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Savings account (बचत खाता) कैसे, कहां और क्यों खुलवाएं

Savings account (बचत खाता) कैसे, कहां और क्यों खुलवाएं

Rajanish Kant शनिवार, 16 फ़रवरी 2019
लोन ग्राहकों को राहत देने का रास्ता आरबीआई ने ऐसे निकाला, अगले साल 1 अप्रैल से मिलेगा फायदा

रिजर्व बैंक ने 3,4,5 दिसंबर की बैठक में लोन ग्राहकों को राहत देने के लिए नया रास्ता निकाला है। रिजर्व बैंक ने प्रमुख दरों में कटौती का बैंक द्वारा फायदा नहीं देने के बाद ये रास्ता निकाला गया है।
I. विनियमन और पर्यवेक्षण
1. बैंकों द्वारा नए अस्थिर दर ऋण की बाहरी बेंचमार्किंग
निधि आधारित ऋण दर (एमसीएलआर) प्रणाली की सीमांत लागत के कार्य की समीक्षा करने के लिए आंतरिक अध्ययन समूह की रिपोर्ट (अध्यक्ष: डॉ जनक राज) को 4 अक्टूबर 2017 को सार्वजनिक प्रतिक्रिया के लिए जारी किया गया। इस रिपोर्ट ने बैंकों द्वारा वर्तमान के आंतरिक बेंचमार्क [प्राइम लेंडिग रेट (पीएलआर), बेंचमार्क प्राइम लेंडिग रेट (बीपीएलआर), बेस रेट और निधि आधारित ऋण दर (एमसीएलआर) की सीमांत लागत के मौजूदा सिस्टम की बजाए बैंक द्वारा अपने अस्थिर दर ऋण के लिए बाहरी बेंचमार्किंग की सिफारिश की थी। इस दिशा में एक कदम के रूप में, यह प्रस्तावित किया जाता है कि सभी नए अस्थिर दर वाले व्यक्तिगत या खुदरा ऋण (आवास, ऑटो इत्यादि) और बैंकों द्वारा सूक्ष्म और लघु उद्यमों को प्रदान किए गए अस्थिर दर ऋण को 1 अप्रैल 2019 से निम्नलिखित में से किसी एक के साथ बेंचमार्क किया जाएगा :
- भारतीय रिजर्व बैंक नीति रिपो दर, या
- फाइनेंशियल बेंचमार्क इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (एफबीआईएल) द्वारा प्रस्तुत भारत सरकार 91 दिवसीय खजाना बिल प्रतिफल, या
- एफबीआईएल द्वारा प्रस्तुत भारत सरकार 182 दिवसीय खजाना बिल प्रतिफल, या
- एफबीआईएल द्वारा प्रस्तुत कोई अन्य बेंचमार्क बाजार ब्याज दर ।
बेंचमार्क दर पर फैलाव - ऋण की शुरुआत में बैंकों के विवेकानुसार पूरी तरह से तय किया जाना है- ऋण की अवधि तब तक अपरिवर्तित रहनी चाहिए, जब तक कि उधारकर्ता के क्रेडिट मूल्यांकन में पर्याप्त परिवर्तन नहीं होता है जैसा कि ऋण अनुबंध में करार किया गया है। बैंक अन्य उधारकर्ताओं को भी ऐसे बाहरी बेंचमार्क से जुड़े ऋण भी प्रदान करने के लिए स्वतंत्र हैं। उधारकर्ताओं द्वारा पारदर्शिता, मानकीकरण और ऋण उत्पादों की जानकारी को आसान बनाने के लिए, बैंक को ऋण श्रेणी के भीतर एक समान बाहरी बेंचमार्क अपनाना होगा; दूसरे शब्दों में, ऋण श्रेणी के अंदर एक ही बैंक द्वारा कई बेंचमार्कों को अपनाने की अनुमति नहीं है । दिसंबर 2018 के अंत तक अंतिम दिशानिर्देश जारी किए जाएंगे।

