितना

RBI ने जिला सहकारी केंद्रीय बैंक मर्यादित, दमोह, मध्य प्रदेश पर मौद्रिक जुर्माना लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने 26 अगस्त, 2025 के एक आदेश द्वारा, बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 (BR अधिनियम) की धारा 26A सहपठित धारा 56 के प्रावधानों के उल्लंघन के लिए जिला सहकारी केंद्रीय बैंक मर्यादित, दमोह, मध्य प्रदेश (बैंक) पर ₹50,000/- (पचास हज़ार रुपये मात्र) का मौद्रिक जुर्माना लगाया है। यह जुर्माना बैंकिंग विनियमन अधिनियम की धारा 56 सहपठित धारा 47A(1)(c) और धारा 46(4)(i) के प्रावधानों के तहत RBI को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) द्वारा 31 मार्च, 2024 तक बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में बैंक का वैधानिक निरीक्षण किया गया। वैधानिक प्रावधानों का पालन न करने के पर्यवेक्षी निष्कर्षों और उससे संबंधित पत्राचार के आधार पर, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उसे कारण बताओ नोटिस जारी कर यह बताने को कहा गया कि उक्त प्रावधानों का पालन न करने पर उस पर जुर्माना क्यों न लगाया जाए। नोटिस पर बैंक के उत्तर, व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान दिए गए अतिरिक्त निवेदनों और मौखिक निवेदनों पर विचार करने के बाद, आरबीआई ने अन्य बातों के साथ-साथ यह पाया कि बैंक के विरुद्ध निम्नलिखित आरोप सिद्ध हुए, जिसके लिए मौद्रिक जुर्माना लगाया जाना आवश्यक था:

बैंक निर्धारित समय के भीतर पात्र दावा न की गई राशि को जमाकर्ता शिक्षा एवं जागरूकता कोष में स्थानांतरित करने में विफल रहा।

यह कार्रवाई वैधानिक अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या समझौते की वैधता पर निर्णय देना नहीं है। इसके अतिरिक्त, यह मौद्रिक जुर्माना आरबीआई द्वारा बैंक के विरुद्ध शुरू की जाने वाली किसी भी अन्य कार्रवाई पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं डालता है। 


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3-अमीर बनने के लिए पैसों से खेलना आना चाहिए। पैसों से खेलने की कला सीखने के लिए पढ़िये...
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RBI ने Jila Sahakari Kendriya Bank Maryadit पर जुर्माना लगाया, जानें क्यों और कितना

RBI ने जिला सहकारी केंद्रीय बैंक मर्यादित, नर्मदापुरम, मध्य प्रदेश पर मौद्रिक जुर्माना लगाया


भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने 26 अगस्त, 2025 के एक आदेश द्वारा, बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 (बैंकिंग विनियमन अधिनियम) की धारा 26A सहपठित धारा 56 के प्रावधानों का उल्लंघन करने पर जिला सहकारी केंद्रीय बैंक मर्यादित, नर्मदापुरम, मध्य प्रदेश (बैंक) पर ₹1 लाख (मात्र एक लाख रुपये) का मौद्रिक जुर्माना लगाया है। यह जुर्माना बैंकिंग विनियमन अधिनियम की धारा 56 सहपठित धारा 47A(1)(c) और धारा 46(4)(i) के प्रावधानों के तहत RBI को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

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यह कार्रवाई वैधानिक अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या समझौते की वैधता पर निर्णय देना नहीं है। इसके अतिरिक्त, यह मौद्रिक जुर्माना आरबीआई द्वारा बैंक के विरुद्ध शुरू की जाने वाली किसी भी अन्य कार्रवाई पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं डालता है। 


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RBI ने Bandhan Bank पर ₹44.70 लाख का जुर्माना लगाया, जानें क्यों

देश के केंद्रीय बैंक भारातीय रिजर्व बैंक (RBI) ने Bandhan Bank  पर उसके कुछ दिशा-निर्देशों का पालन नहीं करने पर ₹44.70 लाख का भारी भरकम जुर्माना लगाया है। आरबीआई ने इसकी जानकारी दी।


