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RBI का इनोवेटिव कोऑपरेटिव अर्बन बैंक  पर कड़ा एक्शन, क्या आपका भी यहां प...
Bad News For one more Bank Account Holder दिल्ली के इनोवेटिंव कोऑपरेटिव अर्बन बैंक में पैसा रखने वालों के लिए बुरी खबर है। पूरी खबर को विस्तार से जानने के लिए इस एपिसोड को शुरू से लेकर अंत तक देखें।



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Rajanish Kant मंगलवार, 8 जुलाई 2025
RBI से कोणार्क अर्बन कोऑपरेटिव बैंक के ग्राहकों को झटका

बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित धारा 35 ए के अंतर्गत निदेश – दि कोणार्क अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, उल्हासनगर - अवधि बढ़ाना

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 23 अप्रैल 2024 के निदेश CO.DOS.SED.No.S592/45-11-001/2024-25 के माध्यम से दि कोणार्क अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, उल्हासनगर को 23 अप्रैल 2024 को कारोबार की समाप्ति से छह माह की अवधि के लिए निदेशाधीन रखा था। इन निदेशों की वैधता अवधि को समय-समय पर बढ़ाया गया, तथा पिछली बार इसे 23 अप्रैल 2025 तक बढ़ाया गया था।

2. जनता के सूचनार्थ एतद्द्वारा अधिसूचित किया जाता है कि बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित धारा 35 ए की उप-धारा (1) के अंतर्गत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, भारतीय रिज़र्व बैंक एतद्द्वारा निदेश देता है कि उपर्युक्त निदेश, दिनांक 21 अप्रैल 2025 के निदेश DOR.MON/D-07/12.22.805/2025-26 के अनुसार 23 अप्रैल 2025 को कारोबार की समाप्ति से 23 जुलाई 2025 को कारोबार की समाप्ति तक बैंक पर लागू रहेंगे, जो कि समीक्षाधीन होगा।

3. संदर्भाधीन निदेश के अन्य सभी नियम और शर्तें अपरिवर्तित रहेंगी। उपरोक्त अवधि बढ़ाने को अधिसूचित करने वाले दिनांक 21 अप्रैल 2025 के निदेश की एक प्रति बैंक के परिसर में जनता के अवलोकनार्थ लगाई गई है।

4. भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा उपर्युक्त अवधि बढ़ाने और/ या संशोधन का यह अर्थ नहीं लगाया जाना चाहिए कि भारतीय रिज़र्व बैंक, बैंक की वित्तीय स्थिति से संतुष्ट है।

(साभार: www.rbi.org.in)


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Rajanish Kant बुधवार, 23 अप्रैल 2025
RBI ने जनता सहकारी बैंक पर कुछ लोन खातों को NPA नहीं घोषित किए जाने के कारण जुर्माना लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक ने जनता सहकारी बैंक लिमिटेड, पुणे पर मौद्रिक दंड लगाया



भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 7 जनवरी 2025 के आदेश द्वारा जनता सहकारी बैंक लिमिटेड, पुणे (बैंक) पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी ‘आय निर्धारण, आस्ति वर्गीकरण, प्रावधानीकरण और अन्य संबंधित मामले - यूसीबी’ तथा ‘जमा खातों का रखरखाव - प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक’ संबंधी कतिपय निदेशों के अननुपालन के लिए 17.50 लाख (सत्रह लाख पचास हजार रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 46(4)(i) और 56 के साथ पठित धारा 47ए(1)(सी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

31 मार्च 2022 और 31 मार्च 2023 को बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक का सांविधिक निरीक्षण किया गया। भारतीय रिज़र्व बैंक के निदेशों के अननुपालन के पर्यवेक्षी निष्कर्षों तथा उससे संबंधित पत्राचार के आधार पर, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया, जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि उक्त निदेशों के अनुपालन में उनकी विफलता के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए। नोटिस पर बैंक के उत्तर, व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने और इसके द्वारा की गई अतिरिक्त प्रस्तुतियों की जांच के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक ने, अन्य बातों के साथ-साथ, यह पाया कि बैंक के विरुद्ध निम्नलिखित आरोप सिद्ध हुए हैं, जिसके लिए मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है:

बैंक:

  1. कतिपय उधारकर्ताओं के ऋण खातों को अनर्जक आस्तियों के रूप में वर्गीकृत करने में विफल रहा; और

  2. बचत बैंक खातों पर न्यूनतम शेष राशि न रखने के लिए, कमी की सीमा के अनुपात के बजाय एकसमान दर के आधार पर दंडात्मक प्रभार लगाया।

यह कार्रवाई, विनियामकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है। इसके अलावा, इस मौद्रिक दंड को लगाने से भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक के विरुद्ध की जाने वाली किसी भी अन्य कार्रवाई पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।

(साभार- www.rbi.org.in)