2. कार्यशील पूंजी वित्त में अनिवार्य ऋण घटक
कार्यशील पूंजी उधारकर्ताओं के बीच अधिक क्रेडिट अनुशासन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से, 5 अप्रैल 2018 को घोषित विकासात्मक और विनियामकीय नीतियों पर वक्तव्य में प्रस्तावित किया गया था कि बड़े उधारकर्ताओं के लिए निधि-आधारित कार्यशील पूंजी वित्त में न्यूनतम स्तर का 'ऋण घटक' निर्धारित किया जाए। तदनुसार, इस संबंध में डाफ्ट्र दिशानिर्देश हितधारकों की टिप्पणियों के लिए 11 जून 2018 को जारी किए गए थे । हितधारकों के मत को ध्यान में रखते हुए, 1 अप्रैल 2019 से प्रभावी अंतिम दिशानिर्देश आज जारी किए जा रहे हैं।
3. चलनिधि कवरेज अनुपात के साथ सांविधिक चलनिधि अनुपात संरेखित
मौजूदा रोडमैप के अनुसार, अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों को 1 जनवरी 2019 तक 100 प्रतिशत की न्यूनतम चलनिधि कवरेज अनुपात (एलसीआर) को प्राप्त करना होगा। वर्तमान में, सांविधिक चलनिधि अनुपात (एसएलआर) सकल मांग और मीयादी देयताओं (एनडीटीएल) का 19.5 प्रतिशत है। आगे, बैंकों के एलसीआर की गणना के उद्देश्य से परिसंपत्तियों को लेवल 1 उच्च गुणवत्ता चलनिधि परिसंपत्ति (एचक्यूएलए) के रूप में माना जाना चाहिए, अन्य बातों के साथ, इसमें शामिल हैं (अ) न्यूनतम एसएलआर आवश्यकता से अधिक सरकारी प्रतिभूतियां; और (आ) अनिवार्य एसएलआर आवश्यकता के भीतर, आरबीआई द्वारा (i) सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) [वर्तमान में बैंक के एनडीटीएल का 2 प्रतिशत] और (ii) चलनिधि कवरेज अनुपात (एफएएलएलसीआर) के लिए चलनिधि की सुविधा प्राप्त करने [वर्तमान में बैंक के एनडीटीएल का 13 प्रतिशत] के तहत अनुमत सीमा तक सरकारी प्रतिभूतियां। एलसीआर आवश्यकता के साथ एसएलआर संरेखित करने के लिए, यह प्रस्ताव है कि हर कैलेंडर तिमाही में एसएलआर को 25 आधार अंक कम किया जाए जब तक कि एसएलआर एनडीटीएल के 18 प्रतिशत तक पहुंच जाए। जनवरी 2019 से शुरू होने वाली तिमाही से 25 आधार अंकों की पहली कटौती प्रभावी होगी।
4. प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों (यूसीबी) में प्रबंधन बोर्ड
श्री वाई.एच. मालेगाम की अध्यक्षता में नए शहरी सहकारी बैंकों (2010) के लाइसेंस पर गठित विशेषज्ञ समिति ने, अन्य बातों के साथ-साथ, सिफारिश की थी कि यूसीबी में अभिशासन को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से प्रत्येक प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक (यूसीबी) में निदेशक मंडल (बीओडी) के अलावा, प्रबंधन बोर्ड (बीओएम) का गठन किया जाए। इसे जनवरी 2015 में गठित शहरी सहकारी बैंकों (अध्यक्ष: श्री आर.गांधी) की उच्च अधिकार प्राप्त समिति द्वारा दोहराया गया था।
भारतीय रिज़र्व बैंक ने 25 जून 2018 को यूसीबी में बीओएम बनाने का ड्राफ्ट दिशानिर्देश जारी किया था, जिसपर बैंकों और अन्य हितधारकों से टिप्पणियां आमंत्रित की गई थी। दिशानिर्देशों में प्रस्तावित किया गया है कि यूसीबी बीओएम को स्थापित करने के लिए अपने उप-कानूनों में प्रावधान करें। दिशानिर्देश यह भी प्रस्तावित करते हैं कि केवल यूसीबी, जिन्होंने अपने उप-कानूनों में ऐसा प्रावधान किया है, के लिए विनियामक अनुमोदन जैसे कि परिचालन के क्षेत्र में विस्तार और नई शाखाओं को खोलने की अनुमति दी जा सकती है।


(स्रोत-आरबीआई)
(('बिना प्रोफेशनल ट्रेनिंग के शेयर बाजार जरूर जुआ है'
बचत, निवेश संबंधी beyourmoneymanager के लेख


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Rajanish Kant सोमवार, 10 अप्रैल 2017
'बैंक नहीं चाहते BJP सरकार UP में किसान कर्ज माफी का चुनावी वादा लागू करे'
यूपी चुनाव में बीजेपी ने किसानों का कर्ज माफ कर देने का वादा किया था। अब वहां बीजेपी की सरकार बनने जा रही है, लेकिन बैंक चाहते हैं कि बीजेपी किसानों का कर्ज माफ करने वाला अपना वादा नहीं लागू करे। एसबीआई की चेयरपर्सन अरुंघति भट्टाचार्य का मानना है कि कर्ज माफी जैसे कदमों से क्रेडिट अनुशासन बनाए रखने में दिक्कत होती है और साथ ही आगे भी इस तरह की उम्मीदें बढ़ जाती हैं। 

