अक्‍टूबर, 2018 में आठ कोर उद्योगों की वृद्धि दर 4.8 प्रतिशत रही
आठ कोर उद्योगों का संयुक्‍त सूचकांक अक्‍टूबर, 2018 में 134.8 अंक रहाजो अक्‍टूबर, 2017 में दर्ज किए गए सूचकांक के मुकाबले 4.8 प्रतिशत ज्यादा है। दूसरे शब्‍दों मेंअक्‍टूबर 2018 में आठ कोर उद्योगों की वृद्धि दर 4.8 प्रतिशत आंकी गई है। वहींवर्ष 2018-19 की अप्रैल-अक्‍टूबर अवधि के दौरान आठ कोर उद्योगों की संचयी उत्‍पादन वृद्धि दर 5.4 प्रतिशत रही। औद्योगिक उत्‍पादन सूचकांक (आईआईपी) में शामिल वस्तुओं के भारांक (वेटेज) का 40.27 प्रतिशत हिस्सा आठ कोर उद्योगों में शामिल होता है। आठ कोर उद्योगों के सूचकांक (आधार वर्ष: 2011-12) का सार अनुलग्‍नक में दिया गया है।

कोयला
अक्‍टूबर, 2018 में कोयला उत्‍पादन (भारांक: 10.33%) अक्‍टूबर, 2017 के मुकाबले 10.6 प्रतिशत बढ़ गया। अप्रैल- अक्‍टूबर, 2018-19 में कोयला उत्‍पादन की वृद्धि दर पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में 9.8 प्रतिशत अधिक रही।

कच्‍चा तेल
अक्‍टूबर, 2018 के दौरान कच्‍चे तेल का उत्‍पादन (भारांक: 8.98%) अक्‍टूबर, 2017 की तुलना में 5.0 प्रतिशत गिर गया। अप्रैल- अक्‍टूबर, 2018-19 में कच्‍चे तेल का उत्‍पादन बीते वित्‍त वर्ष की समान अवधि की तुलना में 3.6 प्रतिशत कम रहा।

प्राकृतिक गैस
अक्‍टूबर, 2018 में प्राकृतिक गैस का उत्‍पादन (भारांक: 6.88%) अक्‍टूबर, 2017 के मुकाबले 0.9 प्रतिशत गिर गया। अप्रैल-अक्‍टूबर, 2018-19 में प्राकृतिक गैस का उत्‍पादन पिछले वित्‍त वर्ष की समान अवधि की तुलना में 0.8 प्रतिशत गिर गया।

रिफाइनरी उत्‍पाद
पेट्रोलियम रिफाइनरी उत्‍पादों का उत्‍पादन (भारांक: 28.04%) अक्‍टूबर, 2018 में 1.3 प्रतिशत बढ़ गया। अप्रैल-अक्‍टूबर, 2018-19 में पेट्रोलियम रिफाइनरी उत्‍पादों का उत्‍पादन पिछले वित्‍त वर्ष की समान अवधि की तुलना में 5.8 प्रतिशत अधिक रहा।

उर्वरक
अक्‍टूबर, 2018 के दौरान उर्वरक उत्‍पादन (भारांक: 2.63%) 11.5 प्रतिशत गिर गया। अप्रैल-अक्‍टूबर, 2018-19 में उर्वरक उत्‍पादन बीते वित्‍त वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 0.3 प्रतिशत कम रहा।

इस्‍पात
अक्‍टूबर, 2018 में इस्‍पात उत्‍पादन (भारांक: 17.92%) 2.2 प्रतिशत बढ़ गया। अप्रैल- अक्‍टूबर, 2018-19 में इस्‍पात उत्‍पादन पिछले वित्‍त वर्ष की समान अवधि के मुकाबले 3.3 प्रतिशत ज्‍यादा रहा।

सीमेंट
अक्‍टूबर, 2018  के दौरान सीमेंट उत्‍पादन (भारांक: 5.37%)  अक्‍टूबर, 2017 के मुकाबले 18.4  प्रतिशत ज्यादा रहा। अप्रैल-अक्‍टूबर, 2018-19 के दौरान सीमेंट उत्‍पादन बीते वित्‍त वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 15.0 प्रतिशत अधिक रहा।

