एसबीआई ने 30 लाख रुपये तक के आवास ऋण पर ब्याज दर 0.05 प्रतिशत घटाई

भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा नीतिगत ब्याज दर में कमी किए जाने के एक दिन बाद ही देश के सबसे बड़े बैंक सार्वजनिक क्षेत्र के भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने 30 लाख रुपये तक के सभी आवास ऋणों पर ब्याज दर में 0.05 प्रतिशत की कटौती करने की शुक्रवार को घोषणा की। 

एसबीआई ने शुक्रवार को जारी बयान में कहा कि उसने गृह रिण पर ब्याज पांच आधार अंक (0.05 प्रतिशत अंक) घटा दी है। 

बैंक ने कहा, ‘ रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति की घोषणा के तुरंत पश्चात हमने सबसे पहले बैंक हैं जिसने 30 लाख रुपए तक के गृह रिण पर ब्याज घटाया है।’ बैंक ने कहा है कि उसने कम और मध्यम आयवर्ग के लोगों के फायदे को ध्यान में रख कर यह निर्णय किया है। 

भारतीय रिजर्व बैंक ने बृहस्पतिवार को चालू वित्त वर्ष की अंतिम द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा में रेपो दर को 0.25 प्रतिशत घटा कर 6.25 प्रतिशत कर दिया है। 

इसके बाद से माना जा रहा है कि वाणिज्यिक बैंक भी अपने कर्ज को सस्ता करेंगे। 

एसबीआई के चेयरमैन रजनीश कुमार ने कहा कि देश के सबसे बड़े बैंक के नाते हम हमेशा ग्राहकों के हित को सबसे आगे रखते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘आवास ऋण बाजार में एसबीआई की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा है। ऐसे में यह उचित होगा कि हम केंद्रीय बैंक द्वारा दरों में कटौती का लाभ एक बड़े निम्न और मध्यम आय वर्ग को उपलब्ध कराएं।’’ 

सार्वजनिक क्षेत्र का एसबीआई संपत्ति, जमा, शाखा, ग्राहक और कर्मचारियों की संख्या के लिहाज से देश का सबसे बड़ा बैंक है। 30 सितंबर, 2018 तक बैंक के पास 28.07 लाख करोड़ रुपये की जमाएं थीं। कासा अनुपात 45.27 प्रतिशत का तथा ऋण 20.69 लाख करोड़ रुपये का था। 

आवास ऋण बाजार में एसबीआई की हिस्सेदारी 34.28 प्रतिशत तथा वाहन ऋण बाजार में 34.27 प्रतिशत है। 


(सौ. पीटीआई भाषा)
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Rajanish Kant शुक्रवार, 8 फ़रवरी 2019
सरकार ने नियम बदले, कर्मचारियों के लिए शेयर, एमएफ में निवेश के खुलासे की सीमा बढ़ाई

केंद्र सरकार ने कर्मचारियों के लिए शेयरों और म्यूचुअल फंडों में निवेश के खुलासे की सीमा बढ़ा दी है। कार्मिक मंत्रालय की ओर से जारी आदेश के अनुसार अब यह सीमा बढ़ाकर कर्मचारियों के छह माह के मूल वेतन के बराबर होगी। खुलासे की पुरानी मौद्रिक सीमा 26 साल से अधिक पुरानी है। 

पहले के नियमों के अनुसार समूह ए और समूह बी के अधिकारियों को शेयरों, प्रतिभूतियों, डिबेंचरों या म्यूचुअल फंड योजनाओं में एक कैलेंडर साल में 50,000 रुपये से अधिक का लेनदेन करने पर उसका खुलासा करना होता था। समूह सी और समूह डी के कर्मचारियों के लिए यह ऊपरी सीमा 25,000 रुपये थी। 

सरकार ने अब फैसला किया है कि अब सभी कर्मचारियों को शेयरों, प्रतिभूतियों, डिबेंचर और म्यूचुअल फंड योजनाओं में अपने निवेश की सूचना तभी देनी होगी जबकि एक कैलेंडर साल में यह निवेश उनके छह माह के मूल वेतन को पार कर जाए। मंत्रालय ने इस बारे में बृहस्पतिवार को केंद्र सरकार के सभी विभागों को आदेश जारी किया है। 

