RBIPolicy: RBI का बड़ा ऐलान, रेपो रेट 6.50% पर जस का तस रखा, लगातार छह बढ़ोतरी के बाद रेपो रेट नहीं बढ़ाने का फैसला

  






देश के केंद्रीय बैंक भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक पॉलिसी कमिटी यानी  RBI MPC  ने रेपो रेट को 6.50% पर  जस का तस रखा है। लगातार छह बढ़ोतरी के बाद रेपो रेट नहीं बढ़ाने का फैसला बैठक में किया गया है। हालांकि, बैठक में महंगाई को काबू में करने के लिए रेपो रेट में 0.25 प्रतिशत की बढ़ोतरी की संभावना जताई जा रही थी। आपको बता दूं कि यह 3,5 और 6 अप्रैल को चली। यह RBI MPC की प्रमुख दरों पर वित्त वर्ष 2023-24 की पहली बैठक है। 

>RBI की मौजूदा दरें (साभार- www.rbi.org.in)

नीति रिपो दर: 6.50%
स्थायी जमा सुविधा दर: 6.25%
सीमांत स्‍थायी सुविधा दर: 6.75%
बैंक दर: 6.75%
प्रत्‍यावर्तनीय रिपो दर: 3.35%
सीआरआर: 4.50%
एसएलआर: 18.00%

2023-24 के लिए मौद्रिक नीति समिति की बैठकों की तिथियां
3, 5 और 6 अप्रैल 2023
6-8 जून 2023
8-10 अगस्त 2023
4-6 अक्तूबर 2023
6-8 दिसंबर 2023
6-8 फरवरी 2024

मौद्रिक नीति वक्तव्य, 2023-24
मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) का संकल्प
3, 5 और 6 अप्रैल 2023

वर्तमान और उभरती समष्टि-आर्थिक परिस्थिति का आकलन करने के आधार पर मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने आज (6 अप्रैल 2023) अपनी बैठक में यह निर्णय लिया है कि:

  • चलनिधि समायोजन सुविधा (एलएएफ) के अंतर्गत नीतिगत रेपो दर को 6.50 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखा जाए।

स्थायी जमा सुविधा (एसडीएफ) दर 6.25 प्रतिशत तथा सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) दर और बैंक दर 6.75 प्रतिशत पर अपरिवर्तित बनी हुई है।

  • एमपीसी ने निभाव को वापस लेने पर ध्यान केंद्रित रखने का भी निर्णय लिया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मुद्रास्फीति उतरोत्तर संवृद्धि को समर्थन प्रदान करते हुए लक्ष्य के साथ संरेखित हो।

ये निर्णय, संवृद्धि को समर्थन प्रदान करते हुए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) मुद्रास्फीति को +/- 2 प्रतिशत के दायरे में रखते हुए 4 प्रतिशत का मध्यावधि लक्ष्य हासिल करने के अनुरूप है।

इस निर्णय में अंतर्निहित मुख्य विचार नीचे दिए गए विवरण में व्यक्त किए गए हैं।

आकलन

वैश्विक अर्थव्यवस्था

2. उच्च स्तर पर मुद्रास्फीति के बने रहने, कुछ उन्नत अर्थव्यवस्थाओं (एई) की बैंकिंग प्रणाली में उथल-पुथल, तंग वित्तीय स्थितियों और दीर्घकालिक भू-राजनीतिक युद्ध स्थिति के बीच वैश्विक आर्थिक गतिविधि आघात-सहनीय बनी हुई है। हाल की वित्तीय स्थिरता संबंधी चिंताओं ने जोखिम से बचने, सुरक्षित बने रहने को प्रेरित किया है और वित्तीय बाजार में अस्थिरता को बढ़ा दिया है। आक्रामक मौद्रिक रुख और संचार पर फरवरी में तेज वृद्धि को उलटते हुए, सुरक्षित आश्रय की मांग पर सॉवरेन बांड प्रतिफल में मार्च में तेज गिरावट आई। एमपीसी की पिछली बैठक के बाद से इक्विटी बाजारों में गिरावट आई है और अमेरिकी डॉलर ने अपने लाभ को कम कर दिया है। कमजोर बाहरी मांग, कुछ उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में बैंकिंग संकट से स्पिलओवर, अस्थिर पूंजी प्रवाह और कुछ कमजोर अर्थव्यवस्थाओं में ऋण संकट, संवृद्धि की संभावनाओं पर दबाव डालते हैं।

घरेलू अर्थव्यवस्था

3. राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा 28 फरवरी 2023 को जारी दूसरे अग्रिम अनुमान (एसएई) में 2022-23 में भारत के वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर को 7.0 प्रतिशत रखा गया है। निजी खपत और सार्वजनिक निवेश, संवृद्धि के प्रमुख चालक थे।

