डिजिटल लेनदेनों के लिए लोकपाल योजना
3,4,5 दिसंबर को हुई बैठक में रिजर्व बैंक डिजिटल लेनदेन के लिए लोकपाल योजना प्रस्तावित की है।

8. डिजिटल लेनदेनों के लिए लोकपाल योजना
देश में डिजिटल मोड के साथ वित्तीय लेनदेनों को गति दिलाने के लिए, इस चैनल में उपभोक्ता विश्वास को मजबूत करने के लिए समर्पित, लागत मुक्त और शीघ्र शिकायत निवारण तंत्र की आवश्यकता उभर रही है। इसलिए रिजर्व बैंक के नियामक क्षेत्राधिकार के तहत आने वाली संस्थाओं द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं को शामिल करने वाली 'डिजिटल लेनदेनों के लिए लोकपाल योजना' को लागू करने का निर्णय लिया गया है। यह योजना जनवरी 2019 के अंत तक अधिसूचित की जाएगी।
9. प्रीपेड पेमेंट इंस्ट्रूमेंट्स सहित अनधिकृत इलेक्ट्रॉनिक भुगतान लेनदेनों के संबंध में ग्राहक देयता को सीमित करने के लिए रूपरेखा
रिजर्व बैंक ने बैंकों और क्रेडिट कार्ड जारी करने वाली गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) पर अनधिकृत इलेक्ट्रॉनिक लेनदेन के संबंध में ग्राहक देयता को सीमित करने संबंधी निर्देश जारी किए हैं। उपभोक्ता संरक्षण के उपाय के रूप में,यह निर्णय लिया गया है सभी ग्राहकों को उनके द्वारा किए गए इलेक्ट्रॉनिक लेनदेन के संबंध में एक ही स्तर पर लाया जाए और प्रीपेड पेमेंट इंस्ट्रूमेंट्स (पीपीआई) सहित अनधिकृत इलेक्ट्रॉनिक लेनदेन के लिए ग्राहक देयता को सीमित करने का लाभ इस विषय पर मौजूदा दिशानिर्देशों द्वारा शामिल न किए गए अन्य संस्थाओं तक बढ़ा दिया जाए। दिशानिर्देश दिसंबर 2018 के अंत तक जारी किए जाएंगे।
10. सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों पर विशेषज्ञ समिति
सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) अर्थव्यवस्था में रोजगार, उद्यमिता और विकास में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। वे लगातार, अपनी अनौपचारिक स्‍वरूप के कारण, कभी-कभी लगातार प्रभाव के साथ संरचनात्मक और चक्रीय झटके के प्रति संवेदनशील होते हैं। एमएसएमई के प्रदर्शन को प्रभावित करने वाली आर्थिक ताकतों और लेनदेन लागतों को समझना महत्वपूर्ण है, जबकि अक्सर एमएसएमई तनाव के पुनर्वास दृष्टिकोण ने अनुकूल क्रेडिट शर्तों और विनियामकीय संयम लागू करने पर ध्यान केंद्रित किया है। हमारी ओर से, भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा एमएसएमई क्षेत्र की आर्थिक और वित्तीय स्थिरता के लिए कारणों का पता करके उनके दीर्घकालिक समाधान प्रस्तावित करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति गठित की जाएगी। समिति की संरचना और विचारार्थ विषयों को दिसंबर 2018 के अंत तक अंतिम रूप दिया जाएगा और रिपोर्ट जून 2019 के अंत तक जमा की जाएगी।



(स्रोत-आरबीआई)
(('बिना प्रोफेशनल ट्रेनिंग के शेयर बाजार जरूर जुआ है'
बचत, निवेश संबंधी beyourmoneymanager के लेख


Plz Follow Me on: 

Rajanish Kant गुरुवार, 6 दिसंबर 2018
अनिवासियों के लिए ब्याज दर डेरिवेटिव्स मार्केट तक पहुंच
3,4,5 दिसंबर की बैठक में रिजर्व बैंक ने ब्याज दर डेरिवेटिव्स मार्केट तक अनिवासियों की पहुंच के संबंध में कुछ फैसले लिए...

