प्रथम छमाही में प्रत्‍यक्ष करों का संग्रह 16.7% बढ़ा
चालू वित्‍त वर्ष की प्रथम छमाही में यानी सितम्‍बर 2018 तक प्रत्‍यक्ष करों का अनंतिम संग्रह बढ़कर 5.47 लाख करोड़ रुपये के स्‍तर पर पहुंच गयाजो पिछले वित्‍त वर्ष की समान अवधि की तुलना में 16.7 प्रतिशत अधिक है। उल्‍लेखनीय है कि वित्‍त वर्ष 2017-18 की समान अवधि में हासिल सकल संग्रह में आय घोषणा योजना (आईडीएस), 2016 के तहत एकत्रित 10,254 करोड़ रुपये का असाधारण संग्रह भी शामिल है (आईडीएस की तीसरी एवं अंतिम किस्‍त)। चालू वित्‍त वर्ष के संग्रह में इस तरह की राशि शामिल नहीं है।
     अप्रैल-सितंबर 2018 के दौरान कुल मिलाकर 1.03 लाख करोड़ रुपये के रिफंड जारी किये गयेजो पिछले वित्‍त वर्ष की समान अवधि में जारी रिफंड की तुलना में 30.4 प्रतिशत अधिक है। अप्रैल-सितंबर 2018 के दौरान प्रत्‍यक्ष करों का शुद्ध संग्रह (रिफंड के समायोजन के बाद) 14 प्रतिशत बढ़कर 4.44 लाख करोड़ रुपये के स्‍तर पर पहुंच गया। प्रत्‍यक्ष करों का शुद्ध संग्रह वित्‍त्‍ वर्ष 2018-19 के लिए प्रत्‍यक्ष करों के कुल बजट अनुमान (11.50 लाख करोड़ रुपये) का 38.6 प्रतिशत है।
     जहां तक कॉरपोरेट आयकर (सीआईटी) और व्‍यक्तिगत आयकर (पीआईटी) का सवाल हैसीआईटी के सकल संग्रह की वृद्धि दर 19.5 प्रतिशत आंकी गई है। इसी तरह पीआईटी (प्रतिभूति लेन-देन कर यानी एसटीटी सहित) के सकल संग्रह की वृद्धि दर 19.1 प्रतिशत दर्ज की गई है। रिफंड के समायोजन के बाद सीआईटी संग्रह की शुद्ध वृद्धि दर 18.7 प्रतिशत और पीआईटी संग्रह की शुद्ध वृद्धि दर 14.9 प्रतिशत आंकी गई है।
     चालू वित्‍त वर्ष की प्रथम छमाही में अग्रिम कर के रूप में 2.10 लाख करोड़ रुपये का संग्रह हुआ हैजो पिछले वित्‍त वर्ष की समान अवधि में हुए अग्रिम कर संग्रह की तुलना में 18.7 प्रतिशत अधिक है। कॉरपोरेट अग्रिम कर की वृद्धि दर 16.4 प्रतिशत और पीआईटी से जुड़े अग्रिम कर की वृद्धि दर 30.3 प्रतिशत आंकी गई है।      

(स्रोत-पीआईबी)
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Rajanish Kant गुरुवार, 4 अक्तूबर 2018
आयातित एवं निर्यात वस्तुओं से संबंधित विदेशी मुद्रा विनिमय दर अधिसूचित, कल से लागू
       सीमा शुल्क अधिनियम, 1962 (1962 का 52) की धारा 14 द्वारा प्रदत्त अधिकारों का उपयोग करते हुए केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीईसी) ने सं. 81/2018-कस्‍टम्स (एन.टी.),दिनांक 20 सितंबर, 2018 की अधिसूचना के पश्‍चात अनुसूची-I और अनुसूची-II में दर्ज प्रत्येक विदेशी मुद्राजिसका उल्‍लेख कॉलम (2) में किया गया हैकी नई विनिमय दर निर्धारित की है जो आयात और निर्यात वस्तुओं के संदर्भ में कॉलम (3) में की गयी तत्संबंधी प्रविष्टि के अनुसार 05 अक्‍टूबर, 2018 से प्रभावी होंगी।
अनुसूची- I
क्रम संख्याविदेशी मुद्राभारतीय रुपये के समतुल्‍य विदेशी मुद्रा की
प्रत्‍येक इकाई की विनिमय दर
(1)(2)(3)
()(बी)
(आयातित वस्‍तुओं के लिए)(निर्यात वस्‍तुओं के लिए)
1.ऑस्ट्रेलियाई डॉलर
53.70
51.40
2.बहरीन दीनार
202.05
189.45
3.कैनेडियन डॉलर
58.40
56.40
4.चाइनीज युआन
10.90
10.55
5.डेनिश क्रोनर
11.55
11.15
6.यूरो
86.15
83.10
7.हांगकांग डॉलर
9.60
9.25
8.कुवैत दीनार
250.80
235.00
9.न्यूजीलैंड डॉलर
49.25
47.00
10.नॉर्वेजियन क्रोनर
9.10
8.80