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(साभार- www.rbi.org.in)

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3-अमीर बनने के लिए पैसों से खेलना आना चाहिए। पैसों से खेलने की कला सीखने के लिए पढ़िये...
4-बच्चों को फाइनेंशियल एजुकेशन क्यों देना चाहिए पर हिन्दी में किताब- 'बेटा हमारा दौलतमंद बनेगा' - 
5-अमीर बनने की ख्वाहिश हममें से हर किसी की होती है, लेकिन इसके लिए लोगों को पैसे से पैसा बनाने की कला तो आनी चाहिए। कैसे आएगी ये कला, पढ़िये - 'आपका पैसा, आप संभालें' - 
6-इंसान के पास संसाधन या मार्गदर्शन हो या ना हो, सपने जरूर होने चाहिए। सिर्फ सपने के सहारे भी कामयाब होने वालों की दुनिया में कमी नहीं है। - 'जब सपने बन जाते हैं मार्गदर्शक' -
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Rajanish Kant शनिवार, 30 अगस्त 2025
निवेश को लेकर निजी कॉरपोरेट्स के उत्साह में कमी के संकेत- RBI Bank Bulletin

भारतीय रिज़र्व बैंक बुलेटिन – अगस्त 2025




आज, रिज़र्व बैंक ने अपने मासिक बुलेटिन का अगस्त 2025 अंक जारी किया। इस बुलेटिन में मौद्रिक नीति वक्तव्य, तीन भाषण, पाँच आलेख और वर्तमान सांख्यिकी शामिल हैं।

पांच आलेख हैं: I. अर्थव्यवस्था की स्थिति; II. निजी कॉर्पोरेट निवेश: 2024-25 में संवृद्धि और 2025-26 के लिए संभावना; III. इक्विटी म्यूचुअल फंड: भारत के बचत परिदृश्य में बदलाव; IV. ईवी नीतियां और दोपहिया ईवी अपनाना: भारतीय राज्यों से साक्ष्य; और V. बागवानी विविधीकरण: कृषि सुदृढ़ता का मार्ग।

I. अर्थव्यवस्था की स्थिति

अमेरिकी व्यापार नीतियों पर जारी अनिश्चितता ने जुलाई और अगस्त के दौरान वैश्विक समष्टि-आर्थिक परिदृश्य को प्रभावित किया। जुलाई में घरेलू आर्थिक गतिविधियाँ सभी क्षेत्रों में मिश्रित रहीं। समय पर मानसून की प्रगति ने खरीफ की बुवाई को बढ़ावा दिया है। जहाँ औद्योगिक गतिविधियाँ धीमी रहीं, वहीं विनिर्माण क्षेत्र में विस्तार हुआ और सेवा क्षेत्र ने संवृद्धि की गति को बनाए रखा। जुलाई में लगातार नौवें महीने हेडलाइन मुद्रास्फीति में गिरावट दर्ज की गई। वित्तीय स्थितियाँ अनुकूल रहीं और घरेलू आर्थिक गतिविधियों के लिए सहायक रहीं। एसएंडपी द्वारा भारत की सॉवरेन रेटिंग में सुधार, भविष्य में पूँजी अंतर्वाह और सॉवरेन प्रतिफल के लिए शुभ संकेत है।

II. निजी कॉर्पोरेट निवेश: 2024-25 में संवृद्धि और 2025-26 के लिए संभावना

स्निग्धा योगिन्द्रन, सुक्ति खांडेकर, राजेश बी कावेडिया और आलोक घोष द्वारा

अर्थव्यवस्था में समग्र निवेश प्रवृत्ति को संचालित करने में निजी कॉर्पोरेट क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। निजी कॉर्पोरेट द्वारा घोषित पूंजीगत व्यय (कैपेक्स) योजनाओं के चरणबद्ध कार्यान्वयन से संबंधित आंकड़ों के आधार पर, यह आलेख उनके निवेश संबंधी उद्देश्यों का आकलन करता है और निकट भविष्य की संभावना संबंधी अंतर्दृष्टि प्रदान करता है।

मुख्य बातें:

