बहुत सारे लोग लोन सस्ता होने का इंतजार कर रहे हैं। लोन सस्ता होगा या नहीं, इस पर RBI MPC का फैसला आज आएगा। देश के केंद्रीय बैंक भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक पॉलिसी कमिटी यानि RBI MPC की ब्याज दर पर बैठक 5 फरवरी को शुरू हुई थी और आज बैठक पर लिये गए फैसले की घोषणा होगी। जानकारों का मानना है कि ग्रोथ और महंगाई दर में कमी के रुझान को देखते हुए इस बैठक में आरबीआई प्रमुख दरों में चौथाई प्रतिशत की कटौती कर सकता है।
अगर प्रमुख दरों में चौथाई प्रतिशत की कटौती होती है, तो बैंक भी लोन सस्ते कर सकेंगे। हालांकि, इससे एफडी या आरडी कराने वालों को झटका लग सकता है, क्योंकि प्रमुख दरों में कटौती के बाद बैंक एफडी या आरडी पर ब्याज दर घटा सकते हैं।
>RBI की मौजूदा दरें (Source: www.rbi.org.in)
नीति रेपो दर | : 6.50% |
स्थायी जमा सुविधा दर | : 6.25% |
सीमांत स्थायी सुविधा दर | : 6.75% |
बैंक दर | : 6.75% |
प्रत्यावर्तनीय रेपो दर | : 3.35% |
सीआरआर | : 4.00% |
एसएलआर | : 18.00% |
आधार दर | : 9.10% - 10.40% |
एमसीएलआर (ओवरनाइट) | : 8.15% - 8.45% |
बचत जमा दर | : 2.70% - 3.00% |
सावधि जमा दर > 1 वर्ष | : 6.00% - 7.25% |
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लोन सस्ता होगा या नहीं, इस पर RBI MPC का फैसला आज आएगा
देश के केंद्रीय बैंक भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक पॉलिसी कमिटी यानि RBI MPC की ब्याज दर पर आज से बैठक शुरू हो रही है। बैठक पर लिये गए फैसले की घोषणा 7 फरवरी को की जाएगी। जानकारों का मानना है कि ग्रोथ और महंगाई दर में कमी के रुझान को देखते हुए इस बैठक में आरबीआई प्रमुख दों में चौथाई प्रतिशत की कटौती कर सकता है।
अगर प्रमुख दरों में चौथाई प्रतिशत की कटौती होती है, तो बैंक भी लोन सस्ते कर सकेंगे। हालांकि, इससे एफडी या आरडी कराने वालों को झटका लग सकता है, क्योंकि प्रमुख दरों में कटौती के बाद बैंक एफडी या आरडी पर ब्याज दर घटा सकते हैं।
>RBI की मौजूदा दरें (Source: www.rbi.org.in)
नीति रेपो दर | : 6.50% |
स्थायी जमा सुविधा दर | : 6.25% |
सीमांत स्थायी सुविधा दर | : 6.75% |
बैंक दर | : 6.75% |
प्रत्यावर्तनीय रेपो दर | : 3.35% |
सीआरआर | : 4.00% |
एसएलआर | : 18.00% |
आधार दर | : 9.10% - 10.40% |
एमसीएलआर (ओवरनाइट) | : 8.15% - 8.45% |
बचत जमा दर | : 2.70% - 3.00% |
सावधि जमा दर > 1 वर्ष | : 6.00% - 7.25% |
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RBI MPC Meeting की ब्याज दर पर आज से बैठक, 7 फरवरी को आएगा फैसला, क्या लोन सस्ता होगा?