11.पौंड स्टर्लिंग
97.00
93.65
12.कतरी रियाल
20.90
19.60
13.सऊदी अरब रियाल
20.30
19.05
14.सिंगापुर डॉलर
54.35
52.55
15.दक्षिण अफ्रीकी रैंड
5. 20
4.85
16.स्वीडिश क्रोनर
8.30
8.00
17.स्विस फ्रैंक
75.75
72.90
18.यूएई दिरहम
20.75
19.45
19.अमेरिकी डॉलर
74.60
72.90

अनुसूची- II
क्रम संख्याविदेशी मुद्राभारतीय रुपये के समतुल्‍य विदेशी मुद्रा की
प्रति 100 इकाइयों की विनिमय दर
(1)(2)(3)
()(बी)
(आयातित वस्‍तुओं के लिए)(निर्यात वस्‍तुओं के लिए)
1.जापानी येन
65.70
63.35


(स्रोत-पीआईबी)


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Rajanish Kant
कैबिनेट ने 2018-19 सीजन की रबी फसलों के MSP में वृद्धि को मंजूरी दी
कैबिनेट ने 2018-19 सीजन की रबी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्यों (एमएसपी) में वृद्धि को मंजूरी दी 

किसानों की आमदनी में उल्लेखनीय वृद्धि सुनिश्चित करते हुए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों पर कैबिनेट समिति (सीसीईए) ने 2018-19 सीजन की सभी रबी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्यों (एमएसपी) में बढ़ोतरी को मंजूरी दे दी है। इन फसलों का विपणन 2019-20 सीजन में होगा। इस किसान अनुकूल पहल से किसानों को 62,635 करोड़ रुपये का अतिरिक्त रिटर्न मिलेगा। इस पहल के तहत अधिसूचित फसलों की एमएसपी बढ़ाते हुए उत्पादन लागत पर कम से कम 50 प्रतिशत रिटर्न सुनिश्चित किया गया है और इससे किसानों की आय दोगुनी करने में मदद मिलेगी।
गेहूं की एमएसपी में प्रति क्विंटल 105 रुपये, कुसुम की एमएसपी में प्रति क्विंटल 845 रुपये, जौ की एमएसपी में प्रति क्विंटल 30 रुपये, मसूर की एमएसपी में प्रति क्विंटल 225 रुपये, चने की एमएसपी में प्रति क्विंटल 220 रुपये तथा रेपसीड एवं सरसों की एमएसपी में प्रति क्विंटल 200 रुपये की वृद्धि की गई है जो इस दिशा में एक और प्रमुख कदम है।
विवरणः
  • गेहूं, जौ, चना, मसूर, रेपसीड एवं सरसों और कुसुम के लिए सरकार द्वारा तय की गई एमएसपी उत्पादन लागत के मुकाबले काफी अधिक है।
  • गेहूं की उत्पादन लागत 866 रुपये प्रति क्विंटल और एमएसपी 1840 रुपये प्रति क्विंटल है, जो उत्पादन लागत की तुलना में 112.5 प्रतिशत का रिटर्न देती है।
  • जौ की उत्पादन लागत 860 रुपये प्रति क्विंटल और एमएसपी 1440 रुपये प्रति क्विंटल है, जो 67.4 प्रतिशत का रिटर्न देती है।
  • चने की उत्पादन लागत 2637 रुपये प्रति क्विंटल और एमएसपी 4620 रुपये प्रति क्विंटल है, जो 75.2 प्रतिशत का रिटर्न सुनिश्चित करती है।
  • मसूर की उत्पादन लागत 2532 रुपये प्रति क्विंटल और एमएसपी 4475 रुपये प्रति क्विंटल है, जो 76.7 प्रतिशत का रिटर्न देती है।
