('बिना प्रोफेशनल ट्रेनिंग के शेयर बाजार जरूर जुआ है'
((शेयर बाजार: जब तक सीखेंगे नहीं, तबतक पैसे बनेंगे नहीं!
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जीएसटी, कुछ उपकरणों का उपयोग करके किए गए भुगतान से संबंधित मर्चेंट डिस्काउंट रेट (एमडीआर) जैसे शुल्कों पर लगाया जाता है।
जनवरी 2020 से प्रभावी, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने 30 दिसंबर 2019 की राजपत्र अधिसूचना के माध्यम से व्यक्ति-से-व्यापारी (पी2एम) यूपीआई लेनदेन पर एमडीआर हटा दिया है।
चूंकि वर्तमान में यूपीआई लेनदेन पर कोई एमडीआर नहीं लिया जाता है, इसलिए इन लेनदेन पर कोई जीएसटी लागू नहीं है।
सरकार यूपीआई के माध्यम से डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है।
यूपीआई को बढ़ावा देने और उसे बनाए रखने के लिए वित्त वर्ष 2021-22 से एक प्रोत्साहन योजना लागू की गई है। यह योजना विशेष रूप से कम मूल्य वाले यूपीआई (पी2एम) लेनदेन को लक्षित करती है, जिससे लेनदेन लागत को कम करके छोटे व्यापारियों को लाभ मिलता है और डिजिटल भुगतान में व्यापक भागीदारी और नवाचार को बढ़ावा मिलता है।
इस योजना के तहत पिछले कुछ वर्षों में कुल प्रोत्साहन भुगतान यूपीआई-आधारित डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिए सरकार की निरंतर प्रतिबद्धता को दर्शाता है। पिछले कुछ वर्षों में इस योजना के अंतर्गत आवंटन इस प्रकार रहा है:
इन उपायों ने भारत के मजबूत डिजिटल भुगतान इकोसिस्टम में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
एसीआई वर्ल्डवाइड रिपोर्ट 2024 के अनुसार, 2023 में ग्लोबल रियल टाइम ट्रांजैक्शन में भारत की हिस्सेदारी 49 प्रतिशत रही, जो डिजिटल भुगतान नवाचार में वैश्विक अग्रज के रूप में भारत की स्थिति की पुष्टि करता है।
यूपीआई लेनदेन मूल्य में तेजी से वृद्धि देखी गई है, जो वित्त वर्ष 2019-20 में 21.3 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर मार्च 2025 तक 260.56 लाख करोड़ रुपये हो गया है। विशेष रूप से, पी2एम लेनदेन 59.3 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है, यह डिजिटल भुगतान विधियों के प्रति व्यापारियों की बढ़ती स्वीकार्यता और उपभोक्ताओं के बढ़ते विश्वास को दर्शाता है।
(साभार- पीआईबी)
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विकासात्मक और विनियामक नीतियों पर वक्तव्य
यह वक्तव्य (i) विनियमन; और (ii) भुगतान प्रणाली से संबंधित विभिन्न विकासात्मक और विनियामक नीतिगत उपाय निर्धारित करता है।
I. विनियमन
1. डिजिटल ऋण ऐप्स की सार्वजनिक रिपोज़िटरी
ग्राहकों के हितों की सुरक्षा, डेटा गोपनीयता, ब्याज दरों और वसूली पद्धतियों संबंधी चिंताओं, अपविक्रय आदि के संबंध में डिजिटल ऋण पर दिशानिर्देश 2 सितंबर 2022 को जारी किए गए थे। तथापि, मीडिया रिपोर्टों ने डिजिटल ऋण में अनैतिक लोगों की निरंतर उपस्थिति को उजागर किया है जो भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा विनियमित संस्थाओं (आरई) के साथ अपने जुड़ाव का झूठा दावा करते हैं। तदनुसार, डिजिटल ऋण ऐप (डीएलए) के आरई के साथ जुड़ाव के दावे को सत्यापित करने में ग्राहकों की सहायता के लिए, भारतीय रिज़र्व बैंक आरई द्वारा नियोजित डीएलए की एक सार्वजनिक रिपोज़िटरी बना रहा है जो रिज़र्व बैंक की वेबसाइट पर उपलब्ध होगी। यह रिपोज़िटरी, आरई द्वारा (रिज़र्व बैंक के किसी मध्यक्षेप के बिना) सीधे रिपोज़िटरी को प्रस्तुत किए गए डेटा पर आधारित होगी और जब भी आरई विवरण रिपोर्ट करेंगे, अर्थात नए डीएलए को जोड़ना या किसी मौजूदा डीएलए को हटाना, तो यह अद्यतित हो जाएगी।