  • परियोजनाओं की कुल लागत के साथ-साथ बैंकों और वित्तीय संस्थानों (एफआई) द्वारा स्वीकृत परियोजनाओं की संख्या में पिछले वर्ष की तुलना में 2024-25 के दौरान कमी आई है, जो निजी कॉरपोरेट्स का निवेश के प्रति कमजोर आशावाद को दर्शाता है।

  • अवसंरचना क्षेत्र ने अनुमानित पूंजी निवेश का बड़ा हिस्सा आकर्षित करना जारी रखा, जिसमें मुख्य भूमिका ‘विद्युत’ उद्योग की रही।

  • वित्तपोषण के सभी चैनलों पर आधारित पाइपलाइन परियोजनाओं की चरणबद्ध रूपरेखा से पता चलता है कि परिकल्पित पूंजीगत व्यय 2025-26 में 2,67,432 करोड़ होने का अनुमान है, जबकि 2024-25 में यह 2,20,132 करोड़ था।

III. इक्विटी म्यूचुअल फंड: भारत के बचत परिदृश्य में बदलाव

मयंक गुप्ता, सत्यम कुमार, अभिनंदन बोराड़, सुब्रत कुमार सीत और प्रतिभा केडिया द्वारा

यह आलेख भारत में घरेलू बचत के उभरते परिदृश्य की जांच करता है और खुदरा निवेशकों के बीच इक्विटी म्यूचुअल फंड (एमएफ़) को एक प्रमुख निवेश विकल्प के रूप में अपनाने की बढ़ती प्रवृत्ति पर प्रकाश डालता है। यह निवेशक के व्यवहार में संरचनात्मक बदलाव और इक्विटी म्यूचुअल फंड में निवेश प्रवाह को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारकों का एक व्यापक विश्लेषण प्रस्तुत करता है। मज़बूत संवृद्धि के बावजूद, भारत का म्यूचुअल फंड उद्योग, वैश्विक मानकों की तुलना में अपेक्षाकृत छोटा बना हुआ है, जो आगे विस्तार की पर्याप्त संभावना को दर्शाता है।

मुख्य बातें:

  • पिछले दशक में, घरेलू वित्तीय बचत प्राथमिकताओं में उल्लेखनीय बदलाव आया है, तथा इक्विटी-उन्मुख लिखतों, विशेष रूप से इक्विटी म्यूचुअल फंडों की ओर झुकाव बढ़ा है।

  • अध्ययन में भारत में इक्विटी म्यूचुअल फंड प्रवाह के महत्वपूर्ण चालकों के रूप में बढ़ते वित्तीय समावेशन (डीमैट खातों द्वारा प्रदर्शित), सापेक्ष बाजार रिटर्न और कारोबारी विश्वास की पहचान की गई है।

  • अनुभवजन्य विश्लेषण से पता चलता है कि वास्तविक जीडीपी संवृद्धि में इक्विटी म्यूचुअल फंड प्रवाह के बारे में पूर्वानुमानित जानकारी निहित होती है।

  • चूंकि खुदरा सहभागिता, विशेष रूप से छोटे शहरों और महिला निवेशकों के बीच, बढ़ रही है, इसलिए म्यूचुअल फंड क्षेत्र के सतत और समावेशी संवृद्धि को सुनिश्चित करने के लिए निवेशक जागरूकता, वित्तीय साक्षरता और विवेकपूर्ण विनियामक निरीक्षण पर निरंतर जोर देने की आवश्यकता है।

IV. ईवी नीतियां और दोपहिया ईवी अपनाना: भारतीय राज्यों से साक्ष्य

अटल सिंह, सत्यम कुमार, अभ्युदय हर्ष और तिस्ता तिवारी द्वारा

2024-25 में भारत में लगभग तीन-चौथाई वाहन पंजीकरण दोपहिया वाहनों (2W) से संबंधित होंगे, इसलिए यह आवश्यक है कि इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) को बढ़ावा देने के उद्देश्य से की जाने वाली किसी भी पहल में देश के डीकार्बोनाइजेशन लक्ष्यों को पूरा करने के लिए 2W-EV को अपनाने पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए। इस संदर्भ में, यह शोधपत्र 2W-EV को अपनाने पर राज्य स्तरीय EV प्रोत्साहन नीतियों के प्रभाव की अनुभवजन्य जांच करता है।