  • रेपसीड एवं सरसों की उत्पादन लागत 2212 रुपये प्रति क्विंटल और एमएसपी 4200 रुपये प्रति क्विंटल है, जो 89.9 प्रतिशत का रिटर्न सुनिश्चित करती है।
  • कुसुम की उत्पादन लागत 3294 रुपये प्रति क्विंटल और एमएसपी 4945 रुपये प्रति क्विंटल है, जो 50.1 प्रतिशत का रिटर्न देती है।
2019-20 सीजन में विपणन की जाने वाली 2018-19 सीजन की सभी रबी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्यों का उल्लेख नीचे किया गया हैः
फसलएमएसपी 2017-18
(रुपये प्रति क्विंटल)
एमएसपी 2018-19
(रुपये प्रति क्विंटल)
उत्पादन लागत
2018-19
(रुपये प्रति क्विंटल)
एमएसपी में वृद्धिलागत* की तुलना में रिटर्न
(प्रतिशत में)
शुद्ध अंतर%
गेहूं173518408661056.1112.5
जौ14101440860302.167.4
चना4400462026372205.075.2
मसूर4250447525322255.376.7
रेपसीड एवं सरसों4000420022122005.089.9
कुसुम41004945329484520.650.1
*इसमें अदा की गई समस्त लागत शामिल हैं जैसे कि मजदूरों पर खर्च की गई धनराशि, बैल/मशीन पर खर्च की गई रकम, पट्टे पर ली गई भूमि के लिए अदा की गई मालगुजारी, कच्चे माल जैसे बीजों, उर्वरकों, खाद पर खर्च की गई धनराशि, सिंचाई शुल्क, उपकरणों एवं कृषि भंडार का मूल्यह्रास, कार्यशील पूंजी पर दिया गया ब्याज, पम्पसेट इत्यादि चलाने के लिए डीजल/बिजली पर खर्च की गई राशि, विविध व्यय और पारिवारिक श्रम का निर्धारित मूल्य।
पृष्ठभूमिः
      सरकार द्वारा नई समग्र योजना ‘प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (पीएम-आशा)’ की घोषणा करने के परिणामस्वरूप अब एक ऐसी सुदृढ़ व्यवस्था उपलब्ध हो गई है, जिससे किसानों को एमएसपी अब पूर्ण रूप से प्राप्त होगी। इस समग्र योजना में तीन उप-योजनाएं यथा मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस), मूल्य अंतर भुगतान योजना (पीडीपीएस) और निजी खरीद एवं स्टॉकिस्ट योजना (पीपीएसएस) शामिल हैं, जिन्हें प्रायोगिक (पायलट) आधार पर शुरू किया गया है। सरकार ने 16,550 करोड़ रुपये की अतिरिक्त गारंटी देने का निर्णय लिया है जिसके फलस्वरूप कुल सरकारी गारंटी अब 45,550 करोड़ रुपये हो गई है। इसके अलावा, उपज खरीद परिचालन के लिए बजट प्रावधान भी बढ़ा दिया गया है और पीएम-आशा के कार्यान्वयन के लिए 15,053 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं। केन्द्र एवं राज्यों की खरीद एजेंसियां जैसे कि भारतीय खाद्य निगम, भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ लिमिटेड, छोटे किसान कृषि कारोबार कंसोर्टियम आगे भी रबी फसलों के लिए किसानों को मूल्य संबंधी समर्थन प्रदान करते रहेंगे।
(Source: pib.nic.in)

Rajanish Kant बुधवार, 3 अक्तूबर 2018
ATM से कैश: SBI, HDFC बैंक, ICICI बैंक, Axis बैंक, PNB से कैश निकालने क...

