SBI में बच्चों का बैंक खाता ऐसे खोले, जानें कितना ब्याज मिलेगा

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Rajanish Kant शुक्रवार, 23 नवंबर 2018
नए पूंजी नियम को टालने से बैंकों के पास कर्ज देने को उपलब्ध होंगे 3.5 लाख करोड़ रुपये:विशेषज्ञ

भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा सुरक्षित पूंजी संबंधित पूंजी स्थिरता बफर (सीसीबी) नियमों को पूरा करने की समयसीमा एक साल टालने के कदम से बैंकों की कर्ज देने की क्षमता 3.5 लाख करोड़ रुपये तक बढ़ जाएगी। विशेषज्ञों ने यह राय जताई है। 

इस अतिरिक्त राशि से सूक्ष्म, लघु और मझोले उपक्रमों (एमएसएमई) और गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) की पूंजी जरूरतों को पूरा किया जा सके, जो नकदी संकट का सामना कर रही हैं। 

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इससे उन बैंकों पर असर पड़ेगा जो पूंजी की इस नियामकीय अनिवार्यता से नीचे हैं। इससे कुछ बैंकों को बाजार से पूंजी जुटाने की योजना को टालने में मदद मिलेगी। 

इससे पहले इसी सप्ताह रिजर्व बैंक के निदेशक मंडल ने 0.625 प्रतिशत जोखिम भारांश संपत्तियों (आरडब्ल्यूए) के सीसीबी नियम के क्रियान्वयन की समयसीमा को एक साल बढ़ाकर मार्च, 2020 कर दिया है। 

हालांकि, बोर्ड ने पूंजी पर्याप्तता अनुपात या सीआरएआर को नौ प्रतिशत पर कायम रखने का फैसला किया है। हालांकि, बासेल तीन नियमों में इसे आठ प्रतिशत तय किया गया है। 

सीसीबी अभी 1.875 प्रतिशत है और शेष 0.625 प्रतिशत को रिजर्व बैंक द्वारा पहले तय की गई समयसीमा के तहत मार्च, 2019 तक पूरा किया जाना था। 


(सौ. भाषा)
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Rajanish Kant बुधवार, 21 नवंबर 2018
महिलाओं के लिए मनी मैनेजमेंट के 5 स्मार्ट तरीके
https://youtu.be/SL04Wk0bGUo

महिलाओं के लिए मनी मैनेजमेंट के 5 स्मार्ट तरीके

Rajanish Kant सोमवार, 19 नवंबर 2018
कारोबार सुगमता को लेकर शीर्ष उद्योगपतियों के साथ बैठक करेंगे प्रधानमंत्री

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को शीर्ष उद्योगपतियों एवं नीति निर्माताओं के साथ एक बैठक करने वाले हैं। इस बैठक में देश को विश्वबैंक की कारोबार सुगमता रैंकिंग में शीर्ष 50 देशों में स्थान दिलाने के लिये उठाये जाने वाले कदमों पर गहन चर्चा होने की उम्मीद है। सूत्रों ने इसकी जानकारी दी।

सूत्रों ने पीटीआई -भाषा से कहा कि औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग (डीआईपीपी) ‘कारोबार सुगमता पर विचार’ को लेकर बैठक का आयोजन करने वाला है। यह बैठक विश्वबैंक के कारोबार सुगमता सूचकांक में अगले साल देश की स्थिति में उछाल लाने तथा देश में निवेश आकर्षित करने की सरकार की कोशिशों के मद्देनजर हो रही है।

उन्होंने कहा कि इस बैठक में आनंद महिंद्रा जैसे शीर्ष उद्योगपति और सीआईआई, फिक्की और एसोचैम जैसे उद्योग संगठनों के पदाधिकारी शामिल हो सकते हैं। बैठक में व्यापार एवं उद्योग जगत के प्रतिनिधि कारोबार सुगमता सूचकांक में देश की स्थिति में और सुधार लाने की दिशा में आवश्यक रूपरेखा पर अपनी प्रतिक्रिया दे सकते हैं।

विश्वबैंक द्वारा सूचकांक के लिये विचार करने वाले पैमानों में सुधार पर काम कर रहे दल के वरिष्ठ सरकारी अधिकारी भी इस बैठक में भाग लेंगे।