देश के केंद्रीय बैंक भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक पॉलिसी कमिटी (RBI MPC) ने अनुमान के मुताबिक 6-8 अगस्त तक चली बैठक के बाद रेपो रेट को 6.50 प्रतिशत पर जस का तस रखा है।
>RBI की मौजूदा प्रमुख दर (साभार: www.rbi.org.in)
नीति रिपो दर | : 6.50% |
स्थायी जमा सुविधा दर | : 6.25% |
सीमांत स्थायी सुविधा दर | : 6.75% |
बैंक दर | : 6.75% |
प्रत्यावर्तनीय रिपो दर | : 3.35% |
सीआरआर | : 4.50% |
एसएलआर | : 18.00% |
>RBI MPC की बैठक के फैसले-
मौद्रिक नीति वक्तव्य, 2024-25
मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) का संकल्प
6 से 8 अगस्त 2024
वर्तमान और उभरती समष्टि-आर्थिक स्थिति के आकलन के आधार पर, मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने आज (8 अगस्त 2024) अपनी बैठक में यह निर्णय लिया है कि:
चलनिधि समायोजन सुविधा (एलएएफ) के अंतर्गत नीतिगत रेपो दर को 6.50 प्रतिशत पर यथावत् रखा जाए।
परिणामस्वरूप, स्थायी जमा सुविधा (एसडीएफ) दर 6.25 प्रतिशत तथा सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) दर और बैंक दर 6.75 प्रतिशत पर यथावत् बनी हुई है।
एमपीसी ने निभाव को वापस लेने पर ध्यान केंद्रित रखने का भी निर्णय लिया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मुद्रास्फीति उतरोत्तर संवृद्धि को समर्थन प्रदान करते हुए लक्ष्य के साथ संरेखित हो।
ये निर्णय, संवृद्धि को समर्थन प्रदान करते हुए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) मुद्रास्फीति को +/- 2 प्रतिशत के दायरे में रखते हुए 4 प्रतिशत का मध्यावधि लक्ष्य प्राप्त करने के अनुरूप है।
आकलन और संभावना
2. वैश्विक आर्थिक संभावना आघात-सहनीय बनी हुई है, तथापि गति में कुछ नरमी है। प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में मुद्रास्फीति कम हो रही है, लेकिन सेवाओं की कीमतों में मुद्रास्फीति बनी हुई है। पिछली नीति बैठक के बाद से खाद्य, ऊर्जा और आधार धातुओं की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में कमी आई है। संवृद्धि-मुद्रास्फीति की बदलती संभावनाओं के साथ, केंद्रीय बैंक अपनी नीतिगत मार्ग में भिन्न-भिन्न दिशाओं में जा रहे हैं। इससे वित्तीय बाजारों में अस्थिरता उत्पन्न हो रही है। इक्विटी में हाल ही में वैश्विक बिकवाली के बीच, डॉलर सूचकांक कमजोर हुआ है, सॉवरेन बॉण्ड प्रतिफल में तेजी से कमी आई है और स्वर्ण की कीमतें रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गई हैं।
3. घरेलू आर्थिक गतिविधि ने अपनी गति को बनाए रखा है। कमजोर और विलंबित शुरुआत के बाद, स्थानिक प्रसार में सुधार के साथ संचयी दक्षिण-पश्चिम मानसून वर्षा में तेजी आई है। 7 अगस्त 2024 तक, यह दीर्घकालिक औसत से 7 प्रतिशत अधिक थी। इससे खरीफ की बुवाई को समर्थन मिला है, 2 अगस्त तक कुल बुवाई क्षेत्र एक वर्ष पहले की तुलना में 2.9 प्रतिशत अधिक था। मई 2024 में औद्योगिक उत्पादन में 5.9 प्रतिशत (वर्ष-दर-वर्ष) की वृद्धि दर्ज की गई। जून में महत्वपूर्ण उद्योगों में 4.0 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि मई में यह 6.4 प्रतिशत थी। जून-जुलाई 2024 के दौरान जारी किए गए अन्य उच्च आवृत्ति संकेतक, सेवा क्षेत्र की गतिविधि के विस्तार, निजी उपभोग में चल रही बहाली और निजी निवेश गतिविधि में तेजी के संकेत देते हैं। अप्रैल-जून के दौरान पण्य निर्यात, गैर-तेल गैर-स्वर्ण आयात, सेवा निर्यात और आयात में वृद्धि हुई।