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Rajanish Kant मंगलवार, 2 अक्तूबर 2018
BSE commences commodity derivatives trading in Gold & Silver
(Source: bseindia.com  and Image Courtesy twitter)

Mumbai, October 1, 2018: History was created today as BSE, Asia’s oldest exchange and now world’s fastest exchange with the speed of 6 microseconds commenced commodity derivatives trading in delivery-based futures contract in gold (1 kg) and silver (30 kg) on October 1, 2018.  As part of the launch, BSE organized a bell ringing ceremony at the BSE International Convention Hall, which saw several notable dignitaries in attendance. Shri S.K. Mohanty, Whole Time Member, Sebi was the Chief Guest at the event.
The Guests of Honor were Shri Mohit Kamboj, National President, IBJA, Shri Somasundaram, MD & CEO, World Gold Council,  Shri Rikab Mehta, President, Bombay Metal Exchange, Shri Sandeep Bajoria, Director, SOPA, Shri Uttam Bagri, Chairman, BSE Brokers Forum,  Shri Atul Ganatra, President, Cotton Association of India and Shri Rajesh Baheti, President, ANMI. The exchange will offer derivative contracts only in non-agriculture commodities initially, followed by agricultural commodities subsequently. In order to encourage more participants to join the commodity markets, BSE has decided to waive transaction charges for the first year of commodities market operations.

Commenting on the landmark launch, Shri Ashishkumar Chauhan, MD & CEO, BSE said, “This is a historic moment for BSE, as we have launched the first universal exchange today. We are beginning with gold and silver futures today, and have applied for other contracts too. We also have aspirations to get into agricultural commodities, base metals and pursue other activities in the near future. Over the next 3-4 years, we plan to launch around 60 commodities on the exchange”. 
More than 450 members agreed to participate in the 1st phase. More than 150 members completed all formalities and were ready for trading on the very first day, on Oct 1st 2018. We expect more than 450 members to become active in the next 3-5 months and firmly believe BSE with its value proposition will become preferred choice going forward in the derivatives segment.
In this keynote address, Shri S.K. Mohanty, Whole Time Member, SEBI congratulated BSE and its entire team to have arrived on this golden day of commodity derivatives trading in gold and silver.
All the dignitaries, including the noted members from the broking community present at the bell ringing ceremony extended their support and congratulated BSE for its efforts to help establish better linkages between the commodity derivatives market and underlying spot markets. 
Over last few years, BSE has been ready with a robust infrastructure for delivery-based commodity trading.  BSE has tied up with Indian Bullion and Jewellers Association, Gems and Jewellery Council, Cotton Association of India, Bombay Metal Exchange, Soyabean Processors Association, Federation of Indian Spice Stakeholders, etc. to assess the industry needs and develop suitable products. BSE has also associated with Brinks, Sequel, Sohanlal Commodity Management, etc to develop a suitable delivery infrastructure in various commodities. BSE had initiated a mock trading in January 2018 to help brokers get accustomed to BSE systems.
At 6 pm, BSE had clocked turnover of Rs 36 crores in commodity derivatives segment.
About BSE
BSE (formerly Bombay Stock Exchange) established in 1875, is Asia’s first & now the world’s fastest Stock Exchange with a speed of 6 microseconds. BSE is India’s leading exchange group and has played a prominent role in developing the Indian capital market. BSE is a corporatized and demutualised entity, with a broad shareholder base that includes the leading global exchange- Deutsche Bourse, as a strategic partner. BSE provides an efficient and transparent market for trading in equity, debt instruments, equity derivatives, currency derivatives, interest rate derivatives, mutual funds and stock lending and borrowing. 
BSE also has a dedicated platform for trading in equities of small and medium enterprises (SMEs) that has been highly successful. BSE also has a dedicated MF distribution platform BSE StAR MF which is India Largest Mutual Funds Distribution Infrastructure. On October 1, 2018, BSE launched commodity derivatives trading in delivery-based futures contract in gold (1 kg) and silver (30 kg).
BSE provides a host of other services to capital market participants including risk management, clearing, settlement, market data services and education. It has a global reach with customers around the world and a nation-wide presence. BSE’s systems and processes are designed to safeguard market integrity, drive the growth of the Indian capital market and stimulate innovation and competition across all market segments. 
Indian Clearing Corporation Limited, a wholly owned subsidiary of BSE, acts as the central counterparty to all trades executed on the BSE trading platform and provides full novation, guaranteeing the settlement of all bonafide trades executed. BSE Institute Ltd, another fully owned subsidiary of BSE runs one of the most respected capital market educational institutes in the country. Central Depository Services Ltd. (CDSL), associate company of BSE, is one of the two Depositories in India.  

