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पेटीएम पेमेंट्स बैंक लिमिटेड के विरुद्ध क्या क्या कार्रवाई हुई-RBI

बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 35ए के अंतर्गत पेटीएम पेमेंट्स बैंक लिमिटेड के विरुद्ध कार्रवाई



भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 35ए के अंतर्गत अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए, 11 मार्च 2022 और 31 जनवरी 2024 की प्रेस प्रकाशनी के माध्यम से पेटीएम पेमेंट्स बैंक लिमिटेड (पीपीबीएल या बैंक) पर कुछ कारोबारी प्रतिबंध लगाए थे।

2. पीपीबीएल के ग्राहकों (व्यापारियों सहित), जिन्हें किसी अन्य व्यवस्था के लिए थोड़े और समय की आवश्यकता हो सकती है, के हित को ध्यान में रखते हुए और व्यापक सार्वजनिक हित में, भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा 31 जनवरी 2024 के पूर्ववर्ती निदेशों में आंशिक संशोधन के साथ बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 35 ए के अंतर्गत निम्नलिखित निदेश जारी किए जाते हैं:

  1. 15 मार्च 2024 (29 फरवरी 2024 की पूर्व निर्धारित समय-सीमा से बढ़ा दिया गया) के बाद किसी भी ग्राहक खाते, प्रीपेड लिखत, वॉलेट, फास्टैग, नैशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड आदि में, किसी भी ब्याज, कैशबैक, सहभागी बैंकों से स्वीप इन या रिफंड, जो कभी भी जमा किया जा सकता है, को छोड़कर, किसी अन्य जमाराशि या क्रेडिट लेनदेन या टॉप अप की अनुमति नहीं दी जाएगी।

  2. इसके ग्राहकों द्वारा बचत बैंक खाते, चालू खाते, प्रीपेड लिखत, फास्टैग, नैशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड आदि सहित अपने खातों से शेष राशि की निकासी या उपयोग की अनुमति उनकी उपलब्ध शेष राशि तक बिना किसी प्रतिबंध के जारी रहेगी (कोई परिवर्तन नहीं)।

  3. 15 मार्च 2024 (29 फरवरी 2024 की पूर्व निर्धारित समय-सीमा से बढ़ा दिया गया) के बाद ऊपर (ii) में उल्लिखित सेवाओं के अलावा कोई भी बैंकिंग सेवा, जैसे निधि अंतरण (एईपीएस, आईएमपीएस आदि जैसी सेवाओं के नाम और प्रकृति पर विचार किए बिना), बीबीपीओयू और यूपीआई सुविधा बैंक द्वारा प्रदान नहीं की जाएगी। हालाँकि, उपरोक्त (ii) (अर्थात्, ग्राहकों या वॉलेट धारकों द्वारा उपलब्ध शेष राशि की निकासी या उपयोग के लिए) के प्रयोजन हेतु, एईपीएस, आईएमपीएस और यूपीआई सहित ऐसे निधि अंतरण की अनुमति किसी भी समय दी जा सकती है।

  4. पेटीएम पेमेंट्स बैंक लिमिटेड द्वारा अनुरक्षित वन97 कम्युनिकेशंस लिमिटेड और पेटीएम पेमेंट्स सर्विसेज लिमिटेड के नोडल खातों का यथाशीघ्र, किसी भी स्थिति में 29 फरवरी 2024 से पहले (कोई परिवर्तन नहीं), समापन किया जाए।

  5. उपरोक्त मद (iv) में निर्दिष्ट नोडल खातों में सभी प्रक्रियाधीन लेनदेन (29 फरवरी 2024 को या उससे पहले शुरू किए गए सभी लेनदेन के संबंध में) का निपटान 15 मार्च 2024 तक पूरा किया जाए और उसके बाद किसी भी अन्य लेनदेन की अनुमति नहीं दी जाएगी (कोई परिवर्तन नहीं)।

3. यह निदेश भी दिया जाता है कि बैंक द्वारा उन खातों को छोड़कर, जो कानून प्रवर्तन या न्यायिक प्राधिकारियों द्वारा अवरोधित या धारणाधिकार के रूप में चिह्नित किए गए हैं, सभी खातों और वॉलेट से उनकी उपलब्ध शेषराशि तक आहरण की सुविधा प्रदान की जाए।

