देश का केंद्रीय बैंक भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक पॉलिसी कमिटी ने आज यानी 7 जून को तीन दिनों की बैठक के बाद प्रमुख दरों को लेकर अपना फैसला सुना दिया है। आरबीआई ने रेपो रेट को 6.50 प्रतिशत पर स्थिर रखा है। आरबीआई ने पिछले साल फरवरी यानी फरवरी 2023 से ही बेलगाम महंगाई दर को देखते हुए रेपो रेट को 6.50 प्रतिशत पर स्थिर रख रहा है। आरबीआई मौद्रिक कमिटी की बैठक 5 जून को शुरू हुई थी।
आरबीआई का कहना है कि ये निर्णय विकास को समर्थन देते हुए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) मुद्रास्फीति के लिए +/- 2 प्रतिशत के दायरे में 4 प्रतिशत के मध्यम अवधि लक्ष्य को प्राप्त करने के उद्देश्य के अनुरूप हैं।
जानकार पहले से ही कह रहे थे कि आरबीआई बढ़ती महंगाई दर और मजबूत जीडीपी ग्रोथ को देखते हुए एक बार फिर से रेपो रेट को 6.50 प्रतिशत पर जस का तस रख सकता है। अब जबकि रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया है तो बैंक द्वारा भी लोन की ब्याज दरों में कटौती या बढ़ोतरी की संभावना नहीं के बराबर है। यानी आपके होम लोन की ईएमआई जस की तस रहने वाली है।
आपको बता दूं कि इस साल अप्रैल में खुदरा महंगाई दर (सीपीआई) 11 महीने के निचले स्तर 4.83 प्रतिशत पर पहुंच गई थी, जबकि मार्च में यह 4.85 प्रतिशत थी।
वहीं देश की जीडीपी ग्रोथ की बात करें तो सरकार ने जानकारी दी है कि वित्त वर्ष 2023-24 में जीडीपी 8.2 प्रतिशत रहा है। सरकार ने साथ ही इस साल भी मजबूत जीडीपी ग्रोथ रहने का अनुमान जताया है।
> RBI की मौजूदा दरें
नीति रिपो दर | : 6.50% |
स्थायी जमा सुविधा दर | : 6.25% |
सीमांत स्थायी सुविधा दर | : 6.75% |
बैंक दर | : 6.75% |
प्रत्यावर्तनीय रिपो दर | : 3.35% |
सीआरआर: 4.50%
- एमपीसी ने कहा कि अप्रैल 2024 में हुई इसकी पिछली बैठक के बाद से घरेलू संवृद्धि-मुद्रास्फीति संतुलन में अनुकूल रूप से प्रगति हुई है। घरेलू मांग के समर्थन से आर्थिक गतिविधि आघात-सहनीय बनी हुई है। निवेश की मांग में तेजी आ रही है और निजी खपत में बहाली के संकेत मिल रहे हैं। यद्यपि, मूल मुद्रास्फीति धीरे-धीरे कम हो रही है, जो इसके मूल घटक में नरमी के कारण है, लेकिन प्रतिकूल मौसम की घटनाओं के कारण अस्थिर और उच्च खाद्य मुद्रास्फीति के कारण अवस्फीति का मार्ग बाधित हो रहा है। मुद्रास्फीति, बाद में पलटने से पहले, अनुकूल आधार प्रभाव के कारण 2024-25 की दूसरी तिमाही के दौरान अस्थायी रूप से लक्ष्य से कम होने की आशा है। मुद्रास्फीति को लक्ष्य तक लाने और उसे स्थिर करने के लिए, मौद्रिक नीति को खाद्य मूल्य दबावों से मूल मुद्रास्फीति और मुद्रास्फीति प्रत्याशाओं तक के प्रभाव विस्तारों के प्रति सतर्क रहना होगा। एमपीसी मुद्रास्फीति को धारणीय आधार पर 4 प्रतिशत के लक्ष्य के अनुरूप लाने की अपनी प्रतिबद्धता में दृढ़ रहेगी। तदनुसार, एमपीसी ने इस बैठक में नीतिगत रेपो दर को 6.50 प्रतिशत पर यथावत रखने का निर्णय लिया। एमपीसी ने अवस्फीतिकारक रुख को तब तक जारी रखने की आवश्यकता दोहराई, जब तक कि हेडलाइन सीपीआई मुद्रास्फीति धारणीय रूप से लक्ष्य के साथ संरेखित नहीं हो जाती है। टिकाऊ मूल्य स्थिरता उच्च संवृद्धि की धारणीय अवधि के लिए मजबूत नींव रखती है। अतः, एमपीसी ने निभाव को वापस लेने पर ध्यान केंद्रित रखने का भी निर्णय लिया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मुद्रास्फीति उत्तरोत्तर संवृद्धि को समर्थन प्रदान करते हुए लक्ष्य के साथ संरेखित हो।
- डॉ. शशांक भिडे, डॉ. राजीव रंजन, डॉ. माइकल देवब्रत पात्र और श्री शक्तिकान्त दास ने नीतिगत रेपो दर को 6.50 प्रतिशत पर यथावत् रखने के लिए वोट किया। डॉ. आशिमा गोयल और प्रो. जयंत आर. वर्मा ने नीतिगत रेपो दर को 25 आधार अंकों तक कम करने के लिए वोट किया।
- डॉ. शशांक भिडे, डॉ. राजीव रंजन, डॉ. माइकल देवब्रत पात्र और श्री शक्तिकान्त दास ने निभाव को वापस लेने पर ध्यान केंद्रित रखने के लिए वोट किया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मुद्रास्फीति उतरोत्तर संवृद्धि को समर्थन प्रदान करते हुए लक्ष्य के साथ संरेखित हो। डॉ. आशिमा गोयल और प्रो. जयंत आर. वर्मा ने रुख को तटस्थ के रूप में बदलने के लिए वोट किया।
- एमपीसी की इस बैठक का कार्यवृत्त 21 जून 2024 को प्रकाशित किया जाएगा।
- एमपीसी की अगली बैठक 6 से 8 अगस्त 2024 के दौरान निर्धारित है।
(साभार- www.rbi.org.in)
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