अनिवासियों के लिए ब्याज दर डेरिवेटिव्स मार्केट तक पहुंच
5 अप्रैल 2018 को घोषित विकासात्मक और विनियामकीय नीतियों के वक्तव्य में प्रस्तावित किया गया था कि अनिवासियों को भारत में रुपया ब्याज दर डेरिवेटिव्स (आईआरडी) बाजार तक पहुंच दी जाएगी। इस संबंध में ड्राफ्ट निर्देश अनिवासियों को किसी भी उपलब्ध आईआरडी लिखत का लचीले रूप से उपयोग करके अपने रुपये ब्याज दर जोखिम को हेज़ करने की अनुमति देते हैं। अनिवासियों को गैर-हेजिंग प्रयोजनों के लिए ओवरनाइट इंडेक्सड स्वैप (ओआईएस) बाजार में, ब्याज दर के जोखिम के संदर्भ में सभी अनिवासियों के एक्सपोजर पर एक मैक्रो-प्रूडेंशियल सीमा के अधीन (पीवी01 के रूप में मापा गया) भाग लेने की भी अनुमति दी जाएगी। सार्वजनिक प्रतिक्रिया के लिए आज ड्राफ्ट निर्देश जारी किए जा रहे हैं।
6. बैंकों द्वारा चलनिधि प्रबंधन में सुधार के उपाय
वर्तमान में, दिन के अंत में बैंकों के नकद रिजर्व अनुपात (सीआरआर) की शेष राशि का खुलासा 2-3 दिनों के अंतराल के साथ किया जाता है, जबकि मुद्रा का परिचालन विवरण एक सप्ताह के अंतराल के साथ जारी किया जा रहा है। बैंकों को अपनी चलनिधि आवश्यकताओं को अधिक सटीकता के साथ पूर्वानुमानित करने में सक्षम करने के लिए, यह निर्णय लिया गया है कि रिजर्व बैंक अगले दिन बाजार प्रतिभागियों को बैंकिंग प्रणाली के दैनिक सीआरआर शेष पर जानकारी प्रदान करेगा। तदनुसार,दैनिक मुद्रा बाजार परिचालन प्रकाशनी में 6 दिसंबर 2018 से पिछले दिन का सीआरआर आंकड़ा निहित होगा।
7. फेमा, 1999 के तहत उधार और ऋण विनियमों को युक्तिसंगत बनाना
फेमा, 1999 के तहत समयावधि में बनाए गए कई नियमों को युक्तिसंगत बनाने के चल रहे प्रयासों के तहत, सरकार के परामर्श से, यह प्रस्ताव है कि भारत में निवासी व्यक्ति और भारत के बाहर निवासी व्यक्ति के बीच विदेशी मुद्रा और आईएनआर दोनों में सभी प्रकार के उधार और ऋण लेनदेन को नियंत्रित करने वाले नियमों को मजबूत करने का प्रस्ताव है। प्रस्तावित नियम, अर्थात, विदेशी मुद्रा प्रबंधन (उधार या ऋण) विनियम, 2018 मौजूदा दिनांक 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 3/2000-आरबीदिनांक 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा. 4/2000-आरबी, और दिनांक 7 जुलाई 2004 की अधिसूचना सं. फेमा. 120/ आरबी -2004, के विनियमन 21 को शामिल करेगा और कारोबार करने में आसानी के लिए बाह्य वाणिज्यिक उधार और रुपी डिनोमिनेटेड बांड के लिए मौजूदा ढांचे को युक्तिसंगत बनाएगा। समेकित विनियमन और दिशानिर्देश दिसंबर 2018 के अंत तक जारी किए जाएंगे।


(स्रोत-आरबीआई)
(('बिना प्रोफेशनल ट्रेनिंग के शेयर बाजार जरूर जुआ है'
बचत, निवेश संबंधी beyourmoneymanager के लेख


Plz Follow Me on: 

Rajanish Kant
लोन ग्राहकों को राहत देने का रास्ता आरबीआई ने ऐसे निकाला, अगले साल 1 अप्रैल से मिलेगा फायदा

