Results for "EMI"
Home Loan की बढ़ी EMI से कैसे निपटें
LICHF hikes lending rate by 0.35%, home loans to cost 8.65% now अगर आपने LICHF होम लोन लिया है तो आपकी ईएमआई बढ़ने वाली है। बढ़ी हुई ईएमआई के बोझ को कैसे कम करना है, ये जानने के लिए इस एपिसोड को शुरू से लेकर अंत तक देखें।

(साभार- www.rbi.org.in)

('बिना प्रोफेशनल ट्रेनिंग के शेयर बाजार जरूर जुआ है'

((शेयर बाजार: जब तक सीखेंगे नहीं, तबतक पैसे बनेंगे नहीं! 





Plz Follow Me on: 


Rajanish Kant बुधवार, 28 दिसंबर 2022
लोन की EMI चुकाते हैं तो आपके लिए बहुत बड़ी राहत है...




कोरोना वायरस महामारी के आर्थिक प्रभाव से निपटने के लिये सरकार के साथ कदमताल करते हुए रिजर्व बैंक ने बैंकों का कर्ज सस्ता और सुलभ बनाने की दिशा में रेपो दर में 0.75 प्रतिशत की कमी करने सहित शुक्रवार को कई बड़े कदम उठाये। अप्रत्याशित और लीक से हट कर किए गए इन निर्णयों में आरबीआई ने बैंकों को कर्ज की मासिक किस्तों (ईएमआई) की वसूली में ग्राहकों को तीन महीने की मोहलत देने की छूट भी दी है।


मौजूदा संकट को देखते हुए पूर्व घोषित कार्यक्रम से एक सप्ताह पहले पेश मौद्रिक नीति समीक्षा में रिजर्व बैंक ने कार्य शील पूंजी पर ब्याज भुगतान भी तीन महीने के टालने की बैंकों को अनुमति दी। वहीं नकदी बढ़ाने के विभिन्न उपायों के जरिये बैंकिंग प्रणाली में 3.74 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त नकदी जारी करने के कई उपायों की भी घोषणा की । यह अतिरिक्त नकदी सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 3.2 प्रतिशत है।



शीर्ष बैंक ने यह भी कहा कि वह जबतक आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिये और कोरोना वायरस के अर्थव्यवस्था पर प्रभाव से निपटने के लिये कदम उठाने की जरूरत होगी, वह नरम रुख बनाये रखेगी।



केंद्रीय बैंक ने बैंकों की फौरी नकदी की जरूरत पर लगने वाले ब्याज यानी रेपो दर 0.75 प्रतिशत घटाकर 4.40 प्रतिशत कर दिया। अबतक यह 5.15 प्रतिशत थी। वहीं नकदी बढ़ाने के लिये नकद अरक्षित अनुपात (सीआरआर) एक प्रतिशत कम कर 3 प्रतिशत कर दिया गया है। सीआरआर के तहत बैंकों को जमा राशि का एक हिस्सा रिजर्व के रूप में अलग रखना पड़ता है।



नीतिगत दर यानी रेपो में यह कटौती जनवरी 2009 के बाद सबसे बड़ी है। इस कटौती के बाद रेपो दर अक्टूबर 2004 के पश्चात निचले स्तर पर आ गयी है। रिवर्स रेपो दर में 0.90 प्रतिशत की कटौती कर 4 प्रतिशत पर लाया गया है। इससे बैंक आरबीआई के पास पैसा रखने को लेकर उदासीन होंगे।



आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि एक मार्च 2020 की स्थिति के अनुसार मासिक किस्त से जुड़े सभी प्रकार के कर्ज पर ईएमआई तीन महीने रोके जाने की अनुमति वाणिज्यिक बैंकों को दी गयी है।



इससे पहले केंद्रीय बैंक ने 2019 में लगातार पांच बार में रेपो दर में 1.35 प्रतिशत की कटौती की थी। हालांकि उच्च मुद्रास्फीति का हवाला देते हुए दिसंबर से रेपो दर को यथावत रखा गया था।