प्रशासनिक अधिकारी इस तरह के लेनदेन पर निगाह रख सकें इसके मद्देनजर सरकार ने कर्मचारियों को इस ब्योरे को साझा करने के बारे में प्रारूप भी जारी किया है। 

सेवा नियम कहते हैं कि कोई भी सरकारी कर्मचारी किसी शेयर या अन्य निवेश में सटोरिया गतिविधियां नहीं कर सकता। 

सेवा नियमों में यह भी स्पष्ट किया गया है कि यदि किसी कर्मचारी द्वारा शेयरों, प्रतिभूतियों और अन्य निवेश की गई बार खरीद बिक्री की जाती है तो उसे सटोरिया गतिविधि माना जाएगा। 

कार्मिक मंत्रालय ने कहा कि कर्मचारियों द्वारा इस तरह शेयर ब्रोकर या किसी अन्य अधिकृत व्यक्ति के जरिये यदा कदा किए जाने वाले निवेश की अनुमति है। 

अधिकारियों ने कहा कि यह कदम उठाने की जरूरत इसलिए महसूस हुई है कि सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने के बाद सरकारी कर्मचारियों के वेतन में इजाफा हुआ है। 

सरकार ने स्पष्ट किया है कि ताजा खुलासा पहले से कर्मचारियों के लिए सेंट्रल सिविल सर्विसेज या सीसीएस (कंडक्ट) नियम, 1964 के तहत खुलासे की जरूरत के अतिरिक्त होगा।


(सौ. पीटीआई भाषा)
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Rajanish Kant
आयातित एवं निर्यात वस्तुओं से संबंधित विदेशी मुद्रा विनिमय दर अधिसूचित, कल से लागू
सीमा शुल्क अधिनियम, 1962 (1962 का 52) की धारा 14 द्वारा प्रदत्त अधिकारों का उपयोग करते हुए केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीईसी) ने सं. 05/2019-कस्‍टम्स (एन.टी.)दिनांक 17जनवरी, 2019 की अधिसूचना के पश्‍चात अनुसूची-और अनुसूची-II में दर्ज प्रत्येक विदेशी मुद्रा,जिसका उल्‍लेख कॉलम (2) में किया गया हैकी नई विनिमय दर निर्धारित की है जो आयात और निर्यात वस्तुओं के संदर्भ में कॉलम (3) में की गयी तत्संबंधी प्रविष्टि के अनुसार 08 फरवरी, 2019से प्रभावी होंगी।
अनुसूची- I
क्रम संख्याविदेशी मुद्राभारतीय रुपये के समतुल्‍य विदेशी मुद्रा की
प्रत्‍येक इकाई की विनिमय दर
  • 1)
(2)(3)
()(बी)
(आयातित वस्‍तुओं के लिए)(निर्यात वस्‍तुओं के लिए)
1.ऑस्ट्रेलियाई डॉलर
52.15
50.00
2.बहरीन दीनार
196.65
184.45
3.कैनेडियन डॉलर
55.25
53.25
4.चाइनीज युआन
10.80
10.45
5.डेनिश क्रोनर
11.15
10.75
6.यूरो
83.00
80.00
7.हांगकांग डॉलर
9.30
9.00
8.कुवैती दीनार
244.55
229.05
9.न्यूजीलैंड डॉलर
49.75
47.55
10.नॉर्वेजियन क्रोनर
8.55
8.25
11.पौंड स्टर्लिंग
94.45
91.15
12.कतरी रियाल
20.35
19.10
13.सऊदी अरब रियाल
19.75
18.55
14.सिंगापुर डॉलर
53.90
52.05
15.दक्षिण अफ्रीकी रैंड
5. 50
5.15
16.स्वीडिश क्रोनर
7.95
7.65
17.स्विस फ्रैंक
73.00
70.25
18.तुर्की लीरा
14.15
13.30
19.यूएई दिरहम
20.20
18.95
20.अमेरिकी डॉलर
72.65
70.95