रिजर्व बैंक ने 3,4,5 दिसंबर की बैठक में लोन ग्राहकों को राहत देने के लिए नया रास्ता निकाला है। रिजर्व बैंक ने प्रमुख दरों में कटौती का बैंक द्वारा फायदा नहीं देने के बाद ये रास्ता निकाला गया है।
I. विनियमन और पर्यवेक्षण
1. बैंकों द्वारा नए अस्थिर दर ऋण की बाहरी बेंचमार्किंग
निधि आधारित ऋण दर (एमसीएलआर) प्रणाली की सीमांत लागत के कार्य की समीक्षा करने के लिए आंतरिक अध्ययन समूह की रिपोर्ट (अध्यक्ष: डॉ जनक राज) को 4 अक्टूबर 2017 को सार्वजनिक प्रतिक्रिया के लिए जारी किया गया। इस रिपोर्ट ने बैंकों द्वारा वर्तमान के आंतरिक बेंचमार्क [प्राइम लेंडिग रेट (पीएलआर), बेंचमार्क प्राइम लेंडिग रेट (बीपीएलआर), बेस रेट और निधि आधारित ऋण दर (एमसीएलआर) की सीमांत लागत के मौजूदा सिस्टम की बजाए बैंक द्वारा अपने अस्थिर दर ऋण के लिए बाहरी बेंचमार्किंग की सिफारिश की थी। इस दिशा में एक कदम के रूप में, यह प्रस्तावित किया जाता है कि सभी नए अस्थिर दर वाले व्यक्तिगत या खुदरा ऋण (आवास, ऑटो इत्यादि) और बैंकों द्वारा सूक्ष्म और लघु उद्यमों को प्रदान किए गए अस्थिर दर ऋण को 1 अप्रैल 2019 से निम्नलिखित में से किसी एक के साथ बेंचमार्क किया जाएगा :
- भारतीय रिजर्व बैंक नीति रिपो दर, या
- फाइनेंशियल बेंचमार्क इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (एफबीआईएल) द्वारा प्रस्तुत भारत सरकार 91 दिवसीय खजाना बिल प्रतिफल, या
- एफबीआईएल द्वारा प्रस्तुत भारत सरकार 182 दिवसीय खजाना बिल प्रतिफल, या
- एफबीआईएल द्वारा प्रस्तुत कोई अन्य बेंचमार्क बाजार ब्याज दर ।
बेंचमार्क दर पर फैलाव - ऋण की शुरुआत में बैंकों के विवेकानुसार पूरी तरह से तय किया जाना है- ऋण की अवधि तब तक अपरिवर्तित रहनी चाहिए, जब तक कि उधारकर्ता के क्रेडिट मूल्यांकन में पर्याप्त परिवर्तन नहीं होता है जैसा कि ऋण अनुबंध में करार किया गया है। बैंक अन्य उधारकर्ताओं को भी ऐसे बाहरी बेंचमार्क से जुड़े ऋण भी प्रदान करने के लिए स्वतंत्र हैं। उधारकर्ताओं द्वारा पारदर्शिता, मानकीकरण और ऋण उत्पादों की जानकारी को आसान बनाने के लिए, बैंक को ऋण श्रेणी के भीतर एक समान बाहरी बेंचमार्क अपनाना होगा; दूसरे शब्दों में, ऋण श्रेणी के अंदर एक ही बैंक द्वारा कई बेंचमार्कों को अपनाने की अनुमति नहीं है । दिसंबर 2018 के अंत तक अंतिम दिशानिर्देश जारी किए जाएंगे।

