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शहरी या ग्रामीण सहकारी बैंकों से होम लोन लेने वालों के लिए अच्छी खबर


देश के केंद्रीय बैंक भारतीय रिजर्व बैंक यानी  RBI ने शहरी या ग्रामीण सहकारी बैंकों से व्यक्तिगत होम लोन लेने वालों को खुशखबरी दी है। आरबीआई ने इन सहकारी बैंकों से होम लोन लेने की सीमा में जबर्दस्त बढ़ोतरी की है। अब ग्राहक इन बैंकों से पहले के मुकाबले ज्यादा होम लोन ले सकते हैं। रिजर्व बैंक द्वारा इस संबंध में जारी अधिसूचना को आप हुबहू पढ़ सकते हैं- 

सभी प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक

महोदया / महोदय,

व्यक्तिगत आवास ऋण - सीमा में वृद्धि

कृपया उपर्युक्त विषय पर दिनांक 31 अक्तूबर 2011 का परिपत्र यूबीडी.बीपीडी.(पीसीबी) परिपत्र सं.7/09.22.010/2011-12 देखें।

2. विकासात्मक और विनियामक नीतियों पर वक्तव्य (पैरा 1 - उद्धरण संलग्न) में घोषित किए गए अनुसार, यह निर्णय लिया गया है कि शहरी सहकारी बैंकों द्वारा किसी व्यक्तिगत उधारकर्ता को स्वीकृत किए गए व्यक्तिगत आवास ऋण की सीमाओं को निम्नानुसार संशोधित किया जाता है:

बैंक की श्रेणीमौजूदा सीमा*
(प्रति व्यक्तिगत उधारकर्ता)
संशोधित सीमा*
(प्रति व्यक्तिगत उधारकर्ता)
(क) टियर I यूसीबी30 लाख60 लाख
(ख) टियर II यूसीबी70 लाख140 लाख
*निर्धारित विवेकपूर्ण एक्सपोजर सीमाओं के अधीन

3. इस विषय पर अन्य सभी मौजूदा अनुदेश अपरिवर्तित रहेंगे। उपरोक्त अनुदेश इस परिपत्र की तिथि से प्रभावी होंगे।

08 जून 2022 के विकासात्मक और विनियामक नीतियों पर वक्तव्य से उद्धरण

1. सहकारी बैंकों द्वारा व्यक्तिगत आवास ऋण - सीमा में वृद्धि

वर्तमान दिशानिर्देश व्यक्तिगत आवास ऋण की राशि पर विवेकपूर्ण सीमाएं निर्धारित करते हैं जो प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों (यूसीबी), और ग्रामीण सहकारी बैंकों (आरसीबी - राज्य सहकारी बैंकों और जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों) द्वारा उनके ग्राहकों को प्रदान की जा सकती हैं। इन सीमाओं को पिछली बार यूसीबी के लिए वर्ष 2011 में और आरसीबी के लिए वर्ष 2009 में संशोधित किया गया था। पिछली बार सीमा को संशोधित करने के बाद से आवास की कीमतों में वृद्धि को देखते हुए और ग्राहकों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए, सहकारी बैंकों द्वारा व्यक्तिगत आवास ऋण पर मौजूदा सीमा को बढ़ाने का निर्णय लिया गया है। तदनुसार, टियर I/ टियर II शहरी सहकारी बैंकों की सीमा क्रमश: 30 लाख/70 लाख से 60 लाख/140 लाख तक संशोधित मानी जाएगी। आरसीबी के संबंध में, निर्धारित निवल मालियत 100 करोड़ से कम वाले आरसीबी के लिए सीमा 20 लाख से बढ़ाकर 50 लाख कर दी जाएगी; और अन्य आरसीबी के लिए यह 30 लाख से बढ़ाकर 75 लाख तक की जाएगी। 

ये अधिसूचना 30 दिसंबर 2022 को जारी किया गया है- 

30 दिसंबर, 2022

सभी प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक,

महोदया / महोदय

व्यक्तिगत आवास ऋण - चार-स्तरीय विनियामकीय ढांचे के तहत संशोधित सीमाएं

कृपया दिनांक 1 दिसंबर 2022 के परिपत्र विवि.आरईजी.सं.84/07.01.000/2022-23 का संदर्भ लें जिसके अनुसार विनियामकीय उद्देश्यों के लिए यूसीबी का चार स्तरों में वर्गीकरण किया गया है।

2. दिनांक 8 जून 2022 के परिपत्र विवि.सीआरई.आरईसी.42/09.22.010/2022-23 के अनुसार व्यक्तिगत आवास ऋण की सीमा टियर-I यूसीबी के लिए 60 लाख और टियर-II यूसीबी के लिए 140 लाख निर्धारित की गई है। संशोधित विनियामकीय ढांचे के तहत यूसीबी का चार स्तरों में वर्गीकरण करने के फलस्वरूप किसी व्यक्तिगत उधारकर्ता को यूसीबी द्वारा स्वीकृत किए गए आवास ऋण की सीमा टियर-I यूसीबी के लिए 60 लाख और टियर-2 से 4 में वर्गीकृत यूसीबी के लिए 140 लाख निर्धारित करने का निर्णय लिया गया है। पूर्वोक्त परिपत्र के अन्य नियम और शर्तें अपरिवर्तित रहेंगी।

