देश के केंद्रीय बैंक भारतीय रिजर्व बैंक ने 29 सितंबर से 1 अक्टूबर की तीन दिनों की एमपीसी बैठक के बाद Developmental and Regulatory Policies पर बयान जारी किया है, क्या कहा है जानें -
प्रस्तावना
यह बयान RBI द्वारा जारी किया गया है जिसमें चार मुख्य क्षेत्रों में विकासात्मक और नियामक नीतिगत उपायों की रूपरेखा दी गई है:
-
नियम एवं विनियमन (Regulations)
-
विदेशी विनिमय प्रबंधन (Foreign Exchange Management)
-
ग्राहक संरक्षण (Consumer Protection)
-
वित्तीय बाजार (Financial Markets)
I. नियम एवं विनियमन (Regulations)
इस अनुभाग में बैंकिंग क्षेत्र की मजबूती, जोखिम नियंत्रण, और अधिक पारदर्शिता को बढ़ावा देने के उपाय प्रस्तावित हैं।
-
Expected Credit Loss (ECL) फ़्रेमवर्क
-
बैंकिंग क्षेत्र की मजबूती बढ़ाने हेतु, वर्तमान “incurred loss” आधारित प्रावधान प्रणाली की जगह Expected Credit Loss (ECL) आधारित दृष्टिकोण प्रस्तावित किया गया है।
-
यह चारों ओर से अनुमानित नुकसानों को पहले से ध्यान में लेने की पद्धति है, जिससे बेहतर जोखिम प्रबंधन संभव होगा।
-
इस प्रणाली को धीरे-धीरे लागू करने के लिए “glide-path” (क्रमागत संक्रमण) का प्रावधान होगा।
Basel III — क्रेडिट जोखिम पर पूँजी शुल्क (Standardised Approach)
-
क्रेडिट जोखिम के लिए बैंक द्वारा लगे पूँजी (capital charge) की गणना करने वाले मानक (standardised) दृष्टिकोण को और अधिक जोखिम-संवेदनशील बनाने हेतु प्रस्ताव है।
-
इसका उद्देश्य वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं के अनुरूप बैंक पूँजी संरचना को और मजबूत बनाना है।
Reserve Bank of India
व्यवसाय स्वरूप और निवेश के लिए बैंक दिशानिर्देश
-
अक्टूबर 2024 में जारी प्रारंभिक draft पर समीक्षा के बाद, अब कुछ प्रस्तावों में बदलाव कर नए दिशा-निर्देश जारी करने की योजना है।
-
विशेष रूप से, बैंक और उसकी समूह इकाइयों (group entities) के बीच व्यवसाय में “ओवरलैप” (अति समान काम) पर लगाया गया प्रतिबंध हटाने का प्रस्ताव है।
-
इससे बैंक और समूह इकाइयों को अधिक स्वतंत्रता प्राप्त होगी और समूह स्तर पर समेकन (consolidation) की सुविधा बढ़ेगी।
जोखिम आधारित प्रीमियम मॉडल — जमा बीमा (Deposit Insurance)
-
वर्तमान में सभी बैंकों से एक समान दर (flat rate) पर प्रीमियम वसूला जाता है।
-
नए प्रस्तावित मॉडल में बैंक की “ध्वनि वित्तीय स्थिति (soundness)” पर आधारित प्रीमियम की दर निर्धारित की जाएगी।
-
अर्थात् अधिक सुरक्षित बैंक कम प्रीमियम देंगे, तथा जोखिमयुक्त बैंक अधिक प्रीमियम देंगे।
पूंजी बाजार तक बैंक की पहुँच — नकदी एवं प्रतिभूतियों के विरुद्ध ऋण
“बड़े उधारकर्ताओं” के लिए मौजूदा दिशानिर्देशों की वापसी
-
2016 में “Enhancing Credit Supply for Large Borrowers” नामक दिशा-निर्देश जारी की गई थी।
-
अब, बैंक प्रणाली में एकीकृत “Large Exposures Framework” पहले से मौजूद है, इसलिए उक्त पुरानी दिशा-निर्देशों को वापस लेने का प्रस्ताव है।
-
यदि बाद में ज़रूरत पड़े, प्रणालीगत स्तर पर अन्य उपायों द्वारा समेकन जोखिम (concentration risk) संभाले जाएंगे।
NBFCs द्वारा इन्फ्रास्ट्रक्चर ऋण — जोखिम भार (Risk Weight) पुनरीक्षण
-
चल रहे (operational) इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं को कम जोखिम माना जाना चाहिए, जबकि निर्माणाधीन परियोजनाओं को अधिक जोखिम।
-