2. कार्यशील पूंजी वित्त में अनिवार्य ऋण घटक
कार्यशील पूंजी उधारकर्ताओं के बीच अधिक क्रेडिट अनुशासन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से, 5 अप्रैल 2018 को घोषित विकासात्मक और विनियामकीय नीतियों पर वक्तव्य में प्रस्तावित किया गया था कि बड़े उधारकर्ताओं के लिए निधि-आधारित कार्यशील पूंजी वित्त में न्यूनतम स्तर का 'ऋण घटक' निर्धारित किया जाए। तदनुसार, इस संबंध में डाफ्ट्र दिशानिर्देश हितधारकों की टिप्पणियों के लिए 11 जून 2018 को जारी किए गए थे । हितधारकों के मत को ध्यान में रखते हुए, 1 अप्रैल 2019 से प्रभावी अंतिम दिशानिर्देश आज जारी किए जा रहे हैं।
3. चलनिधि कवरेज अनुपात के साथ सांविधिक चलनिधि अनुपात संरेखित
मौजूदा रोडमैप के अनुसार, अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों को 1 जनवरी 2019 तक 100 प्रतिशत की न्यूनतम चलनिधि कवरेज अनुपात (एलसीआर) को प्राप्त करना होगा। वर्तमान में, सांविधिक चलनिधि अनुपात (एसएलआर) सकल मांग और मीयादी देयताओं (एनडीटीएल) का 19.5 प्रतिशत है। आगे, बैंकों के एलसीआर की गणना के उद्देश्य से परिसंपत्तियों को लेवल 1 उच्च गुणवत्ता चलनिधि परिसंपत्ति (एचक्यूएलए) के रूप में माना जाना चाहिए, अन्य बातों के साथ, इसमें शामिल हैं (अ) न्यूनतम एसएलआर आवश्यकता से अधिक सरकारी प्रतिभूतियां; और (आ) अनिवार्य एसएलआर आवश्यकता के भीतर, आरबीआई द्वारा (i) सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) [वर्तमान में बैंक के एनडीटीएल का 2 प्रतिशत] और (ii) चलनिधि कवरेज अनुपात (एफएएलएलसीआर) के लिए चलनिधि की सुविधा प्राप्त करने [वर्तमान में बैंक के एनडीटीएल का 13 प्रतिशत] के तहत अनुमत सीमा तक सरकारी प्रतिभूतियां। एलसीआर आवश्यकता के साथ एसएलआर संरेखित करने के लिए, यह प्रस्ताव है कि हर कैलेंडर तिमाही में एसएलआर को 25 आधार अंक कम किया जाए जब तक कि एसएलआर एनडीटीएल के 18 प्रतिशत तक पहुंच जाए। जनवरी 2019 से शुरू होने वाली तिमाही से 25 आधार अंकों की पहली कटौती प्रभावी होगी।
4. प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों (यूसीबी) में प्रबंधन बोर्ड
श्री वाई.एच. मालेगाम की अध्यक्षता में नए शहरी सहकारी बैंकों (2010) के लाइसेंस पर गठित विशेषज्ञ समिति ने, अन्य बातों के साथ-साथ, सिफारिश की थी कि यूसीबी में अभिशासन को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से प्रत्येक प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक (यूसीबी) में निदेशक मंडल (बीओडी) के अलावा, प्रबंधन बोर्ड (बीओएम) का गठन किया जाए। इसे जनवरी 2015 में गठित शहरी सहकारी बैंकों (अध्यक्ष: श्री आर.गांधी) की उच्च अधिकार प्राप्त समिति द्वारा दोहराया गया था।
भारतीय रिज़र्व बैंक ने 25 जून 2018 को यूसीबी में बीओएम बनाने का ड्राफ्ट दिशानिर्देश जारी किया था, जिसपर बैंकों और अन्य हितधारकों से टिप्पणियां आमंत्रित की गई थी। दिशानिर्देशों में प्रस्तावित किया गया है कि यूसीबी बीओएम को स्थापित करने के लिए अपने उप-कानूनों में प्रावधान करें। दिशानिर्देश यह भी प्रस्तावित करते हैं कि केवल यूसीबी, जिन्होंने अपने उप-कानूनों में ऐसा प्रावधान किया है, के लिए विनियामक अनुमोदन जैसे कि परिचालन के क्षेत्र में विस्तार और नई शाखाओं को खोलने की अनुमति दी जा सकती है।


(स्रोत-आरबीआई)
(('बिना प्रोफेशनल ट्रेनिंग के शेयर बाजार जरूर जुआ है'
बचत, निवेश संबंधी beyourmoneymanager के लेख


Plz Follow Me on: 

Rajanish Kant
#Share बाजार के 45 लाख निवेशकों के लिए बड़ी सौगात....

#Share बाजार के 45 लाख निवेशकों के लिए बड़ी सौगात....