अनुसूची-II

क्रम संख्याविदेशी मुद्राभारतीय रुपये के समतुल्‍य विदेशी मुद्रा की
प्रति 100 इकाइयों की विनिमय दर
  • 1)
(2)(3)
()(बी)
(आयातित वस्‍तुओं के लिए)(निर्यात वस्‍तुओं के लिए)
1.जापानी येन
66.60
64.10
2.कोरियाई वॉन
6.60
6.20



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Rajanish Kant गुरुवार, 7 फ़रवरी 2019
थोक जमा (बल्क डिपॉजिट- Bulk deposit) का दायरा बढ़ा, महीने के अंत में जारी होंगे दिशा-निर्देश-आरबीआई
विकासात्‍मक और विनियामक नीतियों पर वक्तव्य
यह वक्तव्य विनियमन और पर्यवेक्षण को मजबूत करने; वित्तीय बाजारों के विस्तार और सघनता; भुगतान और निपटान प्रणाली; और, वित्तीय समावेशन के लिए विभिन्न विकासात्मक और विनियामक नीति उपायों को निर्धारित करता है।
I. विनियमन और पर्यवेक्षण
1. रिज़ॉल्यूशन आवेदकों के लिए बाहरी वाणिज्यिक उधार (ईसीबी) ढांचे में छूट
मौजूदा ईसीबी ढांचे के तहत, ईसीबी की आय जिसे विदेशी मुद्रा या भारतीय रुपये (आईएनआर) में नामित किया जाता है,को घरेलू रूपए ऋण के पुनर्भुगतान के लिए उधार या पुनर्भुगतान के लिए उपयोग करने की अनुमति नहीं है। दिवाला और ऋणशोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी), 2016 के तहत कॉरपोरेट ऋणशोधन अक्षमता समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी) के अंतर्गत रिज़ॉल्यूशन आवेदक को मौजूदा उधारदाताओं को चुकाने के लिए विदेश में उधार लेना आकर्षक लग सकता है। उपरोक्त को देखते हुए, सीआईआरपी के अंतर्गत रिज़ॉल्यूशन आवेदकों के लिए ईसीबी ढाचे के अनुमोदित मार्ग के तहत एंड-युज़ प्रतिबंधों में छूट देने का प्रस्ताव है और उन्हें लक्ष्य कंपनी के रूपया ऋणों के पुनर्भुगतान के लिए ईसीबी आय का उपयोग करने की अनुमति देना है। भारतीय बैंकों की विदेशी शाखाओं / सहायक कंपनियों को छोड़कर ऐसे ईसीबी का लाभ मौजूदा ईसीबी ढांचे के अंतर्गत सभी पात्र ऋणदाताओं द्वारा उठाया जा सकता है। इस संबंध में दिशानिर्देश फरवरी 2019 के अंत तक जारी किए जाएंगे।
2. थोक जमा पर निर्देशों की समीक्षा
वर्तमान निर्देशों के अनुसार, बैंकों को अपनी आवश्यकताओं और आस्ति- देयताएं प्रबंधन (एएलएम) अनुमानों के अनुसार थोक जमा पर ब्याज की अंतर दर की पेशकश करने का अधिकार भी दिया गया है। इस संबंध में निर्देश,की समीक्षा पिछली बार जनवरी 2013 में की गई,जिसमें "थोक जमा" को 1 करोड़ और उससे अधिक के एकल रुपए जमा के रूप में परिभाषित किया गया। जमा बढ़ाने में बैंकों की परिचालन स्वतंत्रता को बढ़ाने के उद्देश्य से, यह प्रस्तावित है
  1. 2 करोड़ और उससे अधिक के एकल रुपए जमा के रूप में थोक जमा की परिभाषा को संशोधित किया जाए; तथा,
  2. इसके बाद बैंक पर्यवेक्षी समीक्षा के लिए कोर बैंकिंग प्रणाली में अपने थोक जमा ब्याज दर कार्ड बनाए रखेंगे।
इस संबंध में दिशानिर्देश फरवरी 2019 के अंत तक जारी किए जाएंगे।
3. शहरी सहकारी बैंकों के लिए एकछत्र(अंब्रैला) संगठन
