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बैंक ऋण वृद्धि 16.8% रही, सकल जमा राशियों में 10.3% की वृद्धि: RBI


भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी 'अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों की जमा और ऋण पर तिमाही सांख्यिकी:
दिसम्बर 2022' का प्रकाशन

आज, भारतीय रिज़र्व बैंक ने अपने भारतीय अर्थव्यवस्था के डेटाबेस (डीबीआईई) पोर्टल (वेब-लिंक: https://dbie.rbi.org.in/DBIE/dbie.rbi?site=publications#!3) पर अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (एससीबी) की जमा और ऋण राशियों पर दिसंबर 2022 तिमाही के लिए सांख्यिकी का प्रकाशन जारी किया। यह डेटा मूलभूत सांख्यिकी विवरणी (बीएसआर)-7 प्रणाली1 के अंतर्गत सभी एससीबी से एकत्र किये गए है, और बैंक क्रेडिट और जमा राशि पर आंकड़े भूगोल, जनसंख्या समूह और बैंक समूह स्तर के अनुसार जारी किए जा रहे हैं।

प्रमुख निष्कर्ष:

  • बैंक ऋण वृद्धि (वर्ष-दर-वर्ष) दिसंबर 2022 में 16.8 प्रतिशत रही, जबकि एक तिमाही पहले यह 17.2 प्रतिशत और एक वर्ष पहले 8.4 प्रतिशत थी।

  • ऋण वृद्धि में महानगरीय केंद्रों की बैंक शाखाओं का योगदान सबसे अधिक रहा, जो अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों के कुल ऋण का लगभग 60 प्रतिशत है और ऋण देने में 17.2 प्रतिशत वृद्धि (वर्ष-दर-वर्ष) दर्ज की गई; शहरी, अर्ध-शहरी और ग्रामीण केंद्रों में भी दो अंकों की ऋण वृद्धि दर्ज की गई।

  • सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने कैलेंडर वर्ष 2022 के दौरान अपने ऋण पोर्टफोलियो में 15.7 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की (वर्ष 2021 में 4.7 प्रतिशत); तथापि, निजी क्षेत्र के बैंकों की तदनुरूपी वृद्धि 19.1 प्रतिशत (एक वर्ष पहले 13.1 प्रतिशत) के साथ अधिक रही।

  • दिसंबर 2022 में सकल जमा राशियों में 10.3 प्रतिशत (वर्ष-दर-वर्ष) की वृद्धि (एक वर्ष पहले 9.6 प्रतिशत) सावधि जमाओं में 13.2 प्रतिशत की वृद्धि के कारण हुई; चालू और बचत जमा राशियों में क्रमश: 4.6 प्रतिशत और 7.3 प्रतिशत की मामूली वृद्धि दर्ज की गई।

  • दिसंबर 2022 में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों द्वारा जमा संग्रहण में 8.8 प्रतिशत की वृद्धि (वर्ष-दर-वर्ष) (एक वर्ष पहले 6.9 प्रतिशत) तक सुधार हुआ, तथापि यह निजी क्षेत्र के बैंकों में जमा राशियों में 13.2 प्रतिशत की वृद्धि से कम रहा।

  • अखिल भारतीय ऋण-जमा (सी-डी) अनुपात दिसंबर 2022 में और बढ़ कर 75.9 प्रतिशत हो गया (पिछली तिमाही में 74.8 प्रतिशत और दिसंबर 2021 में 71.6 प्रतिशत); यह आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और तेलंगाना के लिए 100 प्रतिशत से ऊपर रहा।

1 दिसम्बर 2022 के रिपोर्टिंग शुक्रवार के लिए पाक्षिक फॉर्म-ए रिटर्न (भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम 1934 की धारा 42 (2) के अंतर्गत संकलित) पर आधारित सकल डेटा का प्रकाशन पहले ही हमारी वेबसाइट (होम> सांख्यिकी>जारी आंकड़े>पाक्षिक- भारत में अनुसूचित बैंकों की स्थिति का विवरण) पर किया जा चुका है और चयनित बैंकों के आधार पर दिसम्बर 2022 के लिए बैंक क्रेडिट डेटा का मासिक सकल स्तरीय क्षेत्रीय विनियोजन भी हमारी वेबसाइट (होम> सांख्यिकी>जारी आंकड़े >माह>बैंक ऋण के क्षेत्रवार विनियोजन संबंधी डेटा) पर प्रकाशित की जा चुकी है। 

(साभार: www.rbi.org.in)

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Rajanish Kant सोमवार, 27 फ़रवरी 2023
अभी Bank FD कर दें या ब्याज बढ़ने का इंतजार करें
Is it Right time to invest in bank FD or should wait. आप सब जानते हैं कि पिछले करीब एक साल में बैंकों ने फिक्स्ड डिपॉजिट पर दनादन ब्याज बढ़ाया है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या अभी आपको बैंक में एफडी करना चाहिए या फिर अभी बैंक एफडी पर ब्याज में बढ़ोतरी का इंतजार करना चाहिए।


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Rajanish Kant शनिवार, 25 फ़रवरी 2023
बैंकों ने 10,09,511 लाख करोड़ रु. का कर्ज राइट ऑफ किया, उसमें से वसूली हुई 1,32,036 लाख करोड़ रु.-निर्मला सीतारमण, वित्त मंत्री


पिछले पांच वित्त वर्ष के दौरान अनुसूचित कमर्शियल बैंक जैसे कि एसबीआई, बैंक ऑफ बड़ौदा, पंजाब नेशनल बैंक, यूको बैंक बगैरह ने  10,09,511 लाख करोड़ रु. का कर्ज राइट ऑफ किया, उसमें से केवल 1,32,036 लाख करोड़ रु. की वसूली हुई है। देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसकी जानकारी दी। हालांकि इस दौरान कर्जदारों से कुल मिलाकर 6,59,596 लाख करोड़ रुपए की वसूली की गई। 

राइट ऑफ का मतलब होता है बैलेंस शीट से कर्ज को निकालकर बैलेंस शीट को ठीक करना। राइट ऑफ का मतलब कर्ज माफ करना नहीं होता है। निर्मला सीतारमण ने बताया कि कर्ज का राइट ऑफ कर्जदारों को फायदा पहुंचाने के लिए नहीं किया जाता है। 

बैंक राइट ऑफ किए कर्ज को वसूलने के लिए कर्जदारों के खिलाफ कई तरह की कार्रवाई करती है। जैसे कि कर्जदारों के खिलाफ सिविल कोर्ट या डीआरटी (Debt Recovery Tribunals) में मुकदमा, इन्सोलवेंसी और बैंकरप्सी कोड 2016 (Insolvency and Bankruptcy Code, 2016) के तहत मुकदमा दर्ज, कर्जदारों की एनपीए संपत्ति को बेचना। 

वित्त मंत्री ने बताया कि इस दौरान एनपीए होने वाले कर्ज के लिए जिम्मेदार बैंक के अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई की गई है। वित्त मंत्री के अनुसार, पिछले पांच वित्त वर्ष के दौरान बैंकों के एजीएम और उससे उपर के स्तर के  3312 अधिकारी और कर्मचारी के विरुद्ध लापरवाही के लिए मुकदमा चलाने और उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के फैसले लिये गए। 

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