Rajanish Kant मंगलवार, 4 दिसंबर 2018
Bank में नहीं, यहां रहेगा आपका पैसा 100% सुरक्षित

Bank में नहीं, यहां रहेगा आपका पैसा 100% सुरक्षित

Rajanish Kant सोमवार, 3 दिसंबर 2018
जुलाई-सितम्‍बर जीडीपी विकास दर 7.1 % रही
       
        2018-19 की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितम्‍बर) के लिए जीडीपी के अनुमान 

           चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में स्थिर मूल्यों पर जीडीपी वृद्धि दर 7.1 प्रतिशत आंकी गई 

सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्‍वयन मंत्रालय के केन्‍द्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) ने चालू वित्‍त वर्ष यानी 2018-19 की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितम्‍बर) के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के अनुमान स्थिर मूल्यों (2011-12) और वर्तमान मूल्यों दोनों पर ही जारी कर दिए हैं। इन अनुमानों से जुड़ी मुख्‍य बातों का उल्‍लेख नीचे किया गया है:

आर्थिक गतिविधि की दृष्टि से जीवीए के अनुमान
स्थिर (2011-12) मूल्‍यों पर अनुमान
वर्ष 2018-19 की दूसरी तिमाही में स्थिर (2011-12) मूल्‍यों पर सकल घरेलू उत्‍पाद (जीडीपी) के बढ़कर 33.98 लाख करोड़ रुपये हो जाने का अनुमान लगाया गया हैजबकि वर्ष 2017-18 की दूसरी तिमाही में यह 31.72 लाख करोड़ रुपये आंका गया था। यह स्थिर मूल्‍यों पर जीडीपी में 7.1 प्रतिशत की वृद्धि दर को दर्शाता है। वर्ष 2018-19 की दूसरी तिमाही में बुनियादी स्थिर मूल्‍यों (2011-12) पर तिमाही जीवीए (सकल मूल्‍य वर्द्धित) के बढ़कर 31.40 लाख करोड़ रुपये हो जाने का अनुमान लगाया गया हैजो वर्ष 2017-18 की दूसरी तिमाही में 29.38 लाख करोड़ रुपये था। यह 6.9 प्रतिशत की वृद्धि दर को दर्शाता है।
जिन क्षेत्रों ने वर्ष 2018-19 की दूसरी तिमाही में 7.0 फीसदी से ज्‍यादा की वृद्धि दर दर्ज की है उनमें ‘विनिर्माण’, विद्युतगैसजलापूर्ति एवं अन्‍य उपयोगी सेवाएं’, ‘निर्माण’ एवं ‘लोक प्रशासन, रक्षा एवं अन्य सेवाएं’ शामिल हैं। कृषिवानिकी एवं मत्‍स्‍य पालन’, ‘खनन एवं उत्‍खनन’, ‘व्‍यापार,होटलपरिवहनसंचार एवं प्रसारण से जुड़ी सेवाओं’ और वित्‍तीय,अचल संपत्‍ति एवं प्रोफेशनल सेवाओं’ की वृद्धि दर क्रमश: 3.8, (-) 2.4, 6.8 और 6.3 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है।

दूसरी तिमाही के अनुमान कृषिसहयोग एवं किसान कल्‍याण विभाग से प्राप्‍त वर्ष 2018-19 के खरीफ सीजन के दौरान हुए कृषि उत्‍पादन, बीएसई/एनएसई में सूचीबद्ध कंपनियों के संक्षिप्‍त वित्तीय परिणामों, औद्योगिक उत्‍पादन सूचकांक (आईआईपी), महालेखा नियंत्रक (सीजीए) द्वारा लेखा-जोखा रखे जाने वाले केन्‍द्र सरकार के व्‍यय के मासिक खातों के साथ-साथ जुलाई-सितम्‍बर 2018-19 के लिए भारत के महालेखा परीक्षक (सीएजी) द्वारा लेखा-जोखा रखे जाने वाले राज्‍य सरकारों के व्‍यय के मासिक खातों पर आधारित हैं।

