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एसबीआई ने 30 लाख रुपये तक के आवास ऋण पर ब्याज दर 0.05 प्रतिशत घटाई

भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा नीतिगत ब्याज दर में कमी किए जाने के एक दिन बाद ही देश के सबसे बड़े बैंक सार्वजनिक क्षेत्र के भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने 30 लाख रुपये तक के सभी आवास ऋणों पर ब्याज दर में 0.05 प्रतिशत की कटौती करने की शुक्रवार को घोषणा की। 

एसबीआई ने शुक्रवार को जारी बयान में कहा कि उसने गृह रिण पर ब्याज पांच आधार अंक (0.05 प्रतिशत अंक) घटा दी है। 

बैंक ने कहा, ‘ रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति की घोषणा के तुरंत पश्चात हमने सबसे पहले बैंक हैं जिसने 30 लाख रुपए तक के गृह रिण पर ब्याज घटाया है।’ बैंक ने कहा है कि उसने कम और मध्यम आयवर्ग के लोगों के फायदे को ध्यान में रख कर यह निर्णय किया है। 

भारतीय रिजर्व बैंक ने बृहस्पतिवार को चालू वित्त वर्ष की अंतिम द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा में रेपो दर को 0.25 प्रतिशत घटा कर 6.25 प्रतिशत कर दिया है। 

इसके बाद से माना जा रहा है कि वाणिज्यिक बैंक भी अपने कर्ज को सस्ता करेंगे। 

एसबीआई के चेयरमैन रजनीश कुमार ने कहा कि देश के सबसे बड़े बैंक के नाते हम हमेशा ग्राहकों के हित को सबसे आगे रखते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘आवास ऋण बाजार में एसबीआई की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा है। ऐसे में यह उचित होगा कि हम केंद्रीय बैंक द्वारा दरों में कटौती का लाभ एक बड़े निम्न और मध्यम आय वर्ग को उपलब्ध कराएं।’’ 

सार्वजनिक क्षेत्र का एसबीआई संपत्ति, जमा, शाखा, ग्राहक और कर्मचारियों की संख्या के लिहाज से देश का सबसे बड़ा बैंक है। 30 सितंबर, 2018 तक बैंक के पास 28.07 लाख करोड़ रुपये की जमाएं थीं। कासा अनुपात 45.27 प्रतिशत का तथा ऋण 20.69 लाख करोड़ रुपये का था। 

आवास ऋण बाजार में एसबीआई की हिस्सेदारी 34.28 प्रतिशत तथा वाहन ऋण बाजार में 34.27 प्रतिशत है। 


(सौ. पीटीआई भाषा)
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Rajanish Kant शुक्रवार, 8 फ़रवरी 2019
सितंबर में पर्सनल लोन में 15 प्रतिशत का इजाफा
बैंक ऋण का क्षेत्रवार विनियोजन –सितंबर 2018

