भारतीय रिज़र्व बैंक ने ग्लोमोर फाइनेंस प्राइवेट लिमिटेड, ओडिशा पर मौद्रिक दंड लगाया
भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने दिनांक 13 नवंबर 2025 के आदेश द्वारा ग्लोमोर फाइनेंस प्राइवेट लिमिटेड, ओडिशा (कंपनी) पर आरबीआई द्वारा जारी ‘मास्टर निदेश – भारतीय रिज़र्व बैंक (गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी – मान आधारित विनियमन) निदेश, 2023’ संबंधी कतिपय प्रावधानों के अननुपालन के लिए ₹4.00 लाख (चार लाख रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 58बी की उपधारा (5) के खंड (एए) के साथ पठित धारा 58जी की उपधारा (1) के खंड (बी) के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।
कंपनी में एक निदेशक की नियुक्ति से जुड़े आरबीआई और कंपनी के बीच पत्राचार से पता चला कि आरबीआई के निदेशों का पालन नहीं किया गया है। इसके आधार पर, कंपनी को एक नोटिस जारी किया गया, जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि उक्त निदेशों के अनुपालन में विफलता के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए। नोटिस पर कंपनी के उत्तर, व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान की गई मौखिक प्रस्तुतियों और उनके द्वारा की गई अतिरिक्त प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक ने, अन्य बातों के साथ-साथ, यह पाया कि कंपनी के विरुद्ध निम्नलिखित आरोप सिद्ध हुआ है, जिसके लिए मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है:
कंपनी प्रबंध तंत्र में बदलाव करने के लिए आरबीआई से पूर्व लिखित अनुमति लेने में विफल रही, जिसके कारण स्वतंत्र निदेशकों को छोड़कर, उसके 30 प्रतिशत से अधिक निदेशक बदल गए।
यह कार्रवाई, विनियामकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य कंपनी द्वारा किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है। इसके अलावा, इस मौद्रिक दंड को लगाने से भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा कंपनी के विरुद्ध की जाने वाली किसी भी अन्य कार्रवाई पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।
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