Rajanish Kant
HDFC और PNB से अब लोन लेना होगा महंगा
अगर आप HDFC या फिर पंजाब नेशनल नेशनल बैंक यानी PNB से लोन लेने का विचार कर रहे हैं, तो इन बैंकों की लोन की नई ब्याज दरें पता कर लें। दरअसल, दोनों बैंकों ने लोन की ब्याज दरों में इजाफा कर दिया है।

HDFC ने तत्काल प्रभाव से रिटेल प्राइम लेंडिंग रेट्स में 0.10 प्रतिशत का इजाफा कर दिया है। लोन की ब्याज दरों में हुई इस बढ़ोतरी के बाद अलग-अलग अवधि के लिए लोन की नई दरें 8.80-9.05 प्रतिशत सालाना हो गईं हैं। 

उधर,दूसरी ओर सरकारी बैंक पंजाब नेशनल बैंक ने एमसीएलआर या शॉर्ट टर्म लोन की ब्याज दर 0.20 प्रतिशत तक बढ़ा दी है। नई दरें सोमवार से लागू हो गईं। 

बैंक का ओवरनाइट एमसीएलआर 7.9 प्रतिशत से बढ़कर 8.2 प्रतिशत, एक महीने का एमसीएलआर 8.05 प्रतिशत के मुकाबले 8.10 प्रतिशत हो गया है। 

Rajanish Kant
अगर SBI को ATM इस्तेमाल करते हैं, तो...
देश के सबसे बड़े बैंक SBI ने अपने ATM ग्राहकों को झटका दिया हा। बैंक ने ATM  से निकालने वाले कैश की रोजाना सीमा 50 प्रतिशत घटा दी है। अब आप SBI के एटीएम से 1 दिन में सिर्फ 20 हजार रुपए ही निकाल सकते हैं। पहले ये लिमिट 40 हजार रुपए थी। नई लिमिट 31 अक्टूबर 2018 से लागू होगी।
बैंक ने अपने इस फैसले का बचाव करते हुए कहा है कि उसके एनालिसिस में पता चला है कि अधिकतर लोग एटीएम से इतनी ही रकम निकालते हैं। इसलिए अधिकतर ग्राहकों के लिए 20 हजार रुपए की लिमिट ठीक है। बैंक का ये भी कहना है कि वह यह देखना चाह रहा है कि क्या छोटी रकम के जरिए फ्रॉड पर लगाम लगाई जा सकती है।
बैंक ने हालांकि यह भी स्पष्ट कर दिया है कि अगर किसी ग्राहक को ज्यादा कैश की जरूरत पड़ती है तो वो कार्ड के दूसरे वैरियंट के लिए अप्लाई कर सकता है। इस तरह के कार्ड उन लोगों को जारी किए जाते हैं तो अपने अकाउंट में ज्यादा मिनिमम बैलेंस रखते हैं।

Rajanish Kant
LLP के संबंध में सरकार की नई सुविधा आज से शुरू
‘कारोबार में सुगमता’ की दिशा में एक और मील का पत्‍थर : पूरी तरह से ऑनलाइन प्रणाली के जरिये सीमित दायित्‍व साझेदारी (एलएलपी) का गठन करना अब एक वास्‍तविकता 


आज कोई भी व्‍यक्ति किसी भी सरकारी कार्यालय में जाए बगैर ऑनलाइन प्रक्रिया के जरिये अपनी कंपनी का गठन कर कारोबार शुरू कर सकता है। यह उपलब्धि जनवरी, 2016 में हासिल हुई थी।
कॉरपोरेटे मामलों के मंत्रालय ने अब पूरी तरह से ऑनलाइन प्रणाली के जरिये सीमित दायित्‍व साझेदारी (एलएलपी) का गठन सुनिश्चित कर संबंधित प्रक्रिया में एक और व्‍यापक बदलाव लाया है। आज से एक वेब सेवा शुरू की गई हैजिसका नाम है ‘रन-एलएलपी (रिजर्व यूनिक नेम-सीमित दायित्‍व साझेदारी)’। ‘फिलिप (सीमित दायित्‍व साझेदारी के गठन के लिए फॉर्म)’ नामक ई-फॉर्म के जरिये एलएलपी को उपयुक्‍त नाम भी आवंटित की जा सकती है।
सीमित दायित्‍व साझेदारी (एलएलपी) से संबंधित नियमों को 18 सितम्‍बर, 2018 को संशोधित किया गया है, जो 02 अक्‍टूबर, 2018 से प्रभावी हो जाएगा। संशोधित नियमों में निम्‍नलिखित बदलाव शामिल हैं –
  1. ‘रन-एलएलपी’ नामक एक वेब सेवा शुरू करना, जो पूर्ववर्ती फॉर्म-1 का स्‍थान लेगी।
  2. फिलिप नामक एक नये एकीकृत फॉर्म को उपयोग में लाना, जो पूर्ववर्ती फॉर्म-2 का स्‍थान लेगा। इसमें निम्‍नलिखित तीन सेवाओं का संयोजन होगा :
· नाम आरक्षण
· नामित साझेदार पहचान संख्‍या (डीपीआईएन/डीआईएन) का आवंटन
· एलएलपी का गठन