मुख्य बातें:

  • राज्य स्तर पर सहायक नीतियां (जैसे वित्तीय प्रोत्साहन, कर छूट और चार्जिंग बुनियादी ढांचे में निवेश) 2W-EV को अपनाने को बढ़ावा देती हैं।

  • अपनाने की दरों में क्षेत्रीय असमानता मौजूद है, तथा दक्षिणी और पश्चिमी राज्यों में अपनाने की दर अधिक है, जिसका आंशिक कारण बेहतर चार्जिंग बुनियादी ढांचा और ईवी नीतियों का शीघ्र विकास है।

  • मध्यम नीतिगत समर्थन के साथ भी मजबूत चार्जिंग बुनियादी ढांचे से 2W-EV को अपनाने में वृद्धि हो सकती है।

V. बागवानी विविधीकरण: कृषि सुदृढ़ता का मार्ग

शिवम द्वारा

यह लेख पिछले तीन दशकों (1992-93 से 2022-23) में कृषि संवृद्धि के स्रोत की जांच करता है और कृषि के समग्र संवृद्धि में विभिन्न फसलों के योगदान को मापता है। इस अध्ययन में छोटे किसानों के लिए विविधीकरण आधारित विकास के निहितार्थों की जांच की गई है तथा इससे जुड़ी चुनौतियों पर चर्चा की गई है।

मुख्य बातें:

  • पिछले तीन दशकों में कृषि संवृद्धि मुख्य रूप से प्रतिफल में सुधार, बागवानी में विविधीकरण और फसल की गहनता में वृद्धि से प्रेरित रहा है।

  • बागवानी के प्रमुख घटक फल और सब्जियां लगातार उच्च संवृद्धि दर दर्शाती हैं और सकल मूल्य उत्पादन में महत्वपूर्ण योगदान देती हैं।

  • छोटे और सीमांत किसानों को इन प्रवृत्तियों से लाभ हुआ है और वे बागवानी के लिए तेजी से भूमि आवंटित कर रहे हैं।

  • चुनौतियों में प्रतिफल की अनिश्चितता, कटाई के बाद अपर्याप्त भंडारण और कीमतों में उतार-चढ़ाव शामिल हैं। राष्ट्रीय बागवानी मिशन, बागवानी क्लस्टर विकास बोर्ड, कृषि अवसंरचना कोष, प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यमों का औपचारिकीकरण और ऑपरेशन ग्रीन्स जैसी सरकारी पहल इन चुनौतियों का समाधान कर रही हैं।

बुलेटिन के आलेखों में व्यक्त विचार लेखकों के हैं और यह भारतीय रिज़र्व बैंक के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं।

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(साभार- www.rbi.org.in)

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3-अमीर बनने के लिए पैसों से खेलना आना चाहिए। पैसों से खेलने की कला सीखने के लिए पढ़िये...
4-बच्चों को फाइनेंशियल एजुकेशन क्यों देना चाहिए पर हिन्दी में किताब- 'बेटा हमारा दौलतमंद बनेगा' - 
5-अमीर बनने की ख्वाहिश हममें से हर किसी की होती है, लेकिन इसके लिए लोगों को पैसे से पैसा बनाने की कला तो आनी चाहिए। कैसे आएगी ये कला, पढ़िये - 'आपका पैसा, आप संभालें' - 
6-इंसान के पास संसाधन या मार्गदर्शन हो या ना हो, सपने जरूर होने चाहिए। सिर्फ सपने के सहारे भी कामयाब होने वालों की दुनिया में कमी नहीं है। - 'जब सपने बन जाते हैं मार्गदर्शक' -
7-बेटियों को बहादुर बनने दीजिए और बनाइये, ये समय की मांग है,  "बेटी तुम बहादुर ही बनना " -
8 -अपनी हाउसिंग सोसायटी को जर्जर से जन्नत बनाने के लिए पढ़ें,  डेढ़ साल बेमिसाल -