हालांकि इस बार मौजूदा हालात को देखते हुए आरबीआई ने देश की आर्थिक वृद्धि के साथ-साथ मुद्रास्फुीति के बारे में कोई परिदृश्य जारी नहीं किया।



दास ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में 5 प्रतिशत आर्थिक वृद्धि दर हासिल करने के लिये जनवरी-मार्च तिमाही में 4.7 प्रतिशत जीडीपी वृद्धि की जरूरत है लेकिन कोरोना वायरस महामारी के अर्थव्यवस्था पर प्रभाव को देखते हुए ह अब मुश्किल लगता है।



इससे एक दिन पहले ही कोरोना वायरस महामारी के कारण 21 दिन के ‘लॉकडाउन’ (देश व्यापी बंदी) से निपटने के लिये सरकार ने गरीबों और जरूरमंदों के के लिये 1.70 लाख करोड़ रुपये के राहत पैकेज की घोषणा की। इसमें अगले तीन महीने तक गरीबों को राशन में पांच किलो गेहूं या चावल और एक किलो कोई भी दाल मुफ्त देने की बात शामिल है। इसके अलावा जनधन खाता धारक महिलाओं को उनके खाते में तीन महीने में 1,500 रुपये नकद और जिन परिवारों को निशुल्क रसोई गैस दी गई उन्हें अगले तीन महीने एलपीजी सिलेंडर मुफ्त देने का वादा किया गया है।



इस देशव्यापी बंद से कारखाने और संयंत्र ठप हो गये हैं। इसके साथ अस्थायी तौर पर हजारों लोग बेरोजगार हुए हैं।



दास ने कहा, ‘‘कोरोना वायरस से जुड़ी इस विकट समस्या से निपटने के लिये युद्ध स्तर पर कदम उठाने की जरूरत है और ये पहल की जा रही हैं। हम परंपरागत और गैर-परंपरागत दोनों तरह से तैयार हैं।’’ उन्होंने कहा कि नीतिगत दर में कटौती का मकसद आर्थिक वृद्धि की मदद करना है। कोरोना वायरस के प्र्रभाव को को कम करने के लिये लिये जबतक जरूरी होगा इस तरह के कदम उठाये जाएंगे। ‘‘यह याद रखना चाहिए कि कठिन घड़ी लंबे समय तक नहीं रहती, पर ऐसे दौर में मजबूत लोग और मजबूत संस्थान और मजबूत होकर निकलते हैं।’’



आरबीआई की घोषणा पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि इससे नकदी बढ़ेगी और कोष की लागत कम होगी तथा मध्यम वर्ग और कंपनियों को मदद मिलेगी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, ‘‘कर्ज की किस्त और कार्यशील पूंजी पर ब्याज भुगतान पर तीन महीने की रोक से लोगों को जरूरी राहत मिलेगी।’’



सीतारमण ने यह भी कहा कि घटी हुई ब्याज दर का लाभ बैंकों की तरफ से ग्राहकों को जल्द-से-जल्द मिलना चाहिए।



आरबीआई के नीतिगत दर में कटौती के साथ सीआरआर में कमी तथा अन्य उपायों के जरिये नकदी बढ़ाने के उपाय देशव्यापी बंद के प्रभाव को कम करने का एक प्रयास है। इस बंद के कारण खपत और निवेश मांग प्रभावित हुई है।



दास ने कहा, ‘‘भारतीय अर्थव्यवस्था की वृहत आर्थिक बुनियाद मजबूत है और वास्तव में 2008 में वैश्विक वित्तीय संकट के समय की स्थिति की तुलना में मजबूत है। चालू खाते का घाटा और राजकोषीय घाटा काफी नीचे है। मुद्रास्फीति की स्थिति नरम है और हाल की तेजी के बाद से शेयर कीमतों द्वारा मापा जाने वाला वित्तीय उतार-चढ़ाव तथा रुपये की विनिमय दर में औसत दैनिक बदलाव अपेक्षाकृत कम है।’’



छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति नीतिगत दर में कटौती के पक्ष में थी लेकिन कटौती की मात्रा को लेकर राय अलग-अलग थी। रेपो दर में 0.75 प्रतिशत की कटौती के पक्ष में 4 जबकि विरोध में 2 सदस्यों ने वोट किये।



