RBI ने जालंधर के इंपीरियल अर्बन कोऑपरेटिव बैंक पर जुर्माना लगाया, जानें क्यों और कितना


भारतीय रिज़र्व बैंक ने इंपीरियल अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, जालंधर, पंजाब
पर मौद्रिक दंड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 10 मार्च 2023 के आदेश द्वारा, इंपीरियल अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, जालंधर, पंजाब (बैंक) पर बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (अधिनियम) की धारा 56 के साथ पठित धारा 35ए के उल्लंघन के लिए 1.00 लाख (एक लाख रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 46 (4) (i) और धारा 56 के साथ पठित धारा 47 ए (1) (सी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

यह कार्रवाई विनियामक अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य उक्‍त बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है।

पृष्ठभूमि

31 मार्च 2021 तक की बैंक की वित्तीय स्थिति के आधार पर बैंक की निरीक्षण रिपोर्ट/ जोखिम मूल्यांकन रिपोर्ट से, अन्य बातों के साथ-साथ, यह पता चला कि बैंक ने बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (अधिनियम) की धारा 56 के साथ पठित धारा 35ए का उल्लंघन करते हुए, निदेशकों और उनके रिश्तेदारों को ऋण और अग्रिमों की मंजूरी/ नवीकरण का निषेध करने वाले भारतीय रिज़र्व बैंक के निदेशों का अननुपालन किया है। उक्त के आधार पर, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताएं कि निदेशों का अननुपालन करने के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए।

बैंक के उत्तर पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि भारतीय रिज़र्व बैंक के निदेशों के अननुपालन उपर्युक्त आरोप सिद्ध हुआ है और मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है। 

(स्रोत- www.rbi.org.in)

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Rajanish Kant बुधवार, 22 मार्च 2023
RBI ने मुंबई के Raigarh Sahkari बैंक पर जुर्माना लगाया, जानें क्यों और कितना


भारतीय रिज़र्व बैंक ने रायगढ़ सहकारी बैंक लिमिटेड, मुंबई पर मौद्रिक दंड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 16 मार्च 2023 के आदेश द्वारा, रायगढ़ सहकारी बैंक लिमिटेड, मुंबई (बैंक) पर पर्यवेक्षी कार्रवाई ढांचे (एसएएफ़) के अंतर्गत जारी परिचालन निर्देशों के उल्लंघन के लिए 1.00 लाख (एक लाख रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी उपर्युक्त निदेशों के अनुपालन में बैंक की विफलता को ध्यान में रखते हुए, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (अधिनियम) की धारा 46 (4) (i) और धारा 56 के साथ पठित धारा 47 ए (1) (सी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

यह कार्रवाई विनियामक अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य उक्‍त बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है।

पृष्ठभूमि

31 मार्च 2021 तक बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में बैंक का सांविधिक निरीक्षण भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा किया गया, तथा जोखिम मूल्यांकन रिपोर्ट और उससे संबंधित सभी पत्राचार की जांच से, अन्य बातों के साथ-साथ, पता चला कि बैंक ने उधारकर्ताओं को नए स्वर्ण ऋण स्वीकृत किए जो पर्यवेक्षी कार्रवाई ढांचे (एसएएफ़) के अंतर्गत जारी परिचालन निर्देशों के अननुपालन में थे। उक्त के आधार पर, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताएं कि भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा पर्यवेक्षी कार्रवाई ढांचे (एसएएफ) के अंतर्गत जारी परिचालन निर्देशों के उल्लंघन के लिए, जैसा कि उसमें कहा गया है, उस पर दंड क्यों न लगाया जाए।

नोटिस पर बैंक के लिखित उत्तर पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि भारतीय रिज़र्व बैंक के निदेशों के अननुपालन का उपर्युक्त आरोप सिद्ध हुआ है और मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है।

(स्रोत- www.rbi.org.in)

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RBI ने RBL बैंक पर भारी भरकम जुर्माना लगाया, जानें क्यों और कितना


भारतीय रिज़र्व बैंक ने आरबीएल बैंक लिमिटेड पर मौद्रिक दंड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 6 मार्च 2023 के आदेश द्वारा, आरबीएल बैंक लिमिटेड (बैंक) पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी 'आंतरिक लोकपाल योजना, 2018', 'उधारदाताओं के लिए उचित व्यवहार संहिता', 'बैंकों के क्रेडिट कार्ड परिचालन’, 'बैंकों द्वारा वित्तीय सेवाओं की आउटसोर्सिंग में जोखिम प्रबंधन और आचार संहिता' और 'बैंकों द्वारा नियुक्त वसूली एजेंट' संबंधी निदेशों के कतिपय प्रावधानों के अननुपालन के लिए 2,27,25,000.00 (दो करोड़ सत्ताईस लाख पच्चीस हजार रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (अधिनियम) की धारा 46 (4) (i) के साथ पठित धारा 47 ए (1) (सी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