इस साल 31 अक्टूबर को जारी सूचकांक में देश का स्थान 23 पायदान की छलांग लगाकर 77वें स्थान पर पहुंच गया। भारत पिछले ही साल 100वें स्थान पर पहुंचा था।

विपक्ष की ओर से तमाम तरह के आरोपों को झेल रही केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार के लिये आम चुनाव से ठीक पहले भारत की कारोबार सुगमता रैंकिंग में यह सुधार काफी मायने रखता है। 


(सौ. भाषा)
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Rajanish Kant रविवार, 18 नवंबर 2018
सेंसेक्स की शीर्ष 10 में से सात कंपनियों के बाजार पूंजीकरण में 70,867 करोड़ रुपये की वृद्धि

रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के नेतृत्व में सेंसेक्स की शीर्ष दस कंपनियों में से सात के बाजार पूंजीकरण (एम-कैप) में बीते सप्ताह कुल मिलाकर 70,867 करोड़ रुपये की वृद्धि दर्ज की गयी।

रिलायंस इंडस्ट्रीज एक बार फिर टाटा समूह की टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) को पीछे छोड़कर बाजार पूंजीकरण के लिहाज से सबसे बहुमूल्य कंपनी बन गई है। 

एचडीएफसी बैंक, हिंदुस्तान यूनिलीवर, आईसीआईसीआई बैंक, भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई), एचडीएफसी और कोटक महिंद्रा बैंक समेत सात कंपनियों के एम-कैप में वृद्धि हुई है जबकि टीसीएस, आईटीसी और इंफोसिस के बाजार पूंजीकरण में गिरावट रही। 

तेल उत्पादन एवं शोधन से लेकर दूरसंचार एवं खुदरा कारोबार करने वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) का बाजार पूंजीकरण सप्ताह के दौरान 21,646.06 करोड़ रुपये बढ़कर 7,14,668.54 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। 

हिंदुस्तान यूनिलीवर का एम-कैप 3,939.66 करोड़ रुपये बढ़कर 3,65,988.02 करोड़ रुपये और एचडीएफसी का एम-कैप 12,192.45 करोड़ रुपये बढ़कर 3,24,235.05 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। 

एचडीएफसी बैंक का बाजार पूंजीकरण 13,385.01 करोड़ की बढ़त के साथ 5,43,254.97 करोड़ रुपये जबकि भारतीय स्टेट बैंक का पूंजीकरण 6,514.95 करोड़ रुपये बढ़कर 2,59,080.78 करोड़ रुपये और आईसीआईसीआई बैंक का पूंजीकरण 7,520.86 करोड़ रुपये बढ़कर 2,36,529.73 करोड़ रुपये हो गया। 

कोटक महिंद्रा बैंक की बाजार हैसियत 5,667.87 करोड़ रुपये बढ़कर 2,22,656.33 करोड़ रुपये हो गयी। 

वहीं, दूसरी ओर टीसीएस का बाजार पूंजीकरण 10,337.82 करोड़ रुपये घटकर 7,06,292.61 करोड़ रुपये रह गया। आईटीसी का एम-कैप 1,224.37 करोड़ रुपये की गिरावट के साथ 3,38,232.56 करोड़ रुपये जबकि इंफोसिस का एम-कैप 4,805.24 करोड़ गिरकर 2,84,142.38 करोड़ रुपये रह गया। 

शीर्ष दस कंपनियों की सूची में, रिलायंस इंडस्ट्रीज पहले पायदान पर रही। इसके बाद टीसीएस, एचडीएफसी बैंक, हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड, आईटीसी, एचडीएफसी, इंफोसिस, एसबीआई, आईसीआईसीआई बैंक और कोटक महिंद्रा बैंक का नंबर रहा।

बंबई शेयर बाजार का सेंसेक्स सूचकांक पिछले सप्ताह की समाप्ति पर 0.85 प्रतिशत की बढ़त के साथ 35,457.16 अंक रहा।



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Rajanish Kant
बुनियादी ढांचा क्षेत्र की 358 परियोजनाओं की लागत 3.37 लाख करोड़ रुपये बढ़ी