उन्होंने कहा कि रिवर्स रेपो दर में कमी का मकसद बैंकों के लिये रिजर्व बैंक के पास जमा रखने को कम आकर्षक बनाना है। बल्कि आरबीआई चाहता है कि वे इसका उपयोग अर्थव्यवस्था के उत्पादक क्षेत्रों को कर्ज देने में करें।



दास ने कहा, ‘‘एमपीएसी ने स्वीकार किया मांग और आपूर्ति दोनों मोर्चों पर कोरोना वायरस महामारी के कारण वृहत आर्थिक जोखिम गंभीर है...इस सयमय जरूरत घरेलू अर्थव्यवस्था को महामारी से बचाने की है।’’



पांच साल में पहली बार है जब आरबीआई ने निर्धारित तिथि से पहले नीतिगत कदम उठाया। एमपीसी को एक से 3 अप्रैल के बीच बैठक करनी थी। इसे पहले मार्च 2015 में आरबीआई ने बजट घाषणा के बाद निर्धारित समय से पहले कदम उठाया था।

लोन की EMI चुकाते हैं तो आपके लिए बहुत बड़ी राहत है...

Rajanish Kant शुक्रवार, 27 मार्च 2020
HDFC से होम लोन लेने वालों के लिए खुशखबरी

HDFC से होम लोन लेने वालों के लिए खुशखबरी

Rajanish Kant गुरुवार, 1 अगस्त 2019
Home Loan (होम लोन) नहीं चुका पा रहे हैं तो करें ये काम

Home Loan (होम लोन) नहीं चुका पा रहे हैं तो करें ये काम

Rajanish Kant बुधवार, 25 जुलाई 2018
कभी नहीं बढ़ेगी आपकी EMI! होम लोन पर ब्याज चाहे कितना भी बढ़ जाए...

कभी नहीं बढ़ेगी आपकी EMI! होम लोन पर ब्याज चाहे कितना भी बढ़ जाए...

Rajanish Kant गुरुवार, 28 जून 2018
SBI, ICICI बैंक, HDFC, PNB के लोन हुए महंगे

SBI, ICICI बैंक, HDFC, PNB के लोन हुए महंगे

Rajanish Kant शनिवार, 2 जून 2018
होम लोन की EMI जब परेशान करने लगे तो ऐसे निपटें:Home loan ki EMI ka bojh...


होम लोन की EMI जब परेशान करने लगे तो ऐसे निपटें:Home loan ki EMI ka bojh...