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Rajanish Kant गुरुवार, 9 जनवरी 2025
RBI से पुणे सहकारी बैंक में खाता रखने वालों को एक बार फिर राहत नहीं

बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित धारा 35ए के अंतर्गत निदेश – पुणे सहकारी बैंक लिमिटेड, शिवाजीनगर, पुणे – अवधि बढ़ाना



भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 9 मार्च 2023 के निदेश CO.DOS.SED.No.S8240/12-22-493/2022-2023 द्वारा पुणे सहकारी बैंक लिमिटेड, शिवाजीनगर, पुणे, महाराष्ट्र को 10 मार्च 2023 को कारोबार की समाप्ति से छह महीने की अवधि के लिए निदेशाधीन रखा था। इन निदेशों की वैधता अवधि को समय-समय पर बढ़ाया गया और पिछली बार इसे 10 दिसंबर 2024 तक बढ़ाया गया था।

2. जनता के सूचनार्थ एतद्द्वारा अधिसूचित किया जाता है कि भारतीय रिज़र्व बैंक, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित धारा 35ए की उप-धारा (1) के अंतर्गत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए एतद्द्वारा निदेश देता है कि उपर्युक्त निदेश दिनांक 6 दिसंबर 2024 के निदेश DOR.MON.D-82/12.22.493/2024-2025 के अनुसार बैंक पर 10 दिसंबर 2024 को कारोबार की समाप्ति से 10 मार्च 2025 को कारोबार की समाप्ति तक लागू रहेंगे जो कि समीक्षाधीन होगा।

3. संदर्भाधीन निदेश के अन्य सभी नियम और शर्तें यथावत् रहेंगी। उपरोक्त वैधता अवधि बढ़ाए जाने को सूचित करने वाले दिनांक 6 दिसंबर 2024 के निदेश की एक प्रति बैंक के परिसर में जनता के अवलोकनार्थ लगाई गई है।

4. भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा उपरोक्त वैधता को बढ़ाने और/ या संशोधित करने का यह अर्थ न लगाया जाए कि भारतीय रिज़र्व बैंक, बैंक की वित्तीय स्थिति से संतुष्ट है।

(साभार- www.rbi.org.in)

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Rajanish Kant बुधवार, 11 दिसंबर 2024
संजय मल्होत्रा ​​ने RBI के 26वें गवर्नर के रूप में कार्यभार संभाला

 

श्री संजय मल्होत्रा ​​ने भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर का कार्यभार संभाला

श्री संजय मल्होत्रा, 1990 बैच के राजस्थान कैडर के भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी, ​​ने 11 दिसंबर 2024 से भारतीय रिज़र्व बैंक के 26वें गवर्नर के रूप में कार्यभार संभाला। इस नियुक्ति से ठीक पहले, श्री मल्होत्रा ​​भारत सरकार के वित्त मंत्रालय में राजस्व विभाग (डीओआर) के सचिव थे, उससे पहले श्री मल्होत्रा ​​भारत सरकार के वित्त मंत्रालय में वित्तीय सेवा विभाग में सचिव के पद पर थे।

श्री मल्होत्रा ​​के पास विद्युत, वित्त एवं कराधान, सूचना प्रौद्योगिकी आदि सहित विभिन्न प्रमुख क्षेत्रों का व्यापक एवं विविध अनुभव है तथा संयुक्त राष्ट्र एजेंसी में कार्यकाल के अलावा उन्होंने राज्य एवं केन्द्र सरकार में भी प्रमुख पदों पर कार्य किया है। वह ग्रामीण विद्युतीकरण निगम लिमिटेड के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक भी थे। श्री मल्होत्रा ​​ने 16 फरवरी 2022 से 14 नवंबर 2022 तक भारतीय रिज़र्व बैंक के केंद्रीय बोर्ड में सरकार द्वारा नामित निदेशक के रूप में कार्य किया।

श्री मल्होत्रा ​​भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कानपुर से कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग में स्नातक हैं तथा उन्होंने प्रिंसटन विश्वविद्यालय, अमेरिका से सार्वजनिक नीति में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की है।

(साभार- www.rbi.org.in)

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Rajanish Kant
बैंकों के लोन देने की रफ्तार में कमी, Personal Loan में महिला कर्जदारों की हिस्सेदारी लगाततार बढ़ रही है -RBI

तिमाही बीएसआर-1: अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों का बकाया ऋण – सितंबर 2024



रिज़र्व बैंक ने अपने ‘भारतीय अर्थव्यवस्था पर डेटाबेस’ पोर्टल (https://data.rbi.org.in होमपेज > प्रकाशन) पर ‘तिमाही आधारभूत सांख्यिकी विवरणियाँ (बीएसआर)-1: अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (एससीबी)1 का बकाया ऋण - सितंबर 20242’ शीर्षक से अपना वेब प्रकाशन जारी किया। यह खाता-स्तरीय रिपोर्टिंग3 के आधार पर बैंक ऋण की विभिन्न विशेषताओं जैसे कि उधारकर्ता का व्यवसाय/ गतिविधि और संगठनात्मक क्षेत्र, खाते का प्रकार और ब्याज दरों को दर्शाता है। एससीबी {क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (आरआरबी) को छोड़कर} द्वारा रिपोर्ट किए गए डेटा बैंक समूहों, जनसंख्या समूहों4 और राज्यों के लिए प्रस्तुत किए जाते हैं।