4. इसके अलावा, यह निदेशित किया गया है कि बैंक स्वचालित 'स्वीप-इन स्वीप-आउट' सुविधा के अंतर्गत सहभागी बैंकों के पास जमाराशि के निर्बाध आहरण की सुविधा ऐसे ग्राहकों को बिना किसी असुविधा के प्रदान करेगा।

5. पीपीबीएल के ग्राहकों और आम जनता की सुविधा के लिए अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों (एफएक्यू) की एक सूची भी इसके साथ जारी की जाती है।


(साभार- www.rbi.org.in)

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Rajanish Kant शनिवार, 17 फ़रवरी 2024
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Rajanish Kant
PayTM Payments Bank पर बहुत बड़ा एक्शन
Action against Paytm Payments Bank अगर आप पेटीएम पेमेंट्स बैंक का इस्तेमाल करते हैं या फिर आपके पास इस बैंक का शेयर है तो आपके लिए बुरी खबर है। खबर को विस्तार से जानने के लिए इस एपिसोड को अंत तक देखें।



Rajanish Kant बुधवार, 31 जनवरी 2024
PayTM Payments Bank का इस्तेमाल करने वालों के लिए जरूरी खबर

 


भारतीय रिज़र्व बैंक ने पेटीएम पेमेंट्स बैंक लिमिटेड पर मौद्रिक दंड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 10 अक्तूबर 2023 के आदेश द्वारा पेटीएम पेमेंट्स बैंक लिमिटेड (बैंक) पर 'भारतीय रिज़र्व बैंक (अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी)) निदेश, 2016', दिवस के अंत में अधिकतम शेष राशि में वृद्धि' के साथ पठित 'भुगतान बैंकों को लाइसेंस प्रदान करने संबंधी रिज़र्व बैंक के दिशा- निर्देश’, 'असामान्य साइबर सुरक्षा घटनाओं की रिपोर्टिंग संबंधी दिशानिर्देश' के साथ पठित 'बैंकों में साइबर सुरक्षा ढांचा' और 'यूपीआई पारिस्थितिकी तंत्र सहित मोबाइल बैंकिंग एप्लीकेशनों को सुरक्षित करना' संबंधी कतिपय प्रावधानों के अननुपालन के लिए 5.39 करोड़ (पाँच करोड़ उनचालीस लाख रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 46 (4) (i) के साथ पठित धारा 47 ए (1) (सी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

यह कार्रवाई विनियामकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य उक्‍त बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है।

पृष्ठभूमि

भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक की केवाईसी/एएमएल परिप्रेक्ष्य से एक विशेष जांच की गई और भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा निर्धारित लेखा परीक्षकों द्वारा बैंक का एक व्यापक प्रणालीगत लेखा-परीक्षा किया गया। विशेष जांच रिपोर्ट, व्यापक प्रणालीगत लेखा-परीक्षा और उससे संबंधित पत्राचार की जांच से अन्य बातों के साथ-साथ बैंक द्वारा निम्नलिखित की सीमा तक उपर्युक्त निदेशों के अननुपालन का पता चला (i) बैंक भुगतान सेवाएं प्रदान करने के लिए अपने साथ शामिल संस्थाओं के संबंध में लाभकारी स्वामी की पहचान करने में विफल रहा, (ii) बैंक ने भुगतान लेनदेन की निगरानी नहीं की और भुगतान सेवाओं का लाभ उठाने वाली संस्थाओं की जोखिम प्रोफाइलिंग नहीं की, (iii) बैंक ने भुगतान सेवाओं का लाभ उठाने वाले कुछ ग्राहकों के अग्रिम खातों में दिवस के अंत में शेष राशि संबंधी विनियामकीय सीमा का उल्लंघन किया, (iv) बैंक ने विलंब से साइबर सुरक्षा संबंधी घटना की सूचना दी, (v) बैंक 'एसएमएस डिलीवरी प्राप्ति जांच' से संबंधित डिवाइस बाइंडिंग नियंत्रण उपाय को लागू करने में विफल रहा, और (vi) बैंक का वी-सीआईपी अवसंरचना भारत के बाहर आईपी पते से कनेक्शन को रोकने में विफल रहा। उक्त के आधार पर, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि उक्त निदेशों, जैसा कि उसमें उल्लिखित है, के अनुपालन में विफलता के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए।

नोटिस पर बैंक के उत्तर और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि भारतीय रिज़र्व बैंक के उपरोक्त निदेशों के अननुपालन का आरोप सिद्ध हुआ है और बैंक पर मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है।


Rajanish Kant गुरुवार, 12 अक्तूबर 2023