Rajanish Kant मंगलवार, 17 अप्रैल 2018
अब आपके होम लोन की ईएमआई घटेगी नहीं, बल्कि बढ़ेगी, जानिये वजह
अगर आप और सस्ते होम लोन की उम्मीद कर रहे हैं या फिर होम लोन की ईएमआई में आने वाले दिनों में और कमी की आस लगाए बैठे हैं, तो फिलहाल भूल जाइये, क्योंकि भारतीय रिजर्व बैंक शायद ही प्रमुख दरों में कटौती करे।
आपको तो मालूम ही होगा कि भारतीय रिजर्व बैंक प्रमुख दरों में कटौती करता है तो बैंक भी लोन की दरों में कटौती करते हैं, ये अलग बात है कि बैंक उस अनुपात में लोन सस्ते नहीं करते हैं जिस अनुपात में रिजर्व बैंक प्रमुख दरों में कटौती करता है।
वहीं, दूसरी ओर होम लोन के महंगे होने और आपकी ईएमआई बढ़ने की संभावना बढ़ गई है। दरअसल, वैश्विक वित्तीय सेवा क्षेत्र की कंपनी मॉर्गन स्टेनली ने कहा है कि प्रमुख दरों पर फैसले लेने वाली भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) आगे चलकर प्रमुख दरों में बढ़ोतरी कर सकती है। हालांकि, यह बढ़ोतरी तुरंत किए जाने का अनुमान नहीं है।
रिपोर्ट में एमपीसी की बैठक के ब्यौरे को आधार बनाते हुए प्रमुख दरों में बढ़ोतरी की दो वजह बताई गई है-पहला, देश की अर्थव्यवस्था में सुधार के शुरुआती लक्षण दिखने लगे हैं और दूसरा, आने वाले दिनों में महंगाई बढ़ने के आसार।
मॉर्गन स्टेनली के शोध नोट में कहा गया है कि एमपीसी के बयान और बैठक के ब्योरे को देखने के बाद पता चलता है कि एमपीसी का अगला कदम ब्याज दरों में वृद्धि का होगा। हालांकि, यह तुरंत नहीं होगा। एमपीसी की बैठक के ब्योरे के अनुसार कई कारक मुद्रास्फीति के ऊपर की ओर जाने का दबाव बनाएंगे।
इनमें राज्यों द्वारा आवास किराया भत्ते का क्रियान्वयन, बजट में की गई न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी की घोषणा, मुद्रास्फीति बढ़ने की संभावना, सीमा शुल्क में बढ़ोतरी और कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि शामिल है।
उद्योग जगत और सरकार की तरफ से प्रमुख दरों दरों में कटौती की मांग के बावजूद भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने दिसंबर और फिर इस साल फरवरी की बैठक में प्रमुख दरों में कोई बदलाव नहीं किया और इसके लिए आने वाले दिनों में महंगाई बढ़ने के आसार को वजह बताई। फरवरी की बैठक के जारी ब्यौरे में तो रिजर्व बैंक के गवर्नर ऊर्जित पटेल ने माना है देश की इकोनॉमी में सुधार अभी शुरुआती चरण में है। भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की प्रमुख दरों में अगली बैठक 4 और 5 अप्रैल को होगी।


Rajanish Kant मंगलवार, 27 फ़रवरी 2018
₹ 1 लाख के लोन पर 5,10,15 साल के लिए कितनी EMI चुकानी होगी


₹ 1 लाख के लोन पर 5,10,15 साल के लिए कितनी EMI चुकानी होगी

Rajanish Kant गुरुवार, 27 जुलाई 2017
अपने PF खाते से 90% पैसे निकालकर आप घर खरीद सकते हैं, लेकिन क्या ऐसा करना चाहिए
अगर आपकी सैलरी में से कुछ पैसे आपके ईपीएफ या पीएफ खाते में ट्रांसफर किये जाते हैं, तो सरकार ने आपके लिए एक नई व्यवस्था की है। आप अपने घर खरीदने, घर का निर्माण करने या फिर होम लोन की ईएमआई भरने के अपने पीएफ खाते से नौकरी करते हुए ही 90% तक पैसे निकाल सकते हैं। 

इसके लिए EPFO ने नियम में संशोधन किया है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ईपीएफ स्कीम, 1952 के 68 BD में एक नया पैराग्राफ जोड़ा गया जिससे ईपीएफ अकांउट के  जरिए अब घर खरीदा जा सकता है और ईएमआई का भुगतान किया जा सकता है। अधिकारी ने बताया कि श्रम मंत्रालय ने इसके लिए नोटिफिकेशन जारी कर दिया है जिससे अब यह स्कीम संसोधित हो चुकी है।

नए नियमों के तहत कम से कम 10 सबस्क्राइबर्स को मिलकर एक को-ऑपरेटिव सोसाइटी का गठन करना होगा। तभी वे घर खरीदने या घर के बनाने या उसके लिए जमीन खरीदने के लिए पीएफ अकाउंट से रकम निकाल सकेंगे। 

सरकार ने तो इसका फैसला कर लिया, लेकिन सवाल है कि क्या आपको अपना घर खरीदने या फिर उसकी मरम्मती के लिए पीएफ खाता से 90 प्रतिशत रकम निकालना सही होगा या नहीं । या फिर होम लोन लेना बेहतर विकल्प होगा। 