यह कार्रवाई, वित्तीय वर्ष 2018-19 से वित्तीय वर्ष 2021-22 की अवधि के दौरान पाई गई विनियामक अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य उक्‍त बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है।

पृष्ठभूमि

बैंक द्वारा नियुक्त वसूली एजेंट के विरुद्ध वित्त वर्ष 2020-21 और वित्त वर्ष 2021-22 की अवधि के दौरान प्राप्त कुछ शिकायतों के आधार पर रिपोर्ट और उससे संबंधित सभी संबंधित पत्राचारों की जांच से, अन्य बातों के साथ-साथ, यह पता चला कि बैंक (i) कुछ मामलों में अपने आंतरिक लोकपाल (आईओ) के निर्णय को ठीक से सूचित करने में विफल रहा (वित्त वर्ष 2020-21) ii) यह सुनिश्चित करने में विफल रहा कि इसके ऋण संग्रह प्रयास के एक भाग के रूप में उसके द्वारा नियुक्त वसूली एजेंटों ने किसी भी प्रकार की धमकी या उत्पीड़न का सहारा नहीं लिया (वित्त वर्ष 2020-21 और वित्त वर्ष 2021-22), (iii) यह सुनिश्चित करने में विफल रहा कि बैंक द्वारा सीधे या वसूली एजेंसियों के माध्यम से नियुक्त वसूली एजेंटों ने प्रत्यक्ष वसूली एजेंटों के लिए प्रशिक्षण पाठ्यक्रम पूरा कर लिया है और कार्यभार लेने से पूर्व उसने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ बैंकिंग एंड फाइनेंस (आईआईबीएफ) से प्रमाण पत्र प्राप्त किया है (वित्तीय वर्ष 2018-19 से वित्त वर्ष 2021-22) (iv) यह सुनिश्चित करने में विफल रहा कि इसके द्वारा नियुक्त वसूली एजेंटों का रोजगार-पूर्व पुलिस सत्यापन किया गया था (वित्त वर्ष 2018-19 से वित्त वर्ष 2021-22) और (v) उधारकर्ताओं को उनके मामलों को वसूली एजेंसी को अग्रेषित करते समय वसूली एजेंसी के विवरण को सूचित करने में विफल रहा (वित्त वर्ष 2020-21)। उक्त के आधार पर, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताएं कि भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी निदेशों, जैसा कि उसमें उल्लिखित है, के अनुपालन में विफलता के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए।

नोटिस पर बैंक के उत्तर, व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान किए गए मौखिक प्रस्तुतियों और इसके द्वारा किए गए अतिरिक्त प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि भारतीय रिज़र्व बैंक के उपर्युक्त निदेशों के अननुपालन का आरोप सिद्ध हुआ है और ऐसे निदेशों के अननुपालन की सीमा तक मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है। 

(स्रोत- www.rbi.org.in)

('बिना प्रोफेशनल ट्रेनिंग के शेयर बाजार जरूर जुआ है'

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RBI ने IGH Holdings (आईजीएच होल्डिंग्स) पर भारी भरकम जुर्माना लगाया, जानें क्यों और कितना


भारतीय रिज़र्व बैंक ने आईजीएच होल्डिंग्स प्राइवेट लिमिटेड, मुंबई पर मौद्रिक दंड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 15 मार्च 2023 के आदेश द्वारा, आईजीएच होल्डिंग्स प्राइवेट लिमिटेड, मुंबई (कंपनी) पर भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 (आरबीआई अधिनियम) की धारा 45-आईसी के प्रावधानों और प्रत्यय विषयक जानकारी कंपनी (विनियमन) अधिनियम, 2005 [सीआईसी (आर) अधिनियम] की धारा 11 की उप-धारा (1) के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा साख सूचना कंपनियों (सीआईसी) की सदस्यता पर जारी निदेश तथा 'गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी - प्रणालीगत रूप से महत्वपूर्ण गैर-जमा स्वीकार करने वाली कंपनी और जमा स्वीकार करने वाली कंपनी (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2016 में निहित सीआईसी को ऋण सूचना प्रस्तुत करने संबंधी अननुपालन के लिए 11.25 लाख (ग्यारह लाख पच्चीस हजार रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम की धारा 58-बी की उप-धारा (6) के साथ पठित धारा 58-जी की उप-धारा (1) के खंड (ए) और सीआईसी (आर) अधिनियम की धारा 23 की उप-धारा (4) के साथ पठित धारा 25 की उप-धारा (1) के खंड (iii) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