मुख्य बातें:

  • बैंक ऋण संवृद्धि (वर्ष-दर-वर्ष) मार्च 2024 में विलय से निवल 15.3 प्रतिशत से घटकर सितंबर 2024 में 12.6 प्रतिशत हो गई; बैंकों की महानगरीय शाखाओं, जो ऋणों में 60.6 प्रतिशत का योगदान देती हैं, में 11.6 प्रतिशत की न्यूनतर संवृद्धि दर्ज की गई।

  • गैर-आरआरबी एससीबी द्वारा दिए गए ऋण में कृषि, उद्योग, आवास और व्यक्तिगत (गैर-आवास) ऋणों की हिस्सेदारी क्रमशः 11.5 प्रतिशत, 23.7 प्रतिशत, 16.5 प्रतिशत और 14.9 प्रतिशत थी; इनमें क्रमशः 13.2 प्रतिशत, 10.4 प्रतिशत, 13.2 प्रतिशत और 17.5 प्रतिशत की संवृद्धि (वर्ष-दर-वर्ष) दर्ज की गई।

  • निजी कॉर्पोरेट क्षेत्र को दिया गया ऋण, हेडलाइन ऋण संवृद्धि से अधिक हो गया और सितंबर 2024 में 16.5 प्रतिशत (वर्ष-दर-वर्ष) पर पहुंच गया; कार्यशील पूंजी ऋण एक वर्ष पहले के 14.1 प्रतिशत से बढ़कर 15.3 प्रतिशत हो गया।

  • व्यक्तियगत ऋण में महिला उधारकर्ताओं का हिस्सा उत्तरोत्तर बढ़ रहा है और सितंबर 2024 में यह 23.6 प्रतिशत हो गया।

  • सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक (पीएसबी) और निजी क्षेत्र के बैंक (पीवीबी), जिनकी गैर-आरआरबी एससीबी द्वारा दिये ऋण में क्रमशः 53.2 प्रतिशत और 41.8 प्रतिशत हिस्सेदारी है, ने सितंबर 2024 में क्रमशः 13.0 प्रतिशत और 11.9 प्रतिशत की संवृद्धि (वर्ष-दर-वर्ष) दर्ज की।

1 सितंबर 2024 के अंतिम रिपोर्टिंग शुक्रवार के लिए पाक्षिक फॉर्म-ए विवरणी (भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 42(2) के अंतर्गत संकलित) पर आधारित बैंकिंग समुच्चय हमारी वेबसाइट (होम>सांख्यिकी>जारी आंकड़े>पाक्षिक> भारत में अनुसूचित बैंकों की स्थिति का विवरण) पर पहले ही प्रकाशित किए गए थे और चुनिंदा प्रमुख बैंकों द्वारा रिपोर्ट किए गए सितंबर 2024 के लिए बैंक ऋण के क्षेत्र-वार अभिनियोजन पर समग्र स्तर का मासिक डेटा भी वेबसाइट (होम>सांख्यिकी> जारी आंकड़े >मासिक> बैंक ऋण का क्षेत्र-वार अभिनियोजन) पर जारी किया गया।

2 बीएसआर-1 के लिए संदर्भ तिथि तिमाही का अंतिम दिन है। पिछले दौर से संबंधित तुलना के लिए उपयोग किए गए आंकड़ों में 1 जुलाई 2023 से एक गैर-बैंक के एक बैंक में विलय का प्रभाव शामिल है।

3 इस शृंखला में जारी पिछले आंकड़े, जिसमें जून 2024 के अंत की स्थिति को शामिल किया गया थे, 30 अगस्त 2024 को भारतीय रिज़र्व बैंक की वेबसाइट पर प्रकाशित किया गया था।

4 बीएसआर के लिए उपयोग किया जाने वाला जनसंख्या समूह मानदंड वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार संबंधित राजस्व केंद्र की जनसंख्या के आकार पर आधारित है, जहां एससीबी की शाखाएं संचालित हो रही हैं और इन्हें ए) 'ग्रामीण' (10,000 से कम जनसंख्या), बी) 'अर्ध-शहरी' (10,000 से 1 लाख से कम की आबादी), सी) 'शहरी' (1 लाख से 10 लाख से कम की आबादी), डी) 'मेट्रोपॉलिटन' (10 लाख और उससे अधिक की आबादी) के रूप में वर्गीकृत किया गया है।



(साभार-www.rbi.org.in)

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Rajanish Kant बुधवार, 27 नवंबर 2024