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कारवार अर्बन कोऑपरेटिव बैंक पर तालाबंदी, पैसा रखने वाले क्या करें अब
Bad News For one more Bank Customer देश के केंद्रीय बैंक भारतीय रिजर्व बैंक यानी RBI की पाबंदी झेल रहे यूपी के कर्नाटक के कारवार स्थित दि कारवार अर्बन कोऑपरेटिव बैंक में पैसा रखने वालों के लिए बुरी खबर है। पूरी खबर को जानने के लिए इस एपिसोड को शुरू से लेकर अंत तक देखें।


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4-बच्चों को फाइनेंशियल एजुकेशन क्यों देना चाहिए पर हिन्दी में किताब- 'बेटा हमारा दौलतमंद बनेगा' - 
5-अमीर बनने की ख्वाहिश हममें से हर किसी की होती है, लेकिन इसके लिए लोगों को पैसे से पैसा बनाने की कला तो आनी चाहिए। कैसे आएगी ये कला, पढ़िये - 'आपका पैसा, आप संभालें' - 
6-इंसान के पास संसाधन या मार्गदर्शन हो या ना हो, सपने जरूर होने चाहिए। सिर्फ सपने के सहारे भी कामयाब होने वालों की दुनिया में कमी नहीं है। - 'जब सपने बन जाते हैं मार्गदर्शक' -
7-बेटियों को बहादुर बनने दीजिए और बनाइये, ये समय की मांग है,  "बेटी तुम बहादुर ही बनना " -
8 -अपनी हाउसिंग सोसायटी को जर्जर से जन्नत बनाने के लिए पढ़ें,  डेढ़ साल बेमिसाल -

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Rajanish Kant गुरुवार, 24 जुलाई 2025
RBI से सूरी फ्रेंड्स यूनियन कोऑपरेटिव बैंक में पैसा रखने वालों को झटका

बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी समितियों पर यथा लागू) की धारा 56 के साथ पठित धारा 35 ए के अंतर्गत निदेश – दि सूरी फ्रेंड्स यूनियन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, सूरी, पश्चिम बंगाल – अवधि बढ़ाना

भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित धारा 35ए के अंतर्गत दि सूरी फ्रेंड्स यूनियन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, सूरी, पश्चिम बंगाल को दिनांक 21 जुलाई 2022 के निदेश सं. CO.DOS.SED.No.S2574/12-07-005/2022-23 के माध्यम से 22 जनवरी 2023 को कारोबार की समाप्ति तक छह माह की अवधि के लिए निदेश जारी किए थे, जिसकी वैधता अवधि को समय-समय पर संशोधित किया गया तथा पिछली बार इसे दिनांक 16 अप्रैल 2025 के निदेश DOR.MON.D-06/12.29.046/2025-26 के द्वारा 22 जुलाई 2025 को कारोबार की समाप्ति तक बढ़ाया गया था। भारतीय रिज़र्व बैंक इस बात से संतुष्ट है कि जन हित में, उक्त निदेश की परिचालन अवधि को 22 जुलाई 2025 को कारोबार की समाप्ति से आगे बढ़ाया जाना आवश्यक है।

2. तदनुसार, भारतीय रिज़र्व बैंक, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित धारा 35ए की उप-धारा (1) के अंतर्गत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, उक्त निदेशों को 22 जुलाई 2025 को कारोबार की समाप्ति से 22 अक्तूबर 2025 को कारोबार की समाप्ति तक तीन माह की अवधि के लिए बढ़ाता है, जो कि समीक्षाधीन होगा।

3. संदर्भाधीन निदेश के अन्य सभी नियम एवं शर्तें यथावत् रहेंगी।


(साभार- www.rbi.org.in)

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Rajanish Kant मंगलवार, 22 जुलाई 2025
RBI ने गवर्नमेंट एम्प्लाइज कोऑपरेटिव बैंक पर जुर्माना लगाया, जानें क्यों और कितना

