((शेयर बाजार: जब तक सीखेंगे नहीं, तबतक पैसे बनेंगे नहीं!
स्थानीय युवाओं के लिए करियर का नया द्वार
नया सेंटर शुरुआत में 150 से अधिक प्रोफेशनल्स को नियुक्त करेगा और चरणबद्ध तरीके से इसे और भी बड़ा किया जाएगा। इससे सावंतवाड़ी और आसपास के क्षेत्रों में रोजगार का वास्तविक विकास होगा, जो अक्सर बड़े शहरों की दूरी और खर्चों के कारण कठिन हो जाता है।
EOSGlobe का मानना है कि प्रतिभा किसी भूगोल की मोहताज नहीं, और अवसर वहीं पहुंचने चाहिए जहां लोग रहते हैं। यह विचार कंपनी की विस्तार रणनीति का मूल है।
कौन-कौन से सेक्टर्स को मिलेगा सपोर्ट?
सावंतवाड़ी सेंटर EOSGlobe की बढ़ती सेवाओं को मजबूत करेगा, जिनमें शामिल हैं:
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बैंकिंग और वित्तीय सेवाएं
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इंश्योरेंस
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कंज्यूमर ड्यूरेबल ब्रांड्स
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डिजिटल कस्टमर एक्सपीरियंस
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बिजनेस प्रोसेस सेवाएं
नई सुविधा आधुनिक तकनीक, ट्रेनिंग इंफ्रास्ट्रक्चर और सहयोगात्मक कार्यस्थानों से लैस है, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर के क्लाइंट्स को seamless सर्विस डिलीवरी सुनिश्चित करेगा।
CEO की दृष्टि: अवसर वहां पहुंचें जहां लोग हैं
EOSGlobe के MD और CEO अभिनव अरोड़ा ने कहा:
“हम मानते हैं कि भारत की असली शक्ति इसके लोग हैं। युवाओं को सफल करियर बनाने के लिए घर-परिवार छोड़े बिना, अपने ही शहर में अवसर मिलने चाहिए। सावंतवाड़ी में हमारा नया सेंटर इसी विश्वास की दिशा में उठाया गया कदम है।”
उनका यह बयान न सिर्फ कंपनी की विज़न को दर्शाता है, बल्कि भारत में रोजगार के विकेन्द्रीकरण की दिशा में एक मजबूत कदम भी है।
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📘 स्किल डेवलपमेंट के लिए स्थानीय साझेदारियाँ
कंपनी स्थानीय संस्थानों के साथ मिलकर स्किल डेवलपमेंट, प्रोफेशनल ट्रेनिंग और करियर गाइडेंस कार्यक्रम भी शुरू करेगी। इससे युवाओं को डिजिटल सर्विस इंडस्ट्री के लिए बेहतर तरीके से तैयार किया जा सकेगा।
🌏 टियर-2 और टियर-3 भारत में मजबूत होती उपस्थिति
EOSGlobe पहले से ही देश के कई शहरों में ऑपरेट करती है और छोटे शहरों में अपनी उपस्थिति लगातार बढ़ा रही है। यह विस्तार रणनीति न सिर्फ बिजनेस बढ़ाने के लिए है, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को गति देने और प्रतिभा को घर के पास अवसर देने की सोच पर आधारित है।
✅ निष्कर्ष
EOSGlobe का सावंतवाड़ी में विस्तार भारतीय रोजगार परिदृश्य में सकारात्मक बदलाव को दर्शाता है। यह कदम साबित करता है कि भविष्य का भारत सिर्फ महानगरों में नहीं, बल्कि हर छोटे शहर, हर कस्बे में लिखा जा रहा है।
यदि आपकी वेबसाइट युवा, व्यवसाय या रोजगार से जुड़े पाठकों पर केंद्रित है, तो यह लेख उन्हें प्रेरित करेगा और उपयोगी जानकारी भी देगा।
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EOSGlobe ने सावंतवाड़ी में किया विस्तार: टियर-3 शहरों में गुणवत्तापूर्ण रोजगार को मिलेगी नई उड़ान
आज (11-11-2025) शेयर बाजार का हाल, सेंसेक्स, निफ्टी गिरा या चढ़ा, सबसे ज्यादा पैसा बनाने वाले 5 शेयर, सबसे ज्यादा पैसा डूबाने वाले 5 शेयर
आज (11-11-2025) शेयर बाजार का हाल
भारतीय रिज़र्व बैंक ने दि डिस्ट्रिक्ट को-ऑपरेटिव सेंट्रल बैंक लिमिटेड, एलुरु, आंध्र प्रदेश पर मौद्रिक दंड लगाया
भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने दिनांक 6 नवंबर 2025 के आदेश द्वारा दि डिस्ट्रिक्ट को-ऑपरेटिव सेंट्रल बैंक लिमिटेड, एलुरु, आंध्र प्रदेश (बैंक) पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी ‘अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी)’ संबंधी कतिपय निदेशों के अननुपालन हेतु ₹50,000/- (पचास हजार रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 46(4)(i) और 56 के साथ पठित धारा 47ए(1)(सी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।
31 मार्च 2024 को बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) द्वारा बैंक का सांविधिक निरीक्षण किया गया। भारतीय रिज़र्व बैंक के निदेशों के अननुपालन के पर्यवेक्षी निष्कर्षों और उससे संबंधित पत्राचार के आधार पर, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि उक्त निदेशों के अनुपालन में विफलता के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए। नोटिस पर बैंक के उत्तर और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक ने, अन्य बातों के साथ-साथ, यह पाया कि बैंक के विरुद्ध निम्नलिखित आरोप सिद्ध हुआ है, जिसके लिए मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है:
