Results for "एमपीसी"
RBI ने MPC की बैठक के बाद Developmental and Regulatory Policies पर बयान जारी किया है, क्या कहा है जानें II BSBD II DICGC II REITs II InvITs IIombudsman II

 देश के केंद्रीय बैंक भारतीय रिजर्व बैंक ने 29 सितंबर से 1 अक्टूबर की तीन दिनों की एमपीसी बैठक के बाद Developmental and Regulatory Policies पर बयान जारी किया है, क्या कहा है जानें - 



प्रस्तावना

यह बयान RBI द्वारा जारी किया गया है जिसमें चार मुख्य क्षेत्रों में विकासात्मक और नियामक नीतिगत उपायों की रूपरेखा दी गई है:

  1. नियम एवं विनियमन (Regulations)

  2. विदेशी विनिमय प्रबंधन (Foreign Exchange Management)

  3. ग्राहक संरक्षण (Consumer Protection)

  4. वित्तीय बाजार (Financial Markets)

I. नियम एवं विनियमन (Regulations)

इस अनुभाग में बैंकिंग क्षेत्र की मजबूती, जोखिम नियंत्रण, और अधिक पारदर्शिता को बढ़ावा देने के उपाय प्रस्तावित हैं।

  1. Expected Credit Loss (ECL) फ़्रेमवर्क

    • बैंकिंग क्षेत्र की मजबूती बढ़ाने हेतु, वर्तमान “incurred loss” आधारित प्रावधान प्रणाली की जगह Expected Credit Loss (ECL) आधारित दृष्टिकोण प्रस्तावित किया गया है।

    • यह चारों ओर से अनुमानित नुकसानों को पहले से ध्यान में लेने की पद्धति है, जिससे बेहतर जोखिम प्रबंधन संभव होगा।

    • इस प्रणाली को धीरे-धीरे लागू करने के लिए “glide-path” (क्रमागत संक्रमण) का प्रावधान होगा।

  • Basel III — क्रेडिट जोखिम पर पूँजी शुल्क (Standardised Approach)

    • क्रेडिट जोखिम के लिए बैंक द्वारा लगे पूँजी (capital charge) की गणना करने वाले मानक (standardised) दृष्टिकोण को और अधिक जोखिम-संवेदनशील बनाने हेतु प्रस्ताव है।

    • इसका उद्देश्य वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं के अनुरूप बैंक पूँजी संरचना को और मजबूत बनाना है।
      Reserve Bank of India

  • व्यवसाय स्वरूप और निवेश के लिए बैंक दिशानिर्देश

    • अक्टूबर 2024 में जारी प्रारंभिक draft पर समीक्षा के बाद, अब कुछ प्रस्तावों में बदलाव कर नए दिशा-निर्देश जारी करने की योजना है।

    • विशेष रूप से, बैंक और उसकी समूह इकाइयों (group entities) के बीच व्यवसाय में “ओवरलैप” (अति समान काम) पर लगाया गया प्रतिबंध हटाने का प्रस्ताव है।

    • इससे बैंक और समूह इकाइयों को अधिक स्वतंत्रता प्राप्त होगी और समूह स्तर पर समेकन (consolidation) की सुविधा बढ़ेगी।

    जोखिम आधारित प्रीमियम मॉडल — जमा बीमा (Deposit Insurance)

    • वर्तमान में सभी बैंकों से एक समान दर (flat rate) पर प्रीमियम वसूला जाता है।

    • नए प्रस्तावित मॉडल में बैंक की “ध्वनि वित्तीय स्थिति (soundness)” पर आधारित प्रीमियम की दर निर्धारित की जाएगी।

    • अर्थात् अधिक सुरक्षित बैंक कम प्रीमियम देंगे, तथा जोखिमयुक्त बैंक अधिक प्रीमियम देंगे।

    पूंजी बाजार तक बैंक की पहुँच — नकदी एवं प्रतिभूतियों के विरुद्ध ऋण

    • बैंक को शेयरों, REITs, InvITs आदि के विरुद्ध ऋण देने की छूट बढ़ाने और कुछ प्रतिबंधों को हटाने का प्रस्ताव।

    • साथ ही, भारतीय कंपनियों के शेयर अधिग्रहण (acquisitions) को वित्त देने का सक्षम प्रारूप विकसित करने का प्रस्ताव है।