कृषिवानिकी एवं मत्‍स्‍य पालन
वर्ष 2018-19 की दूसरी तिमाही में बुनियादी मूल्‍यों पर कृषिवानिकी एवं मत्‍स्‍य पालन’ सेक्‍टर की तिमाही जीवीए वृद्धि दर 3.8 प्रतिशत रही, जबकि वर्ष 2017-18 की दूसरी तिमाही में यह वृद्धि दर 2.6 प्रतिशत थी। कृषि सहयोग एवं किसान कल्‍याण एवं विभाग से प्राप्‍त सूचनाओं के अनुसार कृषि वर्ष 2018-19 के खरीफ सीजन के दौरान खाद्यान्न उत्‍पादन में 0.6 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, जबकि वर्ष 2017-18 की समान अवधि में यह दर 1.7 प्रतिशत आंकी गई थी।

खनन एवं उत्‍खनन 
वर्ष 2018-19 की दूसरी तिमाही में बुनियादी मूल्‍यों पर खनन एवं उत्‍खनन’ सेक्‍टर की तिमाही जीवीए वृद्धि दर 2.4 प्रतिशत घट गई, जबकि वर्ष 2017-18 की दूसरी तिमाही में यह वृद्धि दर 6.9 प्रतिशत दर्ज की गई थी। खनन क्षेत्र के महत्‍वपूर्ण संकेतकों यथा कोयला, कच्‍चा तेल एवं प्राकृतिक गैस के उत्‍पादन और आईआईपी से जुड़े खनन की वृद्धि दर वर्ष 2018-19 की दूसरी तिमाही में क्रमश: 6.2(-) 4.4, (-) 2.0 तथा 1.0 प्रतिशत दर्ज की गई, जबकि वर्ष 2017-18 की दूसरी तिमाही में ये दरें क्रमश: 8.5, (-) 0.7, 4.7 तथा 7.1 प्रतिशत आंकी गई थीं।

विनिर्माण
वर्ष 2018-19 की दूसरी तिमाही में बुनियादी मूल्‍यों पर विनिर्माण’ सेक्‍टर की तिमाही जीवीए वृद्धि दर 7.4 प्रतिशत आंकी गई, जबकि वर्ष 2017-18 की दूसरी तिमाही में यह वृद्धि दर 7.1 प्रतिशत थी। आईआईपी से जुड़े विनिर्माण ने वित्त वर्ष 2018-19 की दूसरी तिमाही में 5.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की, जबकि वित्त वर्ष 2017-18 की दूसरी तिमाही में यह दर 2.5 प्रतिशत आंकी गई थी।
  

वर्तमान मूल्‍यों पर अनुमान
सकल घरेलू उत्‍पाद
वर्ष 2018-19 की दूसरी तिमाही में वर्तमान मूल्‍यों पर जीडीपी (सकल घरेलू उत्‍पाद) के बढ़कर45.54 लाख करोड़ रुपये के स्‍तर पर पहुंच जाने का अनुमान हैजो वर्ष 2017-18 की दूसरी तिमाही में 40.68 लाख करोड़ रुपये आंकी गई थी। यह 12.0 फीसदी की वृद्धि दर दर्शाती है। वर्ष 2018-19 की दूसरी तिमाही में बुनियादी वर्तमान मूल्‍यों पर जीवीए के बढ़कर 41.46 लाख करोड़ रुपये हो जाने का अनुमान लगाया गया हैजो वर्ष 2017-18 की दूसरी तिमाही में 37.03 लाख करोड़ रुपये था। यह 12.0 प्रतिशत की वृद्धि दर को दर्शाता है। विभिन्न क्षेत्रों (सेक्टर) में वृद्धि दरें इस तरह रहीं : ‘कृषिवानिकी एवं मत्‍स्‍य पालन(2.8 प्रतिशत), ‘खनन एवं उत्‍खनन(20.7 प्रतिशत)विनिर्माण (12.2 प्रतिशत), विद्युत,गैसजलापूर्ति एवं अन्‍य उपयोगी सेवाएं’ (16.3 प्रतिशत), ‘निर्माण’ (13.2 प्रतिशत),व्‍यापारहोटलपरिवहन एवं संचार’ (12.3 प्रतिशत), वित्‍तीयअचल संपत्‍ति एवं प्रोफेशनल सेवाओं’ (12.5 प्रतिशत) और ‘लोक प्रशासन, रक्षा एवं अन्य सेवाएं’ (16.1 प्रतिशत)।