पूंजीगत धन जुटाने के लिए संरचना, आकार, अवसर की कमी और प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों (यूसीबी) के संचालन का सीमित क्षेत्र उनकी वित्तीय कमजोरियों को बढ़ाता है। यूसीबी क्षेत्र को वित्तीय रूप से लचीला बनाने और जमाकर्ताओं के आत्मविश्वास को बढ़ाने के लिए एक दीर्घकालिक समाधान के रूप में एकछत्र संगठन (यूओ) का गठन करना है जैसा कि कई देशों में प्रचलित है। यूओ, अपने सदस्य यूसीबी को चलनिधि और पूंजी समर्थन प्रदान करने के अलावा, सदस्यों से साझा उपयोग के लिए सूचना और प्रौद्योगिकी (आईटी) बुनियादी ढाँचा स्थापित करने की भी अपेक्षा करेगा ताकि वे अपेक्षाकृत कम लागत पर संचार प्रौद्योगिकी सूचना के क्षेत्र में अपनी सेवाओं को व्यापक बना सकें। यूओ फंड प्रबंधन और अन्य परामर्श सेवाओं को भी प्रदान कर सकता है।
यूसीबी क्षेत्र के लिए यूओ के गठन का विचार पहली बार वर्ष 2006 में यूसीबी की पूंजी के संवर्द्धन पर रिजर्व बैंक द्वारा स्थापित कार्यदल (अध्यक्ष: श्री एन. एस. विश्वनाथन) द्वारा किया गया था। इसे 2009 में शहरी सहकारी बैंकों के एकछत्र संगठन पर कार्यदल और रिवाइवल फंड के गठन (अध्यक्ष: श्री वी एस दास) और वर्ष 2011 में नए शहरी सहकारी बैंकों के लाइसेंस पर विशेषज्ञ समिति (अध्यक्ष: श्री वाई एच मालेगाम) द्वारा अधिक विस्तार से जांचा गया था। वर्ष 2015 में यूसीबी (अध्यक्ष: श्री आर गांधी) पर उच्चाधिकार समिति द्वारा यूओ की आवश्यकता पर भी जोर दिया गया है।
रिज़र्व बैंक को नेशनल फेडरेशन ऑफ़ अर्बन कोऑपरेटिव बैंक्स एंड क्रेडिट सोसाइटीज़ लिमिटेड (एनएएफसीयूबी) से यूओ स्थापित करने का प्रस्ताव मिला है। रिजर्व बैंक द्वारा यूओ प्रस्ताव की बारीकियों पर निर्णय जल्द ही लिया जाएगा।
4. गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) को रेटेड जोखिमों के लिए जोखिम भार
बासल III पूंजी विनियमावली पर मौजूदा दिशा-निर्देशों के तहत आस्ति फाइनेंस कंपनियों (एएफसी), गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों – इंफ्रास्ट्रचर वित्त कंपनियां (एनबीएफसी-आईएफसी) और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां – इंफ्रास्ट्रचर विकास फंड (एनबीएफसी-आईडीएफ) के अलावा रेटेड साथ ही अनरेटेड जमा स्वीकार न करनेवाली प्रणालीगत रूप से महत्वपूर्ण गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी-एनडी-एसआई) पर बैंकों के एक्सपोजर / दावों को समान रूप से 100% पर जोखिम भारित करना होगा। सही रेटिंगवाली एनबीएफसी के लिए ऋण के प्रवाह को सुगम बनाने की दृष्टि से , अब यह निर्णय लिया गया है कि कोर निवेश कंपनियों (सीआईसी) को छोड़कर सभी एनबीएफसी के लिए बैंकों का रेटेड एक्सपोजर प्रत्याशित रेटिंग एजेंसियों द्वारा प्रदान की गई रेटिंग के अनुसार उसी तरीके से जोखिम-भारित किया जाएगा जैसा कि कॉरपोरेटो के मामले मे किया जाता है।सीआईसी के लिए एक्सपोजर 100% पर जोखिम भारित बना रहेगा। इस संबंध में दिशानिर्देश फरवरी 2019 के अंत तक जारी किए जाएंगे।
