Results for "Unclaimed Deposits"
उद्गम UDGAM पोर्टल पर और अधिक बैंकों को शामिल किया गया

 


उद्गम UDGAM पोर्टल पर और अधिक बैंकों को शामिल करना

भारतीय रिज़र्व बैंक ने 17 अगस्त 2023 को आम जनता के लिए एक केंद्रीकृत वेब पोर्टल उद्गम UDGAM (Unclaimed Deposits – Gateway to Access inforMation) का शुभारंभ किया ताकि उनके लिए एक ही स्थान पर कई बैंकों में अपनी दावा रहित जमाराशि का पता लगाना आसान हो सके।

पता लगाने की यह सुविधा शुरूआत में सात बैंकों के लिए पोर्टल पर उपलब्ध कराई गई थी और जनता को यह सूचित किया गया था कि शेष बैंकों के लिए पता लगाने की यह सुविधा पोर्टल पर 15 अक्तूबर 2023 तक चरणबद्ध तरीके से उपलब्ध कराई जाएगी। जनता को सूचित किया जाता है कि 28 सितंबर 2023 को पोर्टल पर 30 बैंकों के लिए पता लगाने की सुविधा उपलब्ध कराई गई है, जो जमाकर्ता शिक्षा और जागरूकता (डीईए) निधि में ऐसी दावा रहित जमाराशि (मूल्य के संदर्भ में) के लगभग 90% को समाविष्ट करता है।


(Ctsy: www.rbi.org.in)


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Rajanish Kant गुरुवार, 5 अक्तूबर 2023
UDGAM करेगा बैंक में भूले बिसरे पैसा निकालने में मदद, क्या है UDGAM II UDGAM For Unclaimed Deposits II
RBI unveils UDGAM portal to track unclaimed deposits. How to check status? बैंक के अलग अलग खातों जैसे कि बचत खाता, चालू खाता, एफडी और आरडी खाता या दूसरे खाता में लावारिस पड़े पैसों को पता लगाकर उसे निकालना अब आसान हो गया है। देश के केंद्रीय बैंक भारतीय रिजर्व बैंक की एक पहले से ये काम आसान हो गया है। देश के अलग-अलग सरकारी बैंकों में फरवरी 2023 तक 35 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा लावारिस पड़ा था यानी इस पर दावा करने वाला कोई नहीं था। अगर आपका भी इसमें पैसा लावारिस है, तो इस एपिसोड में जानिए लावारिस पैसे निकालने के तरीके।


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Rajanish Kant शनिवार, 19 अगस्त 2023
UDGAM for Unclaimed Deposits: बैंकों में भूले बिसरे पैसों पर दावा करना अब और आसान हुआ, RBI ने लांच किया UDGAM, कैसे उठायें फायदा

भारतीय रिज़र्व बैंक ने अदावी जमाराशियों की खोज के लिए उद्गम – UDGAM - केंद्रीकृत वेब पोर्टल का लोकार्पण किया



गवर्नर, भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज एक केंद्रीकृत वेब पोर्टल उद्गम (अदावी जमाराशियां - सूचना तक पहुंच का प्रवेश द्वार) {UDGAM (Unclaimed Deposits – Gateway to Access inforMation)} का लोकार्पण किया। यह पोर्टल भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जनता के उपयोग हेतु विकसित किया गया है ताकि उन्हें एक ही स्थान पर कई बैंकों में अपनी अदावी जमाराशियों की खोज सुविधाजनक और आसान हो सके। इसके लिए सबसे पहले आपको इस वेबसाइट UDGAM (Unclaimed Deposits – Gateway to Access inforMation पर आपको रजिस्ट्रेशन कराना होगा। 


भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 6 अप्रैल 2023 को विकासात्मक और विनियामक नीतियों पर वक्तव्य के भाग के रूप में अदावी जमाराशियों की खोज के लिए एक केंद्रीकृत वेब पोर्टल के विकास की घोषणा की थी। अदावी जमाराशियों की मात्रा की बढ़ती प्रवृत्ति को देखते हुए, इस मामले पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जनता को सुग्राही बनाने हेतु समय-समय पर जन जागरूकता अभियान चलाए जाते हैं। इसके अलावा, इन पहलों के माध्यम से, भारतीय रिज़र्व बैंक जनता को अदावी जमाराशियों का दावा करने के लिए अपने संबंधित बैंकों की पहचान करने और उनसे संपर्क करने के लिए प्रोत्साहित करता रहा है।