इसके अनुरूप, NBFCs (Non-Banking Financial Companies) को परियोजनाओं के आधार पर अलग-अलग जोखिम भार आवंटित करने का प्रस्ताव है।
नए शहरी सहकारी बैंकों (Urban Co-operative Banks, UCBs) का लाइसेंसिंग प्रारूप
-
करीब 2004 से नए UCB लाइसेंस जारी नहीं किए गए हैं, क्योंकि कई सहकारी बैंक वित्तीय रूप से कमजोर रहे।
-
अब इसके लिए एक “discussion paper” जारी करने का प्रस्ताव है, ताकि नए UCBs अधिक स्थिर एवं स्वस्थ बुनियादी ढाँचे के साथ संचालित हों।
नियामक निर्देशों का संकलन (Consolidation of Regulatory Instructions)
-
समय के साथ RBI द्वारा जारी कई अलग-अलग निर्देश, परिपत्र etc. हो चुके हैं।
-
लगभग 250 Master Directions तैयार करने की योजना है जो 30 विषय क्षेत्रों और 11 प्रकार की संस्थाओं पर लागू होंगे।
-
इस संकलन की दिशा-निर्देश (draft) जल्द ही सार्वजनिक की जाएगी।
लेन-देन खाता (Transaction Accounts) — प्रतिबंधों की समीक्षा
-
बैंक खाते जैसे CA (Current Account), CC (Cash Credit), OD (Overdraft) पर अब तक कुछ प्रतिबंध लगाए गए थे।
-
समीक्षा के बाद, अधिक लचीलापन देने का प्रस्ताव है — विशेष रूप से उन उधारकर्ताओं के लिए जो पहले से ही किसी वित्तीय नियामक के अधीन हैं।
विदेशी विनिमय प्रबंधन (Foreign Exchange Management)
इन उपायों से विदेशी व्यापार, मुद्रा प्रवाह, और विनिमय बाजारों को सरल एवं अधिक सक्षम बनाने का लक्ष्य है।
-
IFSC में भारतीय निर्यातकों के लिए विदेशी मुद्रा खाते — पुनरायोजन अवधि का विस्तार
-
पहले की नीति के अनुसार, निर्यातक IFSC (International Financial Services Centre) में विदेशी मुद्रा खाते खोलते थे, और राशि अगले महीने वापस लेनी होती थी।
-
अब यह अवधि तीन महीने तक बढ़ाई जा रही है, ताकि निर्यातकों को सुविधा मिले और IFSC में अधिक विदेशी मुद्रा तरलता बनी रहे।
Reserve Bank of India
-
-
Merchanting Trade Transactions (MTT) — अवधि बढ़ाना
-
MTT के लिए विदेशी मुद्रा आउटले (foreign exchange outlay) की अवधि पहले 4 महीने थी।
-
अब इसे 6 महीने की अवधि दी जाएगी।
-
यह व्यापार प्रक्रिया में समय की सीमा बढ़ाकर निर्यातकों को राहत देने का कदम है।
छोटे मूल्य के निर्यातक/आयातक — अनुपालन सरल करना
-
निर्यात / आयात (Export/Import) डेटा सिस्टम (EDPMS / IDPMS) में प्रतिपूर्ति (reconciliation) प्रक्रिया को सरल किया जा रहा है।
-
जिन बिल्लों (bills) का मूल्य ₹10 लाख या उससे कम हो, उन पर एक घोषणात्मक व्यवस्था (declaration) आधारित बंदी (closing) की अनुमति दी जाएगी।
-
यह छोटे व्यापारियों के लिए अनुपालन बोझ कम करेगा।
Reserve Bank of India
External Commercial Borrowing (ECB) ढाँचे की समीक्षा
-
ECB (विदेशी वाणिज्य उधार) संबंधित नियमों को पुनर्संरचित करने की प्रस्तावना है।
-
इसमें उधारदाताओं की सूची का विस्तार, उधार सीमा में सुधार, औसत अवधि (average maturity) संबंधी नियमों की सरलता, उपयोग संबंधी प्रतिबंधों की समीक्षा और रिपोर्टिंग सरलीकरण शामिल हैं।
भारत में शाखा / लायजोन कार्यालय / प्रोजेक्ट कार्यालय की स्थापना — नियमों का युक्तिगत पुनरीक्षण
-
मौजूदा 2016 के नियमों की समीक्षा की जा रही है।
-
नए नियम अधिक सिद्धांत आधारित होंगे और AD (Authorized Dealer) बैंकों को अधिक अधिकार प्रदान करेंगे।
-
इससे विदेशी कंपनियों की भारत में विस्तार प्रक्रिया सरल होगी।
Reserve Bank of India
ग्राहक एवं उपभोक्ता संरक्षण (Consumer Protection)
-
Basic Savings Bank Deposit (BSBD) खाता निर्देशों की समीक्षा