बैंक ऋण के क्षेत्रवार विनियोजन पर चयनित 41 अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों से सितंबर 2018 माह के एकत्र आंकड़े जो सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों द्वारा विनियोजित कुल गैर-खाद्य ऋण में लगभग 90 प्रतिशत का हिस्‍सा रखते हैं, विवरण-। और विवरण-।। में दिए गए हैं।
बैंक ऋण के क्षेत्रवार विनियोजन के आंकड़ों के मुख्य अंश निम्‍नानुसार हैं :
  • वर्ष-दर-वर्ष (वाई-ओ-वाई) आधार पर, गैर-खाद्य बैंक ऋण में सितंबर 2017 में 6.1 प्रतिशत वृद्धि की तुलना में सितंबर 2018 में 11.3 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।
  • कृषि और संबद्ध क्रियाकलापों के लिए दिए गए ऋण में सितंबर 2018 में 5.8 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई जिस दर पर सितंबर 2017 में वृद्धि दर्ज की गई थी।
  • उद्योग के लिए दिए गए ऋण में सितंबर 2017 के 0.4 प्रतिशत की कमी की तुलना में सितंबर 2018 में 2.3 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। ‘बुनियादी सुविधा क्षेत्र’ ‘टेक्सटाइल’, ‘रसायन और उसके उत्‍पाद’, और सभी प्रकार की अभियांत्रिकी’ में वृद्धि हुई। तथापि, ‘मूल धातु और धातु उत्पाद’, ‘सीमेंट और सीमेंट उत्पाद’, ‘हीरे और जवाहारात’ तथा ‘पेपर और पेपर उत्पाद’ के ऋण में संकुचन / कमी हुई।
  • सेवा क्षेत्र के लिए दिए गए ऋण में सितंबर 2017 में दर्ज 7.0 प्रतिशत की तुलना में सितंबर 2018 में 24.0 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
  • वैयक्तिक ऋणों में सितंबर 2017 में हुई 16.8 प्रतिशत की वृद्धि की तुलना में सितंबर 2018 में 15.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
(सौ. www.rbi.org.in)
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Rajanish Kant गुरुवार, 1 नवंबर 2018
सुप्रीम कोर्ट का ये फैसला होम लोन लेने वालों को राहत पहुंचाएगा!
  • बैंकों से घटी ब्याज दर का लाभ लोगों तक नहीं पहुंचने पर न्यायालय ने रिजर्व बेंक से जवाब मांगा....
  • उच्चतम न्यायालय ने बैंकों से फ्लोटिंग दर पर कर्ज लेने वाले ग्राहकों को ब्याज दर में कमी का लाभ देने में देरी के खिलाफ की गई शिकायत पर भारतीय रिजर्व बैंक से जवाब देने को कहा है। 

    प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एस के कौल एवं न्यायमूर्ति के एम जोसेफ की पीठ ने भारतीय रिजर्व बैंक को लोक न्यास ‘मनीलाइफ फाउंडेशन’ को छह सप्ताह के भीतर उसकी शिकायत पर जवाब देने को कहा है। न्यास ने अपनी दायर की गई शिकायत में आरोप लगाया है कि रेपो दर और रिवर्स रेपो दर को लेकर आरबीआई के फैसले के बावजूद बैंक और वित्तीय संस्थाएं ब्याज दरों में कमी लाने में सुस्त रुख अपनाते हैं। ग्राहकों को दर में कमी का लाभ देने में देरी की जाती है। 

    रिजर्व बैंक हर दो महीने पर अपनी मौद्रिक नीति की समीक्षा करता है और रेपो रेट तय करता है। केंद्रीय बैंक रेपो दर के आधार पर ही बैंकों एवं वित्तीय संस्थानों को अल्पकालिक कर्ज उपलब्ध कराता है। इसी दर से बैंकों में आगे ब्याज दर की दिशा तय होती है। रेपो दर में घटबढ से मकान एवं वाहनों के रिण सहित अन्य कर्ज के ईएमआई पर असर पड़ता है। 

    पीठ ने कहा, “याचिकाकर्ता के मुताबिक इस विषय में लिये गए निर्णय के नतीजे के बारे में उसे जानकारी नहीं दी गयी। इसके बाद याचिकाकर्ता के पास इस न्यायालय का दरवाजा खटखटाने के अलावा कोई विकल्प नहीं रह बचा।” 

    पीठ ने कहा, ‘‘हमारा मानना है कि, इस स्तर पर रिजर्व बैंक को यह निर्देश दिया जाना चाहिये कि वह याचिकाकर्ता के दिनांक 12-10-2017 के पत्र..ज्ञापन में दिये गये मामले पर अपने फैसले की जानकारी याचिकाकर्ता को छह सप्ताह के भीतर उपलब्ध कराये।’’ 

    न्यायालय ने याचिकाकर्ता ट्रस्ट तथा अन्य से कहा है कि यदि वह रिजर्व बैंक के जवाब से संतुष्ठ नहीं हो तो वह फिर से न्यायालय के समक्ष अपनी बात रख सकते हैं। 

    जनहित याचिका में देश में बैंकिंग कंपनियों द्वारा भारतीय रिजर्व बैंक (कर्ज पर ब्याज दर) मास्टर निर्देशन 2016 को लागू करने के तरीके को चुनौती दी गई थी।
    (सौ. भाषा)

