RBI ने IGH Holdings (आईजीएच होल्डिंग्स) पर भारी भरकम जुर्माना लगाया, जानें क्यों और कितना


भारतीय रिज़र्व बैंक ने आईजीएच होल्डिंग्स प्राइवेट लिमिटेड, मुंबई पर मौद्रिक दंड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 15 मार्च 2023 के आदेश द्वारा, आईजीएच होल्डिंग्स प्राइवेट लिमिटेड, मुंबई (कंपनी) पर भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 (आरबीआई अधिनियम) की धारा 45-आईसी के प्रावधानों और प्रत्यय विषयक जानकारी कंपनी (विनियमन) अधिनियम, 2005 [सीआईसी (आर) अधिनियम] की धारा 11 की उप-धारा (1) के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा साख सूचना कंपनियों (सीआईसी) की सदस्यता पर जारी निदेश तथा 'गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी - प्रणालीगत रूप से महत्वपूर्ण गैर-जमा स्वीकार करने वाली कंपनी और जमा स्वीकार करने वाली कंपनी (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2016 में निहित सीआईसी को ऋण सूचना प्रस्तुत करने संबंधी अननुपालन के लिए 11.25 लाख (ग्यारह लाख पच्चीस हजार रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम की धारा 58-बी की उप-धारा (6) के साथ पठित धारा 58-जी की उप-धारा (1) के खंड (ए) और सीआईसी (आर) अधिनियम की धारा 23 की उप-धारा (4) के साथ पठित धारा 25 की उप-धारा (1) के खंड (iii) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

यह कार्रवाई विनियामक अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य उक्‍त कंपनी द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है।

पृष्ठभूमि

31 मार्च 2021 को कंपनी की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में कंपनी का सांविधिक निरीक्षण भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा किया गया तथा जोखिम मूल्यांकन रिपोर्ट, निरीक्षण रिपोर्ट, पर्यवेक्षी पत्र और उससे संबंधित सभी पत्राचार की जांच से, अन्य बातों के साथ-साथ, पता चला कि कंपनी (i) वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए अपने लाभ और हानि खाते में व्यक्त निवल लाभ का 20% आरक्षित निधि में अंतरित करने की सांविधिक अपेक्षा का अनुपालन करने में विफल रही, (ii) चार सीआईसी में से तीन का सदस्य बनने में विफल रही, और (iii) कोई भी ऋण सूचना उस सीआईसी, जिसकी वह सदस्य थी, को भी प्रस्तुत करने में विफल रही। उक्त के आधार पर, कंपनी को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताएं कि भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम के प्रावधानों और भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा सीआईसी (आर) अधिनियम के अंतर्गत जारी निदेशों, जैसा कि उसमें कहा गया है, के अनुपालन में विफलता के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए।

नोटिस पर कंपनी के उत्तर और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम के उपर्युक्त प्रावधानों और निदेशों के अननुपालन का आरोप सिद्ध हुआ है और कंपनी पर रिज़र्व बैंक अधिनियम के प्रावधानों और निदेशों के अननुपालन की सीमा तक मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है। 

(स्रोत- www.rbi.org.in)

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