    • यह बैंकिंग प्रणाली को पूंजी बाजार के साथ और अधिक जुड़ने का अवसर देगा।

    “बड़े उधारकर्ताओं” के लिए मौजूदा दिशानिर्देशों की वापसी

    • 2016 में “Enhancing Credit Supply for Large Borrowers” नामक दिशा-निर्देश जारी की गई थी।

    • अब, बैंक प्रणाली में एकीकृत “Large Exposures Framework” पहले से मौजूद है, इसलिए उक्त पुरानी दिशा-निर्देशों को वापस लेने का प्रस्ताव है।

    • यदि बाद में ज़रूरत पड़े, प्रणालीगत स्तर पर अन्य उपायों द्वारा समेकन जोखिम (concentration risk) संभाले जाएंगे।

    NBFCs द्वारा इन्फ्रास्ट्रक्चर ऋण — जोखिम भार (Risk Weight) पुनरीक्षण

    • चल रहे (operational) इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं को कम जोखिम माना जाना चाहिए, जबकि निर्माणाधीन परियोजनाओं को अधिक जोखिम।

    • इसके अनुरूप, NBFCs (Non-Banking Financial Companies) को परियोजनाओं के आधार पर अलग-अलग जोखिम भार आवंटित करने का प्रस्ताव है।

    नए शहरी सहकारी बैंकों (Urban Co-operative Banks, UCBs) का लाइसेंसिंग प्रारूप

    • करीब 2004 से नए UCB लाइसेंस जारी नहीं किए गए हैं, क्योंकि कई सहकारी बैंक वित्तीय रूप से कमजोर रहे।

    • अब इसके लिए एक “discussion paper” जारी करने का प्रस्ताव है, ताकि नए UCBs अधिक स्थिर एवं स्वस्थ बुनियादी ढाँचे के साथ संचालित हों।

    नियामक निर्देशों का संकलन (Consolidation of Regulatory Instructions)

    • समय के साथ RBI द्वारा जारी कई अलग-अलग निर्देश, परिपत्र etc. हो चुके हैं।

    • लगभग 250 Master Directions तैयार करने की योजना है जो 30 विषय क्षेत्रों और 11 प्रकार की संस्थाओं पर लागू होंगे।

    • इस संकलन की दिशा-निर्देश (draft) जल्द ही सार्वजनिक की जाएगी।

    लेन-देन खाता (Transaction Accounts) — प्रतिबंधों की समीक्षा

    • बैंक खाते जैसे CA (Current Account), CC (Cash Credit), OD (Overdraft) पर अब तक कुछ प्रतिबंध लगाए गए थे।

    • समीक्षा के बाद, अधिक लचीलापन देने का प्रस्ताव है — विशेष रूप से उन उधारकर्ताओं के लिए जो पहले से ही किसी वित्तीय नियामक के अधीन हैं।

    विदेशी विनिमय प्रबंधन (Foreign Exchange Management)

    इन उपायों से विदेशी व्यापार, मुद्रा प्रवाह, और विनिमय बाजारों को सरल एवं अधिक सक्षम बनाने का लक्ष्य है।

    1. IFSC में भारतीय निर्यातकों के लिए विदेशी मुद्रा खाते — पुनरायोजन अवधि का विस्तार

      • पहले की नीति के अनुसार, निर्यातक IFSC (International Financial Services Centre) में विदेशी मुद्रा खाते खोलते थे, और राशि अगले महीने वापस लेनी होती थी।

      • अब यह अवधि तीन महीने तक बढ़ाई जा रही है, ताकि निर्यातकों को सुविधा मिले और IFSC में अधिक विदेशी मुद्रा तरलता बनी रहे।
        Reserve Bank of India

    2. Merchanting Trade Transactions (MTT) — अवधि बढ़ाना

      • MTT के लिए विदेशी मुद्रा आउटले (foreign exchange outlay) की अवधि पहले 4 महीने थी।

      • अब इसे 6 महीने की अवधि दी जाएगी।

      • यह व्यापार प्रक्रिया में समय की सीमा बढ़ाकर निर्यातकों को राहत देने का कदम है।

  • छोटे मूल्य के निर्यातक/आयातक — अनुपालन सरल करना

    • निर्यात / आयात (Export/Import) डेटा सिस्टम (EDPMS / IDPMS) में प्रतिपूर्ति (reconciliation) प्रक्रिया को सरल किया जा रहा है।