    Rajanish Kant बुधवार, 10 अक्तूबर 2018
    HDFC बैंक और बैंक ऑफ इंडिया ने लोन महंगा किया
    मोदी राज में रिजर्व बैंक द्वारा पहली बार रेपो रेट में चौथाई परसेंट का इजाफा किए जाने के बाद बैंकों ने कर्ज की दरों में बढ़ोतरी करना शुरू कर दिया है। सबसे पहले इंडियन बैंक और करुर वैश्य बैंक ने अलग-अलग अवधि के MCLR (धनराशि आधारित उधार दर, निधि आधारित उधार दर, कोष आधारित उधार दर - Marginal Cost of Funds based Lending Rate) में बढ़ोतरी की और अब HDFC बैंक और बैंक ऑफ इंडिया ने भी MCLR बढ़ा दिया है। MCLR वह फ्लोर रेट होता है जिस पर बैंक ग्राहकों को लोन देते हैं।

    HDFC बैंक ने 7जून से एक साल के लोन पर एमसीएलआर 8.10 प्रतिशत से बढ़ाकर 8.40 प्रतिशत कर दिया। वहीं HDFC बैंक तीन साल के लोन पर अब 8.70 प्रतिशत और 6 महीने के लोन पर 8.25 प्रतिशत ब्याज वसूलेगा।

    उधर, बैंक ऑफ इंडिया ने एमसीएलआर में संशोधन करते हुए अब एक साल लोन पर 8.50 प्रतिशत, 6 महीने के लोन पर 7.90 प्रतिशत, 6 महीने के लोन पर 8.45 प्रतिशत ब्याज वसूलेगा। नई दरें 10 जून से लागू होंगी।

    इससे पहले रिजर्व बैंक द्वारा रेपो रेट बढ़ाए जाने के बाद इंडियन बैंक और करुर वैश्य बैंक ने अलग-अलग अवधि के MCLR (धनराशि आधारित उधार दर, निधि आधारित उधार दर, कोष आधारित उधार दर - Marginal Cost of Funds based Lending Rate) में बढ़ोतरी कर दी है जबकि बैंक ऑफ महाराष्ट्रा ने जल्द ही कर्ज महंगा करने के संकेत दिये हैं। इंडियन बैंक ने 3 महीने से लेकर 5 साल तक के लोन का एमसीएलआर 0.10 प्रतिशत बढ़ा दिया है। करुर वैश्य  बैंक ने भी 6 महीने से लेकर 1 साल तक के लोन का एमसीएलआर 0.10 प्रतिशत बढ़ा दिया है। 

    वहीं स्टेट बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा ने रिजर्व बैंक द्वारा रेपो रेट बढ़ाए जाने के पहले ही कर्ज की दरों में बढ़ोतरी कर दी थी।

    आपको बता दूं कि रिजर्व बैंक कमर्शियल बैंकों को जिस रेट पर कर्ज देता है वह रेपो रेट कहलाता है। बैंकों को कई बार पैसों की जरूरत होती है तो वो रिजर्व बैंक से रात भर के लिए कर्ज लेते हैं। अब यह कर्ज रिजर्व बैंक ने महंगा कर दिया है। तो जब बैंकों को ही लोन महंगा मिलेगा तो जाहिर है बैंक भी अपने ग्राहकों को महंगा लोन ही देंंगे। 

    Rajanish Kant शुक्रवार, 8 जून 2018
    बैंकों ने कर्ज महंगा करना शुरू कर दिया, जानें किन बैंकों ने बढ़ाई कर्ज की ब्याज दरें
    मोदी राज में रिजर्व बैंक द्वारा पहली बार रेपो रेट में चौथाई परसेंट का इजाफा किए जाने के बाद बैंकों ने कर्ज की दरों में बढ़ोतरी करना शुरू कर दिया है। हालांकि, कुछ बैंकों ने तो रिजर्व बैंक के रेपो रेट बढ़ाने के फैसले से पहले ही कर्ज की दरों को महंगा कर दिया था। 

