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भारतीय रिज़र्व बैंक ने दि यवतमाल अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, यवतमाल, महाराष्ट्र पर मौद्रिक दंड लगाया
भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 4 दिसंबर 2025 के आदेश द्वारा दि यवतमाल अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, यवतमाल, महाराष्ट्र (बैंक) पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी ‘संकेंद्रण जोखिम प्रबंधन’, ‘इरादतन चूककर्ताओं और बड़े चूककर्ताओं का निरूपण’ तथा ‘साख सूचना रिपोर्टिंग’ से संबंधित कतिपय निदेशों के अननुपालन के लिए ₹2.25 लाख (दो लाख पच्चीस हज़ार रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 46(4)(i) और 56 के साथ पठित धारा 47ए(1)(सी) तथा प्रत्यय विषयक जानकारी कंपनी (विनियमन) अधिनियम, 2005 की धारा 23(4) के साथ पठित धारा 25(1)(iii) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।
31 मार्च 2025 को बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक का सांविधिक निरीक्षण किया गया। भारतीय रिज़र्व बैंक के निदेशों के अननुपालन के पर्यवेक्षी निष्कर्षों तथा उससे संबंधित पत्राचार के आधार पर, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया, जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि उक्त निदेशों के अनुपालन में विफलता के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए। नोटिस पर बैंक के उत्तर, इसके द्वारा की गई अतिरिक्त प्रस्तुतियों और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक ने, अन्य बातों के साथ-साथ, यह पाया कि बैंक के विरुद्ध निम्नलिखित आरोप सिद्ध हिए हैं, जिसके लिए मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है:
बैंक ने:
i. कुछ नाममात्र सदस्यों को निर्धारित विनियामक सीमा से अधिक ऋण स्वीकृत किए; और
ii. निर्धारित विनियामक समय- सीमा के भीतर इरादतन चूककर्ताओं के रूप में वर्गीकृत कतिपय उधारकर्ताओं के संबंध में साख सूचना कंपनियों को जानकारी नहीं दी।
यह कार्रवाई, विनियामकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है। इसके अलावा, इस मौद्रिक दंड को लगाने से भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक के विरुद्ध की जाने वाली किसी भी अन्य कार्रवाई पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।
(साभार- www.rbi.org.in)
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बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित धारा 35ए के अंतर्गत निदेश – सीकर अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, सीकर, राजस्थान - अवधि बढ़ाना
भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित धारा 35ए के अंतर्गत दिनांक 26 अक्तूबर 2018 के निदेश DCBS.CO.BSD-I/D-2/12.27.215/2018-19 द्वारा सीकर अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, सीकर, राजस्थान को 9 मई 2019 तक छह माह की अवधि के लिए निदेश जारी किए थे। इस निदेश की अवधि को समय-समय पर संशोधित किया गया, जिसे पिछली बार दिनांक 4 सितंबर 2025 के निदेश DOR.MON/D-27/12.27.215/2024-25 के अंतर्गत 9 दिसंबर 2025 तक बढ़ाया गया था। भारतीय रिज़र्व बैंक इस बात से संतुष्ट है कि जनहित में, निदेश के परिचालन की अवधि को 9 दिसंबर 2025 से आगे बढ़ाना आवश्यक है।
2. तदनुसार, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित धारा 35ए की उप-धारा (1) के अंतर्गत निहित शक्तियों का प्रयोग करते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक निदेश को 9 दिसंबर 2025 की कारोबार समाप्ति से 9 मार्च 2026 की कारोबार समाप्ति तक तीन महीने की अवधि के लिए बढ़ाता है, तथा ये निदेश समीक्षाधीन होंगे।
3. इस संदर्भाधीन निदेश के अन्य नियम और शर्तें अपरिवर्तित रहेंगे।
(साभार- www.rbi.org.in)
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RBI से Sikar Urban Cooperative Bank में पैसा रखने वालों को झटका
बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित धारा 35ए के अंतर्गत निदेश – दि अमानाथ को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, बंगलोर - अवधि बढ़ाना
भारतीय रिज़र्व बैंक ने दि अमानाथ को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, बंगलोर को बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित धारा 35ए के अंतर्गत दिनांक 12 जून 2024 के निदेश सं. CO.DOS.SED.No.S1931/12.23.001/2024-2025 द्वारा 12 दिसंबर 2024 को कारोबार की समाप्ति तक छह माह की अवधि के लिए निदेश जारी किए थे। भारतीय रिज़र्व बैंक इस बात से संतुष्ट है कि जन हित में, उक्त निदेश की परिचालन अवधि को 12 दिसंबर 2025 को कारोबार की समाप्ति से आगे बढ़ाना आवश्यक है।
2. तदनुसार, भारतीय रिज़र्व बैंक, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित धारा 35ए की उप-धारा (1) के अंतर्गत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, एतद्द्वारा निदेश को 12 दिसंबर 2025 को कारोबार की समाप्ति से 12 मार्च 2026 को कारोबार की समाप्ति तक अगले तीन माह की अवधि के लिए बढ़ाता है, जो कि समीक्षाधीन होगा।
3. भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा उपर्युक्त विस्तार और/या संशोधन का यह अर्थ नहीं लगाया जाना चाहिए कि भारतीय रिज़र्व बैंक, बैंक की वित्तीय स्थिति से संतुष्ट है।
4. संदर्भाधीन निदेश के अन्य सभी नियम और शर्तें यथावत् रहेंगी।
(साभार- www.rbi.org.in)
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RBI ने फिनो पेमेंट्स बैंक लिमिटेड को स्मॉल फाइनेंस बैंक में बदलने के लिए ‘इन-प्रिंसिपल’ मंज़ूरी दी
रिज़र्व बैंक ने फिनो पेमेंट्स बैंक लिमिटेड (FPBL) को स्मॉल फाइनेंस बैंक (SFB) में बदलने के लिए ‘इन-प्रिंसिपल’ मंज़ूरी दे दी है।
बैकग्राउंड-
RBI ने प्राइवेट सेक्टर में SFBs के ‘ऑन टैप’ लाइसेंसिंग के लिए गाइडलाइंस जारी की हैं (गाइडलाइंस)। गाइडलाइंस के अनुसार, मौजूदा पेमेंट्स बैंक जो निवासियों द्वारा कंट्रोल किए जाते हैं और जिन्होंने पांच साल पूरे कर लिए हैं, वे SFBs में बदलने के लिए एलिजिबल हैं। FPBL के एप्लीकेशन को गाइडलाइंस में बताए गए प्रोसेस के अनुसार असेस किया गया था।
(साभार- www.rbi.org.in)
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RBI ने Fino Payments Bank को Small Finance Bank में बदलने के लिए ‘इन-प्रिंसिपल’ मंज़ूरी दी
देश के केंद्रीय बैंक भारतीय रिजर्व बैंक यानी RBI ने कुछ दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करने पर Truhome Finance पर ₹3,10,000/- का जुर्माना लगाया है। RBI ने इसकी जानकारी दी।
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(साभार- www.rbi.org.in)
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RBI ने Truhome Finance पर जुर्माना लगाया, जानें क्यों और कितना
देश के केंद्रीय बैंक भारतीय रिजर्व बैंक यानी RBI ने Bansal Credits पर कुछ दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करने पर ₹6.20 लाख का जुर्माना लगाया है। RBI ने इसकी जानकारी दी।
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(साभार- www.rbi.org.in)
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