    • जिन बिल्लों (bills) का मूल्य ₹10 लाख या उससे कम हो, उन पर एक घोषणात्मक व्यवस्था (declaration) आधारित बंदी (closing) की अनुमति दी जाएगी।

    • यह छोटे व्यापारियों के लिए अनुपालन बोझ कम करेगा।
      Reserve Bank of India

  • External Commercial Borrowing (ECB) ढाँचे की समीक्षा

    • ECB (विदेशी वाणिज्य उधार) संबंधित नियमों को पुनर्संरचित करने की प्रस्तावना है।

    • इसमें उधारदाताओं की सूची का विस्तार, उधार सीमा में सुधार, औसत अवधि (average maturity) संबंधी नियमों की सरलता, उपयोग संबंधी प्रतिबंधों की समीक्षा और रिपोर्टिंग सरलीकरण शामिल हैं।

    1. भारत में शाखा / लायजोन कार्यालय / प्रोजेक्ट कार्यालय की स्थापना — नियमों का युक्तिगत पुनरीक्षण

      • मौजूदा 2016 के नियमों की समीक्षा की जा रही है।

      • नए नियम अधिक सिद्धांत आधारित होंगे और AD (Authorized Dealer) बैंकों को अधिक अधिकार प्रदान करेंगे।

      • इससे विदेशी कंपनियों की भारत में विस्तार प्रक्रिया सरल होगी।
        Reserve Bank of India


    ग्राहक एवं उपभोक्ता संरक्षण (Consumer Protection)

    1. Basic Savings Bank Deposit (BSBD) खाता निर्देशों की समीक्षा

      • BSBD खाता उन बैंकों द्वारा परिचालित खाते हैं जो न्यूनतम शुल्क, न्यूनतम सलाना शेष (minimum balance) की बाध्यता के बिना संचालित किए जाते हैं।

      • डिजिटल बैंकिंग के परिवर्तन को ध्यान में रखते हुए, इन निर्देशों को बेहतर बनाना आवश्यक है ताकि सार्वजनिक बैंकों के उपयोग को और बढ़ावा दिया जा सके।
        Reserve Bank of India

    2. अंदरूनी ombudsman प्रणाली (Internal Ombudsman) सुदृढ़ करना

      • कुछ REs (Regulated Entities) में बनाई गई ombudsman प्रणाली को और बेहतर करना है।

      • प्रस्ताव है कि ombudsman को मुआवजा देने की शक्ति दी जाए, तथा उन्हें शिकायतकर्ता से सीध संपर्क की अनुमति हो।

      • एक द्वि-स्तरीय (two-tier) शिकायत निवारण प्रणाली भी प्रस्तावित है, ताकि समस्या जल्दी सुलझ सके।
        Reserve Bank of India

    3. RBI – Integrated Ombudsman योजना समीक्षा एवं विस्तार

      • वर्तमान में यह योजना कुछ ही बैंक एवं संस्थाओं तक सीमित है।

      • प्रस्ताव है कि राज्य सहकारी बैंक (State Co-operative Banks) तथा जिला समन्वय सहकारी बैंक (District Central Cooperative Banks) को भी इस स्कीम में शामिल किया जाए।

      • इस योजना की प्रक्रिया को सरल करना, समयसीमाएँ घटाना और स्पष्टता बढ़ाना अपेक्षित है।
        Reserve Bank of India

    वित्तीय बाजार (Financial Markets)

    1. INR में भारतीय बैंकों द्वारा विदेशियों को ऋण

      • भारत में Authorized Dealer (AD) बैंक और उनकी विदेशी शाखाएँ अब भूटान, नेपाल, श्रीलंका में निवासरत व्यक्तियों / बैंकों को भारतीय रुपए (INR) में ऋण देने की अनुमति पा सकती हैं।

      • यह कदम क्षेत्रीय व्यापार (cross border trade) एवं रुपये उपयोग को बढ़ावा देगा

    वित्तीय Benchmarks India Ltd (FBIL) द्वारा अतिरिक्त संदर्भ दरें (reference rates) जारी करना

    • अभी USD, EUR, GBP, JPY की दरें INR के मुकाबले उपलब्ध हैं।

    • अब उन देशों की मुद्राएँ जिनके साथ भारत का व्यापार अधिक है, उनकी दरें भी शामिल करने का प्रस्ताव है।

