RBI ने RBL बैंक पर भारी भरकम जुर्माना लगाया, जानें क्यों और कितना


भारतीय रिज़र्व बैंक ने आरबीएल बैंक लिमिटेड पर मौद्रिक दंड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 6 मार्च 2023 के आदेश द्वारा, आरबीएल बैंक लिमिटेड (बैंक) पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी 'आंतरिक लोकपाल योजना, 2018', 'उधारदाताओं के लिए उचित व्यवहार संहिता', 'बैंकों के क्रेडिट कार्ड परिचालन’, 'बैंकों द्वारा वित्तीय सेवाओं की आउटसोर्सिंग में जोखिम प्रबंधन और आचार संहिता' और 'बैंकों द्वारा नियुक्त वसूली एजेंट' संबंधी निदेशों के कतिपय प्रावधानों के अननुपालन के लिए 2,27,25,000.00 (दो करोड़ सत्ताईस लाख पच्चीस हजार रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (अधिनियम) की धारा 46 (4) (i) के साथ पठित धारा 47 ए (1) (सी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

यह कार्रवाई, वित्तीय वर्ष 2018-19 से वित्तीय वर्ष 2021-22 की अवधि के दौरान पाई गई विनियामक अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य उक्‍त बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है।

पृष्ठभूमि

बैंक द्वारा नियुक्त वसूली एजेंट के विरुद्ध वित्त वर्ष 2020-21 और वित्त वर्ष 2021-22 की अवधि के दौरान प्राप्त कुछ शिकायतों के आधार पर रिपोर्ट और उससे संबंधित सभी संबंधित पत्राचारों की जांच से, अन्य बातों के साथ-साथ, यह पता चला कि बैंक (i) कुछ मामलों में अपने आंतरिक लोकपाल (आईओ) के निर्णय को ठीक से सूचित करने में विफल रहा (वित्त वर्ष 2020-21) ii) यह सुनिश्चित करने में विफल रहा कि इसके ऋण संग्रह प्रयास के एक भाग के रूप में उसके द्वारा नियुक्त वसूली एजेंटों ने किसी भी प्रकार की धमकी या उत्पीड़न का सहारा नहीं लिया (वित्त वर्ष 2020-21 और वित्त वर्ष 2021-22), (iii) यह सुनिश्चित करने में विफल रहा कि बैंक द्वारा सीधे या वसूली एजेंसियों के माध्यम से नियुक्त वसूली एजेंटों ने प्रत्यक्ष वसूली एजेंटों के लिए प्रशिक्षण पाठ्यक्रम पूरा कर लिया है और कार्यभार लेने से पूर्व उसने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ बैंकिंग एंड फाइनेंस (आईआईबीएफ) से प्रमाण पत्र प्राप्त किया है (वित्तीय वर्ष 2018-19 से वित्त वर्ष 2021-22) (iv) यह सुनिश्चित करने में विफल रहा कि इसके द्वारा नियुक्त वसूली एजेंटों का रोजगार-पूर्व पुलिस सत्यापन किया गया था (वित्त वर्ष 2018-19 से वित्त वर्ष 2021-22) और (v) उधारकर्ताओं को उनके मामलों को वसूली एजेंसी को अग्रेषित करते समय वसूली एजेंसी के विवरण को सूचित करने में विफल रहा (वित्त वर्ष 2020-21)। उक्त के आधार पर, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताएं कि भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी निदेशों, जैसा कि उसमें उल्लिखित है, के अनुपालन में विफलता के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए।

नोटिस पर बैंक के उत्तर, व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान किए गए मौखिक प्रस्तुतियों और इसके द्वारा किए गए अतिरिक्त प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि भारतीय रिज़र्व बैंक के उपर्युक्त निदेशों के अननुपालन का आरोप सिद्ध हुआ है और ऐसे निदेशों के अननुपालन की सीमा तक मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है। 

(स्रोत- www.rbi.org.in)

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