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भारतीय रिज़र्व बैंक ने पेटीएम पेमेंट्स बैंक लिमिटेड पर मौद्रिक दंड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 10 अक्तूबर 2023 के आदेश द्वारा पेटीएम पेमेंट्स बैंक लिमिटेड (बैंक) पर 'भारतीय रिज़र्व बैंक (अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी)) निदेश, 2016', दिवस के अंत में अधिकतम शेष राशि में वृद्धि' के साथ पठित 'भुगतान बैंकों को लाइसेंस प्रदान करने संबंधी रिज़र्व बैंक के दिशा- निर्देश’, 'असामान्य साइबर सुरक्षा घटनाओं की रिपोर्टिंग संबंधी दिशानिर्देश' के साथ पठित 'बैंकों में साइबर सुरक्षा ढांचा' और 'यूपीआई पारिस्थितिकी तंत्र सहित मोबाइल बैंकिंग एप्लीकेशनों को सुरक्षित करना' संबंधी कतिपय प्रावधानों के अननुपालन के लिए 5.39 करोड़ (पाँच करोड़ उनचालीस लाख रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 46 (4) (i) के साथ पठित धारा 47 ए (1) (सी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

यह कार्रवाई विनियामकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य उक्‍त बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है।

पृष्ठभूमि

भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक की केवाईसी/एएमएल परिप्रेक्ष्य से एक विशेष जांच की गई और भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा निर्धारित लेखा परीक्षकों द्वारा बैंक का एक व्यापक प्रणालीगत लेखा-परीक्षा किया गया। विशेष जांच रिपोर्ट, व्यापक प्रणालीगत लेखा-परीक्षा और उससे संबंधित पत्राचार की जांच से अन्य बातों के साथ-साथ बैंक द्वारा निम्नलिखित की सीमा तक उपर्युक्त निदेशों के अननुपालन का पता चला (i) बैंक भुगतान सेवाएं प्रदान करने के लिए अपने साथ शामिल संस्थाओं के संबंध में लाभकारी स्वामी की पहचान करने में विफल रहा, (ii) बैंक ने भुगतान लेनदेन की निगरानी नहीं की और भुगतान सेवाओं का लाभ उठाने वाली संस्थाओं की जोखिम प्रोफाइलिंग नहीं की, (iii) बैंक ने भुगतान सेवाओं का लाभ उठाने वाले कुछ ग्राहकों के अग्रिम खातों में दिवस के अंत में शेष राशि संबंधी विनियामकीय सीमा का उल्लंघन किया, (iv) बैंक ने विलंब से साइबर सुरक्षा संबंधी घटना की सूचना दी, (v) बैंक 'एसएमएस डिलीवरी प्राप्ति जांच' से संबंधित डिवाइस बाइंडिंग नियंत्रण उपाय को लागू करने में विफल रहा, और (vi) बैंक का वी-सीआईपी अवसंरचना भारत के बाहर आईपी पते से कनेक्शन को रोकने में विफल रहा। उक्त के आधार पर, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि उक्त निदेशों, जैसा कि उसमें उल्लिखित है, के अनुपालन में विफलता के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए।

नोटिस पर बैंक के उत्तर और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि भारतीय रिज़र्व बैंक के उपरोक्त निदेशों के अननुपालन का आरोप सिद्ध हुआ है और बैंक पर मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है।


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