वेब पोर्टल के लोकार्पण से उपयोगकर्ताओं को अपनी अदावी जमाराशियों/खातों की पहचान करने में मदद मिलेगी और वे या तो जमाराशियों का दावा कर सकेंगे या अपने जमा खातों को अपने संबंधित बैंकों में सक्रिय कर सकेंगे। रिज़र्व बैंक सूचना प्रौद्योगिकी प्राइवेट लिमिटेड (ReBIT), भारतीय वित्तीय प्रौद्योगिकी और संबद्ध सेवाएं (IFTAS) और सहभागी बैंकों के सहयोग से पोर्टल विकसित किया गया है।

शुरुआत में, उपयोगकर्ता पोर्टल पर वर्तमान में उपलब्ध सात बैंकों के संबंध में अपनी अदावी जमाराशियों का विवरण प्राप्त करने में सक्षम होंगे। पोर्टल पर शेष बैंकों की खोज सुविधा चरणबद्ध तरीके से 15 अक्तूबर 2023 तक उपलब्ध कराई जाएगी।

(साभार- www.rbi.org.in)

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Rajanish Kant गुरुवार, 17 अगस्त 2023
Unclaimed Deposits: बैंकों में करीब ₹50 हजार करोड़ लावारिस, 10 साल या उससे अधिक समय से कोई दावा नहीं, खाता है तो नॉमिनी का नाम जरूर दें

केंद्र सरकार ने बैंकों को सभी खातों और लॉकरों के लिए नॉमिनी सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। बैंक के एक अधिकारी ने कहा कि सरकार और आरबीआई दोनों ने कहा है कि जमाकर्ता शिक्षा और जागरूकता कोष में पैसा जमा नहीं होना चाहिए।

द इकोनॉमिक टाइम्स (ईटी) की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि केंद्र ने बैंकों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि सभी डिपॉजिट अकाउंट और सेफ डिपॉजिट बॉक्स में एक नॉमिनी जरूर  हो।

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) और सरकार दोनों वाणिज्यिक बैंकों के साथ लगभग 50,000 करोड़ रुपये के लावारिस जमा को कम करने के लिए काम कर रहा है।

इस बात की पुष्टि एक शीर्ष अधिकारी ने की, जिन्होंने यह भी कहा कि सरकार ने इसके बारे में आरबीआई को सूचित कर दिया है। अधिकारी ने कहा, "हमने राज्य द्वारा संचालित ऋणदाताओं के साथ भी अलग से चर्चा की है। इससे बैंकों को भी मदद मिलेगी, क्योंकि कुछ कानूनी चिंताएं हो सकती हैं जो बैंकों और उनके ग्राहकों दोनों को प्रभावित करती हैं।"

इस साल की शुरुआत में, वित्त राज्य मंत्री, भागवत कराड ने लोकसभा को सूचित किया कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (PSB) ने फरवरी 2023 के अंत तक उन खातों से 35,012 करोड़ रुपये लावारिस जमा में स्थानांतरित कर दिए थे, जिनका उपयोग 10 वर्षों या उससे अधिक साल से नहीं किया गया था।

स्थिति से परिचित एक बैंक अधिकारी ने ईटी को बताया कि ऋणदाता आरबीआई के साथ बातचीत कर रहे हैं और एक विचार यह है कि बैंक शाखाओं को जवाबदेह ठहराया जाए और लावारिस जमा के नामांकन और ट्रेसिंग दोनों को उनके प्रदर्शन मूल्यांकन में शामिल किया जाए।

उन्होंने कहा, "सरकार और आरबीआई दोनों ने स्पष्ट कर दिया है कि वे जमाकर्ता शिक्षा और जागरूकता कोष में अधिक धन जमा करने के पक्ष में नहीं हैं।"

