('बिना प्रोफेशनल ट्रेनिंग के शेयर बाजार जरूर जुआ है'
((शेयर बाजार: जब तक सीखेंगे नहीं, तबतक पैसे बनेंगे नहीं!
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देश में सामाजिक-आर्थिक गतिविधियों में डिजिटलीकरण बढ़ने के साथ ही ऑनलाइन सेवाओं के लिये मोबाइल सेवाओं सहित दूरसंचार संसाधनों का इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है।
सामाजिक, आर्थिक और परिवर्तनकारी मोबिलिटी के लिये डिजिटल कनेक्टिविटी ही योग्य साधन है। इसलिये मोबाइल उपयोगकर्ताओं की सुरक्षा के लिये दूरसंचार संसाधनों के सुरक्षित इस्तेमाल को बढ़ावा देना महत्वपूर्ण हो जाता है।
भारत सरकार ने सुरक्षा और उपभोक्ता संरक्षण के सर्वोच्च मानदंडों को बरकरार रखते हुये डिजिटल समावेशी समाज को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता को मजबूती देते हुये दूरसंचार, रेलवे और इलेक्ट्रानिक्स एवं आईटी मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव ने आज उपभोक्ता सुरक्षा को बेहतर बनाने और डिजिटल बदलाव की दिशा में दो सुधारों की शुरुआत की।
1. केवाईसी रिफार्म
2. पांइट आफ सेल (पीओएस) पंजीकरण सुधार
ये दोनों सुधार इससे पहले संचार साथी के साथ शुरू किये गये सुधारों की दिशा में ही आगे बढ़ाये गये हैं। एक नागरिक केन्द्रित पोर्टल शुरू किया गया जिसमें साइबर अपराध और वित्तीय धोखाधड़ी की बुराई के खिलाफ भारत की लड़ाई को मजबूती देने का प्रयास किया गया था।
पाइंट आफ सेल (पीओएस) पंजीकरण सुधार: इस सुधार में लाइसेंस धारक द्वारा फ्रेंजाइजी, एजेंट और वितरकों (पीओएस) के अनिवार्य पंजीकरण की शुरुआत की गई। इससे ठगी करने वाले पीओएस हटाने में मदद मिलेगी, ऐसे पीओएस जो कि धोखाधड़ी के हथकंडे अपनाकर असामाजिक/राष्ट्र-विरोधी तत्वों को मोबाइल सिम जारी कर देते हैं।
वहीं पीओएस पंजीकरण प्रक्रिया में लाइसेंसधारक द्वारा पीओएस का निर्विवाद सत्यापन शामिल है। इस प्रक्रिया के जरिये पीओएस और लाइसेंसधारक के बीच लिखित समझौता अनिवार्य बना दिया गया है। ऐसे में कोई भी पीओएस यदि किसी अवैध गतिविधि में लिप्त होता है तो उसे बंद कर दिया जायेगा साथ ही तीन वर्ष के लिये उसे काली सूची में डाल दिया जायेगा। इस प्रक्रिया के तहत लाइसेंसधारक द्वारा सभी मौजूदा पीओएस को 12 माह में पंजीकृत कराया जायेगा।
इससे लाइसेंसधारी प्रणाली से धोखाधड़ी और ठगी करने वाले पीओएस की पहचान करने, उन्हें कालीसूची में डालने और कारोबार से हटाने में मदद मिलेगी दूसरी तरफ सही काम करने वाले पीओएस को प्रोत्साहन मिलेगा।
केवाईसी सुधार - केवाईसी यानी अपने ग्राहक को जानो एक ऐसी प्रक्रिया है जो कि ग्राहक की अलग तरीके से पहचान करता है और उसे दूरसंचार सेवायें देने से पहले उसकी पूरी जानकारी लेता है। मौजूदा केवाईसी प्रक्रिया को और मजबूत बनाना दूरसंचार ग्राहकों को किसी भी संभावित धोखाधड़ी से बचाने का एक साधन मात्र है ताकि डिजिटल कारोबार के समूचे तंत्र में आम जनता का विश्वास और मजबूत हो सके।