यह कार्रवाई विनियामक अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य उक्‍त कंपनी द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है।

पृष्ठभूमि

31 मार्च 2021 को कंपनी की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में कंपनी का सांविधिक निरीक्षण भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा किया गया तथा जोखिम मूल्यांकन रिपोर्ट, निरीक्षण रिपोर्ट, पर्यवेक्षी पत्र और उससे संबंधित सभी पत्राचार की जांच से, अन्य बातों के साथ-साथ, पता चला कि कंपनी (i) वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए अपने लाभ और हानि खाते में व्यक्त निवल लाभ का 20% आरक्षित निधि में अंतरित करने की सांविधिक अपेक्षा का अनुपालन करने में विफल रही, (ii) चार सीआईसी में से तीन का सदस्य बनने में विफल रही, और (iii) कोई भी ऋण सूचना उस सीआईसी, जिसकी वह सदस्य थी, को भी प्रस्तुत करने में विफल रही। उक्त के आधार पर, कंपनी को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताएं कि भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम के प्रावधानों और भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा सीआईसी (आर) अधिनियम के अंतर्गत जारी निदेशों, जैसा कि उसमें कहा गया है, के अनुपालन में विफलता के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए।

नोटिस पर कंपनी के उत्तर और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम के उपर्युक्त प्रावधानों और निदेशों के अननुपालन का आरोप सिद्ध हुआ है और कंपनी पर रिज़र्व बैंक अधिनियम के प्रावधानों और निदेशों के अननुपालन की सीमा तक मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है। 

(स्रोत- www.rbi.org.in)

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Rajanish Kant शुक्रवार, 17 मार्च 2023
RBI ने HDFC (हाउसिंग डेवलपमेंट फाइनेंस कॉर्पोरेशन) पर जुर्माना लगाया, जानें क्यों और कितना


भारतीय रिज़र्व बैंक ने हाउसिंग डेवलपमेंट फाइनेंस कॉर्पोरेशन लिमिटेड, मुंबई पर मौद्रिक दंड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 13 मार्च 2023 के आदेश द्वारा, हाउसिंग डेवलपमेंट फाइनेंस कॉर्पोरेशन लिमिटेड, मुंबई (कंपनी) पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी 13 अगस्त 2019 की ‘आवास वित्त कंपनी (एचएफसी) के विनियमन का भारतीय रिज़र्व बैंक के पास अंतरण’ संबंधी प्रेस प्रकाशनी के साथ पठित राष्ट्रीय आवास बैंक (एनएचबी) द्वारा जारी 'आवास वित्त कंपनी (एनएचबी) निदेश, 2010' के कतिपय प्रावधानों के अननुपालन के लिए 5.00 लाख (पाँच लाख रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, राष्ट्रीय आवास बैंक अधिनियम, 1987 की धारा 49 की उप-धारा (3) के खंड (एए) के साथ पठित धारा 52ए की उप-धारा (1) के खंड (बी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

यह कार्रवाई विनियामक अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य उक्‍त कंपनी द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है।

पृष्ठभूमि

31 मार्च 2020 को कंपनी की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में कंपनी का सांविधिक निरीक्षण एनएचबी द्वारा किया गया तथा निरीक्षण रिपोर्ट, पर्यवेक्षी पत्र और उससे संबंधित सभी पत्राचार की जांच से, अन्य बातों के साथ-साथ, यह पता चला कि कंपनी 2019-20 की अवधि के दौरान कतिपय जमाकर्ताओं की परिपक्व जमाराशि को ऐसे जमाकर्ताओं के नामित बैंक खातों में अंतरित करने में विफल रही। उक्त के आधार पर, कंपनी को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताएं कि निदेशों, जैसा कि उसमें कहा गया है, के अनुपालन में विफलता के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए।

नोटिस पर कंपनी के उत्तर, इसके द्वारा की गई अतिरिक्त प्रस्तुतियों और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि उपर्युक्त सांविधिक निदेशों के अननुपालन का आरोप सिद्ध हुआ है और कंपनी पर निदेशों के अननुपालन की सीमा तक मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है। 

(स्रोत- www.rbi.org.in)

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Rajanish Kant
पुणे के Pune Sahkari Bank पर प्रतिबंध


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