RBI Policy: लोन ग्राहकों को राहत, RBI ने रेपो रेट को 6.50% पर जस का तस रखा II MPC Meet II beyourmoneymanager II








उम्मीद के मुताबिक देश का केंद्रीय बैंक भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने रेपो रेट को 6.50% पर जस का तस रखा है। ये लगातार तीसरी पॉलिसी बैठक है, जिसमें रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया है। आरबीआई ने 8 अगस्त से शुरू हुई तीन दिनों की बैठक के बाद आज रेट में कोई बदलाव नहीं करने की घोषणा की। 

ज्यादातर जानकार मान रहे थे कि RBI MPC ब्याज दर को जस का तस रखेगी। हालांकि, ब्याज दर की घोषणा करते समय हाल के दिनों में बेकाबू होती महंगाई दर पर भी नजर रखी जाएगी। 

RBI ने महंगाई दर को 2-6 प्रतिशत के दायरे में रखते हुए 4 प्रतिशत तक रखने का लक्ष्य तय किया है। हालांकि जून में खुदरा महंगाई दर 4.81 प्रतिशत पर पहुंच गई थी।

फरवरी 2022 से मई 2023 तक रेपो रेट में 250 प्रतिशत की बढ़ोतरी की जा चुकी है। हालांकि, पिछली दो बैठक से रेपो रेट को जस का तस रखा जा रहा है। 

 > RBI की मौजूदा दर : (Source: www.rbi.org.in)

नीति रिपो दर: 6.50%
स्थायी जमा सुविधा दर: 6.25%
सीमांत स्‍थायी सुविधा दर: 6.75%
बैंक दर: 6.75%
प्रत्‍यावर्तनीय रिपो दर: 3.35%
सीआरआर : 4.50%
एसएलआर : 18.00%

अगर महंगाई दर को देखते हुए उस पर काबू करने के लिए रेपो रेट में फिर से बढ़ोतरी की जाती, तो बैंक द्वारा लोन और महंगा करने की संभावना बढ़ जाती, लेकिन रेट को जस का तस रखने की स्थिति में कर्जदारों को कुछ हद तक कर्ज का बोझ बढ़ने की आशंका से राहत मिल सकती है। 

इसी बीच, आरबीआई गवर्नर डॉ. शक्तिकांत दास ने भारतीय विकास दर को संतोषजनक बताते हुए खुशी जताई है। 

मौद्रिक नीति वक्तव्य, 2023-24
मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) का संकल्प
8-10 अगस्त 2023

वर्तमान और उभरती समष्टिआर्थिक परिस्थिति का आकलन करने के आधार पर मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने आज (10 अगस्त 2023) अपनी बैठक में यह निर्णय लिया है कि:

  • चलनिधि समायोजन सुविधा (एलएएफ) के अंतर्गत नीतिगत रेपो दर को 6.50 प्रतिशत पर यथावत् रखा जाए।

स्थायी जमा सुविधा (एसडीएफ) दर 6.25 प्रतिशत तथा सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) दर और बैंक दर 6.75 प्रतिशत पर यथावत् बनी हुई है।

  • एमपीसी ने निभाव को वापस लेने पर ध्यान केंद्रित रखने का भी निर्णय लिया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मुद्रास्फीति उतरोत्तर संवृद्धि को समर्थन प्रदान करते हुए लक्ष्य के साथ संरेखित हो।

ये निर्णय, संवृद्धि को समर्थन प्रदान करते हुए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) मुद्रास्फीति को +/- 2 प्रतिशत के दायरे में रखते हुए 4 प्रतिशत का मध्यावधि लक्ष्य हासिल करने के अनुरूप है।

इस निर्णय में अंतर्निहित मुख्य विचार नीचे दिए गए विवरण में व्यक्त किए गए हैं।

आकलन

वैश्विक अर्थव्यवस्था

2. सामान्य लेकिन लक्ष्य से अधिक मुद्रास्फीति, तंग वित्तीय स्थितियों, धीमी भू-राजनीतिक संघर्षों और भू-आर्थिक विखंडन के बीच वैश्विक अर्थव्यवस्था धीमी हो रही है और विभिन्न क्षेत्रों में संवृद्धि के प्रक्षेपवक्र भिन्न हो रहे हैं। सॉवरेन बांड प्रतिफल सख्त हो गया है। मौद्रिक सख्ती के चक्र के जल्दी ख़त्म होने की उम्मीद में जुलाई के मध्य में अमेरिकी डॉलर 15 महीने के निचले स्तर पर गिर गया, हालाँकि बाद में इसने कुछ नुकसान की भरपाई कर ली। वैश्विक अर्थव्यवस्था में नरमी की उम्मीद से इक्विटी बाजारों में तेजी आई है। कई उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं के लिए, कमजोर बाहरी मांग, उच्च ऋण स्तर और सख्त बाह्य निधीयन स्थितियां उनकी संवृद्धि की संभावनाओं के लिए जोखिम उत्पन्न करती हैं।