प्रिंट किये आधार के दुरूपयोग को रोकने के लिये प्रिंट आधार के क्यूआर कोड की स्कैनिंग कर अनिवार्य तौर पर उसका जनसांख्यिकीय ब्यौरा लिया जायेगा। इसमें यदि मोबाइल नंबर बंद कर दिया जाता है तो इसे 90 दिन की समाप्ति से पहले किसी नये ग्राहक को आवंटित नहीं किया जायेगा। ग्राहक को अपने सिम को बदलने के लिये पूरा केवाईसी ब्यौरा देना होगा और उसमें आउगोइंग और इनकमिंग एसएमएस सुविधा पर 24 घंटे की रोक होगी।
आधार ई-केवाईसी प्रक्रिया में अंगूठे के निशान और आंखों की पुतली के सत्यापन के साथ ही अब चेहरे की पहचान पर आधारित बायोमेट्रिक सत्यापन की भी मंजूरी दी गई है।
उद्यमों, इकाइयों (उदाहरण के तौर पर कंपनियों, संगठनों, ट्रस्ट, सोसायटी आदि) को मोबाइल कनेक्शन जारी करने के लिये बिजनेस कनेक्शन की शुरुआत। इकाइयां कितनी भी संख्या में मोबाइल कनेक्शन ले सकतीं हैं बशर्ते कि वह उनका इस्तेमाल करने वालों की पूरी केवाईसी उपलब्ध करायें। मोबाइल सिम उनका इस्तेमाल करने वालों की सफल केवाईसी होने और व्यवसाय परिसर/कार्यालय पते का भौतिक सत्यापन होने के बाद ही चालू होगा।
दूरसंचार विभाग ने इन परिवर्तनकारी सुधारों को पेश कर देश के नागरिकों के हितों की रक्षा की अपनी प्रतिबद्धता को दर्शाया है। ऐसे ठोस और व्यापक उपायों के जरिये विभाग का उद्देश्य ग्राहकों की सुरक्षा को चाकचैबंद करना और दूरसंचार धोखाधड़ी के बढ़ते खतरे के समक्ष सुरक्षा को मजबूत बनाना है। सतर्क निगरानी के साथ ही अत्याधुनिक तकनीक को जोड़कर विभाग ने दूरसंचार क्षेत्र में उच्चस्तरीय सुरक्षा और विश्वास को बढ़ावा देने का प्रयास किया है ताकि सभी को एक सुरक्षित और विश्वसनीय दूरसंचार परिवेश उपलब्ध कराया जा सके।
विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किये जायेंगे।
संचार- साथी का प्रभाव - मोबाइल उपयोगकर्ताओं की सुरक्षा के लिये एक नागरिक केन्द्रित पोर्टल
- उनके नाम पर पंजीकृत मोबाइल कनेक्शन का पता लगाना
- उनके नाम पर धोखाधड़ी से पंजीकृत कनेक्शन, यदि कोई हो, उसकी जानकारी देना और
- चोरी/खोए हुये मोबाइल हैंडसेट की रिपोर्ट करें तथा उन्हें ब्लॉक करना।
- 66 लाख से अधिक संदिग्ध मोबाइल कनेक्शनों का पता लगाया गया।
- दोबारा सत्यापन न होने पर 52 लाख से अधिक मोबाइल कनेक्शन काटा दिये गये हैं।
- 67,000 से अधिक पीओएस को काली सूची में डाल दिया गया है।
- करीब 17,000 मोबाइल हैंडसेट बंद/ब्लाक कर दिये गये हैं।
- 1,700 से अधिक पीओएस के खिलाफ 300 से अधिक एफआईआर दर्ज की गई हैं।
- 66,000 से ज्यादा व्हाट्सएप अकाउंट ब्लाक किये गये हैं।
- जालसाजों द्वारा इस्तेमाल किये गये लगभग आठ लाख बैंक/वॉलेट खाते फ्रीज कर दिये गये हैं।
4. धोखाधडी से उनके नाम पर पंजीकृत मोबाइल कनेक्शन के बारे में लगभग 18 लाख ग्राहकों की शिकायतों में से 9.26 लाख शिकायतों का समाधान किया गया है।
5. चोरी/खोए मोबाइल हैंडसेट की 7.5 लाख शिकायतों मे से तीन लाख मोबाइल हैंडसेट का पता लगा लिया गया है।
6. जनवरी 2022 से 114 अवैध दूरसंचार केन्द्रों का पता चला और एलईए द्वारा कार्रवाई की गई।
(साभार- pib)
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भारतीय रिज़र्व बैंक ने ग्राहकों की सुविधा बढ़ाने के लिए उपलब्ध तकनीकी विकल्पों को ध्यान में रखते हुए, समय-समय पर धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 (पीएमएलए) के अंतर्गत निर्धारित ढांचे और उसके अंतर्गत बनाए गए नियमों के भीतर केवाईसी संबंधी निर्देशों को युक्तिसंगत बनाने के उपाय किए हैं। मई 2021 में केवाईसी (पुनः केवाईसी) के आवधिक अद्यतन की प्रक्रिया को सरल बनाया गया था (केवाईसी पर आरबीआई मास्टर निदेश की धारा 38)।
