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Personal Loan की EMI से परेशान सभी लोग देखें   
New Rule for Personal Loans EMI  क्या आपने पर्सनल लोन लिया है या फिर पर्सनल लोन लेने जा रहे हैं। या पर्सनल लोन की ईएमआई आपको भारी पड़ रही है, तो इस एपिसोड को अंत तक देखिये।



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Rajanish Kant मंगलवार, 14 जनवरी 2025
सबसे अच्छा Personal Loan (पर्सनल लोन) कैसे चुनें महिलाएं 
How to choose The best personal loans for women पर्सनल लोन में महिला कर्जदारों की हिस्सेदारी लगातार बढ़ रही है। तो अगर आप महिला हैं और पर्सनल लोन लेने जा रही हैं, तो इस एपिसोड को आखिर तक जरूर देखिये। इस एपिसोड में पर्सनल लोन से जुड़ी हर जानकारी आपको मिलेगी ताकि पर्सनल लोन लेने में आपको कोई परेशानी ना हो।


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Rajanish Kant गुरुवार, 28 नवंबर 2024
बैंकों के लोन देने की रफ्तार में कमी, Personal Loan में महिला कर्जदारों की हिस्सेदारी लगाततार बढ़ रही है -RBI

तिमाही बीएसआर-1: अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों का बकाया ऋण – सितंबर 2024



रिज़र्व बैंक ने अपने ‘भारतीय अर्थव्यवस्था पर डेटाबेस’ पोर्टल (https://data.rbi.org.in होमपेज > प्रकाशन) पर ‘तिमाही आधारभूत सांख्यिकी विवरणियाँ (बीएसआर)-1: अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (एससीबी)1 का बकाया ऋण - सितंबर 20242’ शीर्षक से अपना वेब प्रकाशन जारी किया। यह खाता-स्तरीय रिपोर्टिंग3 के आधार पर बैंक ऋण की विभिन्न विशेषताओं जैसे कि उधारकर्ता का व्यवसाय/ गतिविधि और संगठनात्मक क्षेत्र, खाते का प्रकार और ब्याज दरों को दर्शाता है। एससीबी {क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (आरआरबी) को छोड़कर} द्वारा रिपोर्ट किए गए डेटा बैंक समूहों, जनसंख्या समूहों4 और राज्यों के लिए प्रस्तुत किए जाते हैं।

मुख्य बातें:

  • बैंक ऋण संवृद्धि (वर्ष-दर-वर्ष) मार्च 2024 में विलय से निवल 15.3 प्रतिशत से घटकर सितंबर 2024 में 12.6 प्रतिशत हो गई; बैंकों की महानगरीय शाखाओं, जो ऋणों में 60.6 प्रतिशत का योगदान देती हैं, में 11.6 प्रतिशत की न्यूनतर संवृद्धि दर्ज की गई।

  • गैर-आरआरबी एससीबी द्वारा दिए गए ऋण में कृषि, उद्योग, आवास और व्यक्तिगत (गैर-आवास) ऋणों की हिस्सेदारी क्रमशः 11.5 प्रतिशत, 23.7 प्रतिशत, 16.5 प्रतिशत और 14.9 प्रतिशत थी; इनमें क्रमशः 13.2 प्रतिशत, 10.4 प्रतिशत, 13.2 प्रतिशत और 17.5 प्रतिशत की संवृद्धि (वर्ष-दर-वर्ष) दर्ज की गई।

  • निजी कॉर्पोरेट क्षेत्र को दिया गया ऋण, हेडलाइन ऋण संवृद्धि से अधिक हो गया और सितंबर 2024 में 16.5 प्रतिशत (वर्ष-दर-वर्ष) पर पहुंच गया; कार्यशील पूंजी ऋण एक वर्ष पहले के 14.1 प्रतिशत से बढ़कर 15.3 प्रतिशत हो गया।

  • व्यक्तियगत ऋण में महिला उधारकर्ताओं का हिस्सा उत्तरोत्तर बढ़ रहा है और सितंबर 2024 में यह 23.6 प्रतिशत हो गया।

  • सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक (पीएसबी) और निजी क्षेत्र के बैंक (पीवीबी), जिनकी गैर-आरआरबी एससीबी द्वारा दिये ऋण में क्रमशः 53.2 प्रतिशत और 41.8 प्रतिशत हिस्सेदारी है, ने सितंबर 2024 में क्रमशः 13.0 प्रतिशत और 11.9 प्रतिशत की संवृद्धि (वर्ष-दर-वर्ष) दर्ज की।