घरेलू अर्थव्यवस्था

3. घरेलू आर्थिक गतिविधि आघात-सहनीयता बनाए हुए है। 9 अगस्त 2023 तक संचयी दक्षिण-पश्चिम मानसून वर्षा, दीर्घकालिक औसत के समान थी, हालांकि अस्थायी और स्थानिक वितरण असमान रहा है। 4 अगस्त 2023 तक खरीफ फसलों की बुवाई का कुल क्षेत्रफल एक वर्ष पहले की तुलना में 0.4 प्रतिशत अधिक था। औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) मई में 5.2 प्रतिशत बढ़ा, जबकि जून में मुख्य उद्योगों का उत्पादन 8.2 प्रतिशत बढ़ा। उच्च आवृत्ति संकेतकों के बीच, ई-वे बिल और टोल संग्रह में जून-जुलाई में जोरदार वृद्धि हुई, जबकि रेल माल ढुलाई और बंदरगाह यातायात जून में कम रहने के बाद जुलाई में ठीक हो गया। संमिश्रित क्रय प्रबंधक सूचकांक (पीएमआई) जुलाई में 13 वर्ष के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया।

4. घरेलू हवाई यात्री यातायात के कारण शहरी मांग मजबूत बनी हुई है और घरेलू ऋण निरंतर दोहरे अंक की वृद्धि प्रदर्शित कर रहा है। हालाँकि, यात्री वाहनों की बिक्री की संवृद्धि में कमी आई है। ग्रामीण मांग की स्थिति के मामले में, जून में ट्रैक्टर की बिक्री में सुधार हुआ जबकि दोपहिया वाहनों की बिक्री में कमी आई। सीमेंट उत्पादन और इस्पात खपत में मजबूत वृद्धि दर्ज की गई। पूंजीगत वस्तुओं का आयात और उत्पादन में विस्तार की स्थिति जारी रही। जून में पण्य निर्यात और तेल से इतर स्वर्ण से इतर आयात, संकुचन क्षेत्र में रहे। बाहरी मांग में कमी के बीच सेवा निर्यात में धीमी वृद्धि दर्ज की गई।

5. हेडलाइन सीपीआई मुद्रास्फीति मई में 4.3 प्रतिशत से बढ़कर जून में 4.8 प्रतिशत हो गई, जो मुख्य रूप से सब्जियों, अंडे, मांस, मछली, अनाज, दालों और मसालों की ऊंची कीमतों के कारण खाद्य समूह की गतिकी से संचालित थी। मई-जून के दौरान ईंधन मुद्रास्फीति में नरमी आई, जो मुख्य रूप से केरोसीन की कीमतों में गिरावट को दर्शाती है। जून में मूल मुद्रास्फीति (अर्थात्, खाद्य और ईंधन को छोड़कर सीपीआई) स्थिर थी।

6. एलएएफ के अंतर्गत चलनिधि का दैनिक अवशोषण जून-जुलाई के दौरान औसतन 1.8 लाख करोड़ रहा, जबकि अप्रैल-मई में यह 1.7 लाख करोड़ था। 28 जुलाई 2023 को मुद्रा आपूर्ति (एम3) में वर्ष-दर-वर्ष आधार पर 10.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि 19 मई 2023 को यह 10.1 प्रतिशत थी। 28 जुलाई 2023 को बैंक ऋण में वर्ष-दर-वर्ष आधार पर 14.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि 19 मई 2023 को यह 15.4 प्रतिशत थी। 4 अगस्त 2023 को भारत का विदेशी मुद्रा आरक्षित निधि 601.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर था।

संभावना

7. आगे चलकर, सब्जियों, विशेषकर टमाटर, की कीमतों में बढ़ोत्तरी, सन्निकट हेडलाइन मुद्रास्फीति प्रक्षेपवक्र पर बृहद ऊर्ध्वगामी दबाव डालेगी। हालाँकि, बाज़ार में ताज़ा आवक के साथ इस उछाल में कमी आने की संभावना है। जुलाई में मानसून और ख़रीफ़ बुआई की प्रगति में उल्लेखनीय सुधार हुआ है; हालाँकि, वर्षा के असमान वितरण के प्रभाव की सावधानीपूर्वक निगरानी की आवश्यकता है। उत्पादन में कटौती के बीच कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोत्तरी हुई है। रिज़र्व बैंक के उद्यम सर्वेक्षण में शामिल विनिर्माण, सेवाएँ और अवसंरचना फर्मों को उम्मीद है कि इनपुट लागत कम होगी लेकिन उत्पादन कीमतें सख्त होंगी। इन कारकों को ध्यान में रखते हुए और सामान्य मानसून का अनुमान लगाते हुए, सीपीआई मुद्रास्फीति 2023-24 के लिए 5.4 प्रतिशत, जोकि दूसरी तिमाही में 6.2 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 5.7 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 5.2 प्रतिशत होने का अनुमान है, जिसमें जोखिम समान रूप से संतुलित हैं। 2024-25 की पहली तिमाही के लिए सीपीआई मुद्रास्फीति 5.2 प्रतिशत अनुमानित है (चार्ट 1)।