बिजली
अक्‍टूबर, 2018 के दौरान बिजली उत्‍पादन (भारांक: 19.85%) में अक्‍टूबर, 2017 के मुकाबले 11.4  प्रतिशत का इजाफा हुआ। अप्रैल- अक्‍टूबर, 2018-19 में बिजली उत्‍पादन पिछले वित्‍त वर्ष की समान अवधि के मुकाबले 6.9 प्रतिशत अधिक रहा।

नोट 1: अगस्‍त, 2018, सितम्‍बर, 2018 और अक्‍टूबर, 2018 के आंकड़े अनंतिम हैं।

नोट 2: अप्रैल, 2014 से ही बिजली उत्पादन के आंकड़ों में नवीकरणीय अथवा अक्षय स्रोतों से प्राप्त बिजली को भी शामिल किया जा रहा है।

नोट 3: नवम्‍बर, 2018 के लिए सूचकांक सोमवार, 31 दिसम्‍बर, 2018 को जारी किया जाएगा।











(स्रोत- पीआईबी)
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Rajanish Kant शनिवार, 1 दिसंबर 2018
बैक सीरीज की जेडीपी विकास दर के संशोधित आंकड़े, जिस पर मचा है बवाल...
राष्ट्रीय लेखा सांख्यिकी: 2004-05 से 2011-12 
ढांचागत बदलावों को लेकर लेखा में राष्ट्रीय लेखा के आधार वर्ष को सावधिक रूप से संशोधित किया जाता है। बताए गए समय में अर्थव्यवस्था में होने वाले बदलाव को इसमें शामिल किया जाता है। यह सकल घरेलू उत्पादराष्ट्रीय आयउपभोग व्यव और अन्य संबंधित संकेतकों जैसे वृहद आर्थिक संकेतकों के माध्यम से अर्थव्यवस्था का बेहतर चित्रण प्रस्तुत करता है। इससे उपभोक्ता वास्तविक अर्थव्यवस्था के निष्पादन का मूल्यांकन कर पाते हैं। इसके लिए वे आधार वर्ष के रूप में चयनित वर्ष की कीमतों पर वृहद आर्थिक संकेतकों का अनुमान लगाते हैं। मौजूदा वर्ष के वर्तमान मूल्यों पर लगाए गए अनुमानों को वर्तमान मूल्य’ माना जाता हैजबकि आधार वर्ष की कीमतों पर तैयार अनुमानों को नियत मूल्य’ कहा जाता है। नियत मूल्यों यानि वास्तविक मूल्य की कई वर्षों की स्थितियों से तुलना के आधार पर वास्तविक वृद्धि का मापन होता है। राष्ट्रीय लेखा (आधार 2011-12) की नई श्रेणी शुरू होने के बादराष्ट्रीय लेखा सांख्यिकी के पिछले अनुमानों को तैयार किया जाता है और नए आधार वर्ष से पिछले वर्षों के लिए जारी किया जाता है। इसकी पूर्णता और तुलनात्मकता के लिए पुराने आधार आंकड़े से मिलाकर मूल्यांकन किया जाता है। वर्तमान रिलीज से वर्ष 2004-05 तक आधार वर्ष 2011-12 के साथ राष्ट्रीय लेखा सांख्यिकी की नई श्रेणियों के अनुसार घरेलू उत्पादपूंजी निर्माण और अन्य वृहद आर्थिक संकेतकों की झलक मिलती है।


(स्रोत- पीआईबी)
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Rajanish Kant
Paisa सब कुछ नहीं, लेकिन बहुत कुछ के लिए पैसा जरूरी

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Rajanish Kant शुक्रवार, 30 नवंबर 2018
FD: इनकम टैक्स बचाने वाली FD पर सबसे ज्यादा ब्याज कौन बैंक देगा ?