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किस सेक्टर में लोन लेने की रफ्तार घटी, किस सेक्टर की बढ़ी, RBI ने जारी किया ताजा डेटा

बैंक ऋण का क्षेत्रवार अभिनियोजन – जुलाई 2025



जुलाई 2025 महीने1 के लिए 41 चुनिंदा अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (एससीबी) से जुटाए गए बैंक ऋण के क्षेत्रवार अभिनियोजन संबंधी आंकड़े, जो सभी एससीबी के कुल खाद्येतर ऋण का लगभग 95 प्रतिशत होता है, विवरण I और II में दिए गए हैं।

वर्ष-दर-वर्ष (व-द-व) आधार पर देखें तो, खाद्येतर बैंक ऋण2 25 जुलाई 2025 को समाप्त पखवाड़े की स्थिति के अनुसार 9.9 प्रतिशत की दर से बढ़ा3, जबकि पिछले वर्ष के इसी पखवाड़े में यह 13.6 प्रतिशत था (अर्थात, 26 जुलाई 2024)।

25 जुलाई 2025 को समाप्त पखवाड़े की स्थिति के अनुसार बैंक ऋण3 के क्षेत्रवार अभिनियोजन की मुख्य बातें नीचे दी गई हैं:

  • कृषि और संबद्ध कार्यकलापों हेतु प्रदत्त ऋण में वर्ष-दर-वर्ष 7.3 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई (पिछले वर्ष के इसी पखवाड़े में 18.1 प्रतिशत)।

  • उद्योग क्षेत्र को प्रदत्त ऋण में वर्ष-दर-वर्ष 6.0 प्रतिशत की मध्यम वृद्धि दर्ज की गई, जबकि पिछले वर्ष के इसी पखवाड़े में यह 10.2 प्रतिशत थी। सूक्ष्म एवं लघु, और मझोले उद्योगों को प्रदत्त ऋण मजबूत गति से बढ़ता रहा। प्रमुख उद्योगों में, ‘सभी इंजीनियरिंग’, ‘वाहन, वाहन के कलपुर्जे एवं परिवहन उपकरण’, ‘रबड़, प्लास्टिक एवं उनके उत्पाद’ और ‘रत्न एवं आभूषण’ को बकाया ऋण में वर्ष-दर-वर्ष मजबूत वृद्धि दर्ज की गई।

  • सेवा क्षेत्र को प्रदत्त ऋण में वर्ष-दर-वर्ष 10.6 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई (पिछले वर्ष के इसी पखवाड़े में 14.5 प्रतिशत)। ‘गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों’ (एनबीएफसी) को प्रदत्त ऋण में वृद्धि धीमी हुई, जबकि ‘पेशेवर सेवाओं’, ‘वाणिज्यिक स्थावर संपदा’ और ‘व्यापार’ खंड में ऋण वृद्धि मजबूत रही।

  • वैयक्तिक ऋण खंड हेतु प्रदत्त ऋण में वर्ष-दर-वर्ष 11.9 प्रतिशत की धीमी वृद्धि दर्ज की गई, जबकि एक वर्ष पहले यह 14.0 प्रतिशत थी, जिसका मुख्‍य कारण ‘अन्‍य वैयक्तिक ऋण’, ‘वाहन ऋण’, और ‘क्रेडिट कार्ड बकाया’ की वृद्धि का कम होना था।

 

1 आंकड़े माह के अंतिम रिपोर्टिंग शुक्रवार से संबंधित हैं, जो क्षेत्रवार और उद्योगवार बैंक ऋण (एसआईबीसी) विवरणी पर आधारित हैं।

2 खाद्येतर ऋण के आंकड़े माह के अंतिम रिपोर्टिंग शुक्रवार हेतु धारा-42 विवरणी पर आधारित हैं, जिसमें सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक (एससीबी) शामिल हैं।

3 आंकड़ों में बैंक के साथ गैर-बैंक के विलय के प्रभाव को शामिल किया गया है।


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(साभार- www.rbi.org.in)