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दि गवर्नमेंट एम्प्लाइज को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, धारवाड़, कर्नाटक पर मौद्रिक दंड लगाया



भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 17 जुलाई 2025 के आदेश द्वारा दि गवर्नमेंट एम्प्लाइज को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, धारवाड़, कर्नाटक (बैंक) पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी ‘अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी)’ और ‘प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों (यूसीबी) के लिए व्यापक साइबर सुरक्षा ढांचा’ संबंधी कतिपय निदेशों के अननुपालन के लिए ₹1लाख (एक लाख रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 46(4)(i) और 56 के साथ पठित धारा 47ए(1)(सी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

31 मार्च 2024 को बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक का सांविधिक निरीक्षण किया गया। भारतीय रिज़र्व बैंक के निदेशों के अननुपालन के पर्यवेक्षी निष्कर्षों तथा उससे संबंधित पत्राचार के आधार पर, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया, जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि उक्त निदेशों के अनुपालन में विफलता के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए। नोटिस पर बैंक के उत्तर और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक ने, अन्य बातों के साथ-साथ, यह पाया कि बैंक के विरुद्ध निम्नलिखित आरोप सिद्ध हुए हैं, जिसके लिए मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है:

बैंक:

i) निर्धारित समय-सीमा के भीतर ग्राहकों के केवाईसी रिकॉर्ड को केंद्रीय केवाईसी रिकॉर्ड रजिस्ट्री (सीकेवाईसीआर) पर अपलोड करने में विफल रहा; और

ii) रिज़र्व बैंक द्वारा निर्धारित साइबर सुरक्षा ढांचे के अंतर्गत कतिपय साइबर सुरक्षा नियंत्रण उपायों और अपेक्षाओं को लागू नहीं किया।

यह कार्रवाई, विनियामकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य बैंक द्वारा ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है। इसके अलावा, इस मौद्रिक दंड को लगाने से भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक के विरुद्ध की जाने वाली किसी भी अन्य कार्रवाई पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।

(साभार- www.rbi.org.in)

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Rajanish Kant
RBI ने मोतीराम अग्रवाल जालना मर्चेंट्स कोऑपरेटिव बैंक पर जुर्माना लगाया, जानें क्यों और कितना

भारतीय रिज़र्व बैंक ने मोतीराम अग्रवाल जालना मर्चेंट्स को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, जालना, महाराष्ट्र पर मौद्रिक दंड लगाया



भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 16 जुलाई 2025 के आदेश द्वारा मोतीराम अग्रवाल जालना मर्चेंट्स को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, जालना, महाराष्ट्र (बैंक) पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी ‘निदेशकों, रिश्तेदारों और फर्मों/संस्थाओं, जिसमें उनका हित हो, को ऋण और अग्रिम’ तथा 'एकल और समूह उधारकर्ताओं/ पार्टियों और बड़े एक्सपोज़रों के लिए एक्सपोज़र सीमाएँ और प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र को उधार लक्ष्य में संशोधन - यूसीबी' संबंधी कतिपय निदेशों के अननुपालन के लिए 6 लाख (छह लाख रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 46(4) (i) और 56 के साथ पठित धारा 47ए (1)(सी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

31 मार्च 2024 को बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक का सांविधिक निरीक्षण किया गया। भारतीय रिज़र्व बैंक के निदेशों के अननुपालन के पर्यवेक्षी निष्कर्षों तथा उससे संबंधित पत्राचार के आधार पर, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया, जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि उक्त निदेशों के अनुपालन में विफलता के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए। नोटिस पर बैंक के उत्तर, इसके द्वारा की गई अतिरिक्त प्रस्तुतियों और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक ने, अन्य बातों के साथ-साथ, यह पाया कि बैंक के विरुद्ध निम्नलिखित आरोप सिद्ध हुए हैं, जिसके लिए मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है:

बैंक ने:

i) निदेशक संबंधी ऋण स्वीकृत किए; और

ii) कतिपय संबद्ध उधारकर्ताओं को लागू समूह एक्सपोज़र सीमा से अधिक ऋण और अग्रिम स्वीकृत किए।