1 सितंबर 2024 के अंतिम रिपोर्टिंग शुक्रवार के लिए पाक्षिक फॉर्म-ए विवरणी (भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 42(2) के अंतर्गत संकलित) पर आधारित बैंकिंग समुच्चय हमारी वेबसाइट (होम>सांख्यिकी>जारी आंकड़े>पाक्षिक> भारत में अनुसूचित बैंकों की स्थिति का विवरण) पर पहले ही प्रकाशित किए गए थे और चुनिंदा प्रमुख बैंकों द्वारा रिपोर्ट किए गए सितंबर 2024 के लिए बैंक ऋण के क्षेत्र-वार अभिनियोजन पर समग्र स्तर का मासिक डेटा भी वेबसाइट (होम>सांख्यिकी> जारी आंकड़े >मासिक> बैंक ऋण का क्षेत्र-वार अभिनियोजन) पर जारी किया गया।

2 बीएसआर-1 के लिए संदर्भ तिथि तिमाही का अंतिम दिन है। पिछले दौर से संबंधित तुलना के लिए उपयोग किए गए आंकड़ों में 1 जुलाई 2023 से एक गैर-बैंक के एक बैंक में विलय का प्रभाव शामिल है।

3 इस शृंखला में जारी पिछले आंकड़े, जिसमें जून 2024 के अंत की स्थिति को शामिल किया गया थे, 30 अगस्त 2024 को भारतीय रिज़र्व बैंक की वेबसाइट पर प्रकाशित किया गया था।

4 बीएसआर के लिए उपयोग किया जाने वाला जनसंख्या समूह मानदंड वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार संबंधित राजस्व केंद्र की जनसंख्या के आकार पर आधारित है, जहां एससीबी की शाखाएं संचालित हो रही हैं और इन्हें ए) 'ग्रामीण' (10,000 से कम जनसंख्या), बी) 'अर्ध-शहरी' (10,000 से 1 लाख से कम की आबादी), सी) 'शहरी' (1 लाख से 10 लाख से कम की आबादी), डी) 'मेट्रोपॉलिटन' (10 लाख और उससे अधिक की आबादी) के रूप में वर्गीकृत किया गया है।



(साभार-www.rbi.org.in)

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Rajanish Kant बुधवार, 27 नवंबर 2024
Personal Loan (पर्सनल लोन) की वृद्धि दर में कमी- RBI

बैंक ऋण का क्षेत्र-वार अभिनियोजन – फरवरी 2024



फरवरी 20241 महीने के लिए 41 चुनिंदा अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों से जुटाए गए बैंक ऋण के क्षेत्र-वार अभिनियोजन संबंधी आंकड़े, जो सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों द्वारा अभिनियोजित कुल खाद्येतर ऋण का लगभग 95 प्रतिशत होता है, विवरण I और II में दिए गए हैं।

वर्ष-दर-वर्ष (व-द-व) आधार पर देखें तो, खाद्येतर बैंक ऋण2 में फरवरी 20243 में 16.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, जबकि एक साल पहले यह 15.9 प्रतिशत थी।

बैंक ऋण3 के क्षेत्र-वार अभिनियोजन की मुख्य बातें नीचे दी गई हैं:

  • कृषि और संबद्ध कार्यकलापों हेतु प्रदत्त ऋण में वृद्धि फरवरी 2024 में 20.1 प्रतिशत (व-द-व) पर मजबूत रही (एक साल पहले 15.0 प्रतिशत)।

  • उद्योग क्षेत्र को प्रदत्त ऋण फरवरी 2024 में 8.6 प्रतिशत (व-द-व) बढ़ा, जो फरवरी 2023 में 6.8 प्रतिशत था। प्रमुख उद्योगों में, ‘खाद्य प्रसंस्करण’, ‘इन्फ्रास्ट्रक्चर’ एवं ‘कपड़ा’ हेतु प्रदत्त ऋण में वृद्धि (व-द-व) फरवरी 2024 में पिछले साल के इसी महीने की तुलना में बढ़ी, जबकि ‘मूल धातु और धातु उत्पाद’, एवं ‘रसायन और रासायनिक उत्पाद’ की ऋण वृद्धि में गिरावट आई।

  • सेवा क्षेत्र को प्रदत्त ऋण में फरवरी 2024 में 21.2 प्रतिशत (व-द-व) की वृद्धि हुई (एक साल पहले 20.5 प्रतिशत)। प्रमुख योगदानकर्ताओं में, फरवरी 2023 की तुलना में फरवरी 2024 में ‘व्यापार’ और ‘वाणिज्यिक स्थावर संपदा’ हेतु प्रदत्त ऋण की वृद्धि (व-द-व) में सुधार हुआ जबकि ‘गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी)’ के मामले में गिरावट आई।