4. चौथी तिमाही में आर्थिक गतिविधि आघात-सहनीय बनी रही। रबी खाद्यान्न उत्पादन 2022-23 में 6.2 प्रतिशत तक बढ़ सकती है। जनवरी में औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) में 5.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि आठ प्रमुख उद्योगों का उत्पादन जनवरी में 8.9 प्रतिशत और फरवरी में 6.0 प्रतिशत की तेजी से बढ़ा, जो औद्योगिक गतिविधि की क्षमता का संकेत देती है। सेवा क्षेत्र में, घरेलू हवाई यात्री यातायात, बंदरगाह माल-भाड़ा यातायात, ई-वे बिल और टोल संग्रह ने चौथी तिमाही में बेहतर वृद्धि दर्ज की, जबकि रेलवे माल-भाड़ा यातायात में मामूली वृद्धि दर्ज की गई। क्रय प्रबंधकों के सूचकांक (पीएमआई) ने मार्च में विनिर्माण और सेवाओं दोनों में सतत वृद्धि का संकेत दिया।

5. शहरी मांग संकेतकों में, यात्री वाहनों की बिक्री में फरवरी में मजबूत वृद्धि दर्ज की गई, जबकि जनवरी में टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुओं की बिक्री में कमी आई। ग्रामीण मांग संकेतकों में, फरवरी में ट्रैक्टर और दोपहिया वाहनों की बिक्री मजबूत रही। जहां तक निवेश गतिविधि का संबंध है, फरवरी में इस्पात की खपत और सीमेंट उत्पादन की वृद्धि में तेजी आई। पण्य निर्यात और तेल से इतर स्वर्ण से इतर आयात फरवरी में संकुचित हुए जबकि सेवा निर्यात में मजबूत वृद्धि जारी रही।

6. अनाज, दूध और फलों में उच्च मुद्रास्फीति और सब्जियों की कीमतों में धीमी अवस्फीति के कारण सीपीआई हेडलाइन मुद्रास्फीति दिसंबर 2022 में 5.7 प्रतिशत से बढ़कर फरवरी 2023 में 6.4 प्रतिशत हो गई। ईंधन मुद्रास्फीति उच्च बनी रही, हालांकि मिट्टी के तेल (पीडीएस) की कीमतों में गिरावट और अनुकूल आधार प्रभावों के कारण फरवरी में कुछ नरमी देखी गई थी। मूल मुद्रास्फीति (अर्थात्, खाद्य और ईंधन को छोड़कर सीपीआई) उच्च बनी रही और यह जनवरी-फरवरी में 6 प्रतिशत से ऊपर थी। कपड़े और जूते, तथा परिवहन और संचार की मुद्रास्फीति में देखी गई कमी, व्यक्तिगत देखभाल और प्रभाव तथा आवास में मुद्रास्फीति में तेजी से काफी हद तक ऑफसेट हुई।

7. एलएएफ के अंतर्गत औसत दैनिक अवशोषण दिसंबर-जनवरी में औसतन 1.6 लाख करोड़ से घटकर फरवरी-मार्च के दौरान 1.4 लाख करोड़ हो गया। 2022-23 के दौरान, मुद्रा आपूर्ति (एम3) में 9.0 प्रतिशत की वृद्धि हुई और खाद्य से इतर बैंक ऋण में 15.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई। 31 मार्च 2023 तक भारत की विदेशी मुद्रा आरक्षित निधि 578.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर था।

संभावना

8. 2023-24 में मुद्रास्फीति की गति को घरेलू और वैश्विक दोनों कारकों द्वारा आकार दिया जाएगा। रिकॉर्ड रबी खाद्यान्न उत्पादन की उम्मीद, खाद्य कीमतों की संभावना के लिए अच्छा संकेत है। हालांकि, हाल की बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि के प्रभाव पर नजर रखने की जरूरत है। उच्च लागत और मौसमी कारकों के कारण दूध की कीमतें स्थिर रह सकती हैं। कच्चे तेल की कीमतों की संभावना उच्च अनिश्चित बनी हुई है। आयातित मुद्रास्फीति जोखिमों की संभावित बढ़ोत्तरी के कारण वैश्विक वित्तीय बाजार में अस्थिरता बढ़ी है। रिज़र्व बैंक के उद्यम सर्वेक्षणों के अनुसार, लागत में कमी की स्थिति, विनिर्माण और सेवाओं के उत्पादन मूल्य वृद्धि की गति में कुछ कमी ला रही है। तथापि, इनपुट लागतों का विलंबित प्रभाव अंतरण मूल मुद्रास्फीति को बढ़ाए रख सकता है। इन कारकों को ध्यान में रखते हुए तथा 85 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल की वार्षिक औसत कच्चे तेल की कीमत (भारतीय टोकरी) और सामान्य मानसून की आशा करते हुए, सीपीआई मुद्रास्फीति 2023-24 के लिए 5.2 प्रतिशत पर अनुमानित है, जोकि पहली तिमाही में 5.1 प्रतिशत, दूसरी तिमाही में 5.4 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 5.4 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 5.2 प्रतिशत और जोखिम समान रूप से संतुलित रहना अनुमानित है (चार्ट 1)।