5. एनबीएफसी श्रेणियों का सं‍गतिकरण
विशिष्ट क्षेत्र / आस्ति वर्गों से संबंधित एनबीएफसी की विभिन्न श्रेणियां पिछले कुछ समय के साथ विकसित हुई हैं।प्रत्येक एनबीएफसी श्रेणी के लिए लगाए गए विनियम भी कुछ भिन्न हैं। वर्तमान में, ऐसी बारह श्रेणियां हैं। छोटे कारोबार और निम्न आय वाले परिवारों के लिए व्यापक वित्तीय सेवाओं पर समिति (अध्यक्ष:डॉ.नचिकेत मोर) और आंतरिक समिति (अध्यक्ष: श्री जी.पद्मनाभन), जिन्होंने क्रमशः जनवरी 2014 और अप्रैल 2014 में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की थी, ने एनबीएफसी की विभिन्न श्रेणियों के सं‍गतिकरण की सिफारिश की थी। रिज़र्व बैंक इस तरह के सं‍गतिकरण के लिए प्रतिबद्ध है और एनबीएफसी क्षेत्र के लिए वर्तमान इकाई-आधारित विनियमन की जगह गतिविधि-आधारित विनियमन की ओर बढ़ने के लिए प्रतिबद्ध है। इस दिशा में पहले कदम के रूप में, नवंबर 2014 में जमा स्वीकृति विनियमों का सं‍गतिकरण किया गया था । इसके अलावा, ईसीबी मानदंडों के हाल के युक्तिकरण और उदारीकरण के साथ,एनबीएफसी की विभिन्न श्रेणियों के लिए लागू विभिन्न नियम सं‍गतिकृत हैं।
अब क्रेडिट इंटरमीडिएट, अर्थात, आस्ति फाइनेंस कंपनियों (एएफसी), ऋण कंपनियों और निवेश कंपनियों में लगी एनबीएफसी की प्रमुख श्रेणियों को एक ही श्रेणी में शामिल करने का निर्णय लिया गया है। मौजूदा श्रेणियों का प्रस्तावित विलय करने से कई श्रेणियों से उत्पन्न होने वाली जटिलताएं काफी हद तक कम हो जाएगी और यह एनबीएफसी को उनके परिचालन में अधिक से अधिक लचीलापन प्रदान करेगा। यह संख्या में 99% एनबीएफसी को कवर करेगा। इस संबंध में दिशानिर्देश फरवरी 2019 के अंत तक जारी किए जाएंगे।
II. वित्तीय बाजार
6. निवासियों और गैर-निवासियों के लिए विदेशी मुद्रा डेरिवेटिव सुविधाएं (विनियमन फेमा -25)
गैर-निवासियों और निवासियों द्वारा विदेशी मुद्रा जोखिम के हेज़िग के लिए मौजूदा सुविधाओं की समीक्षा क्रमशः फरवरी 2018 और अगस्त 2018 में मौद्रिक नीति वक्तव्यों में विकासात्मक और विनियामक नीतियों पर विवरण में घोषित की गई थी। उक्त समीक्षाएं की गई।
समीक्षा के बाद, संशोधित दिशा-निर्देशों का एक डाफ्ट्र टिप्पणी प्राप्त करने के लिए सार्वजनिक डोमेन में डाला जा रहा है। मसौदा निर्देश अन्य बातों के साथ, सभी उपयोगकर्ताओं के लिए एकल एकीकृत सुविधा में निवासियों और गैर-निवासियों के लिए सुविधाओं का विलय करने का, उपयोगकर्ताओं को अपनी पसंद के किसी भी उपकरण का उपयोग करके लचीले ढंग से हेज़ करने के लिए वैध अंतर्निहित जोखिम की अनुमति देने का, विदेशी मुद्रा जोखिम के लिए प्रत्याशित जोखिम को रोकने की क्षमता का परिचय देने का, और विदेशी मुद्रा डेरिवेटिव की पेशकश करने के लिए अधिकृत डीलरों के लिए प्रक्रियाओं को सरल बनाने का प्रस्ताव करते हैं । संशोधित दिशानिर्देशों पर डाफ्ट्र परिपत्र फरवरी 2019 के अंत तक जारी किया जाएगा।