    • यह विधि विदेशी मुद्रा बाजार को और गहरा (deeper) बनाएगी।

    Special Rupee Vostro Accounts (SRVA) धारकों के लिए निवेश विकल्प विस्तार

    • SRVA खाते पहले विदेशी लेन-देन हेतु बनाए गए थे जिसमें जमा राशि को सरकारी प्रतिभूतियों (government securities) में निवेश करने की अनुमति थी।

    • अब प्रस्ताव है कि इन खातों की राशि को कॉर्पोरेट बॉन्ड और वाणिज्यिक पत्र (commercial papers) में भी निवेश किया जा सके।

    • इससे विदेशियों को भारत में अधिक निवेश विकल्प मिलेंगे और रुपये आधारित व्यापार को बढ़ावा मिलेगा।

    निष्कर्ष एवं अपेक्षित प्रभाव

    • इस बयान से स्पष्ट होता है कि RBI बैंकों, वित्तीय संस्थाओं, विदेशी व्यापार एवं ग्राहक हितों को ध्यान में रखते हुए नियम एवं प्रक्रिया सुधार की दिशा में तेजी रखना चाहता है।

    • इन प्रस्तावों का उद्देश्य बैंकिंग प्रणाली की मजबूती (resilience), जोख़िम प्रबंधन (risk management), ग्राहक आश्वासन, और विदेश व्यापार सुगमता को बढ़ावा देना है।

    • हालांकि, अधिकांश प्रस्ताव अभी “draft” या “प्रारूप” अवस्था में हैं और सार्वजनिक टिप्पणियों (public consultation) के बाद अंतिम रूप दिए जाएंगे।

    • इन सुधारों के लागू होने पर बैंकिंग एवं वित्तीय क्षेत्र में संचालन की दक्षता बढ़ेगी, नियामक सीमा-बाधाएँ घटेंगी और आर्थिक गतिविधियों को नई गति मिलेगी।



    (साभार- www.rbi.org.in)

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    Rajanish Kant बुधवार, 1 अक्टूबर 2025
    Monetary Policy Statement, 2025-26: प्रमुख दरों में कोई बदलाव नहीं, ग्रोथ, महंगाई पर आरबीआई का नया अनुमान जानें


    निर्णय

    • आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने 29 सितम्बर से 1 अक्टूबर, 2025 की बैठक में नियमित रूप से (unanimously) यह निर्णय लिया कि

      • नीति रेपो दर (policy repo rate) को 5.50% पर स्थिर रखा जाए Reserve Bank of India

      • उसी के अनुरूप, स्टैंडिंग डेपॉज़िट फैसिलिटी (SDF) दर 5.25% और मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी (MSF) दर तथा बैंक दर 5.75% पर बनी रहे Reserve Bank of India

      • नीति रुख को neutral (तटस्थ) बनाए रखा जाए Reserve Bank of India

    आर्थिक विकास एवं मुद्रास्फीति (Growth & Inflation Outlook)

    • विकास (Growth):

      • 2025-26 की पहली तिमाही (Q1) में भारत की अर्थव्यवस्था ने 7.8% की मजबूत वृद्धि दर्ज की, और GVA (Gross Value Added) 7.6% से बढ़ा Reserve Bank of India

      • कृषि, विनिर्माण और सेवा क्षेत्र में समेकित वृद्धि रही। ग्रामीण मांग मजबूत, शहरी मांग पुनरुद्धार दिखा रही है Reserve Bank of India

      • अनुमान है कि वर्ष में कुल वृद्धि 6.8% रहेगी; Q2: 7.0%, Q3: 6.4%, Q4: 6.2% Reserve Bank of India

    • मुद्रास्फीति (Inflation):

      • जुलाई 2025 में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) मुद्रास्फीति 1.6% पर पहुंची — यह आठ वर्ष में न्यूनतम स्तर था; अगस्त में यह 2.1% पर बढ़ी है Reserve Bank of India

      • ईंधन समूह की मुद्रास्फीति 2.4-2.7% के भीतर सीमित रही; कोर मुद्रास्फीति (core inflation) अगस्त में लगभग 4.2% रही Reserve Bank of India

      • “कीमती धातुओं” को छोड़कर कोर मुद्रास्फीति अगस्त में लगभग 3.0% रही Reserve Bank of India