4. आगे, भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के दक्षिण-पश्चिम मानसून के सामान्य से अधिक रहने के अनुमान और खरीफ की अच्छी बुआई से बेहतर होती ग्रामीण मांग को समर्थन मिलेगा। विनिर्माण और सेवाओं में धारणीय गति से शहरी मांग में स्थिरता का संकेत मिलता है। निवेश गतिविधि के उच्च आवृत्ति संकेतक, जैसा कि स्टील के उपभोग में मजबूत वृद्धि, उच्च क्षमता उपयोग, बैंकों और कॉरपोरेट्स की स्वस्थ तुलन-पत्र और बुनियादी ढांचे पर व्यय पर सरकार के निरंतर जोर से स्पष्ट है, एक मजबूत संभावना की ओर इंगित करते हैं। विश्व व्यापार की संभावनाओं में सुधार, बाहरी मांग को समर्थन दे सकता है। तथापि, भू-राजनीतिक तनाव, अंतरराष्ट्रीय कमोडिटी कीमतों में उतार-चढ़ाव और भू-आर्थिक विखंडन से उत्पन्न प्रतिकूल परिस्थितियाँ संभावना के लिए जोखिम उत्पन्न करती हैं। इन सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए, 2024-25 के लिए वास्तविक जीडीपी संवृद्धि पहली तिमाही में 7.1 प्रतिशत, दूसरी तिमाही में 7.2 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 7.3 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 7.2 प्रतिशत के साथ 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है। 2025-26 की पहली तिमाही के लिए वास्तविक जीडीपी संवृद्धि 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है (चार्ट 1)। जोखिम समान रूप से संतुलित हैं।
5. अप्रैल-मई 2024 के दौरान 4.8 प्रतिशत पर स्थिर रहने के बाद जून 2024 में हेडलाइन मुद्रास्फीति बढ़कर 5.1 प्रतिशत हो गई। खाद्य मुद्रास्फीति दबाव के बढ़ने - मुख्य रूप से सब्जियों, दालों और खाद्य तेलों की कीमतों में तेज वृद्धि के साथ-साथ अनाज, दूध, फलों और तैयार भोजन में मुद्रास्फीति में वृद्धि - से हेडलाइन मुद्रास्फीति को बढ़ावा मिला। ईंधन समूह अवस्फीति में रहा, जो अगस्त 2023 और मार्च 2024 में एलपीजी की कीमत में तेज कटौती के संचयी प्रभाव को दर्शाता है। मई-जून में मूल (खाद्य और ईंधन को छोड़कर सीपीआई) मुद्रास्फीति 3.1 प्रतिशत पर मौजूदा सीपीआई शृंखला में एक नए निचले स्तर को छू गई, साथ ही मूल सेवाओं की मुद्रास्फीति भी शृंखला में सबसे कम रही।
6. हेडलाइन मुद्रास्फीति अपने चरम स्तर से कम हुई है, लेकिन असमान रूप से। आगे, जुलाई में खाद्य मूल्य की गति उच्च बनी हुई है। 2024-25 की दूसरी तिमाही में, यद्यपि अनुकूल आधार प्रभाव बड़े हैं, लेकिन पूर्व की प्रत्याशाओं के सापेक्ष मूल्य गति में तेज वृद्धि के परिणामस्वरूप सीपीआई हेडलाइन मुद्रास्फीति में थोड़ी नरमी आने की संभावना है। अनुकूल आधार प्रभाव कम होने के कारण तीसरी तिमाही में मुद्रास्फीति बढ़ने की आशा है। मानसून में लगातार प्रगति, खरीफ की बुवाई में तेजी, खाद्यान्नों के पर्याप्त बफर भंडार और वैश्विक खाद्य कीमतों में कमी, खाद्य मूल्य दबाव को नियंत्रित करने के लिए सकारात्मक हैं। प्रतिकूल जलवायु घटनाएँ, खाद्य मुद्रास्फीति के लिए एक ऊर्ध्वगामी जोखिम बनी हुई हैं। मांग संबंधी चिंताओं और भू-राजनीतिक तनावों के कारण कच्चे