7. ऑफशोर रुपी मार्केट पर कार्य बल
भारतीय रुपये में अपतटीय हित को देखते हुए, गैर-निवासियों को धीरे-धीरे घरेलू बाजार में अपनी हेजिंग आवश्यकताओं के लिए प्रोत्साहन देने के लिए हैं रिज़र्व बैंक के नीतिगत प्रयास जारी है । इसी समय, अपनी मुद्रा जोखिमों को हेज़ करने के लिए डेरिवेटिव बाजारों में निवासियों के एक्सेस में सुधार करने की आवश्यकता है । विदेशी मुद्रा बाजार के क्रमिक उद्घाटन की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए और प्रतिभागियों और विचारों की एक विस्तृत श्रृंखला से लाभ उठाने के लिए, ऑफशोर रुपी मार्केट पर कार्य बल स्थापित करने का प्रस्ताव है। कार्य बल ऑफशोर रुपी मार्केट से संबंधित मुद्दों की गहराई से जांच करेगा और उचित नीतिगत उपायों की सिफारिश करेगा जो रुपये के बाहरी मूल्य की स्थिरता को सुनिश्चित करने की आवश्यकता के लिए भी कारक है। फरवरी 2019 के अंत तक कार्य बल की रचना और विचारार्थ विषय के बारे में अगला विवरण अलग से जारी किया जाएगा।
8. ब्याज दर डेरिवेटिव निर्देशों को युक्तिसंगत बनाना
रिज़र्व बैंक ने, समय-समय पर, विभिन्न ब्याज दर डेरिवेटिव उत्पादों जैसे कि ब्याज दर स्वैप (आईआरएस), फॉरवर्ड रेट एग्रीमेंट (एफआरए), ब्याज दर भविष्य (आईआरएफ), ब्याज दर विकल्प (आईआरओ) और मनी मार्केट फ्यूचर (एमएमएफ) से संबंधित विनियमनों को जारी किया था। डेरिवेटिव पर व्यापक दिशानिर्देश 2007 में उपयोगकर्ताओं और बाजार निर्माताओं की भूमिकाओं और जिम्मेदारियों को स्पष्ट रूप से परिभाषित करने के लिए जारी किए गए थे। हालांकि, ओवरनाइट इंडेक्सेड स्वैप (आईओएस) को छोड़कर, इन डेरिवेटिव बाजारों में गतिविधि काफी सूक्ष्म और सीमित रही है । अन्य कारणों से, इसने भारतीय वित्तीय क्षेत्र में ब्याज दर डेरिवेटिव के सीमित उपयोग में योगदान दिया है। इनमें से कुछ विनियमों की समीक्षा लगभग दो दशकों (1999 के आईआरएस / एफआरए दिशानिर्देश) से भी नहीं की गई है। इसलिए, भारतीय अर्थव्यवस्था में ब्याज दर जोखिम के प्रबंधन के लिए एक संपन्न वातावरण को बढ़ावा देने के अंतिम उद्देश्य के साथ स्थिरता और पहुंच को आसान बनाने के लिए ब्याज दर डेरिवेटिव नियमों को युक्तिसंगत बनाने का प्रस्ताव है। मार्च 2019 के अंत तक सार्वजनिक प्रतिक्रिया के लिए व्यापक दिशानिर्देश जारी किए जाएंगे।
9. वित्तीय बेंचमार्क का विनियमन
इसे रिजर्व बैंक द्वारा नियमित वित्तीय उत्पादों और बाजारों से संबंधित बेंचमार्क प्रक्रियाओं के अभिशासन में सुधार के लिए वित्तीय बेंचमार्क के लिए एक विनियामक ढांचा पेश करने के लिए 05 अक्टूबर 2018 की चौथी द्वि-मासिक मौद्रिक नीति वक्तव्य में विकासात्मक और विनियामकीय नीतियों पर वक्तव्य में प्रस्तावित किया गया था। सार्वजनिक परामर्श के लिए डाफ्ट्र दिशानिर्देश जारी किए जा रहे हैं।
10. कॉरपोरेट ऋण में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) द्वारा निवेश