जानकारों ने सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है। उनका मानना है कि सरकार के इस फैसले से ईपीएफओ सदस्यों को एक महत्वपूर्ण वित्तीय उद्देश्य हासिल करने के लिए अपना खुद का पैसा हासिल करना आसान हो जाएगा। हम आप तो जानते ही हैं कि घर खरीदना कितना मुश्किल काम होता है। लेकिन, अब सरकार द्वारा सुझाए गए  ईपीएफओ में संशोधन निश्चित रूप से अधिक से अधिक व्यक्तियों को अपने घर खरीदने के लिए जरूरी पैसे जुटाने में मदद करेगा। 

लेकिन, अगर आप अपने पीएफ का 90 प्रतिशत पैसा निकालकर घर खरीदना चाह रहे हैं या उसकी मरमम्त करवाना चाह रहे हैं, तो पहले कई बातों पर विचार कर लीजिएगा...

सबसे पहले आप देख लीजिएगा कि घर खरीदने या फिर उसकी मरम्मत में कितनी लागत आ रही है। साथ ही आपके पीएफ खाते से कितनी रकम निकलने की उम्मीद है। जानकारों का मानना है कि आपके पीएफ खाते में काफी अधिक पैसे हों और रिटायरमेंट के कम से  कम 10 साल बचे हों, तो पीएफ रकम का इस्तेमाल आप घर खरीदने या उसकी मरम्मती में कर सकते हैं। लेकिन, ध्यान रहे कि पीएफ के पूरे 90 प्रतिशत रकम आप इसी काम में इस्तेमाल ना करें। ऐसा करने से हो सकता है कि रिटायरमेंट के बाद आपको कुछ दिक्कतों का सामना करना पड़ जाए। 

मसलन, अगर पीएफ का 70% रकम घर खरीदने या बनाने के लिए काफी है तो आप केवल पीएफ का 20% -30% पैसे का ही इस्तेमाल करें। बाकी की जरूरत आकर्षक होम लोन लेकर पूरा करें।  इससे आपके दोनों उद्देश्य पूरे हो जाएंगे। आपका घर भी हो जाएगा और रिटायरमेंट के बाद आरामदायक जिंदगी जीने के लिए काफी पैसे भी बचे रह जाएंगे। 

उदाहरण के लिए, आपके पास 12 लाख रुपये का पीएफ बैलेंस है और आप 20 लाख रुपये का घर खरीदना चाहते हैं। ऐसे में आप पीएफ जमा से 2.5 लाख रुपये से 4 लाख रुपये तक निकालने सकते हैं और 16 लाख रुपये से 17.5 लाख के आकर्षक होम लोन ले सकते हैं। 

>ईपीएफ विकल्प के अपनाने के फायदे
- यह आपको बिना ब्याज या कम ब्याज का भुगतान कर घर खरीदने या
बनाने की सहुलियत देता है। 
-उन लोगों के लिए लाभकारी है, जिनको घर खरीदने या बनाने के उद्देश्य को पूरा 
करने के लिए कुछ रुपये की जरूरत होती है। 

>ईपीएफ विकल्प का नुकसान: लेकिन, अगर आप पीएफ विकल्प अपनाते हैं तो इसके कुछ नुकसान भी हैं...
- रिटायरमेंट कॉरपस को घर खरीदने और निर्माण के महंगे सौदे के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
- आप सेवानिवृत्ति के बाद का आनंद लेने के लिए बहुत कम या लगभग कुछ भी नहीं छोड़ते हैं
-अन्य बचत किए बिना पीएफ विकल्प प्राप्त करना आपके वित्तीय स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है
> ईपीएफ विकल्प का लाभ किसे उठाना चाहिए और किसे नहीं ?
​​भविष्य निधि जमा का उपयोग करना चाहिए या नहीं, यह  समग्र ईपीएफ योगदान, वित्तीय स्थिति और  व्यक्ति के लक्ष्यों पर निर्भर करता है। अगर आपके रिटायरमेंट में काफी लंबा वक्त है और पीएफ में काफी पैसे पड़े हैं, तो फिर कुछ होम लोन लेकर घर का सौदा कर सकते हैं। लेकिन, नए लोगों को अपने पीएफ के पैसे का इस्तेमाल घर खरीदने या उसकी मरम्मती के लिए करने से बचना चाहिए और कुछ समय का इंतजार करना चाहिए। 