यह कार्रवाई, विनियामकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है। इसके अलावा, इस मौद्रिक दंड को लगाने से भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक के विरुद्ध की जाने वाली किसी भी अन्य कार्रवाई पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।

(साभार- www.rbi.org.in)

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RBI ने सह्याद्रि सहकारी बैंक पर जुर्माना लगाया, जानें क्यों और कितना

भारतीय रिज़र्व बैंक ने सह्याद्रि सहकारी बैंक लिमिटेड, मुंबई, महाराष्ट्र पर मौद्रिक दंड लगाया



भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 18 जुलाई 2025 के आदेश द्वारा सह्याद्रि सहकारी बैंक लिमिटेड, मुंबई, महाराष्ट्र (बैंक) पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा पर्यवेक्षी कार्रवाई ढांचा (एसएएफ़) के अंतर्गत जारी विशिष्ट निदेशों के अननुपालन के लिए 20,000 (बीस हजार रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 46(4)(i) और 56 के साथ पठित धारा 47ए(1)(सी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

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Rajanish Kant
RBI ने Digital Banking Channels Authorisation Directions, 2025 के लिए मसौदा जारी किया, 11 अगस्त तक मांगी टिप्पणी

भारतीय रिज़र्व बैंक ने मास्टर निदेश - डिजिटल बैंकिंग चैनल प्राधिकरण (निदेश), 2025 का मसौदा जारी किया


भारतीय रिज़र्व बैंक ने ‘डिजिटल बैंकिंग चैनल प्राधिकरण' पर मास्टर निदेश का मसौदा जारी किया है। निदेश के मसौदे पर जन सामान्य/ हितधारकों से टिप्पणियां 11 अगस्त 2025 तक आमंत्रित की गई हैं। टिप्पणियां/ प्रतिक्रियाएं आरबीआई की वेबसाइट पर उपलब्ध ‘कनेक्ट 2 रेगुलेट’ खंड के अंतर्गत उपलब्ध संबंधित लिंक के माध्यम से प्रस्तुत किए जा सकते हैं या वैकल्पिक रूप से निम्नलिखित पर:

मुख्य महाप्रबंधक
पंजीकरण एवं प्राधिकरण समूह
विनियमन विभाग, केंद्रीय कार्यालय
भारतीय रिज़र्व बैंक, 12वीं मंजिल,
शहीद भगत सिंह मार्ग,
फोर्ट मुंबई – 400 001
या
ईमेल द्वारा भेजे जा सकते हैं।

 > मसौदा को विस्तार से पढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें 

(साभार- www.rbi.org.in)

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Rajanish Kant सोमवार, 21 जुलाई 2025
RBI ने इस NBFC का पंजीकरण प्रमाणपत्र का फिर से बहाल किया

भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा एक गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी के पंजीकरण प्रमाणपत्र का पुनःस्थापन


अपीलीय प्राधिकरण/ न्यायालय द्वारा पारित आदेशों पर विचार करने के बाद निम्नलिखित गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) को जारी पंजीकरण प्रमाणपत्र को पुनःस्थापित कर दिया गया है। इस एनबीएफसी को भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के लागू प्रावधानों और रिपोर्टिंग आवश्यकताओं सहित रिज़र्व बैंक द्वारा जारी दिशा-निर्देशों/ निदेशों के अनुपालन हेतु सूचित किया जाता है।

क्र. सं.कंपनी का नामपंजीकृत कार्यालय पतासीओआर सं.सीओआर पुनःस्थापन की तारीख
1जुपिटर मैनेजमेंट सर्विसेज़ प्राइवेट लिमिटेडएस.सी.ओ नं. 20, डिस्ट्रिक्ट कमर्शियल सेंटर, सेक्टर -56, गुड़गांव, गुड़गांव, गुड़गांव, हरियाणा - 122011एन-14.0365412 जून 2025

(साभार- www.rbi.org.in)

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