  • वैयक्तिक ऋणों की वृद्धि, वाहन ऋण और अन्‍य वैयक्तिक ऋणों की वृद्धि में कमी आने की वजह से, फरवरी 2024 (एक साल पहले 20.6 प्रतिशत) में घटकर 18.1 प्रतिशत (व-द-व) रह गई।

1 आंकड़े माह के अंतिम रिपोर्टिंग शुक्रवार से संबंधित हैं।

2 खाद्येतर ऋण के आंकड़े माह के अंतिम रिपोर्टिंग शुक्रवार हेतु धारा-42 विवरणी पर आधारित हैं, जिसमें सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक (एससीबी) शामिल हैं।

3 किसी बैंक के साथ गैर-बैंक के विलय के प्रभाव को छोड़कर।



(साभार- www.rbi.org.in)

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Rajanish Kant शुक्रवार, 29 मार्च 2024
समान मासिक किस्तों (EMI) आधारित व्यक्तिगत ऋण (Personal Loan) पर अस्थायी (Floating) ब्याज दर का पुनर्निर्धारण

देश के केंद्रीय बैंक भारतीय रिजर्व बैंक ने समान मासिक किस्तों (EMI) आधारित व्यक्तिगत ऋण (Personal Loan) पर अस्थायी (Floating) ब्याज दर का पुनर्निर्धारण के संबंध में एक अधिसूचना जारी की है। इसे बैंकों को लागू करना है। इसे लोन ग्राहकों के लिए फायदेमंद माना जा रहा है। आरबीआई द्वारा जारी अधिसूचना को आप हूबहू यहां पढ़ सकते हैं- 


सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक

क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक
प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक
राज्य सहकारी बैंक और जिला केंद्रीय सहकारी बैंक
गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ (आवास वित्त कंपनियों सहित)

महोदया / महोदय,

समान मासिक किस्तों (ईएमआई) आधारित व्यक्तिगत ऋण1 पर अस्थायी (फ्लोटिंग) ब्याज दर का पुनर्निर्धारण

कृपया हमारा दिनांक 01 जुलाई 2015 का परिपत्र क्रमांक डीबीआर.सं.डीआईआर.बीसी.10/13.03.00/2015-16दिनांक 01 सितम्बर 2016 के मास्टर दिशानिर्देश संख्या.डीएनबीआर.पीडी.007/03.10.119/2016-17दिनांक 01 सितंबर 2016 का मास्टर दिशानिर्देश संख्या डीएनबीआर.पीडी.008/03.10.119/2016-17 और दिनांक 17 फरवरी 2021 का मास्टर दिशानिर्देश संख्या विवि.एफ़आईएन.एचएफ़सी.सीसी.सं.120/03.10.136/2020-21 देखें, जिसके अंतर्गत ऋणदाताओं के लिए उचित व्यवहार संहिता से संबंधित दिशानिर्देश क्रमशः एससीबी, एनबीएफसी और एचएफसी को जारी किए गए हैं। भारतीय रिज़र्व बैंक के मौजूदा निर्देशों अनुसार, विनियमित संस्थाओं (आरई) को सभी श्रेणियों के अग्रिमों को निश्चित या फ्लोटिंग ब्याज दरों के आधार पर देने की स्वतंत्रता है।

2. ईएमआई आधारित अस्थायी दर वाले व्यक्तिगत ऋणों की स्वीकृति प्रदान करते समय, आरई द्वारा उधारकर्ताओं की पुनर्भुगतान क्षमता को ध्यान में रखना आवश्यक है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि ऋण की अवधि के दौरान बाहरी बेंचमार्क दर में संभावित वृद्धि के परिदृश्य में अवधि बढ़ाने और/या ईएमआई में वृद्धि के लिए पर्याप्त हेडरूम/मार्जिन उपलब्ध है। हालाँकि, ईएमआई आधारित अस्थायी दर वाले व्यक्तिगत ऋणों के संबंध में, बढ़ती ब्याज दरों को ध्यान में रखते हुए, उधारकर्ताओं के साथ उचित पत्र व्यवहार और/या सहमति के बिना ऋण की अवधि बढ़ाने और/या ईएमआई राशि में वृद्धि से संबंधित कई उपभोक्ता शिकायतें प्राप्त हुई हैं। इन चिंताओं के समाधान के लिए, आरई को कार्यान्वयन और अनुपालन के लिए निम्नलिखित आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए एक उचित नीति ढांचा तैयार करने हेतु सूचित किया जाता है:

