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Unclaimed Deposits: बैंकों में करीब ₹50 हजार करोड़ लावारिस, 10 साल या उससे अधिक समय से कोई दावा नहीं, खाता है तो नॉमिनी का नाम जरूर दें

केंद्र सरकार ने बैंकों को सभी खातों और लॉकरों के लिए नॉमिनी सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। बैंक के एक अधिकारी ने कहा कि सरकार और आरबीआई दोनों ने कहा है कि जमाकर्ता शिक्षा और जागरूकता कोष में पैसा जमा नहीं होना चाहिए।

द इकोनॉमिक टाइम्स (ईटी) की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि केंद्र ने बैंकों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि सभी डिपॉजिट अकाउंट और सेफ डिपॉजिट बॉक्स में एक नॉमिनी जरूर  हो।

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) और सरकार दोनों वाणिज्यिक बैंकों के साथ लगभग 50,000 करोड़ रुपये के लावारिस जमा को कम करने के लिए काम कर रहा है।

इस बात की पुष्टि एक शीर्ष अधिकारी ने की, जिन्होंने यह भी कहा कि सरकार ने इसके बारे में आरबीआई को सूचित कर दिया है। अधिकारी ने कहा, "हमने राज्य द्वारा संचालित ऋणदाताओं के साथ भी अलग से चर्चा की है। इससे बैंकों को भी मदद मिलेगी, क्योंकि कुछ कानूनी चिंताएं हो सकती हैं जो बैंकों और उनके ग्राहकों दोनों को प्रभावित करती हैं।"

इस साल की शुरुआत में, वित्त राज्य मंत्री, भागवत कराड ने लोकसभा को सूचित किया कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (PSB) ने फरवरी 2023 के अंत तक उन खातों से 35,012 करोड़ रुपये लावारिस जमा में स्थानांतरित कर दिए थे, जिनका उपयोग 10 वर्षों या उससे अधिक साल से नहीं किया गया था।

स्थिति से परिचित एक बैंक अधिकारी ने ईटी को बताया कि ऋणदाता आरबीआई के साथ बातचीत कर रहे हैं और एक विचार यह है कि बैंक शाखाओं को जवाबदेह ठहराया जाए और लावारिस जमा के नामांकन और ट्रेसिंग दोनों को उनके प्रदर्शन मूल्यांकन में शामिल किया जाए।

उन्होंने कहा, "सरकार और आरबीआई दोनों ने स्पष्ट कर दिया है कि वे जमाकर्ता शिक्षा और जागरूकता कोष में अधिक धन जमा करने के पक्ष में नहीं हैं।"

इस साल मई में आरबीआई ने प्रत्येक बैंक से शीर्ष 100 लावारिस जमा का पता लगाने और निपटाने के लिए '100 दिन, 100 भुगतान' अभियान शुरू किया। पहल के तहत, बैंक देश के प्रत्येक जिले में अपनी शीर्ष 100 जमाराशियों को ट्रैक और व्यवस्थित करेंगे।

बैंक के कार्यकारी ने कहा, "हम ग्राहकों का पता लगाने और उन्हें सूचित करने के लिए एक सामान्य तंत्र विकसित करने के लिए पीएसबी एलायंस को बोर्ड पर लाने पर विचार कर रहे हैं।"

भारतीय रिजर्व बैंक के निर्देश के अनुसार, जिन सावधि जमाओं पर उनकी परिपक्वता तिथि के 10 वर्षों के भीतर दावा नहीं किया जाता है, उन्हें "लावारिस जमा" माना जाता है, जैसा कि बचत या चालू खाते हैं जो 10 वर्षों से संचालित नहीं हैं।

इन पैसों को बैंकों द्वारा जमाकर्ता शिक्षा और जागरूकता के लिए आरबीआई के कोष में स्थानांतरित किया जाता है। जमाकर्ता अभी भी किसी भी लागू ब्याज के साथ बैंक से बाद की तारीख में अपने पैसे का दावा कर सकते हैं।


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Rajanish Kant मंगलवार, 6 जून 2023
उद्योगों को बैंकों द्वारा दिए गए ऋण की वृद्धि दर में कमी- RBI


बैंक ऋण का क्षेत्र-वार अभिनियोजन – अप्रैल 2023

अप्रैल 20231 महीने के लिए 40 चुनिंदा अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों से जुटाए गए बैंक ऋण के क्षेत्र-वार अभिनियोजन संबंधी आंकड़ें, जो सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों द्वारा अभिनियोजित कुल खाद्येतर ऋण का लगभग 93 प्रतिशत होता है, विवरण I और II में दिए गए हैं।