इस साल मई में आरबीआई ने प्रत्येक बैंक से शीर्ष 100 लावारिस जमा का पता लगाने और निपटाने के लिए '100 दिन, 100 भुगतान' अभियान शुरू किया। पहल के तहत, बैंक देश के प्रत्येक जिले में अपनी शीर्ष 100 जमाराशियों को ट्रैक और व्यवस्थित करेंगे।

बैंक के कार्यकारी ने कहा, "हम ग्राहकों का पता लगाने और उन्हें सूचित करने के लिए एक सामान्य तंत्र विकसित करने के लिए पीएसबी एलायंस को बोर्ड पर लाने पर विचार कर रहे हैं।"

भारतीय रिजर्व बैंक के निर्देश के अनुसार, जिन सावधि जमाओं पर उनकी परिपक्वता तिथि के 10 वर्षों के भीतर दावा नहीं किया जाता है, उन्हें "लावारिस जमा" माना जाता है, जैसा कि बचत या चालू खाते हैं जो 10 वर्षों से संचालित नहीं हैं।

इन पैसों को बैंकों द्वारा जमाकर्ता शिक्षा और जागरूकता के लिए आरबीआई के कोष में स्थानांतरित किया जाता है। जमाकर्ता अभी भी किसी भी लागू ब्याज के साथ बैंक से बाद की तारीख में अपने पैसे का दावा कर सकते हैं।


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Rajanish Kant मंगलवार, 6 जून 2023
Unclaimed Deposits (लावारिस जमा) की वापसी के लिए RBI का '100 दिन 100 भुगतान' अभियान

भारतीय रिज़र्व बैंक ने अदावी जमाराशियों को लौटाने के लिए
'100 दिन 100 भुगतान' अभियान की शुरूआत की

बचत/ चालू खातों, जो 10 वर्षों से परिचालित नहीं है, में शेषराशियों या परिपक्वता की तारीख से 10 वर्षों तक दावा नहीं की गई सावधि जमाराशियों को "अदावी जमाराशियों" के रूप में वर्गीकृत किया गया है। इन राशियों को बैंकों द्वारा भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा अनुरक्षित "जमाकर्ता शिक्षण और जागरूकता" (डीईए) निधि में अंतरित किया जाता है। भारतीय रिज़र्व बैंक, समय-समय पर, अपनी जन जागरूकता पहलों के माध्यम से जनता को ऐसी जमाराशियों का दावा करने के लिए संबंधित बैंक की पहचान करने और उससे संपर्क करने के लिए प्रोत्साहित करता रहा है। हाल ही में, भारतीय रिज़र्व बैंक ने जनता के लिए विभिन्न बैंकों में अदावी जमाराशियों को खोजने के लिए एक केंद्रीकृत वेब पोर्टल की स्थापना की भी घोषणा की है।

भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज बैंकों के लिए '100 दिन 100 भुगतान' अभियान की घोषणा की है ताकि 100 दिनों के भीतर देश के प्रत्येक जिले में प्रत्येक बैंक की शीर्ष 100 अदावी जमाराशियों का पता लगाया जा सके और उनका निपटान किया जा सके। यह उपाय भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंकिंग प्रणाली में अदावी जमाराशियों की मात्रा को कम करने और ऐसी जमाराशियों को उनके सही मालिकों/ दावेदारों को लौटाने के लिए चल रहे प्रयासों और पहलों का पूरक होगा।

बैंक 01 जून 2023 से अभियान की शुरूआत करेंगे। माना जा रहा है कि बैंकों में करीब 35 हजार करोड़ रुपए लावारिस पड़े हुए हैं। 


(साभार- www.rbi.org.in)

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Rajanish Kant शनिवार, 13 मई 2023
Unclaimed Deposits (लावारिस जमाराशियों) का पता लगाने के लिए केंद्रीकृत वेब पोर्टल विकसित किया जाएगा: RBI


RBI  मे मौद्रिक पॉलिसी कमिटी की तीन दिनों की बैठक के बाद 6 अप्रैल को Unclaimed Deposits (लावारिस जमाराशियों) का पता लगाने के लिए केंद्रीकृत वेब पोर्टल विकसित करने की बात कही है। इससे आम लोगों को बैंकों में पड़ी उनकी या उनके अभिभावक की लावारिस  जमाराशियों के बारे में पता करना आसान हो जाएगा। 