    आपको बता दूं कि रिजर्व बैंक कमर्शियल बैंकों को जिस रेट पर कर्ज देता है वह रेपो रेट कहलाता है। बैंकों को कई बार पैसों की जरूरत होती है तो वो रिजर्व बैंक से रात भर के लिए कर्ज लेते हैं। अब यह कर्ज रिजर्व बैंक ने महंगा कर दिया है। तो जब बैंकों को ही लोन महंगा मिलेगा तो जाहिर है बैंक भी अपने ग्राहकों को महंगा लोन ही देंंगे। 

    रिजर्व बैंक द्वारा रेपो रेट बढ़ाए जाने के बाद इंडियन बैंक और करुर वैश्य बैंक ने अलग-अलग अवधि के MCLR (धनराशि आधारित उधार दर, निधि आधारित उधार दर, कोष आधारित उधार दर - Marginal Cost of Funds based Lending Rate) में बढ़ोतरी कर दी है जबकि बैंक ऑफ महाराष्ट्रा ने जल्द ही कर्ज महंगा करने के संकेत दिये हैं। इंडियन बैंक ने 3 महीने से लेकर 5 साल तक के लोन का एमसीएलआर 0.10 प्रतिशत बढ़ा दिया है। करुर वैश्य  बैंक ने भी 6 महीने से लेकर 1 साल तक के लोन का एमसीएलआर 0.10 प्रतिशत बढ़ा दिया है। 

    वहीं स्टेट बैंक,  आईसीआईसीआई बैंक, एचडीएफसी बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा ने रिजर्व बैंक द्वारा रेपो रेट बढ़ाए जाने के पहले ही कर्ज की दरों में बढ़ोतरी कर दी थी। 

    Rajanish Kant गुरुवार, 7 जून 2018
    इलाहाबाद बैंक के कर्ज होंगे सस्ते, एमसीएलआर में कटौती, 12 जून से लागू होंगी नई दरें
    इलाहाबाद बैंक ने एमसीएलआर ( Marginal Cost Of Funds Based Lending Rate-कोष की सीमांत लागत) पर आधारित कर्ज की दरों में कटौती की घोषणा की है। इससे बैंक के कर्ज सस्ते हो जाएंगे। बैंक की नई दरें 12 जून से लागू होंगी।

    बैंक ने एक साल की अवधि के कर्ज पर ब्याज दरों को 0.10 प्रतिशत घटाते हुए इसे 8.60 प्रतिशत से 8.50 प्रतिशत कर दिया है। वहीं, एक महीने, तीन महीने और छह महीने की एमसीएलआर पर आधारित कर्ज की दरों में 0.15 प्रतिशत की कटौती कर दी है।

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    Rajanish Kant शनिवार, 10 जून 2017
    इंडियन ओवरसीज बैंक ने एमसीएलआर में कटौती की, कर्ज हुए सस्ते
    रिजर्व बैंक ने हाल की अपनी मौद्रिक पॉलिसी बैठक में भले ही ब्याज दरों में कटौती नहीं की है, लेकिन बैंक कर्ज की दरों में कमी कर रहे हैं। एसबीआई, बैंक ऑफ इंडिया के बाद इंडियन ओवरसीज बैंक ने भी लोन सस्ता करने की घोषणा की है। इंडियन ओवरसीज बैंक ने एक साल के लोन पर एमसीएलआर यानी मार्जिनल कॉस्ट ऑफ लेंडिंग रेट ( कर्ज की दर तय करने की नई व्यवस्था) 0.10 प्रतिशत घटाकर 8.55 प्रतिशत कर दिया है।  

    अगर आप इंडियन ओवरसीज बैंक रातभर के लिए लोन लेते हैं तो आपको अब 8.35 प्रतिशत, एक महीने के लोन पर 8.40 प्रतिशत,तीन महीने के लोन पर 8.45 प्रतिशत जबकि छह महीने के लोन पर 8.50 प्रतिशत ब्याज देना होगा। नई दरें 10 मई से लागू हो गईं हैं। 

