भारतीय रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर सं.06/2023: क्या कोविड-19 ने परिवारों को अलग तरह से प्रभावित किया? उपभोक्ता विश्वास में विविधता को समझना
भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज अपनी वेबसाइट पर भारतीय रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर शृंखला1 के अंतर्गत "क्या कोविड-19 ने परिवारों को अलग तरह से प्रभावित किया? उपभोक्ता विश्वास में विविधता को समझना" शीर्षक से एक वर्किंग पेपर जारी किया। पेपर का सह-लेखन सौरज्योति सरदार, अनिर्बन सान्याल और तुषार बी दास ने किया है।भारतीय रिज़र्व बैंक के उपभोक्ता विश्वास सर्वेक्षण से घरेलू स्तर के डेटा का उपयोग करते हुए, यह पेपर भारतीय परिवारों पर कोविड-19 के विविध प्रभाव को सर्वेक्षण में शामिल पांच मापदंडों को, अर्थात् आर्थिक स्थिति, रोजगार, मूल्य स्तर, आय, और व्यय के संदर्भ में सामने लाता है।
पेपर वर्तमान धारणाओं में परिवार-स्तर की विविधता को परिलक्षित करता है और अव्यक्त वर्ग विश्लेषण (एलसीए) का उपयोग करके पांच मापदंडों में भविष्य की संभावना के बारे में आकलन करता है। यह महामारी-पूर्व अवधि की तुलना में महामारी की पहली और दूसरी लहर के दौरान चार अव्यक्त वर्गों में विचलन का आकलन करता है।
यह विश्लेषण बताता है कि:
महामारी के दौरान सभी अव्यक्त वर्गों (शहर के आधार पर समूहीकृत, अर्थात् सर्वेक्षण केंद्र; परिवारों की वार्षिक आय; उत्तरदाताओं की व्यवसाय श्रेणी; और समय, अर्थात, कोविड-19 पहली दो लहरों की चरम अवधि से संबंधित सर्वेक्षण दौर) में वर्तमान आर्थिक स्थितियों के प्रति उपभोक्ताओं की धारणा में गिरावट आई थी, लेकिन भविष्य की संभावना कुछ हद तक आशावादी थी।
वर्तमान आय और रोजगार की स्थिति और यहां तक कि इन मापदंडों की भावी संभावना के लिए सभी अव्यक्त वर्गों की धारणा बिगड़ रही थी।
परिवारों का खर्च करने का तरीका, कीमतों के दबाव और उनकी एहतियाती बचत से प्रभावित था।
1 भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर शृंखला की शुरुआत मार्च 2011 में की थी। ये पेपर भारतीय रिज़र्व बैंक के स्टाफ सदस्यों और कभी-कभी बाहरी सह-लेखकों, जब अनुसंधान संयुक्त रूप से किया जाता है, के अनुसंधान की प्रगति पर शोध प्रस्तुत करते हैं। इन्हें टिप्पणियों और अतिरिक्त चर्चा के लिए प्रसारित किया जाता है। इन पेपरों में व्यक्त विचार लेखकों के हैं और जरूरी नहीं कि वे जिस संस्थान (संस्थाओं) से संबंधित हैं, उनके विचार हों। अभिमत और टिप्पणियां कृपया लेखकों को भेजी जाएं। इन पेपरों के उद्धरण और उपयोग में इनके अनंतिम स्वरूप का ध्यान रखा जाए।
(साभार: www.rbi.org.in)
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