बुनियादी ढांचा क्षेत्र की 358 परियोजनाओं की लागत देरी और दूसरे अन्य कारणों से 3.37 लाख करोड़ रुपये बढ़ गयी। ये सभी परियोजनाएं डेढ़ सौ करोड़ या उससे अधिक राशि की है। एक रिपोर्ट में यह बात कही गई है।

सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय 150 करोड़ रुपये और उससे अधिक की परियोजनाओं की निगरानी करता है।

मंत्रालय की जुलाई 2018 की ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि कुल 1,361 परियोजनाओं के क्रियान्वयन की कुल वास्तविक लागत 16,78,634.82 करोड़ रुपये थी। जबकि अब इन परियोजनाओं की लागत बढ़कर 20,16,360.99 करोड़ रुपये बैठने की उम्मीद है। इस तरह से इन परियोजनाओं की लागत कुल मिलाकर 3,37,726.17 करोड़ रुपये बढ़ गई है, जो कि वास्तविक मूल्य का 20.12 प्रतिशत है।

समीक्षाधीन 1,361 परियोजनाओं में से 358 परियोजनाओं की लागत राशि बढ़ी है जबकि 296 परियोजनाओं को समय पर पूरा नहीं किया जा सका है। 

रिपोर्ट में कहा गया है कि जुलाई, 2018 तक इन परियोजनाओं पर कुल 7,68,186.93 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं, जो इनकी अनुमानित लागत का 38.10 प्रतिशत बैठता है। हालांकि, देरी वाली परियोजनाओं की संख्या घटकर 226 रह गई है। यह आकलन इन परियोजनाओं को पूरा करने की ताजा समयसीमा के हिसाब से किया गया है।

बुनियादी ढांचा क्षेत्र की 660 परियोजनाओं के चालू होने के वर्ष के बारे में नहीं बताया गया है। देरी वाली 296 परियोजनाओं में से 77 (26 प्रतिशत) में एक माह से 12 माह का विलंब हुआ है। 51 परियोजनाएं (17 प्रतिशत) 13 से 24 महीने, 83 परियोजनाएं (28 प्रतिशत) 25 से 60 महीने और 85 परियोजनाओं (29 प्रतिशत) में 61 महीने और उससे ज्यादा का विलंब चल रहा है। 

देरी के लिये जो वजह गिनाई गईं हैं उनमें भूमि अधिग्रहण में देरी, वन विभाग की अनुमति नहीं मिलना और उपकरणों की आपूर्ति में देरी प्रमुख है। इसके अलावा कोष की कमी, नक्सलवाद की समस्या, अदालती मामले और कानून-व्यवस्था की वजह से भी देरी हुई।


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Rajanish Kant
जीएसटी कामकाज की समीक्षा कर रहा कैग, शीघ्र पेश हो सकती है रिपोर्ट
भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) माल एवं सेवा कर (जीएसटी) व्यवस्था के तहत कामकाज की समीक्षा कर रहा है और जल्दी ही रिपोर्ट तैयार कर लिये जाने की उम्मीद है। 

सूत्रों के अनुसार, 11 दिसंबर को शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र में इस रिपोर्ट को पटल पर रखा जा सकता है।

कैग इस नयी अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था का प्रदर्शन कैसा रहा है इसकी समीक्षा कर रहा है। यह व्यवस्था देश में एक जुलाई 2017 को लागू की गई। 

सूत्रों ने पीटीआई -भाषा को बताया कि समीक्षा में पंजीकरण, बकाया वापसी, इनपुट टैक्स क्रेडिट, ट्रांजिसन क्रेडिट मेकैनिज्म, कर भुगतान में आसानी और आर्थिक गतिविधियों पर असर आदि पर गौर किया जा रहा है। 

उन्होंने बताया कि कैग का दल पहले ही नयी कर व्यवस्था की कार्यप्रणाली और इसकी दक्षता एवं प्रभाव को जानने के लिये प्रमुख राज्यों के जीएसटी आयुक्तालय का दौरा कर चुका है।

जीएसटी की प्रदर्शन समीक्षा में राजस्व संग्रहण पर गौर नहीं किया जाएगा। इसका मुख्य ध्यान जीएसटी के क्रियान्वयन पर रहेगा।

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