बैंक निर्धारित समय-सीमा के भीतर ग्राहकों के केवाईसी रिकॉर्ड को केंद्रीय केवाईसी रिकॉर्ड रजिस्ट्री (सीकेवाईसीआर) पर अपलोड करने में विफल रहा।
यह कार्रवाई, विनियामकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है। इसके अलावा, इस मौद्रिक दंड को लगाने से भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक के विरुद्ध की जाने वाली किसी भी अन्य कार्रवाई पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।
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भारतीय रिज़र्व बैंक ने दि कराईकुडी को-ऑपरेटिव टाउन बैंक लिमिटेड, तमिलनाडु पर मौद्रिक दंड लगाया
भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 6 नवंबर के आदेश द्वारा दि कराईकुडी को-ऑपरेटिव टाउन बैंक लिमिटेड, तमिलनाडु (बैंक) पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी ‘पूंजी पर्याप्तता पर विवेकपूर्ण मानदंड - प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक (यूसीबी)’ और ‘अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी)’ संबंधी कतिपय निदेशों के अननुपालन के लिए ₹1.50 लाख (एक लाख पचास हजार रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 46(4)(i) और 56 के साथ पठित धारा 47ए(1)(सी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।
31 मार्च 2024 को बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक का सांविधिक निरीक्षण किया गया। भारतीय रिज़र्व बैंक के निदेशों के अननुपालन के पर्यवेक्षी निष्कर्षों तथा उससे संबंधित पत्राचार के आधार पर, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया, जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि उक्त निदेशों के अनुपालन में विफलता के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए। नोटिस पर बैंक के उत्तर और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक ने, अन्य बातों के साथ-साथ, यह पाया कि बैंक के विरुद्ध निम्नलिखित आरोप सिद्ध हुए हैं, जिसके लिए मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है:
बैंक ने:
अपने सदस्यों को शेयर पूंजी की वापसी की अनुमति दी, जबकि इसका सीआरएआर विनियामक न्यूनतम से कम था;
ऋण से संबंधित शेयर मानदंड का अनुपालन किए बिना कतिपय ऋण स्वीकृत किए, जबकि इसका सीआरएआर विनियामक न्यूनतम से कम था; और
निर्धारित समय-सीमा के भीतर ग्राहकों के केवाईसी रिकॉर्ड को केंद्रीय केवाईसी रिकॉर्ड रजिस्ट्री (सीकेवाईसीआर) पर अपलोड करने में विफल रहा।
यह कार्रवाई, विनियामकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य बैंक द्वारा ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है। इसके अलावा, इस मौद्रिक दंड को लगाने से भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक के विरुद्ध की जाने वाली किसी भी अन्य कार्रवाई पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।
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भारतीय रिज़र्व बैंक ने दि मुंबई डिस्ट्रिक्ट सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, महाराष्ट्र पर मौद्रिक दंड लगाया
भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 6 नवंबर 2025 के आदेश द्वारा दि मुंबई डिस्ट्रिक्ट सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, महाराष्ट्र (बैंक) पर बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (बीआर अधिनियम) की धारा 20 के प्रावधानों के उल्लंघन के लिए ₹2 लाख (दो लाख रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, बीआर अधिनियम की धारा 46(4)(i) और 56 के साथ पठित धारा 47ए(1)(सी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।
31 मार्च 2024 को बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) द्वारा बैंक का सांविधिक निरीक्षण किया गया। सांविधिक प्रावधानों के उल्लंघन के पर्यवेक्षी निष्कर्षों तथा उससे संबंधित पत्राचार के आधार पर, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया, जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि उक्त प्रावधानों के अनुपालन में विफलता के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए। नोटिस पर बैंक के उत्तर और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक ने, अन्य बातों के साथ-साथ, यह पाया कि बैंक के विरुद्ध निम्नलिखित आरोप सिद्ध हुआ है, जिसके लिए मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है:
बैंक ने कतिपय निदेशक संबंधी ऋण स्वीकृत किये थे।
यह कार्रवाई सांविधिक अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है। इसके अलावा, इस मौद्रिक दंड को लगाने से भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक के विरुद्ध की जाने वाली किसी भी अन्य कार्रवाई पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।
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