तेल की कीमतें अस्थिर हैं। मोबाइल टैरिफ दरों में संशोधन से मूल मुद्रास्फीति में वृद्धि होने की संभावना है। रिज़र्व बैंक द्वारा सर्वेक्षण किए गए विनिर्माण, सेवा और बुनियादी ढांचा फर्मों को इस वर्ष की दूसरी छमाही में बिक्री कीमतों में वृद्धि की उम्मीद है। परिवारों की मुद्रास्फीति प्रत्याशाएँ भी बढ़ गई हैं और उपभोक्ता विश्वास कमजोर हुआ है। सामान्य मानसून की परिकल्पना करते हुए, 2024-25 के लिए सीपीआई मुद्रास्फीति दूसरी तिमाही में 4.4 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 4.7 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 4.3 प्रतिशत के साथ 4.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है। 2025-26 की पहली तिमाही के लिए सीपीआई मुद्रास्फीति 4.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है (चार्ट 2)। जोखिम समान रूप से संतुलित हैं।

7. एमपीसी को उम्मीद है कि निवेश मांग, स्थिर शहरी उपभोग और बढ़ते ग्रामीण उपभोग के समर्थन से घरेलू संवृद्धि बरकरार रहेगी। अस्थिर और उच्च खाद्य कीमतों से जोखिम उच्च बने हुए हैं, जो मुद्रास्फीति की प्रत्याशाओं पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकते हैं और परिणामस्वरूप मूल मुद्रास्फीति पर इसका प्रभाव विस्तार हो सकता है। मूल मुद्रास्फीति के निचले स्तर पर पहुंचने के भी संकेत हैं। तदनुसार, आगे चलकर इन कारकों का प्रभाव कैसा रहता है, एमपीसी ने इसके प्रति सतर्क रहने का निर्णय किया। एमपीसी मुद्रास्फीति को टिकाऊ आधार पर 4 प्रतिशत लक्ष्य से संरेखित करने की अपनी प्रतिबद्धता में दृढ़ है। इन परिस्थितियों में, एमपीसी ने इस बैठक में नीतिगत रेपो दर को 6.50 प्रतिशत पर यथावत रखने का निर्णय लिया। एमपीसी ने अवस्फीतिकारक रुख को तब तक जारी रखने की आवश्यकता दोहराई, जब तक कि हेडलाइन सीपीआई मुद्रास्फीति धारणीय रूप से लक्ष्य के साथ संरेखित नहीं हो जाती है। टिकाऊ मूल्य स्थिरता उच्च संवृद्धि की धारणीय अवधि के लिए मजबूत नींव रखती है। अतः एमपीसी, यह सुनिश्चित करने के लिए, कि मुद्रास्फीति संवृद्धि को समर्थन प्रदान करते हुए लक्ष्य के साथ उत्तरोत्तर संरेखित हो, निभाव को वापस लेने के अवस्फीतिकारी रुख को जारी रखना उपयुक्त मानती है।
8. डॉ. शशांक भिडे, डॉ. राजीव रंजन, डॉ. माइकल देवब्रत पात्र और श्री शक्तिकान्त दास ने नीतिगत रेपो दर को 6.50 प्रतिशत पर यथावत् रखने के लिए वोट किया। डॉ. आशिमा गोयल और प्रो. जयंत आर. वर्मा ने नीतिगत रेपो दर को 25 आधार अंकों तक कम करने के लिए वोट किया।
9. डॉ. शशांक भिडे, डॉ. राजीव रंजन, डॉ. माइकल देवब्रत पात्र और श्री शक्तिकान्त दास ने निभाव को वापस लेने, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मुद्रास्फीति उतरोत्तर संवृद्धि को समर्थन प्रदान करते हुए लक्ष्य के साथ संरेखित हो, पर ध्यान केंद्रित रखने के लिए वोट किया। डॉ. आशिमा गोयल और प्रो. जयंत आर. वर्मा ने रुख को तटस्थ के रूप में बदलने के लिए वोट किया।
10. एमपीसी की इस बैठक का कार्यवृत्त 22 अगस्त 2024 को प्रकाशित किया जाएगा।
11. एमपीसी की अगली बैठक 7 से 9 अक्तूबर 2024 के दौरान निर्धारित है।
('बिना प्रोफेशनल ट्रेनिंग के शेयर बाजार जरूर जुआ है'
((शेयर बाजार: जब तक सीखेंगे नहीं, तबतक पैसे बनेंगे नहीं!