आपको यह भी ध्यान रखना चाहिए कि ईपीएफ का प्राथमिक उद्देश्य अपने सदस्यों के लिए सेवानिवृत्ति में आय सुनिश्चित करना है। यदि आप इस फंड से वापस लेते हैं, तो आपको लंबे समय तक बढ़ने वाले ग्रोथ रिटर्न के फायदे से बाहर निकलना होगा। फिर आपको अपनी सेवानिवृत्ति निधि फिर से बनाने के लिए एक नया रास्ता चुनना पड़ेगा जो कि चुनौतीपूर्ण से कम नहीं होगा। 

तो. यह पूरी तरह आप पर निर्भर करता है कि आपको अपने पीएफ के पैसे से घर चाहिए या फिर आरामदायक रिटायरमेंट। 
((शेयर बाजार: जब तक सीखेंगे नहीं, तबतक पैसे बनेंगे नहीं! 
((जानें वो आंकड़े-सूचना-सरकारी फैसले और खबर, जो शेयर मार्केट पर डालते हैं असर
((ये दिसंबर तिमाही को कुछ Q2, कुछ Q3 तो कुछ Q4 क्यों बताते हैं ?
((कैसे करें शेयर बाजार में एंट्री 
((सामान खरीदने जैसा आसान है शेयर बाजार में पैसे लगाना
((खुद का खर्च कैसे मैनेज करें? 

((मेरा कविता संग्रह "जब सपने बन जाते हैं मार्गदर्शक"खरीदने के लिए क्लिक करें 

(ब्लॉग एक, फायदे अनेक

Plz Follow Me on: 
((निवेश: 5 गलतियों से बचें, मालामाल बनें Investment: Save from doing 5 mistakes 

Rajanish Kant मंगलवार, 25 अप्रैल 2017
'अगले 18 महीने तक लोन शायद ही सस्ता हो'

'अगले 18 महीने तक RBI शायद ही नीतिगत दर घटाये'

आगे और लोन सस्ता होने का इंतजार कर रहे लोगों को निराशा हाथ लग सकती है। महंगाई दर के बढ़ते रुझान को देखते हुए कुछ जानकारों का कहना है कि 2018 तो क्या 2019 तक भी रिजर्व बैंक शायद ही नीतिगत दरों में और कटौती करे। रॉयटर्स के एक पोल के मुताबिक, फरवरी में तटस्थ मौद्रिक नीति का रुख अपनाने और मुद्रास्फीति में संभावित वृद्धि के संबंध में चिंता होने के बावजूद भारतीय रिज़र्व बैंक अगले साल तक ब्याज दरों को स्थिर रख सकता है। 

आपको बता दें कि अप्रैल में मौद्रिक पॉलिसी समिति की बैठक में भारतीय रिजर्व बैंक ने रेपो रेट को तो जस का तस रखा, लेकिन रिवर्स रेपो रेट में चौथाई परसेंट की बढ़ोतरी कर दी थी ताकि सरकार की नोटबंदी मुहिम से सिस्टम में आई अतिरिक्त तरलता कमकी जा सके। वाणिज्यिक बैंकों जिस रेट पर रिजर्व बैंक ब्याज देता है, वह रिवर्स रेपो रेट कहलाता है। 
10 से 19 अप्रैल के बीच आयोजित रॉयटर्स के इस पोल में 35 से अधिक अर्थशास्त्रियों ने भाग लिया था। उनमें औसत सहमति बनी कि नीतिगत रेपो रेट कम से कम 2018 की चौथी तिमाही तक 6.25 प्रतिशत और रिवर्स रेपो रेट 6.00 प्रतिशत रहेगा।  

क्रिसिल के प्रमुख अर्थशास्त्री धर्मकीति जोशी ने लिखा, "मुद्रास्फीति केंद्रीय बैंक की चिंता का सबसे बड़ी वजह रही है। यह देखते हुए, एक नरम  मौद्रिक नीति (नीतिगत दरों में कटौती का रुख) का रुख फिलहाल खत्म हो गया है।"