वर्ष-दर-वर्ष (व-द-व) आधार पर देखें तो, खाद्येतर बैंक ऋण2 में अप्रैल 2023 में 16.1 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, जबकि एक वर्ष पहले यह 11.4 प्रतिशत थी।

बैंक ऋण के क्षेत्र-वार अभिनियोजन की मुख्य बातें नीचे दी गई हैं:

  • अप्रैल 2023 में कृषि और संबद्ध कार्यकलापों हेतु प्रदत्त ऋण बढ़कर 16.7 प्रतिशत (वर्ष-दर-वर्ष) हुआ, जबकि एक वर्ष पहले यह 10.6 प्रतिशत था।

  • अप्रैल 2023 में उद्योग क्षेत्र को प्रदत्त ऋण में 7.0 प्रतिशत (वर्ष-दर-वर्ष) की वृद्धि दर्ज की गई, जबकि यह अप्रैल 2022 में 8.0 प्रतिशत थी। आकार के अनुसार देखें तो, बड़े उद्योग को प्रदत्त ऋण में एक वर्ष पहले के 1.3 प्रतिशत की वृद्धि की तुलना में 5.3 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। मध्यम उद्योगों ऋण संवृद्धि में एक वर्ष पहले के 53.7 प्रतिशत की तुलना में 19.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई। सूक्ष्म और लघु उद्योगों को प्रदत्त ऋण में अप्रैल 2023 में 9.7 प्रतिशत की वृद्धि (एक वर्ष पहले 29.8 प्रतिशत) दर्ज की गई।

  • प्रमुख उद्योगों में, ‘मूल धातु और धातु उत्पादों’ एवं ‘पेट्रोलियम, कोयला उत्पादों और परमाणु ईंधनों’ हेतु प्रदत्त ऋण में वृद्धि (वर्ष-दर-वर्ष) अप्रैल 2023 में पिछले वर्ष के इसी महीने की तुलना में बढ़ी। ‘रसायन और रासायनिक उत्पादों’, ‘खाद्य प्रसंस्करण’, ‘अवसंरचना’ एवं ‘कपड़ा’ की ऋण संवृद्धि में गिरावट आई।

  • सेवा क्षेत्र को प्रदत्त ऋण में वृद्धि एक वर्ष पहले के 11.2 प्रतिशत से अप्रैल 2023 में बढ़कर 21.6 प्रतिशत (वर्ष-दर-वर्ष) हो गई, जो ‘गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी)’ और ‘व्यापार’ को प्रदत्त ऋण में सुधार की वजह से थी।

  • वैयक्तिक ऋण में एक वर्ष पहले के 14.4 प्रतिशत की तुलना में अप्रैल 2023 में 19.4 प्रतिशत (वर्ष-दर-वर्ष) की वृद्धि दर्ज की गई, जिसकी मुख्य वजह ‘आवास ऋण’ और ‘वाहन ऋण’ थीं।

 

1 आंकड़ें माह के अंतिम रिपोर्टिंग शुक्रवार से संबंधित हैं।

2 खाद्येतर ऋण के आंकड़ें माह के अंतिम रिपोर्टिंग शुक्रवार हेतु धारा – 42 विवरणी पर आधारित हैं, जिसमें सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक (एससीबी) शामिल हैं।


(साभार- www.rbi.org.in)

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Rajanish Kant बुधवार, 31 मई 2023
RBI ने मंदसौर के स्मृति नागरिक सहकारी बैंक पर जुर्माना लगाया, जानें क्यों और कितना


भारतीय रिज़र्व बैंक ने स्मृति नागरिक सहकारी बैंक मर्यादित, मंदसौर (मध्य प्रदेश) पर मौद्रिक दंड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 14 मार्च 2023 के आदेश द्वारा, स्मृति नागरिक सहकारी बैंक मर्यादित, मंदसौर (मध्य प्रदेश) (बैंक) पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी यूसीबी के लिए एक्सपोजर मानदंड और सांविधिक/अन्य प्रतिबंध तथा अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी) संबंधी निदेशों के उल्लंघन/अननुपालन के लिए 4.00 लाख (चार लाख रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी उपर्युक्त निदेशों के अनुपालन में बैंक की विफलता को ध्यान में रखते हुए, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 46 (4) (i) और धारा 56 के साथ पठित धारा 47 ए (1) (सी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