9. एक अच्छी रबी फसल से ग्रामीण मांग मजबूत होनी चाहिए, जबकि संपर्क-गहन सेवाओं में निरंतर उछाल से शहरी मांग को समर्थन मिलना चाहिए। विनिर्माण में क्षमता उपयोग की प्रवृत्ति से ऊपर पूंजीगत व्यय पर सरकार का जोर, दोहरे अंकों की ऋण वृद्धि और कमोडिटी की कीमतों में कमी से विनिर्माण और निवेश गतिविधि को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। भारतीय रिज़र्व बैंक के सर्वेक्षणों के अनुसार, व्यवसाय और उपभोक्ता भविष्य की संभावना को लेकर आशान्वित हैं। धीमे वैश्विक व्यापार और उत्पादन को देखते हुए, विलंबित बाह्य मांग में वृद्धि हो सकती है। दीर्घकालिक भू-राजनीतिक तनाव, तंग वैश्विक वित्तीय स्थिति और वैश्विक वित्तीय बाजार में अस्थिरता से संभावना के लिए जोखिम उत्पन्न हो सकता है। इन सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए, 2023-24 के लिए वास्तविक जीडीपी संवृद्धि 6.5 प्रतिशत अनुमानित है; जोकि जोखिम में समान रूप से संतुलन के साथ पहली तिमाही में 7.8 प्रतिशत, दूसरी तिमाही में 6.2 प्रतिशत; तीसरी तिमाही में 6.1 प्रतिशत; और चौथी तिमाही में 5.9 प्रतिशत रहना अनुमानित है (चार्ट 2)।

Chart 1

10. सीपीआई हेडलाइन मुद्रास्फीति के लगातार सहन-सीमा बैंड के ऊपर रहने के कारण, एमपीसी ने लक्ष्य के साथ मुद्रास्फीति को संरेखित करने पर दृढ़ता से ध्यान केंद्रित करने का निर्णय लिया। मूल्य दबावों के सामान्यीकरण को नियंत्रित करना और मुद्रास्फीति की उम्मीदों को स्थिर करना आवश्यक है। घरेलू आर्थिक गतिविधि में आघात-सहनीयता को बनाए रखने के लिए न्यून एवं स्थिर कीमतों का वातावरण आवश्यक है। हालांकि, मई 2022 से नीति दर में संचयी रूप से 250 आधार अंकों की वृद्धि की गई है, जो अभी भी सिस्टम के माध्यम से काम कर रही है, लेकिन फिर भी मूल्य स्थिरता पर अपनी तैयारी में किसी भी प्रकार की ढिलाइ नहीं बरत सकते हैं। इन कारकों को ध्यान में रखते हुए, एमपीसी ने इस बैठक में नीतिगत रेपो दर को 6.50 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखने का निर्णय लिया, साथ ही, यदि आवश्यक हो तो कार्रवाई करने के लिए तैयार है। एमपीसी उभरती मुद्रास्फीति और संवृद्धि की संभावना पर कड़ी निगरानी रखना जारी रखेगी और भावी बैठकों में आवश्यक कार्रवाई करने में संकोच नहीं करेगी। एमपीसी ने निभाव को वापस लेने पर ध्यान केंद्रित रखने का भी निर्णय लिया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मुद्रास्फीति उतरोत्तर संवृद्धि को समर्थन प्रदान करते हुए लक्ष्य के साथ संरेखित हो।

11. एमपीसी के सभी सदस्य - डॉ. शशांक भिड़े, डॉ. आशिमा गोयल, प्रो. जयंत आर. वर्मा, डॉ. राजीव रंजन, डॉ. माइकल देवब्रत पात्र और श्री शक्तिकान्त दास ने सर्वसम्मति से नीतिगत रेपो दर को 6.50 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखने के लिए वोट किया।

12. डॉ. शशांक भिड़े, डॉ. आशिमा गोयल, डॉ. राजीव रंजन, डॉ. माइकल देवब्रत पात्र और श्री शक्तिकान्त दास ने निभाव को वापस लेने पर ध्यान केंद्रित रखने के लिए वोट किया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मुद्रास्फीति उतरोत्तर संवृद्धि को समर्थन प्रदान करते हुए लक्ष्य के साथ संरेखित हो। प्रो. जयंत आर. वर्मा ने संकल्प के इस हिस्से पर आपत्ति जताई।

13. एमपीसी की बैठक का कार्यवृत्त 20 अप्रैल 2023 को प्रकाशित किया जाएगा।

14. एमपीसी की अगली बैठक 6-8 जून 2023 के दौरान निर्धारित है।

(साभार: www.rbi.org.in)

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