      • वर्ष के शेष हिस्सों में खाद्य मुद्रास्फीति पर नियंत्रण रहने की संभावना है, विशेषकर यदि मानसून सामान्य रहे और GST दरों में सुधार हो

      • वर्ष 2025-26 के लिए CPI मुद्रास्फीति का अनुमान



    निर्णयों का कारण (Rationale)

    • पिछले कुछ महीनों में मुद्रास्फीति की स्थितियाँ और अपेक्षाएँ और अधिक सौम्य (benign) हो गई हैं, जिससे औसत मुद्रास्फीति अनुमान पहले की तुलना में कम किया गया है Reserve Bank of India

    • आर्थिक वृद्धि अपेक्षाकृत मज़बूत बनी हुई है, और घरेलू मांग, निवेश गतिविधि और कृषि क्षेत्र में सुधार योँ शुरू हो गई है Reserve Bank of India

    • हालांकि, बाहरी (external) चुनौतियाँ जैसे व्यापार नीति अस्थिरता, वैश्विक वित्तीय अस्थिरता और भू-राजनीतिक तनाव जोखिम बने हैं Reserve Bank of India

    • समिति ने यह विचार किया कि मौजूदा नीति प्रभाव अभी पूरी तरह नकारात्‍मक रूप से प्रकट नहीं हुए हैं, इसलिए आगे की प्रक्रिया का निर्णय स्थिति स्पष्ट होने पर करना उचित है Reserve Bank of India

    • इस कारण से MPC ने वेतन वृद्धि न रखते हुए मौजूदा दरों और नीति रुख को बरकरार रखा Reserve Bank of India

    • हालांकि, दो सदस्यों (डॉ. नागेश कुमार और प्रो. राम सिंह) ने यह सुझाव दिया कि नीति रुख को neutral से accommodative किया जाना चाहिए था Reserve Bank of India

    आगे की बैठक तथा अन्य सूचना

    • MPC की अगली बैठक 3–5 दिसंबर 2025 को निर्धारित है Reserve Bank of India

    • इस बैठक की मिनट्स (minutes) 15 अक्टूबर 2025 को प्रकाशित की जाएँगी Reserve Bank of India



    (साभार- www.rbi.org.in)

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    Rajanish Kant
    RBI Policy Meet: रेपो रेट 0.25% बढ़ाकर 6.50% किया, लोन महंगे होंगे, EMI बढ़ेगी, FD पर ज्यादा ब्याज मिलेगा
    रिजर्व बैंक की मौद्रिक पॉलिसी कमेटी ने लगातार दूसरी बार प्रमुख दरों में चौथाई प्रतिशत का इजाफा किया है। कमेटी ने 30,31 जुलाई और एक अगस्त की बैठक में रेपो रेट को 0.25 प्रतिशत बढ़ाकर 6.50 प्रतिशत, रिवर्स रेपो रेट को 0.25 प्रतिशत बढ़ाकर 6.25 प्रतिशत, एमएसएफ और बैंक रेट में भी 0.25 प्रतिशत का इजाफा करते हुए 6.75 प्रतिशत कर दिया। 
    प्रमुख दरों में बढ़ोतरी के बाद होम लोन समेत सभी लोन महंगे होने की संभावना है जबकि बैंक एफडी कराने वालों को फायदा होगा। 
    नई प्रमुख दरें:
    -रेपो रेट                                  :  6.50%
    -रिवर्स रेपो रेट                          :  6.25%
    -मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी रेट (MSF): 6.75%
    -बैंक रेट                             : 6.75%
    -कैश रिजर्व रेश्यो (CRR)   : 4%
    -एसएलआर                         :   19.5%
    -बेस रेट                              :   8.75 - 9.45%
    -MCLR (Overnight) : 7.90% -8.05%
    -Savings Deposit Rate : 3.50% - 4.00%
    -Term Deposit Rate > 1 Year: 6.25% - 7.00% 

    RBI का अनुमान:
    -2018-19 की  Q2 में महंगाई दर 4.2 प्रतिशत और दूसरी छमाही में 4.8 प्रतिशत रहने का अनुमान
    -2019-20 की पहली तिमाही में महंगाई दर 5 प्रतिशत रहने का अनुमान
    -2018-19 में जीडीपी ग्रोथ 7.4 प्रतिशत, पहली छमाही में 7.5-7.6 प्रतिशत, दूसरी छमाही में 