यह कार्रवाई विनियामक अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य उक्‍त बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है।

पृष्ठभूमि

31 मार्च 2020 और 31 मार्च 2021 को बैंक की वित्तीय स्थिति के आधार पर बैंक की निरीक्षण रिपोर्ट से, अन्य बातों के साथ-साथ, यह पता चला कि (i) बैंक ने नाम मात्र सदस्यों को निर्धारित सीमा से अधिक ऋण स्वीकृत किए (ii) बैंक के पास ग्राहकों के जोखिम वर्गीकरण की आवधिक समीक्षा की कोई प्रणाली नहीं थी, (iii) बैंक ने जोखिम वर्गीकरण के अनुसार अपने ग्राहकों के केवाईसी का आवधिक अद्यतन नहीं किया, (iv) बैंक के पास भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी उपर्युक्त निदेशों के उल्लंघन/अननुपालन में संदिग्ध लेनदेन की निगरानी और रिपोर्टिंग के लिए अलर्ट उत्पन्न करने के लिए कोई प्रणाली नहीं थी। उक्त के आधार पर, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताएं कि निदेशों के अननुपालन के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए।

बैंक के उत्तर, व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान की गई मौखिक प्रस्तुतियों और उसके बाद की गई अतिरिक्त प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि भारतीय रिज़र्व बैंक के निदेशों के अननुपालन के उपर्युक्त आरोप सिद्ध हुए हैं और मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है।

(स्रोत- www.rbi.org.in)

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Rajanish Kant बुधवार, 22 मार्च 2023
RBI ने सोलापुर के लोकमंगल कोऑपरेटिव बैंक पर जुर्माना लगाया, जानें क्यों और कितना


भारतीय रिज़र्व बैंक ने लोकमंगल को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, सोलापुर (महाराष्ट्र) पर मौद्रिक दंड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 14 मार्च 2023 के आदेश द्वारा, लोकमंगल को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, सोलापुर (बैंक) पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा शहरी सहकारी बैंकों को जारी एक्सपोजर मानदंड और सांविधिक/अन्य प्रतिबंध-यूसीबी संबंधी निदेशों के उल्लंघन/अननुपालन के लिए 3.00 लाख (तीन लाख रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी उपर्युक्त निदेशों के अनुपालन में बैंक की विफलता को ध्यान में रखते हुए, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 46 (4) (i) और धारा 56 के साथ पठित धारा 47 ए (1) (सी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

यह कार्रवाई विनियामक अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य उक्‍त बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है।

पृष्ठभूमि

31 मार्च 2020 को बैंक की वित्तीय स्थिति के आधार पर बैंक की निरीक्षण रिपोर्ट से, अन्य बातों के साथ-साथ, यह पता चला कि बैंक ने भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी उपर्युक्त निदेशों के उल्लंघन/अननुपालन में नाम मात्र के सदस्यों को निर्धारित विनियामक सीमा से अधिक ऋण स्वीकृत किया। उक्त के आधार पर, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताएं कि निदेशों के अननुपालन के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए।

बैंक के उत्तर और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि भारतीय रिज़र्व बैंक के निदेशों के अननुपालन का उपर्युक्त आरोप सिद्ध हुआ है और मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है।

(स्रोत- www.rbi.org.in)

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RBI ने रायसेन के जिला सहकारी केंद्रीय बैंक पर जुर्माना लगाया, जानें क्यों और कितना


भारतीय रिज़र्व बैंक ने जिला सहकारी केंद्रीय बैंक मर्यादित, रायसेन (मध्य प्रदेश) 
पर मौद्रिक दंड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 15 मार्च 2023 के आदेश द्वारा, जिला सहकारी केंद्रीय बैंक मर्यादित, रायसेन (मध्य प्रदेश) (बैंक) पर बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (अधिनियम) के प्रावधानों तथा बैंकों द्वारा विवरणियों की प्रस्तुति संबंधी नाबार्ड द्वारा जारी निदेशों के उल्लंघन/अननुपालन के लिए 50,000 हजार (पचास हजार रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, उपर्युक्त निदेशों का अनुपालन करने में बैंक की विफलता को ध्यान में रखते हुए, अधिनियम की धारा 46 (4) (i) और धारा 56 के साथ पठित धारा 47 ए (1) (सी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