  1. मंजूरी के समय, आरई द्वारा उधारकर्ताओं को ऋण पर बेंचमार्क ब्याज दर में बदलाव के कारण ईएमआई और/या अवधि अथवा दोनों में होने वाले सभी संभावित प्रभावों के संबंध में स्पष्ट रूप से सूचित करना होगा। इसके बाद, उपर्युक्त के कारण ईएमआई/अवधि अथवा दोनों में कोई भी वृद्धि होती है तो उक्त के संबंध में उधारकर्ता को उचित माध्यमों से तुरंत सूचित करना होगा।

  2. ब्याज दरों के पुनर्निर्धारण के समय, आरई द्वारा उधारकर्ताओं को अपने बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीति के अनुसार एक निश्चित दर पर स्विच करने का विकल्प प्रदान किया जाएगा। नीति में अन्य बातों के साथ-साथ यह भी निर्दिष्ट किया जाए कि उधारकर्ता को ऋण की अवधि के दौरान कितनी बार स्विच करने की अनुमति दी जाएगी।

  3. उधारकर्ताओं को (i) ईएमआई में वृद्धि या अवधि में वृद्धि या दोनों विकल्पों के संयोजन के लिए; और, (ii) ऋण की अवधि के दौरान किसी भी समय, या तो आंशिक या पूर्ण रूप से पूर्व भुगतान करने का विकल्प चुनने का विकल्प भी दिया जाएगा। पुरोबंध शुल्क/पूर्व-भुगतान जुर्माना लगाना वर्तमान निर्देशों के अधीन होगा।

  4. ऋणों को अस्थायी दर से निश्चित दर पर स्विच करने के लिए सभी लागू शुल्क और उक्त विकल्पों के प्रयोग के लिए प्रासंगिक कोई अन्य सेवा शुल्क/प्रशासनिक लागत मंजूरी पत्र में और समय-समय पर आरई द्वारा ऐसे शुल्कों/लागतों के संशोधन के समय भी पारदर्शी रूप से प्रकट किया जाए।

  5. आरई द्वारा यह सुनिश्चित किया जाए कि अस्थायी दर के मामले में अवधि बढ़ने से नकारात्मक परिशोधन (निगेटिव अमोर्टिजेसन) न हो।

  6. आरई द्वारा प्रत्येक तिमाही के अंत में उचित माध्यमों से उधारकर्ताओं के लिए एक विवरण साझा / सुलभ कराया जाएगा, जिसमें न्यूनतम, अब तक वसूल किए गए मूलधन और ब्याज, ईएमआई राशि, शेष ईएमआई की संख्या और ऋण की पूरी अवधि के लिए वार्षिक ब्याज दर / वार्षिक प्रतिशत दर (एपीआर) की गणना होगी। आरई द्वारा यह भी सुनिश्चित किया जाए कि उक्त विवरण सरल हों और उधारकर्ता इन्हें आसानी से समझ सकें।

3. समान मासिक किस्त वाले ऋणों के अलावा, ये अनुदेश, यथोचित परिवर्तनों के साथ, विभिन्न आवधिकों के सभी समान किस्त आधारित ऋणों पर भी लागू होंगे। बाहरी बेंचमार्क ऋण दर (ईबीएलआर) व्यवस्था के तहत बाहरी बेंचमार्क से जुड़े ऋणों के मामलों में, बैंकों को मौजूदा अनुदेशों का अनुपालन करना आवश्यक होगा और बेंचमार्क दर परिवर्तन का ऋण दर में संचरण की निगरानी के लिए पर्याप्त सूचना प्रणाली भी लगानी होगी।

4. आरई द्वारा यह सुनिश्चित किया जाए कि उक्त अनुदेश मौजूदा और साथ ही नए ऋणों पर 31 दिसंबर 2023 तक उपयुक्त रूप से लागू किए जाएं। सभी मौजूदा उधारकर्ताओं को उचित माध्यमों से एक सूचना भेजी जाए, जिसमें उन्हें उपलब्ध विकल्पों की जानकारी दी जाएगी।

5. उपर्युक्त अनुदेश बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 21, 35ए और 56, भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45जेए, 45एल और 45एम और राष्ट्रीय आवास बैंक अधिनियम, 1987 की धारा 30ए और 32 के तहत जारी किए गए हैं।

(साभार- www.rbi.org.in)

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Rajanish Kant शनिवार, 2 सितंबर 2023