Rajanish Kant
अगस्‍त 1018 की तुलना में सितंबर में जीएसटी संग्रह में वृद्धि
सितंबर 2018 में 94 हजार करोड़ रूपए से ज्‍यादा का हुआ जीएसटी संग्रह 
सितंबर 2018 में वस्‍तु एंव सेवा कर के रूप में कुल 9,4442 करोड़ रूपए का राजस्‍व संग्रह हुआ। इसमें सीजीएसटी 15,318 करोड़ रुपए, एसजीएसटी 21,061 करोड़ रुपए, आईजीएसटी 50,070 करोड़ रुपए (आयात से प्राप्‍त 25,308 करोड़ रूपए सहित) और उपकर 7993 करोड़ रुपए (आयात से प्राप्‍त 769 करोड़ रुपए सहित) रहा। अगस्‍त महीने के लिए 30 सितंबर, 2018 तक दाखिल किए गए जीएसटीआर का सकल थ्री बी रिटर्न 67 लाख रूपये रहा।
सितंबर 2018 में हुए सेटलमेंट के बाद केंद्र और राज्‍य सरकारों द्वारा अर्जित कुल सीजीएसटी राजस्‍व 30,574 करोड़ रुपए और एसजीएसटी 35,015 करोड़ रुपए रहा।
सितंबर 2018 में जहां कुल 94,442 करोड़ रुपए का जीएसटी संग्रह हुआ वहीं अगस्‍त महीने यह 93,690 करोड़ रुपए था। इस लिहाज से सितंबर महीने में जीएसटी संग्रह में वृद्धि देखी गई।
चालू वित्‍त वर्ष में जीएसटी संग्रह के रूझान का चार्ट
http://164.100.117.97/WriteReadData/userfiles/image/image0014RET.png
(Source: pib.nic.in)

Rajanish Kant
IL&FS के लिए आवश्‍यक तरलता सुनिश्चित करने हेतु पूरी तरह प्रतिबद्ध - सरकार
‘आईएल एंड एफएस’ के मूल्‍य एवं परिसम्‍पत्तियों को संरक्षित करने के लिए ठोस एवं निर्णायक सरकारी कार्रवाई की गई 

‘सरकार वित्‍तीय प्रणाली से आईएल एंड एफएस के लिए आवश्‍यक तरलता सुनिश्चित करने हेतु पूरी तरह प्रतिबद्ध है, ताकि और ज्‍यादा डिफॉल्‍ट न हों और बुनियादी ढांचागत परियोजनाओं का क्रियान्‍वयन सुचारू ढंग से हो’  