यह कार्रवाई विनियामक अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य उक्‍त बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है।

पृष्ठभूमि

31 मार्च 2021 तक की बैंक की वित्तीय स्थिति के आधार पर निरीक्षण रिपोर्ट से, अन्य बातों के साथ-साथ, यह भी पता चला कि बैंक ने अधिनियम के प्रावधानों तथा नाबार्ड द्वारा जारी उपर्युक्त निदेशों का उल्लंघन/अननुपालन करते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक को सांविधिक विवरणियाँ और नाबार्ड को ओएसएस विवरणियाँ प्रस्तुत करने में विलंब किया। उक्त के आधार पर, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताएं कि निदेशों का अननुपालन करने के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए।

बैंक के उत्तर और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि अधिनयम के प्रावधानों के अननुपालन का उपर्युक्त आरोप सिद्ध हुआ है और मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है।

(स्रोत- www.rbi.org.in)

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RBI ने नोएडा के नोबल कोऑपरेटिव बैंक पर जुर्माना लगाया, जानें क्यों और कितना


भारतीय रिज़र्व बैंक ने नोबल को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, नोएडा पर मौद्रिक दंड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 16 मार्च 2023 के आदेश द्वारा, नोबल को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, नोएडा (बैंक) पर बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित धारा 35ए के उल्लंघन के लिए 2.00 लाख (दो लाख रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 46 (4) (i) और धारा 56 के साथ पठित धारा 47 ए (1) (सी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

यह कार्रवाई विनियामक अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य उक्‍त बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है।

पृष्ठभूमि

31 मार्च 2021 को बैंक की वित्तीय स्थिति के आधार पर बैंक की निरीक्षण रिपोर्ट से, अन्य बातों के साथ-साथ, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित धारा 35 ए के उल्लंघन का पता चला। बैंक, भारतीय रिज़र्व बैंक के धोखाधड़ी वर्गीकरण और रिपोर्टिंग संबंधी निदेशों के अनुपालन में विफल रहा, जब उसने लेनदेन को धोखाधड़ी के रूप में वर्गीकृत नहीं किया और निर्धारित समय-सीमा के भीतर एफएमआर-1 के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को रिपोर्ट नहीं किया। उक्त के आधार पर, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताएं कि भारतीय रिज़र्व बैंक के धोखाधड़ी वर्गीकरण और रिपोर्टिंग संबंधी निदेशों के उल्लंघन के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए।

बैंक के उत्तर और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित धारा 35ए के अननुपालन के उपर्युक्त आरोप सिद्ध हुए हैं और मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है।

(स्रोत- www.rbi.org.in)

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RBI ने जालंधर के इंपीरियल अर्बन कोऑपरेटिव बैंक पर जुर्माना लगाया, जानें क्यों और कितना


भारतीय रिज़र्व बैंक ने इंपीरियल अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, जालंधर, पंजाब
पर मौद्रिक दंड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 10 मार्च 2023 के आदेश द्वारा, इंपीरियल अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, जालंधर, पंजाब (बैंक) पर बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (अधिनियम) की धारा 56 के साथ पठित धारा 35ए के उल्लंघन के लिए 1.00 लाख (एक लाख रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 46 (4) (i) और धारा 56 के साथ पठित धारा 47 ए (1) (सी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

यह कार्रवाई विनियामक अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य उक्‍त बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है।

पृष्ठभूमि

31 मार्च 2021 तक की बैंक की वित्तीय स्थिति के आधार पर बैंक की निरीक्षण रिपोर्ट/ जोखिम मूल्यांकन रिपोर्ट से, अन्य बातों के साथ-साथ, यह पता चला कि बैंक ने बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (अधिनियम) की धारा 56 के साथ पठित धारा 35ए का उल्लंघन करते हुए, निदेशकों और उनके रिश्तेदारों को ऋण और अग्रिमों की मंजूरी/ नवीकरण का निषेध करने वाले भारतीय रिज़र्व बैंक के निदेशों का अननुपालन किया है। उक्त के आधार पर, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताएं कि निदेशों का अननुपालन करने के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए।

बैंक के उत्तर पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि भारतीय रिज़र्व बैंक के निदेशों के अननुपालन उपर्युक्त आरोप सिद्ध हुआ है और मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है। 

(स्रोत- www.rbi.org.in)

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