अपस्फीतिकारक (डिफ्लैटर) के रूप में उपयोग किए गए मूल्‍य सूचकांक
वित्त वर्ष 2018-19 की दूसरी तिमाही के दौरान विभिन्‍न समूहों जैसे कि खनिज, विनिर्मित उत्पादों, बिजली और सभी जिसों से संबंधित थोक मूल्‍य सूचकांक (डब्‍ल्‍यूपीआई) ने वित्त वर्ष 2017-18 की दूसरी तिमाही की तुलना में क्रमश: 8.2, 4.4, 6.4 तथा 5.0 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है। वित्त वर्ष 2018-19 की दूसरी तिमाही के दौरान उपभोक्‍ता मूल्‍य सूचकांक (सीपीआई) में 3.9 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है, जबकि वित्त वर्ष 2017-18 की दूसरी तिमाही के दौरान इसमें 3.0 प्रतिशत की वृद्धि आंकी गई थी।

जीडीपी पर व्‍यय के अनुमान
जीडीपी पर व्‍यय के घटकों यथा उपभोग व्‍यय और पूंजी निर्माण का आकलन आम तौर पर बाजार मूल्‍यों पर किया जाता है।
निजी अंतिम उपभोग व्‍यय
वित्त वर्ष 2018-19 की दूसरी तिमाही में वर्तमान मूल्‍यों पर निजी अंतिम उपभोग व्‍यय 26.31 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान लगाया गया है, जबकि वित्त वर्ष 2017-18 की दूसरी तिमाही में यह 23.58 लाख करोड़ रुपये आंका गया था। वित्त वर्ष 2018-19 की दूसरी तिमाही में स्थिर (2011-12) मूल्‍यों पर निजी अंतिम उपभोग व्‍यय 18.52 लाख करोड़ रुपये आंका गया है, जबकि वित्त वर्ष 2017-18 की दूसरी तिमाही में यह आंकड़ा 17.30 लाख करोड़ रुपये रहा था।
सरकारी अंतिम उपभोग व्‍यय
वित्त वर्ष 2018-19 की दूसरी तिमाही में वर्तमान मूल्‍यों पर सरकारी अंतिम उपभोग व्‍यय 5.99 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान लगाया गया है, जबकि वित्त वर्ष 2017-18 की दूसरी तिमाही में यह आंकड़ा 5.10 लाख करोड़ रुपये रहा था। वित्त वर्ष 2018-19 की दूसरी तिमाही में स्थिर (2011-12) मूल्‍यों पर सरकारी अंतिम उपभोग व्‍यय 4.22 लाख करोड़ रुपये आंका गया है, जबकि वित्त वर्ष 2017-18 की दूसरी तिमाही में यह आंकड़ा 3.74 लाख करोड़ रुपये रहा था।

सकल स्‍थायी (फिक्‍स्‍ड) पूंजी निर्माण
वित्त वर्ष 2018-19 की दूसरी तिमाही में वर्तमान मूल्‍यों पर सकल स्‍थायी (फिक्‍स्‍ड) पूंजी निर्माण 13.28 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान लगाया गया है, जबकि वित्त वर्ष 2017-18 की दूसरी तिमाही में यह 11.37 लाख करोड़ रुपये आंका गया था। वित्त वर्ष 2018-19 की दूसरी तिमाही में स्थिर (2011-12) मूल्‍यों पर सकल स्‍थायी (फिक्‍स्‍ड) पूंजी निर्माण 10.99 लाख करोड़ रुपये रहा है, जबकि वित्त वर्ष 2017-18 की दूसरी तिमाही में यह आंकड़ा 9.77 लाख करोड़ रुपये था।


(स्रोत- पीआईबी)
(('बिना प्रोफेशनल ट्रेनिंग के शेयर बाजार जरूर जुआ है'
बचत, निवेश संबंधी beyourmoneymanager के लेख


Plz Follow Me on: 

Rajanish Kant शनिवार, 1 दिसंबर 2018