मार्च में खुदरा महंगाई दर में साल दर साल के आधार पर 3.81 फीसदी की बढ़ोतरी हुई जो कि अक्टूबर 2016 के बाद सबसे अधिक रही है। यह दर आरबीआई की लक्षित महंगाई दर  4 परसेंट के करीब है। इस वजह से हो सकता है कि केंद्रीय बैंक नीतिगत दरों में शायद ही कटौती करे। 

अर्थशास्त्रियों का मानना है कि वित्त वर्ष 2017/18  मुद्रास्फीति की दर 5.0 प्रतिशत होगी। यह आरबीआई की हाल की भविष्यवाणियों के करीब है। रिजर्व बैंक ने अप्रैल की मौद्रिक पॉलिसी बैठक में  मौजूदा वित्त वर्ष की पहले छमाही में महंगाई दर 4.5 प्रतिशत और दूसरी छमाही में 5.0 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है। 

हालांकि, ब्याज दर को लेकर रिजर्व बैंक का यह रुख बहुत कुछ मॉनसून पर निर्भर करता है। देश की ज्यादातर आबादी कृषि पर निर्भर है। अगर बारिश अच्छी होगी, तो फसल भी अच्छी होगी, जिससे महंगाई दर में कमी आने की उम्मीद है। इस वजह से हो सकता है कि रिजर्व बैंक नीतिगत दरों में कटौती का लाभ दे। 

मौसम विभाग के मुताबिक, भारत में इस वर्ष सामान्य वर्षा होने की उम्मीद है और इसका अच्छा वितरण होगा, जिससे कृषि और आर्थिक विकास से संबंधित चिंताएं कम हो सकती हैं। हाल के सर्वेक्षण में हालांकि अर्थशास्त्रिों की औसत सहमति कम से कम 201 9 तक ब्याज दरों में कोई परिवर्तन नहीं होने की बनी  है, लेकिन अधिकांश अर्थशास्त्री का ये भी मानना है कि केंद्रीय बैंक  शायद इस वर्ष के अंत में नीतिगत दरों में कटौती कर सकता है। लेकिन, यह बहुत कुछ मॉनसून पर निर्भर करता है। 

नोटबंदी के बाद सुधार: 
पिछले साल लागू हुई नोटबंदी का असर तेजी से कम होने की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था चालू वित्त वर्ष में तेजी से वृद्धि कर सकती है। आपको बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पिछले साल 8 नवंबर को अचानक उच्च मूल्य वाले नोटों 500 और 1000 रुपए के नोट पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाने की वजह से सिस्टम से  86 प्रतिशत नोट बाहर हो गए। इससे नकदी आधारित अर्थव्यवस्था में मांग में कमी आ गई।

लेकिन अर्थव्यवस्था वापस पटरी पर लौट रही है और इस साल सकल घरेलू उत्पाद 7.5 प्रतिशत और अगले साल 7.7 प्रतिशत की दर से बढ़ेगा। रॉयटर्स पोल में भाग लेने वाले अर्थशास्त्रियों ने इसकी भविष्यवाणी की है।

यह इस वित्त वर्ष के लिए 7.7 प्रतिशत के अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के अनुमानों के बराबर है।
((शेयर बाजार: जब तक सीखेंगे नहीं, तबतक पैसे बनेंगे नहीं! 
((जानें वो आंकड़े-सूचना-सरकारी फैसले और खबर, जो शेयर मार्केट पर डालते हैं असर
((ये दिसंबर तिमाही को कुछ Q2, कुछ Q3 तो कुछ Q4 क्यों बताते हैं ?
((कैसे करें शेयर बाजार में एंट्री 
((सामान खरीदने जैसा आसान है शेयर बाजार में पैसे लगाना
((खुद का खर्च कैसे मैनेज करें? 

((मेरा कविता संग्रह "जब सपने बन जाते हैं मार्गदर्शक"खरीदने के लिए क्लिक करें 

(ब्लॉग एक, फायदे अनेक

Plz Follow Me on: 
((निवेश: 5 गलतियों से बचें, मालामाल बनें Investment: Save from doing 5 mistakes 

Rajanish Kant गुरुवार, 20 अप्रैल 2017