वर्ष 1987 में गठित ‘आईएल एंड एफएस’ एक बड़ी प्रणालीबद्ध महत्‍वपूर्ण गैर-जमा स्‍वीकार्य कोर निवेश कंपनी (सीआईसी-एनडी-एसआई) है। इस कंपनी के पास असंख्‍य परिसम्‍पत्तियां है और इसने देश में बुनियादी ढांचागत सुविधाओं के विकास और वित्‍त पोषण में अहम भूमिका निभाई है। वर्ष 2017-18 के आंकड़ों के अनुसार इस समूह में 169 कंपनियां हैं, जिनमें सहायक कंपनियां, संयुक्‍त उद्यम कंपनियां और सहयोगी निकाय शामिल हैं। ‘आईएल एंड एफएस’ समूह की कंपनियों द्वारा अगस्‍त और सितम्‍बर, 2018 के दौरान सावधि जमाओं, अल्‍पकालिक जमाओं, अंतर-कंपनी जमाओं, वाणिज्यिक प्रपत्र एवं गैर-परिवर्तनीय डिबेंचरों की अदायगी में  अनेक बार चूक (डिफॉल्‍ट) की। यही नहीं, समूह की कुछ कंपनियों की रेटिंग घटाई गई और कुछ कंपनियां अन्‍य वित्‍तीय प्रपत्रों की भी अदायगी में विफल रहीं। इसका वित्‍तीय बाजारों पर व्‍यापक प्रतिकूल असर पड़ा, जिसके चलते इस तरह के वित्‍तीय प्रपत्रों को हासिल करने वाले म्‍यूचुअल फंडों पर विमोचन का दबाव बढ़ गया। इसका अत्‍यंत प्रतिकूल असर शेयर बाजारों, मुद्रा बाजारों और डेट बाजारों पर भी पड़ा। म्‍यूचुअल फंडों पर विमोचन के दबाव से व्‍यापक प्रणालीगत जोखिम उत्‍पन्‍न हो गया है। इससे गुणवत्‍तापूर्ण प्रपत्रों (पेपर) को भारी डिस्‍काउंट पर बेचने के लिए विवश होना पड़ रहा है, ताकि विमोचन की मांग को पूरा किया जा सके।  डेट बाजार को लगे जबरदस्‍त झटके से शेयर बाजार भी प्रभावित हुये बिना नहीं रहा। इससे विशेषकर गैर-बैंकिंग वित्‍तीय कंपनियों (एनबीएफसी) और एनबीएफसी के वित्‍त पोषण से जुड़े क्षेत्रों की कंपनियों के शेयरों की बिकवाली तेज हो गई।
‘आईएल एंड एफएस’ समूह की नवीनतम बैलेंस शीट के अनुसार इस समूह के पास 1,15,000 करोड़ रुपये से भी अधिक की ढांचागत एवं वित्‍तीय परिसम्‍पत्तियां हैं और इसे वर्तमान में भारी ऋण दबाव का सामना करना पड़ रहा है। ‘आईएल एंड एफएस’ समूह को लगभग 91,000 करोड़ रुपये के ऋणों की अदायगी के लिए जूझना पड़ रहा है, जो विगत में इसकी कुप्रबन्धित उधारियों का नतीजा है। सरकार वित्तीय प्रणाली से आईएल एंड एफएस के लिए आवश्यक तरलता सुनिश्चित करने हेतु पूरी तरह प्रतिबद्ध है, ताकि और ज्यादा डिफॉल्ट न हों और बुनियादी ढांचागत परियोजनाओं का क्रियान्वयन सुचारू ढंग से हो।
पूंजी एवं वित्‍तीय बाजारों में वित्‍तीय स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए ‘आईएल एंड एफएस’ समूह की विश्‍वसनीयता एवं वित्‍तीय सुदृढ़ता में मुद्रा, डेट एवं पूंजी बाजारों, बैंकों और वित्‍तीय संस्‍थानों के विश्‍वास की बहाली अत्‍यंत आवश्‍यक है। इसके साथ ही यह भी जरूरी है कि वित्‍तीय अदायगी में चूक (डिफॉल्‍ट) का सिलसिला तत्‍काल बंद हो। इसके लिए परिसम्‍पत्तियों की बिक्री, कुछ देनदारियों के पुनर्गठन और निवेशकों एवं ऋणदाताओं द्वारा वित्‍तीय प्रणाली में नई पूंजी डालने जैसे कई उपाय करने होंगे। ‘आईएल एंड एफएस’ समूह के प्रबंधन और कंपनी की विश्‍वसनीयता में वित्‍तीय बाजार के विश्‍वास को बहाल करने की जरूरत है।
सरकार ‘आईएल एंड एफएस’ समूह की उभरती स्थिति का विश्‍लेषण करने के बाद इस निष्‍कर्ष पर पहुंची है कि इस समूह को वित्‍तीय दृष्टि से धराशायी होने से बचाने के लिए ‘आईएल एंड एफएस’ समूह के गवर्नेंस एवं प्रबंधन में बदलाव लाना आवश्‍यक है, जिसके लिए वर्तमान बोर्ड एवं प्रबंधन को तत्‍काल हटाने और नये प्रबंधन की नियुक्ति करने की जरूरत है।
(Source: pib.nic.in)

Rajanish Kant