बैक सीरीज की जेडीपी विकास दर के संशोधित आंकड़े, जिस पर मचा है बवाल...

राष्ट्रीय लेखा सांख्यिकी: 2004-05 से 2011-12 
ढांचागत बदलावों को लेकर लेखा में राष्ट्रीय लेखा के आधार वर्ष को सावधिक रूप से संशोधित किया जाता है। बताए गए समय में अर्थव्यवस्था में होने वाले बदलाव को इसमें शामिल किया जाता है। यह सकल घरेलू उत्पादराष्ट्रीय आयउपभोग व्यव और अन्य संबंधित संकेतकों जैसे वृहद आर्थिक संकेतकों के माध्यम से अर्थव्यवस्था का बेहतर चित्रण प्रस्तुत करता है। इससे उपभोक्ता वास्तविक अर्थव्यवस्था के निष्पादन का मूल्यांकन कर पाते हैं। इसके लिए वे आधार वर्ष के रूप में चयनित वर्ष की कीमतों पर वृहद आर्थिक संकेतकों का अनुमान लगाते हैं। मौजूदा वर्ष के वर्तमान मूल्यों पर लगाए गए अनुमानों को वर्तमान मूल्य’ माना जाता हैजबकि आधार वर्ष की कीमतों पर तैयार अनुमानों को नियत मूल्य’ कहा जाता है। नियत मूल्यों यानि वास्तविक मूल्य की कई वर्षों की स्थितियों से तुलना के आधार पर वास्तविक वृद्धि का मापन होता है। राष्ट्रीय लेखा (आधार 2011-12) की नई श्रेणी शुरू होने के बादराष्ट्रीय लेखा सांख्यिकी के पिछले अनुमानों को तैयार किया जाता है और नए आधार वर्ष से पिछले वर्षों के लिए जारी किया जाता है। इसकी पूर्णता और तुलनात्मकता के लिए पुराने आधार आंकड़े से मिलाकर मूल्यांकन किया जाता है। वर्तमान रिलीज से वर्ष 2004-05 तक आधार वर्ष 2011-12 के साथ राष्ट्रीय लेखा सांख्यिकी की नई श्रेणियों के अनुसार घरेलू उत्पादपूंजी निर्माण और अन्य वृहद आर्थिक संकेतकों की झलक मिलती है।


(स्रोत- पीआईबी)
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