भारतीय रिज़र्व बैंक बुलेटिन – अगस्त 2025
आज, रिज़र्व बैंक ने अपने मासिक बुलेटिन का अगस्त 2025 अंक जारी किया। इस बुलेटिन में मौद्रिक नीति वक्तव्य, तीन भाषण, पाँच आलेख और वर्तमान सांख्यिकी शामिल हैं।
पांच आलेख हैं: I. अर्थव्यवस्था की स्थिति; II. निजी कॉर्पोरेट निवेश: 2024-25 में संवृद्धि और 2025-26 के लिए संभावना; III. इक्विटी म्यूचुअल फंड: भारत के बचत परिदृश्य में बदलाव; IV. ईवी नीतियां और दोपहिया ईवी अपनाना: भारतीय राज्यों से साक्ष्य; और V. बागवानी विविधीकरण: कृषि सुदृढ़ता का मार्ग।
I. अर्थव्यवस्था की स्थिति
अमेरिकी व्यापार नीतियों पर जारी अनिश्चितता ने जुलाई और अगस्त के दौरान वैश्विक समष्टि-आर्थिक परिदृश्य को प्रभावित किया। जुलाई में घरेलू आर्थिक गतिविधियाँ सभी क्षेत्रों में मिश्रित रहीं। समय पर मानसून की प्रगति ने खरीफ की बुवाई को बढ़ावा दिया है। जहाँ औद्योगिक गतिविधियाँ धीमी रहीं, वहीं विनिर्माण क्षेत्र में विस्तार हुआ और सेवा क्षेत्र ने संवृद्धि की गति को बनाए रखा। जुलाई में लगातार नौवें महीने हेडलाइन मुद्रास्फीति में गिरावट दर्ज की गई। वित्तीय स्थितियाँ अनुकूल रहीं और घरेलू आर्थिक गतिविधियों के लिए सहायक रहीं। एसएंडपी द्वारा भारत की सॉवरेन रेटिंग में सुधार, भविष्य में पूँजी अंतर्वाह और सॉवरेन प्रतिफल के लिए शुभ संकेत है।
II. निजी कॉर्पोरेट निवेश: 2024-25 में संवृद्धि और 2025-26 के लिए संभावना
स्निग्धा योगिन्द्रन, सुक्ति खांडेकर, राजेश बी कावेडिया और आलोक घोष द्वारा
अर्थव्यवस्था में समग्र निवेश प्रवृत्ति को संचालित करने में निजी कॉर्पोरेट क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। निजी कॉर्पोरेट द्वारा घोषित पूंजीगत व्यय (कैपेक्स) योजनाओं के चरणबद्ध कार्यान्वयन से संबंधित आंकड़ों के आधार पर, यह आलेख उनके निवेश संबंधी उद्देश्यों का आकलन करता है और निकट भविष्य की संभावना संबंधी अंतर्दृष्टि प्रदान करता है।
मुख्य बातें:
परियोजनाओं की कुल लागत के साथ-साथ बैंकों और वित्तीय संस्थानों (एफआई) द्वारा स्वीकृत परियोजनाओं की संख्या में पिछले वर्ष की तुलना में 2024-25 के दौरान कमी आई है, जो निजी कॉरपोरेट्स का निवेश के प्रति कमजोर आशावाद को दर्शाता है।
अवसंरचना क्षेत्र ने अनुमानित पूंजी निवेश का बड़ा हिस्सा आकर्षित करना जारी रखा, जिसमें मुख्य भूमिका ‘विद्युत’ उद्योग की रही।
वित्तपोषण के सभी चैनलों पर आधारित पाइपलाइन परियोजनाओं की चरणबद्ध रूपरेखा से पता चलता है कि परिकल्पित पूंजीगत व्यय 2025-26 में ₹2,67,432 करोड़ होने का अनुमान है, जबकि 2024-25 में यह ₹2,20,132 करोड़ था।
III. इक्विटी म्यूचुअल फंड: भारत के बचत परिदृश्य में बदलाव
मयंक गुप्ता, सत्यम कुमार, अभिनंदन बोराड़, सुब्रत कुमार सीत और प्रतिभा केडिया द्वारा
यह आलेख भारत में घरेलू बचत के उभरते परिदृश्य की जांच करता है और खुदरा निवेशकों के बीच इक्विटी म्यूचुअल फंड (एमएफ़) को एक प्रमुख निवेश विकल्प के रूप में अपनाने की बढ़ती प्रवृत्ति पर प्रकाश डालता है। यह निवेशक के व्यवहार में संरचनात्मक बदलाव और इक्विटी म्यूचुअल फंड में निवेश प्रवाह को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारकों का एक व्यापक विश्लेषण प्रस्तुत करता है। मज़बूत संवृद्धि के बावजूद, भारत का म्यूचुअल फंड उद्योग, वैश्विक मानकों की तुलना में अपेक्षाकृत छोटा बना हुआ है, जो आगे विस्तार की पर्याप्त संभावना को दर्शाता है।
मुख्य बातें:
पिछले दशक में, घरेलू वित्तीय बचत प्राथमिकताओं में उल्लेखनीय बदलाव आया है, तथा इक्विटी-उन्मुख लिखतों, विशेष रूप से इक्विटी म्यूचुअल फंडों की ओर झुकाव बढ़ा है।