RBI MPC ने रेपो रेट को जस का तस रखा, महंगाई और जीडीपी अनुमान को लेकर क्या कहा
नीति रिपो दर | : 6.50% |
स्थायी जमा सुविधा दर | : 6.25% |
सीमांत स्थायी सुविधा दर | : 6.75% |
बैंक दर | : 6.75% |
प्रत्यावर्तनीय रिपो दर | : 3.35% |
सीआरआर: 4.50%
एसएलआर: 18.00%
आधार दर: 8.75% - 10.10%
एमसीएलआर (ओवरनाइट): 7.90% - 8.50%
बचत जमा दर: 2.70% - 3.00%
सावधि जमा दर > 1 वर्ष: 6.00% - 7.25%
मौद्रिक नीति वक्तव्य, 2023-24
मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) का संकल्प
4-6 अक्तूबर 2023
वर्तमान और उभरती समष्टि-आर्थिक परिस्थिति का आकलन करने के आधार पर मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने आज (6 अक्तूबर 2023) अपनी बैठक में यह निर्णय लिया है कि:
चलनिधि समायोजन सुविधा (एलएएफ) के अंतर्गत नीतिगत रेपो दर को 6.50 प्रतिशत पर यथावत् रखा जाए।
स्थायी जमा सुविधा (एसडीएफ) दर 6.25 प्रतिशत तथा सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) दर और बैंक दर 6.75 प्रतिशत पर यथावत् बनी हुई है।
एमपीसी ने निभाव को वापस लेने पर ध्यान केंद्रित रखने का भी निर्णय लिया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मुद्रास्फीति उतरोत्तर संवृद्धि को समर्थन प्रदान करते हुए लक्ष्य के साथ संरेखित हो।
ये निर्णय, संवृद्धि को समर्थन प्रदान करते हुए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) मुद्रास्फीति को +/- 2 प्रतिशत के दायरे में रखते हुए 4 प्रतिशत का मध्यावधि लक्ष्य हासिल करने के अनुरूप है।
इस निर्णय में अंतर्निहित मुख्य विचार नीचे दिए गए विवरण में व्यक्त किए गए हैं।
आकलन
वैश्विक अर्थव्यवस्था
2. वैश्विक संवृद्धि की गति कम हो रही है। मुद्रास्फीति धीरे-धीरे कम हो रही है लेकिन प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में लक्ष्य से काफी ऊपर बनी हुई है। लंबी अवधि के लिए ऊंची दरों से संबंधित चिंताएं, वैश्विक वित्तीय बाजारों में अस्थिरता ला रही हैं। सॉवरेन बॉण्ड का प्रतिफल सख्त हो गया है, अमेरिकी डॉलर के मूल्य में वृद्धि हुई है, और इक्विटी बाजारों में करेक्शन हुआ है। उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाएं (ईएमई) मुद्रा मूल्यह्रास और अस्थिर पूंजी प्रवाह का सामना कर रही हैं।
घरेलू अर्थव्यवस्था
3. वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) ने 2023-24 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में वर्ष-दर-वर्ष (व-द-व) 7.8 प्रतिशत की संवृद्धि दर्ज की, जो निजी खपत और निवेश मांग पर आधारित है।
4. सितंबर के दौरान दक्षिण-पश्चिम मॉनसून वर्षा में सुधार हुआ और दीर्घकालिक औसत से 6 प्रतिशत कम रही। ख़रीफ़ फ़सलों की बुवाई का क्षेत्र एक वर्ष पहले की तुलना में 0.2 प्रतिशत अधिक था। जुलाई में औद्योगिक उत्पादन सूचकांक 5.7 प्रतिशत बढ़ा; अगस्त में मूल उद्योगों का उत्पादन 12.1 प्रतिशत बढ़ा। क्रय प्रबंधक सूचकांक (पीएमआई) और सेवा क्षेत्र के अन्य उच्च आवृत्ति संकेतकों ने अगस्त-सितंबर में बेहतर विस्तार प्रदर्शित किया।