8. आगे चलकर, ख़रीफ़ की बुआई और ग्रामीण आय में सुधार, सेवाओं में उछाल और उपभोक्ता आशावाद से घरेलू खपत को समर्थन मिलना चाहिए। बैंकों और कॉरपोरेट्स का सुदृढ़ तुलन-पत्र, आपूर्ति शृंखला सामान्यीकरण, व्यापार आशावाद और मजबूत सरकारी पूंजीगत व्यय, पूंजीगत व्यय चक्र के नवीनीकरण के लिए अनुकूल हैं जो वैविध्यपूर्ण होने के संकेत दे रहा है। हालाँकि, कमज़ोर वैश्विक माँग, वैश्विक वित्तीय बाज़ारों में अस्थिरता, भू-राजनीतिक तनाव और भू-आर्थिक विखंडन से उत्पन्न प्रतिकूल परिस्थितियाँ, संभावना के लिए जोखिम उत्पन्न करती हैं। इन सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए, 2023-24 के लिए वास्तविक जीडीपी वृद्धि 6.5 प्रतिशत रही, जोकि पहली तिमाही में 8.0 प्रतिशत; दूसरी तिमाही में 6.5 प्रतिशत; तीसरी तिमाही में 6.0 प्रतिशत; और चौथी तिमाही में 5.7 प्रतिशत पर रहने का अनुमान है, जिसमें जोखिम समान रूप से संतुलित हैं। 2024-25 की पहली तिमाही के लिए वास्तविक जीडीपी वृद्धि 6.6 प्रतिशत अनुमानित है (चार्ट 2)।

Chart 1

9. प्रतिकूल मौसम की स्थिति के कारण आपूर्ति में व्यवधान के कारण आने वाले महीनों में हेडलाइन मुद्रास्फीति में बढ़ोत्तरी होने की संभावना है। उचित रूप से कार्य करने की तत्परता के साथ इन आघातों के प्रति सतर्क रहना महत्वपूर्ण है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कीमतों के सामान्य स्तर पर उनका प्रभाव जारी न रहे। अब तक विषम दक्षिण-पश्चिम मानसून के प्रभाव, अल नीनो संभावित घटना और भू-राजनीतिक संघर्षों के कारण वैश्विक खाद्य कीमतों पर बढ़ते दबाव से जोखिम हैं। कमजोर बाहरी मांग के दबाव के बावजूद घरेलू मांग के समर्थन से घरेलू आर्थिक गतिविधि अच्छी चल रही है। एमपीसी द्वारा अर्थव्यवस्था में अपना प्रभाव डालने के लिए 250 आधार अंकों की संचयी दर वृद्धि के कारण, एमपीसी ने नीतिगत रेपो दर को 6.50 प्रतिशत पर यथावत् रखने का निर्णय लिया है, लेकिन यदि स्थिति अनुकूल हो तो नीतिगत प्रतिक्रिया देने की तैयारी के साथ। एमपीसी उभरते मुद्रास्फीति परिदृश्य पर कड़ी निगरानी बनाए रखेगी और मुद्रास्फीति को लक्ष्य के अनुरूप लाने और मुद्रास्फीति की उम्मीदों को नियंत्रित करने की अपनी प्रतिबद्धता पर दृढ़ रहेगी। एमपीसी ने निभाव को वापस लेने पर ध्यान केंद्रित रखने का भी निर्णय लिया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मुद्रास्फीति उतरोत्तर संवृद्धि को समर्थन प्रदान करते हुए लक्ष्य के साथ संरेखित हो।

10. एमपीसी के सभी सदस्य - डॉ. शशांक भिड़े, डॉ. आशिमा गोयल, प्रो. जयंत आर. वर्मा, डॉ. राजीव रंजन, डॉ. माइकल देवब्रत पात्र और श्री शक्तिकान्त दास ने सर्वसम्मति से नीतिगत रेपो दर को 6.50 प्रतिशत पर यथावत् रखने के लिए वोट किया।

11. डॉ. शशांक भिड़े, डॉ. आशिमा गोयल, डॉ. राजीव रंजन, डॉ. माइकल देवब्रत पात्र और श्री शक्तिकान्त दास ने निभाव को वापस लेने पर ध्यान केंद्रित रखने के लिए वोट किया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मुद्रास्फीति उतरोत्तर संवृद्धि को समर्थन प्रदान करते हुए लक्ष्य के साथ संरेखित हो। प्रो. जयंत आर. वर्मा ने संकल्प के इस हिस्से पर आपत्ति जताई।

12. एमपीसी की बैठक का कार्यवृत्त 24 अगस्त 2023 को प्रकाशित किया जाएगा।

13. एमपीसी की अगली बैठक 4-6 अक्तूबर 2023 के दौरान निर्धारित है।



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