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अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों की ऋण और जमा दरें – अगस्‍त 2025

अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों की ऋण और जमा दरें – अगस्‍त 2025



अगस्‍त 2025 के महीने के दौरान प्राप्त अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (एससीबी) (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और लघु वित्त बैंकों को छोड़कर) के ऋण और जमा दर संबंधी आंकड़े सारणी 1 से 7 में प्रस्तुत किए गए हैं।

मुख्य बातें:

ऋण दरें:

  • एससीबी के नए रुपया ऋणों पर भारित औसत उधार दर (डब्ल्यूएएलआर) जुलाई 2025 में 8.80 प्रतिशत रहा (जून 2025 में 8.62 प्रतिशत)।

  • एससीबी के बकाया रुपया ऋणों पर डब्ल्यूएएलआर जून 2025 में 9.44 प्रतिशत से घटकर जुलाई 2025 में 9.38 प्रतिशत हो गया।

  • एससीबी की एक वर्षीय निधि की सीमांत लागत आधारित उधार दर (एमसीएलआर) की माध्यिका जुलाई 2025 में 8.75 प्रतिशत से कम होकर अगस्‍त 2025 में 8.60 प्रतिशत हो गई।

जमा दरें:

  • एससीबी की नई रुपया मीयादी जमाओं पर भारित औसत घरेलू मीयादी जमा दर (डब्ल्यूएडीटीडीआर) जून 2025 में 5.75 प्रतिशत से कम होकर जुलाई 2025 में 5.61 प्रतिशत हो गई।

  • एससीबी की बकाया रुपया मीयादी जमाओं पर डब्ल्यूएडीटीडीआर जुलाई 2025 में 6.92 प्रतिशत थी (जून 2025 में 7.00 प्रतिशत)।

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(साभार- www.rbi.org.in)

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RBI ने नांदेड़ डिस्ट्रिक्ट सेंट्रल कोऑपरेटिव बैंक पर जुर्माना लगाया, जानें क्यों और कितना

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दि नांदेड़ डिस्ट्रिक्ट सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, महाराष्ट्र पर मौद्रिक दंड लगाया



भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 22 अगस्त 2025 के आदेश द्वारा दि नांदेड़ डिस्ट्रिक्ट सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, महाराष्ट्र (बैंक) पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी ‘अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी)’ और ‘सहकारी बैंकों द्वारा साख सूचना कंपनियों (सीआईसी) की सदस्यता’ संबंधी कतिपय निदेशों के अननुपालन के लिए ₹45,000 (पैंतालीस हजार रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 46(4)(i) और 56 के साथ पठित धारा 47ए(1)(सी) तथा प्रत्यय विषयक जानकारी कंपनी (विनियमन) अधिनियम, 2005 की धारा 25 के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

31 मार्च 2024 को बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) द्वारा बैंक का सांविधिक निरीक्षण किया गया। भारतीय रिज़र्व बैंक के निदेशों के अननुपालन के पर्यवेक्षी निष्कर्षों तथा उससे संबंधित पत्राचार के आधार पर, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया, जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि उक्त निदेशों के अनुपालन में विफलता के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए। नोटिस पर बैंक के उत्तर, इसके द्वारा की गई अतिरिक्त प्रस्तुतियों और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक ने, अन्य बातों के साथ-साथ, यह पाया कि बैंक के विरुद्ध निम्नलिखित आरोप सिद्ध हुए हैं, जिसके लिए मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है:

बैंक:

i) संदिग्ध लेनदेन की पहचान के लिए अलर्ट जारी करने वाला एक मजबूत सॉफ्टवेयर स्थापित करने में विफल रहा; और

ii) सभी चार सीआईसी को अपने उधारकर्ताओं की ऋण संबंधी जानकारी प्रस्तुत करने में विफल रहा।

यह कार्रवाई, विनियामकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य बैंक द्वारा ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है। इसके अलावा, इस मौद्रिक दंड को लगाने से भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक के विरुद्ध की जाने वाली किसी भी अन्य कार्रवाई पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।

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(साभार- www.rbi.org.in)

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