5. मांग के मोर्चे पर, शहरी खपत में उछाल है, जबकि ग्रामीण मांग में सुधार के संकेत दिख रहे हैं। सार्वजनिक क्षेत्र के पूंजीगत व्यय से निवेश गतिविधि को लाभ हो रहा है। इस्पात की खपत, सीमेंट उत्पादन के साथ-साथ आयात और पूंजीगत वस्तुओं के उत्पादन में मजबूत वृद्धि देखी जा रही है। वस्तु निर्यात और तेल से इतर स्वर्ण से इतर आयात, अगस्त में संकुचन में रहे, हालांकि गिरावट की गति कम हो गई। अगस्त में सेवा निर्यात में सुधार हुआ।
6. अगस्त में कुछ हद तक कम होकर 6.8 प्रतिशत होने से पहले, सब्जियों की कीमतों में बढ़ोतरी के कारण जुलाई में सीपीआई हेडलाइन मुद्रास्फीति 2.6 प्रतिशत अंक बढ़कर 7.4 प्रतिशत हो गई। अगस्त में ईंधन मुद्रास्फीति बढ़कर 4.3 प्रतिशत हो गई। जुलाई-अगस्त 2023 के दौरान मूल मुद्रास्फीति (अर्थात्, खाद्य और ईंधन को छोड़कर सीपीआई) नरम होकर 4.9 प्रतिशत हो गई।
7. 22 सितंबर 2023 तक, मुद्रा आपूर्ति (एम3) में 10.8 प्रतिशत (वर्ष-दर-वर्ष) की वृद्धि हुई और बैंक ऋण में 15.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई। 29 सितंबर 2023 तक भारत की विदेशी मुद्रा आरक्षित निधि 586.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर थी।
संभावना
8. सब्जियों की कीमतों में बदलाव और एलपीजी की कीमतों में हालिया कमी के कारण निकट अवधि में मुद्रास्फीति के परिदृश्य में सुधार होने की उम्मीद है। भावी प्रक्षेपवक्र, दालों के अंतर्गत कम बुआई क्षेत्र, जलाशय के स्तर में गिरावट, अल नीनो की स्थिति और अस्थिर वैश्विक ऊर्जा और खाद्य कीमत जैसे कई कारकों पर निर्भर करेगी। रिज़र्व बैंक के उद्यम सर्वेक्षणों के अनुसार, विनिर्माण कंपनियों को पिछली तिमाही की तुलना में तीसरी तिमाही में उच्च इनपुट लागत दबाव लेकिन बिक्री कीमतों में मामूली कम वृद्धि की उम्मीद है। सेवाएँ और बुनियादी ढाँचा कंपनियों को इनपुट लागत और बिक्री कीमतों की संवृद्धि में नरमी आने की उम्मीद है। इन कारकों को ध्यान में रखते हुए, सीपीआई मुद्रास्फीति 2023-24 के लिए 5.4 प्रतिशत अनुमानित है, जिसका दूसरी तिमाही में 6.4 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 5.6 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 5.2 प्रतिशत होने का अनुमान है, जिसमें जोखिम समान रूप से संतुलित हैं। 2024-25 की पहली तिमाही के लिए सीपीआई मुद्रास्फीति 5.2 प्रतिशत अनुमानित है (चार्ट 1)।
9. सेवाओं में निरंतर उछाल, ग्रामीण मांग में पुनरुत्थान, उपभोक्ता और कारोबार आशावाद, पूंजीगत व्यय पर सरकार के जोर और बैंकों तथा कॉरपोरेट्स के बेहतर तुलन-पत्र से घरेलू मांग की स्थिति को लाभ होने की उम्मीद है। भू-राजनीतिक तनाव, अस्थिर वित्तीय बाजार और ऊर्जा की कीमतें तथा जलवायु आघात जैसे वैश्विक कारकों से संबंधित प्रतिकूल परिस्थितियां संवृद्धि की संभावना के लिए जोखिम उत्पन्न करती हैं। इन सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए, 2023-24 के लिए वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद की संवृद्धि 6.5 प्रतिशत होना अनुमानित है, जिसका दूसरी तिमाही में 6.5 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 6.0 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 5.7 प्रतिशत रहना अनुमानित है, जिसमें जोखिम समान रूप से संतुलित हैं। 2024-25 की पहली तिमाही के लिए वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद की संवृद्धि 6.6 प्रतिशत रहना अनुमानित है (चार्ट 2)।