2. वर्तमान दिशा-निर्देशों के अनुसार, यदि केवाईसी जानकारी में कोई संशोधन नहीं होता है, तो एकल ग्राहक से इस आशय की एक स्व-घोषणा पुनः केवाईसी प्रक्रिया को पूरा करने के लिए पर्याप्त है। बैंकों को सूचित किया गया है कि वे एकल ग्राहक को इस तरह की स्व-घोषणा की सुविधा विभिन्न गैर-आमने-सामने चैनलों यथा पंजीकृत ईमेल-आईडी, पंजीकृत मोबाइल नंबर, एटीएम, डिजिटल चैनल (जैसे ऑनलाइन बैंकिंग / इंटरनेट बैंकिंग, मोबाइल एप्लिकेशन), पत्र, आदि, के माध्यम से बैंक शाखा में जाने की आवश्यकता के बिना प्रदान करें। इसके अलावा, यदि केवल पते में परिवर्तन होता है, तो ग्राहक इनमें से किसी भी चैनल के माध्यम से संशोधित/अद्यतन पता प्रस्तुत कर सकते हैं, जिसके बाद बैंक दो महीने के भीतर घोषित पते का सत्यापन करेगा।
3. चूंकि बैंकों को अपने अभिलेख को अद्यतन और प्रासंगिक रखने के लिए समय-समय पर समीक्षा और अद्यतन करना अनिवार्य है, कुछ मामलों में एक नई केवाईसी प्रक्रिया/दस्तावेज़ीकरण करना पड़ सकता है, जिसमें बैंक अभिलेख में उपलब्ध केवाईसी दस्तावेज़ आधिकारिक रूप से वैध दस्तावेजों की वर्तमान सूची (अर्थात पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस, आधार संख्या होने का प्रमाण, मतदाता पहचान पत्र, नरेगा द्वारा जारी जॉब कार्ड और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर द्वारा जारी पत्र) के अनुरूप नहीं हैं या जहां पहले प्रस्तुत किए गए केवाईसी दस्तावेज की वैधता समाप्त हो गई हो, जैसे मामले शामिल हैं। ऐसे मामलों में, बैंकों को ग्राहक द्वारा प्रस्तुत केवाईसी दस्तावेजों / स्व-घोषणा की प्राप्ति- सूचना प्रदान करने की आवश्यकता होती है।
4. जैसा कि केवाईसी पर मास्टर निदेश की धारा 18 में प्रदान किया गया है, नई केवाईसी प्रक्रिया बैंक शाखा में जाकर, या वीडियो आधारित ग्राहक पहचान प्रक्रिया (वी-सीआईपी) (जहां भी बैंकों द्वारा इसे सक्षम किया गया है) के माध्यम से की जा सकती है।
5. बैंकों के एकल ग्राहकों को प्रोत्साहित किया जाता है कि वे (ए) पुनः केवाईसी (जैसे पैरा 2 में उल्लिखित विभिन्न गैर-आमने-सामने चैनलों के माध्यम से स्व-घोषणा प्रस्तुत करना) पूरा करने के लिए अपने बैंक से उपलब्ध विभिन्न विकल्पों के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करें; अथवा (बी) बैंक शाखा में जाकर या वी-सीआईपी के माध्यम से दूरस्थ रूप से केवाईसी पूरा करें।
(साभार- www.rbi.org.in)
('बिना प्रोफेशनल ट्रेनिंग के शेयर बाजार जरूर जुआ है'
((शेयर बाजार: जब तक सीखेंगे नहीं, तबतक पैसे बनेंगे नहीं!
अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी) के संबंध में भारतीय रिज़र्व बैंक के
दिशानिर्देशों पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
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(Source: rbi.org.in
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