    7.3-7.4 प्रतिशत और 2019-20 की पहली तिमाही में जीडीपी ग्रोथ 7.5 प्रतिशत रहने का अनुमान

    इससे पहले रिजर्व बैंक ने 4,5 और 6 जून की बैठक में मोदी सरकार के कार्यकाल में पहली बार ब्याज दर में इजाफा किया गया था। रेपो रेट में चौथाई प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई थी। 
    (मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के बारे में जानें  
    (मौद्रिक पॉलिसी क्या है

    Rajanish Kant बुधवार, 1 अगस्त 2018
    RBI MPC Meeting: आज दोपहर 2.30 बजे पता चलेगा कि ब्याज बढ़ा या नहीं ? रेपो रेट 0.25% बढ़ने का अनुमान
    वर्ष 2018-19 के तृतीय द्विमासिक मौद्रिक नीति वक्तव्य के लिए मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक का आज आखिरी दिन है। एमपीसी ब्याज दर पर क्या फैसला लेती है, इसका पता आज  दोपहर 2.30 बजे चलेगा। यह तीनदिवसीय बैठक 30 अगस्त को शुरू हुई थी। कुछ जानकारों का मानना है कि बैठक में प्रमुख दरों में चौथाई प्रतिशत की बढ़ोतरी की जा सकती है। 
    इससे पहले रिजर्व बैंक ने 4,5 और 6 जून की बैठक में मोदी सरकार के कार्यकाल में पहली बार ब्याज दर में इजाफा किया गया था। रेपो रेट में चौथाई प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई थी। 
    RBI ने प्रमुख दरों में 0.25% का इजाफा किया, रेपो रेट@6.25%, रिवर्स रेपो रेट@6.00%, EMI बढ़ेगी, FD पर ज्यादा ब्याज मिलेगा

    मौजूदा प्रमुख दरें:
    -रेपो रेट                                  :  6.25%

    -रिवर्स रेपो रेट                          :  6.00%

    -मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी रेट (MSF): 6.50%

    -बैंक रेट                             : 6.50%

    -कैश रिजर्व रेश्यो (CRR)   : 4%

    -एसएलआर                         :   19.5%

    -बेस रेट                              :   8.75 - 9.45%

    -MCLR (Overnight) : 7.90% -8.05%

    -Savings Deposit Rate : 3.50% - 4.00%

    -Term Deposit Rate > 1 Year: 6.25% - 7.00% 

    >30,31 जुलाई, 1 अगस्त की बैठक में क्या है संभावनाएं: 
    आज से शुरु हो रही बैठक के बारे में कुछ जानकारों का मानना है कि ब्याज दर स्थिर रखी जा सकती है, जबकि कुछ का मानना है कि बढ़ोतरी की जा सकती है। ब्याज दर में कमी की उम्मीद तो नहीं जताई जा रही है। 

    जो जानकार ब्याज दर में बढ़ोतरी का अनुमान जता रहे हैं वो कच्चे तेल की वैश्विक कीमतों में तेजी का रुझान, महंगाई दर में इजाफा और डॉलर के मुकाबले रुपए में आ रही गिरावट को वजह मान रहे हैं। अभी महंगाई दर रिजर्व बैंक के मध्यम अवधि के लक्ष्य 4% से ऊपर चल रही है और कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी के साथ ही डॉलर के मुकाबले रुपए में गिरावट से महंगाई दर पर और दबाव पड़ने की आशंका है। जानकारों का साथ ही ये भी कहना है विकास दर ठीक-ठाक है, ऐसे में रेपो रेट में 0.25 % की बढ़ोतरी मुमकिन है। 

    जून में थोक मूल्य सूचकांक (WPI) पर आधारित महंगाई दर 5.77% दर्ज की गई, जो कि दिसंबर 2013 के बाद सबसे अधिक है, जबकि खुदरा मूल्य सूचकांक (CPI) पर आधारित महंगाई दर 5 % दर्ज की गई। हालांकि, जुलाई में महंगाई दर में कमी संभव है, क्योंकि करीब 80 वस्तुओं के जीएसटी में कमी की गई है। लेकिन, कृषि उपजों के एमएसपी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बढ़ोतरी की घोषणा से महंगाई दर पर दबाव बढ़ने की भी संभावना जताई जा रही है। 