अप्रैल 2018 में कॉर्पोरेट ऋण में किए गए एफपीआई निवेश की समीक्षा के एक हिस्से के रूप में, यह निर्धारित किया गया था कि किसी भी एफपीआई के पास अपने कॉरपोरेट बॉन्ड पोर्टफोलियो के 20 प्रतिशत से अधिक एकल कॉरपोरेट के लिए एक्सपोज़र नहीं होगा (कॉरपोरेट से संबंधित संस्थाओं के एक्सपोज़र सहित)।
एफपीआई को अपने पोर्टफोलियो को समायोजित करने के लिए मार्च 2019 तक अपने नए निवेश पर इस आवश्यकता से छूट दी गई थी। हालांकि यह प्रावधान एफपीआई को परिसंपत्तियों के पोर्टफोलियो को बनाए रखने के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से किया गया था, लेकिन आगे बाजार प्रतिक्रिया से संकेत मिलता है कि एफपीआई को बाधित कर रही है। भारतीय कॉर्पोरेट ऋण बाजार तक एक्सेस के लिए निवेशकों के व्यापक स्पेक्ट्रम को प्रोत्साहित करने के लिए, अब इस प्रावधान को वापस लेने का प्रस्ताव है। इस आशय का एक परिपत्र फरवरी 2019 के मध्य तक जारी किया जाएगा ।
III. भुगतान और निपटान प्रणाली
11. भुगतान गेटवे सेवा प्रदाताओं और भुगतान एग्रीगेटर्स का विनियमन
रिजर्व बैंक ने नवंबर 2009 में भुगतान गेटवे प्रदाताओं और भुगतान एग्रीगेटर जैसे बिचौलियों के नोडल खातों के रखरखाव के बारे में निर्देश जारी किए थे। "भुगतान और निपटान प्रणाली - विजन 2018" दस्तावेज़ में, रिज़र्व बैंक ने संकेत दिया था कि ऐसी संस्थाओं की बढ़ती भूमिका और महत्व को देखते हुए, इन दिशानिर्देशों को संशोधित किया जाएगा। तदनुसार, रिजर्व बैंक भुगतान गेटवे सेवा प्रदाताओं और भुगतान एग्रीगेटर्स को विनियमित करने की आवश्यकता और व्यवहार्यता की जांच कर रहा है। हितधारकों के परामर्श के लिए इन संस्थाओं के भुगतान संबंधी गतिविधियों को कवर करने वाले व्यापक दिशानिर्देशों पर एक चर्चा पत्र पब्लिक डोमेन में प्रस्‍तुत किया जाएगा।
IV. वित्तीय समावेशन
12. कृषि ऋण की समीक्षा के लिए कार्य समूह
पिछले कुछ वर्षों में कृषि ऋण वृद्धि महत्वपूर्ण बनी रही है। इसके बावजूद, कृषि ऋण से संबंधित प्रश्‍न जैसे कि क्षेत्रीय असमानता, कवरेज की सीमा, आदि भी बने रहे हैं। पूंजी निर्माण के लिए दीर्घकालिक कृषि ऋण को अधिक गहरा करने का भी प्रश्‍न है। इन मुद्दों की जांच करने और व्यावहारिक समाधान और नीतिगत पहल करने के लिए, रिज़र्व बैंक द्वारा कृषि ऋण की समीक्षा के लिए एक आंतरिक कार्य समूह (आईडब्‍लयूजी) का गठन किया गया है।
13. संपार्श्विक मुक्त कृषि ऋण-सीमा का संवर्धन
वर्तमान में बैंकों को-1 लाख तक संपार्श्विक-मुक्त कृषि ऋण प्रदान करना अनिवार्य है। 1 लाख की यह सीमा वर्ष 2010 में तय की गई थी। तब से समग्र मुद्रास्फीति और कृषि इनपुट लागत में वृद्धि को ध्यान में रखते हुए, संपार्श्विक-मुक्त कृषि ऋण की सीमा को  1 लाख से  ​​1.6 तक बढ़ाने का निर्णय लिया गया है। इससे औपचारिक ऋण प्रणाली में छोटे और सीमांत किसानों के कवरेज में वृद्धि होगी। इस आशय का परिपत्र शीघ्र ही जारी किया जाएगा।


(सौ. आरबीआई)
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