    इससे पहले भारतीय स्टेट बैंक ने 30 लाख रुपए से कम के होम लोन पर ब्याज दरों में चौथाई परसेंट की कटौती की है।  दूसरी ओर, बैंक ऑफ इंडिया ने एमसीएलआर यानी मार्जिनल कॉस्ट ऑफ लेंडिंग रेट ( कर्ज की दर तय करने की नई व्यवस्था) 0.05-0.10%  घटाकर 8.25-8.40% कर दिया है।  बैंक ने तीन महीने के लोन की ब्याज दर 0.05 प्रतिशत जबकि 6 महीने से एक साल के लोन पर ब्याज दर 0.10 प्रतिशत कम की है।  
    (बैंक ऑफ इंडिया ने एमसीएलआर में कटौती की, कर्ज सस्ते हुए 
    (SBI से होम लोन लेना हुआ सस्ता, जानिए कितनी कम हुई दरें)

    Rajanish Kant गुरुवार, 11 मई 2017
    अपने PF खाते से 90% पैसे निकालकर आप घर खरीद सकते हैं, लेकिन क्या ऐसा करना चाहिए
    अगर आपकी सैलरी में से कुछ पैसे आपके ईपीएफ या पीएफ खाते में ट्रांसफर किये जाते हैं, तो सरकार ने आपके लिए एक नई व्यवस्था की है। आप अपने घर खरीदने, घर का निर्माण करने या फिर होम लोन की ईएमआई भरने के अपने पीएफ खाते से नौकरी करते हुए ही 90% तक पैसे निकाल सकते हैं। 

    इसके लिए EPFO ने नियम में संशोधन किया है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ईपीएफ स्कीम, 1952 के 68 BD में एक नया पैराग्राफ जोड़ा गया जिससे ईपीएफ अकांउट के  जरिए अब घर खरीदा जा सकता है और ईएमआई का भुगतान किया जा सकता है। अधिकारी ने बताया कि श्रम मंत्रालय ने इसके लिए नोटिफिकेशन जारी कर दिया है जिससे अब यह स्कीम संसोधित हो चुकी है।

    नए नियमों के तहत कम से कम 10 सबस्क्राइबर्स को मिलकर एक को-ऑपरेटिव सोसाइटी का गठन करना होगा। तभी वे घर खरीदने या घर के बनाने या उसके लिए जमीन खरीदने के लिए पीएफ अकाउंट से रकम निकाल सकेंगे। 

    सरकार ने तो इसका फैसला कर लिया, लेकिन सवाल है कि क्या आपको अपना घर खरीदने या फिर उसकी मरम्मती के लिए पीएफ खाता से 90 प्रतिशत रकम निकालना सही होगा या नहीं । या फिर होम लोन लेना बेहतर विकल्प होगा। 

    जानकारों ने सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है। उनका मानना है कि सरकार के इस फैसले से ईपीएफओ सदस्यों को एक महत्वपूर्ण वित्तीय उद्देश्य हासिल करने के लिए अपना खुद का पैसा हासिल करना आसान हो जाएगा। हम आप तो जानते ही हैं कि घर खरीदना कितना मुश्किल काम होता है। लेकिन, अब सरकार द्वारा सुझाए गए  ईपीएफओ में संशोधन निश्चित रूप से अधिक से अधिक व्यक्तियों को अपने घर खरीदने के लिए जरूरी पैसे जुटाने में मदद करेगा। 

    लेकिन, अगर आप अपने पीएफ का 90 प्रतिशत पैसा निकालकर घर खरीदना चाह रहे हैं या उसकी मरमम्त करवाना चाह रहे हैं, तो पहले कई बातों पर विचार कर लीजिएगा...