10. एमपीसी ने पाया कि अभूतपूर्व खाद्य मूल्य आघात, मुद्रास्फीति के उभरते प्रक्षेपवक्र पर प्रभाव डाल रहे हैं और इस तरह के अतिव्यापी (ओवरलैपिंग) आघातों की बार-बार होने वाली घटनाएं सामान्यीकरण और दृढ़ता प्रदान कर सकती हैं। तदनुसार, वैश्विक खाद्य और ऊर्जा की कीमतों में वृद्धि और वैश्विक वित्तीय बाजार में अस्थिरता के मौजूदा माहौल को देखते हुए, एमपीसी ने अतिरिक्त सावधानी (हाई अलर्ट) बरतने का संकल्प लिया है। जबकि सब्जियों की कीमतों में और बदलाव हो सकता है और मूल मुद्रास्फीति कम हो रही है, एमपीसी ने इस बात पर ध्यान दिया कि हेडलाइन मुद्रास्फीति सहन-सीमा बैंड से ऊपर चल रही है और लक्ष्य के साथ इसका संरेखण बाधित हो रहा है। अतः, मौद्रिक नीति को सक्रिय रूप से अवस्फीतिकारी बने रहने की आवश्यकता है। घरेलू आर्थिक गतिविधि अच्छी चल रही है और त्योहारी खपत की मांग, निवेश के इरादों में तेजी तथा उपभोक्ता एवं कारोबारी संभावना में सुधार से इसे बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। चूंकि 250 आधार अंकों की संचयी नीति रेपो दर में बढ़ोतरी अभी भी अर्थव्यवस्था के माध्यम से अपना काम कर रही है, एमपीसी ने इस बैठक में नीति रेपो दर को 6.50 प्रतिशत पर यथावत् रखने का निर्णय लिया है, लेकिन यदि परस्थिति के लिए आवश्यक हो तो उचित और सामयिक नीतिगत कार्रवाई करने के लिए तैयार हैं। एमपीसी मुद्रास्फीति को लक्ष्य के अनुरूप करने और मुद्रास्फीति की उम्मीदों को नियंत्रित करने की अपनी प्रतिबद्धता पर दृढ़ रहेगी। एमपीसी ने निभाव को वापस लेने पर ध्यान केंद्रित रखने का भी निर्णय लिया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मुद्रास्फीति उतरोत्तर संवृद्धि को समर्थन प्रदान करते हुए लक्ष्य के साथ संरेखित हो।
11. एमपीसी के सभी सदस्य - डॉ. शशांक भिडे, डॉ. आशिमा गोयल, प्रो. जयंत आर. वर्मा, डॉ. राजीव रंजन, डॉ. माइकल देवब्रत पात्र और श्री शक्तिकान्त दास ने सर्वसम्मति से नीतिगत रेपो दर को 6.50 प्रतिशत पर यथावत् रखने के लिए वोट किया।
12. डॉ. शशांक भिडे, डॉ. आशिमा गोयल, डॉ. राजीव रंजन, डॉ. माइकल देवब्रत पात्र और श्री शक्तिकान्त दास ने निभाव को वापस लेने पर ध्यान केंद्रित रखने के लिए वोट किया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मुद्रास्फीति उतरोत्तर संवृद्धि को समर्थन प्रदान करते हुए लक्ष्य के साथ संरेखित हो। प्रो. जयंत आर. वर्मा ने संकल्प के इस हिस्से पर आपत्ति जताई।
13. एमपीसी की बैठक का कार्यवृत्त 20 अक्तूबर 2023 को प्रकाशित किया जाएगा।
14. एमपीसी की अगली बैठक 6-8 दिसंबर 2023 के दौरान निर्धारित है।
('बिना प्रोफेशनल ट्रेनिंग के शेयर बाजार जरूर जुआ है'
((शेयर बाजार: जब तक सीखेंगे नहीं, तबतक पैसे बनेंगे नहीं!
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