    अगर ब्याज दर बढ़ती है तो लोन और महंगे होंगे, जबकि एफडी करने वालों को फायदा होगा। 

    ((फाइनेंस का फंडा: भाग-21, RBI की क्या भूमिका है 
    (मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के बारे में जानें  
    (मौद्रिक पॉलिसी क्या है

    Rajanish Kant
    क्या RBI फिर ब्याज 0.25% बढ़ाएगा! आज से मंथन शुरू, 1 अगस्त को पता चलेगा
    वर्ष 2018-19 के तृतीय द्विमासिक मौद्रिक नीति वक्तव्य के लिए मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक आज से शुरू हो रही है और 1 अगस्त 2018 तक चलेगी। एमपीसी ब्याज दर पर क्या फैसला लेती है, इसकी जानकारी 1 अगस्त 2018 को दोपहर 2.30 बजे पता चलेगा। इससे पहले रिजर्व बैंक ने 4,5 और 6 जून की बैठक में मोदी सरकार के कार्यकाल में पहली बार ब्याज दर में इजाफा किया गया था। रेपो रेट में चौथाई प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई थी। 

    मौजूदा प्रमुख दरें:
    -रेपो रेट                                  :  6.25%

    -रिवर्स रेपो रेट                          :  6.00%

    -मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी रेट (MSF): 6.50%

    -बैंक रेट                             : 6.50%

    -कैश रिजर्व रेश्यो (CRR)   : 4%

    -एसएलआर                         :   19.5%

    -बेस रेट                              :   8.75 - 9.45%

    -MCLR (Overnight) : 7.90% -8.05%

    -Savings Deposit Rate : 3.50% - 4.00%

    -Term Deposit Rate > 1 Year: 6.25% - 7.00% 

    >30,31 जुलाई, 1 अगस्त की बैठक में क्या है संभावनाएं: 
    आज से शुरु हो रही बैठक के बारे में कुछ जानकारों का मानना है कि ब्याज दर स्थिर रखी जा सकती है, जबकि कुछ का मानना है कि बढ़ोतरी की जा सकती है। ब्याज दर में कमी की उम्मीद तो नहीं जताई जा रही है। 

    जो जानकार ब्याज दर में बढ़ोतरी का अनुमान जता रहे हैं वो कच्चे तेल की वैश्विक कीमतों में तेजी का रुझान, महंगाई दर में इजाफा और डॉलर के मुकाबले रुपए में आ रही गिरावट को वजह मान रहे हैं। अभी महंगाई दर रिजर्व बैंक के मध्यम अवधि के लक्ष्य 4% से ऊपर चल रही है और कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी के साथ ही डॉलर के मुकाबले रुपए में गिरावट से महंगाई दर पर और दबाव पड़ने की आशंका है। जानकारों का साथ ही ये भी कहना है विकास दर ठीक-ठाक है, ऐसे में रेपो रेट में 0.25 % की बढ़ोतरी मुमकिन है। 

    जून में थोक मूल्य सूचकांक (WPI) पर आधारित महंगाई दर 5.77% दर्ज की गई, जो कि दिसंबर 2013 के बाद सबसे अधिक है, जबकि खुदरा मूल्य सूचकांक (CPI) पर आधारित महंगाई दर 5 % दर्ज की गई। हालांकि, जुलाई में महंगाई दर में कमी संभव है, क्योंकि करीब 80 वस्तुओं के जीएसटी में कमी की गई है। लेकिन, कृषि उपजों के एमएसपी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बढ़ोतरी की घोषणा से महंगाई दर पर दबाव बढ़ने की भी संभावना जताई जा रही है। 

    अगर ब्याज दर बढ़ती है तो लोन और महंगे होंगे, जबकि एफडी करने वालों को फायदा होगा। 

    ((फाइनेंस का फंडा: भाग-21, RBI की क्या भूमिका है 
    (मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के बारे में जानें  
    (मौद्रिक पॉलिसी क्या है

    Rajanish Kant सोमवार, 30 जुलाई 2018
    RBI ने ब्याज दर में कोई बदलाव नहीं किया, SLR में कटौती,आर्थिक वृद्धि अनुमान में की कमी
    रिजर्व बैंक की मौद्रिक पॉलिसी समिति ने 6 और 7  जून 2017 की बैठक के बाद रेपो रेट 6.25% पर और रिवर्स रेपो रेट  6% पर स्थिर रखा है। हालांकि, समिति ने एसएलआर को 0.50 प्रतिशत कम करते हुए इसे 20 प्रतिशत कर दिया है। नया एसएलआर 24 जून से लागू होगा।