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Rajanish Kant
म्युचुअल फंड के दीवाने होते खुदरा निवेशक, खुले 77 लाख नए अकाउंट (फोलियो)
देश में म्युचुअल फंड अकाउंट, जिसे फोलियो कहते हैं, उसकी संख्या अब तक की अधिकतम स्तर 8 करोड़ पहुंच गई है। और ऐसा मुमकिन हुआ है इस साल अप्रैल से लेकर अक्टूबर तक जुड़े नए 77 लाख फोलियो की वजह से। पिछले कुछ साल से रिटेल निवेशक म्युचुअल फंड खासकर इक्विटी स्कीम में बढ़-चढ़कर निवेश कर रहे हैं। एक व्यक्ति के कई फोलियो हो सकते हैं। 

वित्त वर्ष 2017-18 में 1.6 करोड़, 2016-17 में 67 लाख जबकि 2015-16 में 59 लाख नए फोलियो जुड़े थे। एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्स इन इंडिया यानी एएमएफआई की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल अक्टूबर के अंत तक कुल 41 सक्रिय म्युचुअल फंड्स कंपनियों के साथ रिकॉर्ड 7,90,31,596 फोलियो जुड़े जबकि इस साल मार्च के अंत तक इसकी संख्या 7,13,47,301 थी यानी इस दौरान करीब 76.80 लाख की बढ़ोत्तरी हुई। 
इस दौरान इक्विटी और ईएलएसएस स्कीम से जुड़े फोलियो की संख्या 66 लाख बढ़कर 6 करोड़ पर, वहीं बैलेंस्ड स्कीम से जुड़े फोलियो की संख्या 44 लाख बढ़कर 63 लाख पर पहुंच गई। इस दौरान इनकम फंडस् स्कीम से जुड़े फोलियो की बात करें तो ये 5,60,000 बढ़कर 1.13 करोड़ पर पहुंच गई। 
इस वित्त वर्ष में अप्रैल से अक्टूबर के दौरान म्युचुअल फंड्स में निवेश की बात करें तो, 810 अरब रुपए का निवेश हुआ है, जिसमें से अकेले इक्विटी स्कीम में 750 अरब रुपए आया। 
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Rajanish Kant रविवार, 25 नवंबर 2018
वैश्विक रुख, रुपये-कच्चे तेल की चाल से तय होगी शेयर बाजार की दिशा

घरेलू शेयर बाजार में इस सप्ताह उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है। बाजार की दिशा वैश्विक रुख, रुपये और कच्चे तेल की कीमतों से तय होगी। विशेषज्ञों ने यह बात कही।

उन्होंने कहा कि निवेशकों की नजर शुक्रवार को जारी होने वाले सितंबर तिमाही के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के आंकड़ों पर भी रहेगी। 

एपिक रिसर्च के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) मुस्तफा नदीम ने कहा, "भारतीय शेयर बाजार के लिये जीडीपी के आंकड़े सबसे अहम होंगे। इन आंकडों से मोटे तौर पर कुछ समय के लिये यह संकेत मिलेंगे कि आने वाले महीनों में आर्थिक परिदृश्य कैसा रहेगा।" 

उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ समेत प्रमुख राज्यों में विधानसभा चुनाव हैं और काफी कुछ इनके नतीजों पर भी निर्भर करेगा। इसके अलावा रुपये की चाल और कच्चे तेल के दाम भी कारोबारी धारणा को प्रभावित करेंगे।

सैमको सिक्योरिटीज और स्टॉकनोट के संस्थापक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) जिमीत मोदी ने बताया, "इस सप्ताह बाजार के तय दायरे में रहने की उम्मीद है। दिसंबर के दूसरे सप्ताह में विधानसभा चुनाव के परिणामों से बाजार को दिशा मिल सकती है। लेकिन तब बाजार में उतार-चढ़ाव रह सकता है।" 

वैश्विक बाजार की फेडरल ओपन मार्केट कमेटी (एफओएमसी) की बैठक के विवरण (मिनट) पर नजर रहेगी। 

बंबई शेयर बाजार का सेंसेक्स पिछले सप्ताह 476.14 अंक गिरकर 34,981.02 अंक पर बंद हुआ था। शुक्रवार को 'गुरुनानक जयंती' के अवसर पर शेयर बाजार बंद रहे।


(सौ. भाषा)
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