-
BSBD खाता उन बैंकों द्वारा परिचालित खाते हैं जो न्यूनतम शुल्क, न्यूनतम सलाना शेष (minimum balance) की बाध्यता के बिना संचालित किए जाते हैं।
-
डिजिटल बैंकिंग के परिवर्तन को ध्यान में रखते हुए, इन निर्देशों को बेहतर बनाना आवश्यक है ताकि सार्वजनिक बैंकों के उपयोग को और बढ़ावा दिया जा सके।
Reserve Bank of India
-
-
अंदरूनी ombudsman प्रणाली (Internal Ombudsman) सुदृढ़ करना
-
कुछ REs (Regulated Entities) में बनाई गई ombudsman प्रणाली को और बेहतर करना है।
-
प्रस्ताव है कि ombudsman को मुआवजा देने की शक्ति दी जाए, तथा उन्हें शिकायतकर्ता से सीध संपर्क की अनुमति हो।
-
एक द्वि-स्तरीय (two-tier) शिकायत निवारण प्रणाली भी प्रस्तावित है, ताकि समस्या जल्दी सुलझ सके।
Reserve Bank of India
-
-
RBI – Integrated Ombudsman योजना समीक्षा एवं विस्तार
-
वर्तमान में यह योजना कुछ ही बैंक एवं संस्थाओं तक सीमित है।
-
प्रस्ताव है कि राज्य सहकारी बैंक (State Co-operative Banks) तथा जिला समन्वय सहकारी बैंक (District Central Cooperative Banks) को भी इस स्कीम में शामिल किया जाए।
-
इस योजना की प्रक्रिया को सरल करना, समयसीमाएँ घटाना और स्पष्टता बढ़ाना अपेक्षित है।
Reserve Bank of India
वित्तीय बाजार (Financial Markets)
-
INR में भारतीय बैंकों द्वारा विदेशियों को ऋण
-
भारत में Authorized Dealer (AD) बैंक और उनकी विदेशी शाखाएँ अब भूटान, नेपाल, श्रीलंका में निवासरत व्यक्तियों / बैंकों को भारतीय रुपए (INR) में ऋण देने की अनुमति पा सकती हैं।
-
यह कदम क्षेत्रीय व्यापार (cross border trade) एवं रुपये उपयोग को बढ़ावा देगा
वित्तीय Benchmarks India Ltd (FBIL) द्वारा अतिरिक्त संदर्भ दरें (reference rates) जारी करना
-
अभी USD, EUR, GBP, JPY की दरें INR के मुकाबले उपलब्ध हैं।
-
अब उन देशों की मुद्राएँ जिनके साथ भारत का व्यापार अधिक है, उनकी दरें भी शामिल करने का प्रस्ताव है।
Special Rupee Vostro Accounts (SRVA) धारकों के लिए निवेश विकल्प विस्तार
-
SRVA खाते पहले विदेशी लेन-देन हेतु बनाए गए थे जिसमें जमा राशि को सरकारी प्रतिभूतियों (government securities) में निवेश करने की अनुमति थी।
-
अब प्रस्ताव है कि इन खातों की राशि को कॉर्पोरेट बॉन्ड और वाणिज्यिक पत्र (commercial papers) में भी निवेश किया जा सके।
-
इससे विदेशियों को भारत में अधिक निवेश विकल्प मिलेंगे और रुपये आधारित व्यापार को बढ़ावा मिलेगा।
निष्कर्ष एवं अपेक्षित प्रभाव
-
इस बयान से स्पष्ट होता है कि RBI बैंकों, वित्तीय संस्थाओं, विदेशी व्यापार एवं ग्राहक हितों को ध्यान में रखते हुए नियम एवं प्रक्रिया सुधार की दिशा में तेजी रखना चाहता है।
-
इन प्रस्तावों का उद्देश्य बैंकिंग प्रणाली की मजबूती (resilience), जोख़िम प्रबंधन (risk management), ग्राहक आश्वासन, और विदेश व्यापार सुगमता को बढ़ावा देना है।
-
हालांकि, अधिकांश प्रस्ताव अभी “draft” या “प्रारूप” अवस्था में हैं और सार्वजनिक टिप्पणियों (public consultation) के बाद अंतिम रूप दिए जाएंगे।
-
इन सुधारों के लागू होने पर बैंकिंग एवं वित्तीय क्षेत्र में संचालन की दक्षता बढ़ेगी, नियामक सीमा-बाधाएँ घटेंगी और आर्थिक गतिविधियों को नई गति मिलेगी।
(साभार- www.rbi.org.in)
('बिना प्रोफेशनल ट्रेनिंग के शेयर बाजार जरूर जुआ है'
((शेयर बाजार: जब तक सीखेंगे नहीं, तबतक पैसे बनेंगे नहीं!
कोई टिप्पणी नहीं