2. साख सूचना कंपनियों को ऋण सूचना की रिपोर्टिंग की आवृत्ति
वर्तमान में ऋण संस्थाओं (सीआई) को अपने उधारकर्ताओं की ऋण सूचना मासिक या ऐसे छोटे अंतराल, जैसा कि सीआई और साख सूचना कंपनियों (सीआसी) के बीच आपसी सहमति से तय किया गया हो, पर सीआसी को रिपोर्ट करना आवश्यक है। उधारकर्ता की ऋणग्रस्तता की अधिक अद्यतन तस्वीर प्रदान करने के उद्देश्य से, सीआसी को ऋण सूचना की रिपोर्टिंग की आवृत्ति को मासिक अंतराल से बढ़ाकर पाक्षिक आधार पर या ऐसे छोटे अंतराल, जैसा कि सीआई और सीआईसी के बीच आपसी सहमति से तय किया गया हो, पर करने का निर्णय लिया गया है। पाक्षिक रिपोर्टिंग आवृत्ति यह सुनिश्चित करेगी कि सीआईसी द्वारा प्रदान की गई ऋण सूचना रिपोर्ट में अधिक नवीनतम जानकारी हो। यह उधारकर्ताओं और उधारदाताओं (सीआई) दोनों के लिए लाभदायक होगा। उधारकर्ताओं को सूचना के तेजी से अद्यतन होने का लाभ मिलेगा, विशेषतया तब जब उन्होंने ऋण चुका दिया हो। ऋणदाता, उधारकर्ताओं का बेहतर जोखिम मूल्यांकन करने में सक्षम होंगे और उधारकर्ताओं द्वारा अधिक ऋण लेने के जोखिम को भी कम कर सकेंगे। आवश्यक निर्देश शीघ्र ही जारी किए जाएंगे।
II. भुगतान प्रणाली
3. यूपीआई के माध्यम से कर भुगतान के लिए लेनदेन की सीमा बढ़ाना
यूपीआई अपनी सहज सुविधाओं के कारण भुगतान का सबसे पसंदीदा माध्यम बन गया है। वर्तमान में, यूपीआई के लिए लेन-देन की सीमा ₹1 लाख है। विभिन्न उपयोग-मामलों के आधार पर, रिज़र्व बैंक ने समय-समय पर पूंजी बाज़ार, आईपीओ अभिदान, ऋण वसूली, बीमा, चिकित्सा और शैक्षिक सेवाओं आदि जैसी कुछ श्रेणियों के लिए सीमाओं की समीक्षा की है और उन्हें बढ़ाया है।
चूंकि प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर भुगतान सामान्य, नियमित और उच्च मूल्य के हैं, अतएव यूपीआई के माध्यम से कर भुगतान की सीमा को ₹1 लाख से बढ़ाकर ₹5 लाख प्रति लेनदेन करने का निर्णय लिया गया है। आवश्यक निर्देश अलग से जारी किए जाएंगे।
4. यूपीआई के माध्यम से प्रत्यायोजित भुगतान की शुरूआत
एकीकृत भुगतान प्रणाली (यूपीआई) का 424 मिलियन व्यक्तियों का बहुत बड़ा उपयोगकर्ता आधार है। तथापि, उपयोगकर्ता आधार के और विस्तार की संभावना है।
यूपीआई में "प्रत्यायोजित भुगतान" शुरू करने का प्रस्ताव है। "प्रत्यायोजित भुगतान" एक व्यक्ति (प्राथमिक उपयोगकर्ता) को प्राथमिक उपयोगकर्ता के बैंक खाते से किसी अन्य व्यक्ति (द्वितीयक उपयोगकर्ता) के लिए यूपीआई लेनदेन सीमा निर्धारित करने की अनुमति देगा। इस उत्पाद से पूरे देश में डिजिटल भुगतान की पहुँच और उपयोग में वृद्धि होने की उम्मीद है। विस्तृत निर्देश शीघ्र ही जारी किए जाएँगे।
5. चेक ट्रंकेशन प्रणाली (सीटीएस) के अंतर्गत चेकों का निरंतर समाशोधन
चेक ट्रंकेशन प्रणाली (सीटीएस) वर्तमान में दो कार्यदिवसों तक के समाशोधन चक्र के साथ चेक संसाधित करता है। चेक समाशोधन की दक्षता में सुधार करने और सहभागियों के लिए निपटान जोखिम को कम करने तथा ग्राहक अनुभव को बेहतर बनाने के लिए, बैच प्रोसेसिंग के वर्तमान दृष्टिकोण से सीटीएस को 'ऑन-रियलाइज़ेशन-निपटान’ के साथ निरंतर समाशोधन में बदलने का प्रस्ताव है। चेक को कुछ ही घंटों में स्कैन, प्रस्तुत और पास किया जाएगा तथा यह कार्य कारोबारी समय के दौरान निरंतर आधार पर किया जाएगा। समाशोधन चक्र वर्तमान टी+1 दिनों से घटकर कुछ घंटों का रह जाएगा। इस संबंध में विस्तृत दिशा-निर्देश शीघ्र ही जारी किए जाएंगे।
(साभार- www.rbi.org.in)
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