बैंकर्स की मानें तो इंडियन बैंक्स एसोसिएशन यूपी में किसान कर्ज माफी योजना के बारे में वित्तीय सेवाओं के विभाग और वित्त मंत्रालय से बात करेगा। आपको बता दें कि यूपी कृषि लोन लेने के मामले में देश में तीसरे पायदान पर है। कृषि लोन में यूपी की हिस्सेदारी 9.3% है और इसमें गांवों की हिस्सेदारी 45% है। बैंक ऑफ बड़ौदा ने यूपी ने सबसे ज्यादा कृषि कर्ज बांटे हैं और यहां पर इस बैंक की शाखा भी सबसे ज्यादा है। 

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Rajanish Kant गुरुवार, 16 मार्च 2017
सरकार एनपीए की समस्‍या से निपटने के लिए क्षेत्र विशेष से जुड़े उपाय कर रही है: वित्‍त मंत्री

वित्‍त मंत्री ने कहा, ‘गैर निष्‍पादित परिसंपत्तियों की वृद्धि दर चालू वित्‍त वर्ष की अंतिम तिमाही में धीमी हो गई है’

सरकार एनपीए की समस्‍या से निपटने के लिए क्षेत्र विशेष से जुड़े उपाय कर रही है: वित्‍त मंत्री
केन्‍द्रीय वित्‍त, रक्षा एवं कॉरपोरेट मामलों के मंत्री श्री अरुण जेटली ने कहा है कि बैंकों की गैर निष्‍पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) से निपटना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है। हालांकि, चालू वित्‍त वर्ष की अंतिम तिमाही में एनपीए यानी फंसे कर्जों में कमी देखने को मिली है। उन्‍होंने कहा कि एनपीए की मुख्‍य समस्‍या का वास्‍ता अत्‍यंत बड़ी कंपनियों से है। हालांकि, इस तरह की कंपनियों की संख्‍या कम है। एनपीए की समस्‍या मुख्‍यत: इस्‍पात, विद्युत, बुनियादी ढांचागत और कपड़ा क्षेत्रों में व्‍याप्‍त है। उन्‍होंने कहा कि जोरदार तेजी के दौर (2003-08) में इन औद्योगिक क्षेत्रों ने अपनी क्षमता काफी ज्‍यादा बढ़ा ली थी, लेकिन वैश्विक वित्‍तीय संकट और इसके बाद छाई सुस्‍ती से उन्‍हें जूझना पड़ा। उन्‍होंने कहा कि एनपीए विशेष कर बड़े कर्जों की समस्‍या से निपटने के लिए सरकार क्षेत्र विशेष उपाय कर रही है। वित्‍त मंत्री ने यह भी कहा कि इस्‍पात क्षेत्र में बेहतरी का रुख देखा जा रहा है, जबकि उनकी समस्‍याओं से निपटने के लिए बुनियादी ढांचागत, बिजली एवं कपड़ा क्षेत्रों में अनेक निर्णय लिए गए हैं। वित्‍त मंत्री श्री जेटली आज यहां वित्‍त मंत्रालय से संबद्ध सलाहकार समिति की पहली बैठक को संबोधित कर रहे थे।

वित्‍त मंत्री ने यह भी कहा कि विभिन्‍न बैंकों द्वारा सुपुर्द किये गये मामलों पर गौर करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक ने एक निगरानी समिति भी बनाई है। इस बारे में मिली प्रतिक्रिया और इसके प्रदर्शन को ध्‍यान में रखते हुए वित्‍त मंत्री श्री अरुण जेटली ने कहा कि सरकार इस तरह की समितियों के बहुलीकरण पर विचार कर रही है। एक ‘बैड बैंक’ की स्‍थापना किये जाने के मसले पर केन्‍द्रीय वित्‍त मंत्री ने कहा कि अनेक संभावित विकल्‍प हैं और इस मसले पर सार्वजनिक मंचों पर बहस हो रही है।

आज की बैठक में भाग लेने वाले सलाहकार समिति के सदस्‍यों ने विशेष कर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) के व्‍यापक एनपीए की समस्‍या से निपटने के लिए विभिन्‍न सुझाव दिए, जिससे बैंकों का समग्र प्रदर्शन बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। एक सदस्‍य ने सुझाव दिया कि संबंधित राज्‍य सरकारों को फंसे कर्जों की नीलामी में भाग लेने की अनुमति दी जा सकती है। विभिन्‍न सदस्‍यों ने सुझाव देते हुए कहा चूंकि परिसंपत्ति पुनर्गठन कंपनियां (एआरसी) निजी क्षेत्र में हैं और अनेक मामलों में उनका प्रदर्शन अपेक्षा के अनुरूप नहीं रहा है, इसलिए कड़े नियम-कायदों के जरिए एआरसी के परिचालनों पर करीबी निगाह रखी जानी चाहिए। इन सदस्‍यों ने स्‍वत: रूट के जरिए एआरसी में 100 फीसदी एफडीआई (प्रत्‍यक्ष विदेशी निवेश) की अनुमति देने के निर्णय को ध्‍यान में रखते हुए यह सुझाव दिया है। 
(Source: pib.nic.in)
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