अध्ययन में भारत में इक्विटी म्यूचुअल फंड प्रवाह के महत्वपूर्ण चालकों के रूप में बढ़ते वित्तीय समावेशन (डीमैट खातों द्वारा प्रदर्शित), सापेक्ष बाजार रिटर्न और कारोबारी विश्वास की पहचान की गई है।
अनुभवजन्य विश्लेषण से पता चलता है कि वास्तविक जीडीपी संवृद्धि में इक्विटी म्यूचुअल फंड प्रवाह के बारे में पूर्वानुमानित जानकारी निहित होती है।
चूंकि खुदरा सहभागिता, विशेष रूप से छोटे शहरों और महिला निवेशकों के बीच, बढ़ रही है, इसलिए म्यूचुअल फंड क्षेत्र के सतत और समावेशी संवृद्धि को सुनिश्चित करने के लिए निवेशक जागरूकता, वित्तीय साक्षरता और विवेकपूर्ण विनियामक निरीक्षण पर निरंतर जोर देने की आवश्यकता है।
IV. ईवी नीतियां और दोपहिया ईवी अपनाना: भारतीय राज्यों से साक्ष्य
अटल सिंह, सत्यम कुमार, अभ्युदय हर्ष और तिस्ता तिवारी द्वारा
2024-25 में भारत में लगभग तीन-चौथाई वाहन पंजीकरण दोपहिया वाहनों (2W) से संबंधित होंगे, इसलिए यह आवश्यक है कि इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) को बढ़ावा देने के उद्देश्य से की जाने वाली किसी भी पहल में देश के डीकार्बोनाइजेशन लक्ष्यों को पूरा करने के लिए 2W-EV को अपनाने पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए। इस संदर्भ में, यह शोधपत्र 2W-EV को अपनाने पर राज्य स्तरीय EV प्रोत्साहन नीतियों के प्रभाव की अनुभवजन्य जांच करता है।
मुख्य बातें:
राज्य स्तर पर सहायक नीतियां (जैसे वित्तीय प्रोत्साहन, कर छूट और चार्जिंग बुनियादी ढांचे में निवेश) 2W-EV को अपनाने को बढ़ावा देती हैं।
अपनाने की दरों में क्षेत्रीय असमानता मौजूद है, तथा दक्षिणी और पश्चिमी राज्यों में अपनाने की दर अधिक है, जिसका आंशिक कारण बेहतर चार्जिंग बुनियादी ढांचा और ईवी नीतियों का शीघ्र विकास है।
मध्यम नीतिगत समर्थन के साथ भी मजबूत चार्जिंग बुनियादी ढांचे से 2W-EV को अपनाने में वृद्धि हो सकती है।
V. बागवानी विविधीकरण: कृषि सुदृढ़ता का मार्ग
शिवम द्वारा
यह लेख पिछले तीन दशकों (1992-93 से 2022-23) में कृषि संवृद्धि के स्रोत की जांच करता है और कृषि के समग्र संवृद्धि में विभिन्न फसलों के योगदान को मापता है। इस अध्ययन में छोटे किसानों के लिए विविधीकरण आधारित विकास के निहितार्थों की जांच की गई है तथा इससे जुड़ी चुनौतियों पर चर्चा की गई है।
मुख्य बातें:
पिछले तीन दशकों में कृषि संवृद्धि मुख्य रूप से प्रतिफल में सुधार, बागवानी में विविधीकरण और फसल की गहनता में वृद्धि से प्रेरित रहा है।
बागवानी के प्रमुख घटक फल और सब्जियां लगातार उच्च संवृद्धि दर दर्शाती हैं और सकल मूल्य उत्पादन में महत्वपूर्ण योगदान देती हैं।
छोटे और सीमांत किसानों को इन प्रवृत्तियों से लाभ हुआ है और वे बागवानी के लिए तेजी से भूमि आवंटित कर रहे हैं।
चुनौतियों में प्रतिफल की अनिश्चितता, कटाई के बाद अपर्याप्त भंडारण और कीमतों में उतार-चढ़ाव शामिल हैं। राष्ट्रीय बागवानी मिशन, बागवानी क्लस्टर विकास बोर्ड, कृषि अवसंरचना कोष, प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यमों का औपचारिकीकरण और ऑपरेशन ग्रीन्स जैसी सरकारी पहल इन चुनौतियों का समाधान कर रही हैं।
बुलेटिन के आलेखों में व्यक्त विचार लेखकों के हैं और यह भारतीय रिज़र्व बैंक के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं।
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(साभार- www.rbi.org.in)
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