3. इस परिपत्र के तहत निर्धारित सीमाएं इस परिपत्र की तिथि से प्रभावी हैं। हालांकि, इस परिपत्र की तिथि से पहले मंजूर किए गए मौजूदा आवास ऋण, जो इस सीमा का उल्लंघन करते हो, को परिपक्वता तक जारी रखने की अनुमति होगी।

(लेख साभार- www.rbi.org.in)

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Rajanish Kant गुरुवार, 19 जनवरी 2023
RBI ने गुजरात के बाबरा स्थित Nagarik Sahakari Bank पर जुर्माना लगाया, जानें क्यों और कितना


भारतीय रिज़र्व बैंक ने नागरिक सहकारी बैंक लि., बाबरा, जिला अमरेली (गुजरात) 
पर मौद्रिक दंड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने दिनांक 12 दिसंबर 2022 के आदेश द्वारा, नागरिक सहकारी बैंक लि., बाबरा, जिला अमरेली (गुजरात) (बैंक) पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी ‘प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों द्वारा सांविधिक आरक्षित निधि- आरक्षित नकदी निधि अनुपात (सीआरआर) और सांविधिक चलनिधि अनुपात (एसएलआर) बनाए रखने’ संबंधी निदेशों के उल्लंघन के लिए 1.00 लाख (रुपये एक लाख मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी उपर्युक्त निदेशों के अनुपालन करने में बैंक की विफलता को ध्यान में रखते हुए बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 46 (4) (i) और धारा 56 के साथ पठित धारा 47 ए (1) (सी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

यह कार्रवाई विनियामक अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य उक्‍त बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है।

पृष्ठभूमि

31 मार्च 2018 को बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा किए गए बैंक के सांविधिक निरीक्षण तथा निरीक्षण रिपोर्ट और उससे सभी संबंधित पत्राचार की जांच से, अन्य बातों के साथ-साथ, यह पता चला कि बैंक ने न्यूनतम आरक्षित सांविधिक चलनिधि अनुपात (एसएलआर) को बनाए नहीं रखा था, जिसके परिणामस्वरूप भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी उपर्युक्त निदेशों का उल्लंघन हुआ है। उक्त के आधार पर, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उससे यह पूछा गया कि वे कारण बताएं कि भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी उपर्युक्त निदेशों का उल्लंघन करने के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए।

नोटिस पर बैंक के उत्तर और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान  किए गए मौखिक प्रस्तुतीकरण पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि उपर्युक्त आरोप सिद्ध हुआ है और मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है। 

(साभार- www.rbi.org.in)

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Rajanish Kant मंगलवार, 20 दिसंबर 2022
महाराष्ट्र के वसई स्थित Bassein Catholic Co-operative Bank पर ₹50.00 लाख का जुर्माना लगा, जानें क्यों


 भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैसीन कैथोलिक को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, वसई पर मौद्रिक दंड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 14 दिसंबर 2022 के आदेश द्वारा, बैसीन कैथोलिक को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, वसई, महाराष्ट्र (बैंक) पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी 'आय निर्धारण, आस्ति वर्गीकरण, प्रावधानीकरण और अन्य संबंधित मामलों' (आईआरएसी मानदंड) पर जारी निदेशों के अननुपालन के लिए 50.00 लाख (पचास लाख रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (बीआर अधिनियम) की धाराओं 46 (4) (i) और 56 के साथ पठित धारा 47 ए (1) (सी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

यह कार्रवाई विनियामक अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य उक्‍त बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है।

पृष्ठभूमि

31 मार्च 2020 को बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा किए गए सांविधिक निरीक्षण और जोखिम मूल्यांकन रिपोर्ट, निरीक्षण रिपोर्ट तथा उससे संबंधित सभी पत्राचार की जांच से, अन्य बातों के साथ-साथ, पता चला कि बैंक ने आईआरएसी मानदंडों के अनुसार कतिपय ऋण खातों को अनर्जक आस्तियों के रूप में वर्गीकृत नहीं किया। उक्त के आधार पर, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उनसे यह पूछा गया कि वे कारण बताएं कि भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी निदेशों, जैसा कि उसमें उल्लिखित है, का उल्लंघन करने के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए।

नोटिस पर बैंक के उत्तर, इसकी अतिरिक्त प्रस्तुतियों तथा व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी उपर्युक्त निदेशों के अननुपालन का आरोप सिद्ध हुआ है और ऐसे निदेशों की अननुपालन की सीमा तक मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है।

(साभार- www.rbi.org.in)

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