    सबसे पहले आप देख लीजिएगा कि घर खरीदने या फिर उसकी मरम्मत में कितनी लागत आ रही है। साथ ही आपके पीएफ खाते से कितनी रकम निकलने की उम्मीद है। जानकारों का मानना है कि आपके पीएफ खाते में काफी अधिक पैसे हों और रिटायरमेंट के कम से  कम 10 साल बचे हों, तो पीएफ रकम का इस्तेमाल आप घर खरीदने या उसकी मरम्मती में कर सकते हैं। लेकिन, ध्यान रहे कि पीएफ के पूरे 90 प्रतिशत रकम आप इसी काम में इस्तेमाल ना करें। ऐसा करने से हो सकता है कि रिटायरमेंट के बाद आपको कुछ दिक्कतों का सामना करना पड़ जाए। 

    मसलन, अगर पीएफ का 70% रकम घर खरीदने या बनाने के लिए काफी है तो आप केवल पीएफ का 20% -30% पैसे का ही इस्तेमाल करें। बाकी की जरूरत आकर्षक होम लोन लेकर पूरा करें।  इससे आपके दोनों उद्देश्य पूरे हो जाएंगे। आपका घर भी हो जाएगा और रिटायरमेंट के बाद आरामदायक जिंदगी जीने के लिए काफी पैसे भी बचे रह जाएंगे। 

    उदाहरण के लिए, आपके पास 12 लाख रुपये का पीएफ बैलेंस है और आप 20 लाख रुपये का घर खरीदना चाहते हैं। ऐसे में आप पीएफ जमा से 2.5 लाख रुपये से 4 लाख रुपये तक निकालने सकते हैं और 16 लाख रुपये से 17.5 लाख के आकर्षक होम लोन ले सकते हैं। 

    >ईपीएफ विकल्प के अपनाने के फायदे
    - यह आपको बिना ब्याज या कम ब्याज का भुगतान कर घर खरीदने या
    बनाने की सहुलियत देता है। 
    -उन लोगों के लिए लाभकारी है, जिनको घर खरीदने या बनाने के उद्देश्य को पूरा 
    करने के लिए कुछ रुपये की जरूरत होती है। 

    >ईपीएफ विकल्प का नुकसान: लेकिन, अगर आप पीएफ विकल्प अपनाते हैं तो इसके कुछ नुकसान भी हैं...
    - रिटायरमेंट कॉरपस को घर खरीदने और निर्माण के महंगे सौदे के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
    - आप सेवानिवृत्ति के बाद का आनंद लेने के लिए बहुत कम या लगभग कुछ भी नहीं छोड़ते हैं
    -अन्य बचत किए बिना पीएफ विकल्प प्राप्त करना आपके वित्तीय स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है
    > ईपीएफ विकल्प का लाभ किसे उठाना चाहिए और किसे नहीं ?
    ​​भविष्य निधि जमा का उपयोग करना चाहिए या नहीं, यह  समग्र ईपीएफ योगदान, वित्तीय स्थिति और  व्यक्ति के लक्ष्यों पर निर्भर करता है। अगर आपके रिटायरमेंट में काफी लंबा वक्त है और पीएफ में काफी पैसे पड़े हैं, तो फिर कुछ होम लोन लेकर घर का सौदा कर सकते हैं। लेकिन, नए लोगों को अपने पीएफ के पैसे का इस्तेमाल घर खरीदने या उसकी मरम्मती के लिए करने से बचना चाहिए और कुछ समय का इंतजार करना चाहिए। 

    आपको यह भी ध्यान रखना चाहिए कि ईपीएफ का प्राथमिक उद्देश्य अपने सदस्यों के लिए सेवानिवृत्ति में आय सुनिश्चित करना है। यदि आप इस फंड से वापस लेते हैं, तो आपको लंबे समय तक बढ़ने वाले ग्रोथ रिटर्न के फायदे से बाहर निकलना होगा। फिर आपको अपनी सेवानिवृत्ति निधि फिर से बनाने के लिए एक नया रास्ता चुनना पड़ेगा जो कि चुनौतीपूर्ण से कम नहीं होगा। 

    तो. यह पूरी तरह आप पर निर्भर करता है कि आपको अपने पीएफ के पैसे से घर चाहिए या फिर आरामदायक रिटायरमेंट। 
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    Rajanish Kant मंगलवार, 25 अप्रैल 2017