विकासात्मक और विनियामक नीतियों पर वक्तव्य

यह वक्तव्य (i) वित्तीय बाजारों; (ii) विनियमन और पर्यवेक्षण; और (iii) भुगतान और निपटान प्रणाली से संबंधित विभिन्न विकासात्मक और विनियामक नीतिगत उपायों को निर्धारित करता है।

I. वित्तीय बाजार

1. एक तटीय (ऑनशोर) गैर- प्रदेय (नॉन-डिलीवरेबल) व्युत्पन्नी बाज़ार विकसित करना

भारत में अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र (आईएफ़एससी) बैंकिंग इकाइयों (आईबीयू) का परिचालन करने वाले बैंकों को 1 जून 2020 से अनिवासियों और एक दूसरे के साथ भारतीय रुपया (आईएनआर) गैर- प्रदेय विदेशी मुद्रा व्युत्पन्नी संविदा (एनडीडीसी) में लेनदेन करने की अनुमति दी गई थी। तटीय आईएनआर एनडीडीसी को विकसित करने और निवासियों को उनके हेजिंग कार्यक्रमों को कुशलतापूर्वक डिज़ाइन करने की सुविधा प्रदान करने हेतु, यह निर्णय लिया गया है कि आईबीयू वाले बैंकों को तटीय बाज़ार में निवासी उपयोगकर्ताओं को आईएनआर एनडीडीसी प्रदान करने की अनुमति दी जाए। इन बैंकों के पास अपने एनडीडीसी लेनदेन को अनिवासियों के साथ और एक दूसरे के साथ विदेशी मुद्रा या आईएनआर में निपटान की सुविधा होगी, जबकि निवासियों के साथ लेनदेन का निपटान अनिवार्य रूप से आईएनआर में होगा। संबंधित दिशा-निर्देश अलग से जारी किए जा रहे हैं।

II. विनियमन और पर्यवेक्षण

2. विनियामक प्रक्रियाओं की दक्षता बढ़ाना

भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा विनियमित गतिविधियों को करने के लिए विभिन्न संस्थाओं को लाइसेंस/ प्राधिकरण प्राप्त करने की आवश्यकता होती है। इसके अलावा, विनियमित संस्थाओं को समय-समय पर विभिन्न संविधियों/ विनियमों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक से कतिपय विनियामक अनुमोदन प्राप्त करने की आवश्यकता होती है। वर्तमान में, इसके लिए आवेदन और अनुमोदन की प्रक्रिया ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीकों से होती है। 2023-24 के केंद्रीय बजट में विभिन्न विनियमों के अंतर्गत आवेदनों पर निर्णय लेने के लिए निर्धारित समय- सीमा के भीतर वित्तीय क्षेत्र के विनियामकों द्वारा अनुपालन की लागत को सरल, आसान और कम करने की अपेक्षा की घोषणा की गई है। अतः, यह निर्णय लिया गया है कि 'PRAVAAH' (विनियामक आवेदन, सत्यापन और प्राधिकरण के लिए मंच) नामक एक सुरक्षित वेब आधारित केंद्रीकृत पोर्टल विकसित किया जाए, जो उत्तरोत्तर सभी कार्यों के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक को आवेदन प्रस्तुत किए जाने हेतु लागू होगा।

3. अदावी जमाराशियों को खोजने के लिए जनता के लिए केंद्रीकृत वेब पोर्टल विकसित करना

