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RBI ने प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों के लिए त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई (पीसीए) ढांचा जारी किया

भारतीय रिज़र्व बैंक ने प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों के लिए त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई (पीसीए) ढांचा जारी किया



भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों (यूसीबी) के लिए त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई (पीसीए) ढांचा जारी किया। पीसीए ढांचे के प्रावधान 1 अप्रैल 2025 से प्रभावी होंगे।

पृष्ठभूमि

रिज़र्व बैंक ने कमज़ोर शहरी सहकारी बैंकों और वित्तीय तनाव का सामना कर रहे शहरी सहकारी बैंकों में वांछित सुधार लाने के लिए एक प्रारंभिक हस्तक्षेप उपकरण के रूप में पर्यवेक्षी कार्रवाई ढांचा (एसएएफ़) जारी किया था। एसएएफ़ को अंतिम बार रिज़र्व बैंक के 6 जनवरी 2020 के परिपत्र1 के माध्यम से संशोधित किया गया था। यह पीसीए ढांचा एसएएफ़ की जगह लेगा।

पीसीए ढांचे की मुख्य विशेषताएं निम्नानुसार हैं:

  • इस ढांचे को अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के लिए लागू समान ढांचे के अनुरूप सुसंगत बनाया गया है, जिसमें आनुपातिकता के अंतर्निहित सिद्धांत को ध्यान में रखते हुए उपयुक्त संशोधन किए गए हैं।

  • पीसीए ढांचा मुख्यतः सिद्धांत-आधारित है, जिसमें पर्यवेक्षी सख्ती में किसी कमी के बिना एसएएफ की तुलना में मापदंड की संख्या कम हैं।

  • संशोधित ढांचे का उद्देश्य मामला-दर-मामला आधार पर जोखिमों के आकलन के आधार पर इकाई-विशिष्ट पर्यवेक्षी कार्य योजना तैयार करने में लचीलापन प्रदान करना है।

  • एसएएफ के तहत यूसीबी द्वारा पूंजीगत व्यय पर प्रतिबंध के लिए 25,000/- रुपये की हार्ड-कोडेड सीमा को समाप्त कर दिया गया है। संशोधित ढांचा पर्यवेक्षकों को प्रत्येक इकाई के अपने मूल्यांकन के आधार पर सीमा तय करने में सक्षम बनाती है।

  • पीसीए ढांचा को सर्व समावेशी निदेशों (एआईडी) के अंतर्गत आने वाले यूसीबी को छोड़कर टियर 2, टियर 3 और टियर 4 के सभी2 यूसीबी पर लागू किया गया है।

  • टियर 1 यूसीबी को फिलहाल पीसीए ढांचे से बाहर रखा गया है। तथापि, मौजूदा पर्यवेक्षी ढांचे के अंतर्गत उन पर कड़ी निगरानी जारी रहेगी।

  • संशोधित ढांचे से बड़े यूसीबी पर अधिक ध्यान दिया जाना है, जिन्हें पर्यवेक्षी संसाधनों के इष्टतम उपयोग द्वारा अधिक गहन निगरानी की आवश्यकता है।

 

1 Supervisory Action Framework for Primary (Urban) Co-operative Bank (UCBs)

2 विनियामक उद्देश्यों के लिए यूसीबी को निम्नलिखित चार श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है:

टियर 1 - सभी यूनिट यूसीबी और वेतनभोगियों के यूसीबी (जमाराशि के आकार से निरपेक्ष), और 100 करोड़ तक की जमाराशि वाले अन्य सभी यूसीबी;

टियर 2 - 100 करोड़ से अधिक और 1,000 करोड़ तक की जमाराशि वाले यूसीबी;

टियर 3 - 1,000 करोड़ से अधिक और 10,000 करोड़ तक जमाराशि वाले यूसीबी;

टियर 4 - 10,000 करोड़ से अधिक जमा राशि वाले यूसीबी।


(साभार- www.rbi.org.in)

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Rajanish Kant बुधवार, 31 जुलाई 2024
सहकारी बैंक में आपका खाता है, तो यह खबर आपके लिए है
रिजर्व बैंक ने सहकारी बैंकों को पासबुक/खाता विवरण में लेन-देन के ब्यौरों को दर्ज करने का निर्देश  दिया है। आरबीआई के इस बारे में कई शिकायत मिली है कि सहकारी बैंक खाते को अपडेट करने में आनाकानी करते हैं...


सहकारी बैंकों द्वारा पासबुक/ खाता विवरण में लेनदेन के ब्योरों को दर्ज करना
कृपया 26 अक्तूबर 2010 के हमारे परिपत्र शबैंवि.केंका.बीपीडी.(पीसीबी).सं: 18/12.05.001/2010-11 तथा 22 अक्तूबर 2014 के हमारे परिपत्र ग्राआऋवि.केंका.आरसीबी.बीसी.सं:36/07.51.010/2014-15 के अनुबंध के पैरा 4.6.3 का अवलोकन करें जिनमें सहकारी बैंकों को सूचित किया गया था कि पासबुक/ खाता विवरण में जटिल प्रविष्टियाँ करने से बचें तथा संक्षिप्त और स्पष्ट विवरण दर्ज करना सुनिश्चित करें, ताकि जमाकर्ताओं को होने वाली असुविधा से बचाया जा सके।
2. हमारे ध्यान में यह आया है कि अनेक बैंक अभी भी पासबुक या/और खाता विवरण में लेनदेन का समुचित विवरण नहीं देते हैं जिससे खाताधारक उनकी जांच कर सकें। बेहतर ग्राहक सेवा सुनिश्चित करने के लिए यह निर्णय लिया गया है कि बैंक खाते में की जाने वाली प्रविष्टियों में न्यूनतम रूप से अनुबंध में दर्शाए गए प्रासंगिक विवरण देंगे। अनुबंध में उल्लिखित लेनदेन की सूची संपूर्ण नहीं अपितु सांकेतिक है।
3. बैंक पासबुक में "जमाराशि बीमा कवर" के बारे में भी सूचना देंगे, जिसमें समय- समय पर परिवर्तन के अधीन कवरेज की सीमा भी शामिल होगी। (स्रोत-आरबीआई)

Rajanish Kant शुक्रवार, 14 जुलाई 2017