    मौद्रिक पॉलिसी समिति की बैठक में इस बात पर चर्चा की गई कि नीतिगत दरों में कटौती पर फैसला लेने के लिए आगे आने वाले आंकड़ों का इंतजार किया जाएगा। साथ ही इस बात पर भी सहमति बनी कि घरेलू इकोनॉमी की सेहत ठीक करने के लिए निजी निवेश को बढ़ाने, बैंकिंग सेक्टर की हालत सुधारने और इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर के रास्ते में आने वाली बाधाओं को दूर करने की जरूरत है।

    रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2017-18 की पहली छमाही में महंगाई दर 2-3.5 प्रतिशत और दूसरी छमाही में 3.5-4.5 प्रतिशत के दायरे में रहने का अनुमान लगाया है। रिजर्व बैंक ने इसके साथ ही चालू वित्त वर्ष के लिए आर्थिक वृद्धि के अनुमान को भी 7.4 प्रतिशत से घटा कर 7.3 प्रतिशत कर दिया.

    RBI की इस बैठक का मिनट्स 21 जून को प्रकाशित होगा,जबकि मौद्रिक पॉलिसी समिति की अगली बैठक 1 और 2 अगस्त को होगी।

    Second Bi-monthly Monetary Policy Statement, 2017-18 
    रिवर्स रेपो रेट को ऐसे समझिए: बैंकों के पास दिन भर के कामकाज के बाद बहुत बार एक बड़ी रकम शेष बच जाती है। बैंक वह रकम अपने पास रखने के बजाय रिजर्व बैंक में रख सकते हैं, जिस पर उन्हें रिजर्व बैंक से ब्याज भी मिलता है। जिस दर पर यह ब्याज मिलता है, उसे रिवर्स रेपो रेट कहते हैं।

    वैसे कई बार रिजर्व बैंक को लगता है कि बाजार में बहुत ज्यादा नकदी हो गई है तब वह रिवर्स रेपो रेट में बढ़ोतरी कर देता है। इससे होता यह है कि बैंक ज्यादा ब्याज कमाने के लिए अपना पैसा रिजर्व बैंक के पास रखने लगते हैं।

    रिजर्व बैंक की प्रमुख दरें:
    रेट                                           पुराना रेट ( %)              मौजूदा रेट ( %)
    >रेपो रेट:                                              6.25                 6.25
    ----------------------------------------------------------------------------------------
    >रिवर्स रेपो रेट:                                      5.75                6.00
    ----------------------------------------------------------------------------------------
    >मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी रेट (MSF):  6.75               6.50
    -------------------------------------------------- -----------------------------------------            
    >कैश रिजर्व रेश्यो (CRR):                        4                      4.00
    ------------------------------------------------------------------------------------------
    >बैंक रेट:                                               6.75                    6.50
    ---------------------------------------------------------------------------------------------
    >SLR:                                                    20.50             20.00
    -------------------------------------------------------- -------------------------------------
    >बेस रेट        :                                  9.25 - 9.65                   9.25-9.60
    -----------------------------------------------------------------------------------------------
    >MCLR (Overnight) :                        7.75 -8.20                     7.75-8.20  
    ---------------------------------------------------------------------------------------------
    >Savings Deposit Rate :                               4                                 4.00
    --------------------------------------------------------------------------------------------------
    >Term Deposit Rate > 1 Year :                  6.50- 7.00                          6.50-7.00
    --------------------------------------------------------------------------------------------------

    ((5 और 6 अप्रैल 2017 की RBI मौद्रिक पॉलिसी समिति बैठक: रेपो रेट जस का तस, रिवर्स रेपो रेट 0.25% बढ़ा 
    ((RBI ने 7,8 फरवरी की बैठक में ब्याज दर में कोई बदलाव नहीं किया 
    (वर्ष 2017-18 में मौद्रिक नीति समिति की कब-कब बैठक होगी, जानिए बैठकों की समयसारिणी
    ((फाइनेंस का फंडा: भाग-21, RBI की क्या भूमिका है 
    (मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के बारे में जानें  
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    Rajanish Kant बुधवार, 7 जून 2017