किसी बैंक में 10 वर्षों तक अदावी जमाराशि को भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा अनुरक्षित "जमाकर्ता शिक्षण और जागरूकता" (डीईए) निधि में अंतरित कर दिया जाता है। चूंकि जमाकर्ताओं का संरक्षण एक व्यापक उद्देश्य है, भारतीय रिज़र्व बैंक यह सुनिश्चित करने के लिए कई उपाय कर रहा है कि नई जमाराशियाँ अदावी न हों और उचित प्रक्रिया का पालन करने के बाद वर्तमान अदावी जमाराशि सही मालिक या लाभार्थियों को वापस कर दी जाएं। दूसरे पहलू पर, बैंक अदावी जमाराशियों की सूची अपनी वेबसाइट पर प्रदर्शित करते हैं। ऐसे आंकड़ों तक जमाकर्ताओं/ लाभार्थियों की पहुंच में सुधार और विस्तार करने के लिए, भारतीय रिज़र्व बैंक ने एक वेब पोर्टल विकसित करने का निर्णय लिया है ताकि उपयोगकर्ता इनपुट के आधार पर संभावित अदावी जमाराशि के लिए कई बैंकों में खोज की जा सके। कुछ एआई उपकरणों के उपयोग से खोज परिणामों में सुधार आएगा।

4. साख संस्थाओं द्वारा साख सूचना रिपोर्टिंग तथा साख सूचना कंपनियों द्वारा प्रदान की गई साख सूचना से संबंधित शिकायत निवारण तंत्र

साख सूचना रिपोर्टिंग और साख सूचना कंपनियों (सीआईसी) के कामकाज के संबंध में ग्राहकों की शिकायतों में वृद्धि के कारण, यह निर्णय लिया गया है कि साख संस्थानों (सीआई) और सीआईसी द्वारा प्रदान की जाने वाली शिकायत निवारण तंत्र और ग्राहक सेवा की प्रभावकारिता को मजबूत करने और सुधारने के लिए एक व्यापक रूपरेखा तैयार किया जाए। इस प्रयोजन के लिए, सीआईसी को रिज़र्व बैंक एकीकृत लोकपाल योजना (आरबी-आईओएस) के तत्वावधान में लाया गया है। इसके अलावा, निम्नलिखित उपायों को लागू करने का भी प्रस्ताव है: साख सूचना के अद्यतन/सुधार में विलंब के लिए एक मुआवजा तंत्र; ग्राहकों को एसएमएस/ईमेल अलर्ट का प्रावधान जब भी उनकी साख सूचना को सीआईसी से एक्सेस किए जाते हैं; साख संस्थाओं से सीआईसी द्वारा प्राप्त आंकड़ों को शामिल करने की समय-सीमा; और सीआईसी की वेबसाइट पर प्राप्त ग्राहक शिकायतों की संख्या और प्रकृति से संबंधित प्रकटीकरण। इस संबंध में विस्तृत दिशानिर्देश शीघ्र ही जारी किए जाएंगे।

III. भुगतान और निपटान प्रणाली

5. यूपीआई के माध्यम से बैंकों में पूर्व-स्वीकृत ऋण व्यवस्था का संचालन

यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) एक सुदृढ़ भुगतान प्लेटफॉर्म है जिसमें कई तरह की सुविधाएं उपलब्ध हैं। वर्तमान में भारत में डिजिटल भुगतान का 75% भुगतान इसके माध्यम से किया जाता है। भारत के भुगतान डिजिटलीकरण लक्ष्यों के अनुरूप उत्पादों और सुविधाओं को विकसित करने के लिए यूपीआई प्रणाली का उपयोग किया गया है। हाल ही में, रुपे क्रेडिट कार्ड को यूपीआई से लिंक करने की अनुमति दी गई थी। वर्तमान में, यूपीआई लेनदेन बैंकों में जमा खातों के बीच किए जाते हैं, कभी-कभी वॉलेट सहित प्री-पेड उपकरणों द्वारा मध्यस्थता की जाती है। अब जमा खातों के अलावा, बैंकों में पूर्व-स्वीकृत ऋण व्यवस्थाओं को/से अंतरण को सक्षम करके यूपीआई के दायरे का विस्तार करने का प्रस्ताव है। दूसरे शब्दों में, यूपीआई नेटवर्क बैंकों से ऋण द्वारा वित्तपोषित भुगतान की सुविधा प्रदान करेगा। यह इस तरह की व्यवस्थाओं की लागत को कम कर सकता है और भारतीय बाजारों के लिए विशिष्ट उत्पादों के विकास में मदद कर सकता है।

इस संबंध में विस्तृत अनुदेश अलग से जारी किए जाएंगे।

(साभार- www.rbi.org.in.com)

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Rajanish Kant शनिवार, 8 अप्रैल 2023