RBI Meeting: FD कराने वालों को झटका, लोन ग्राहकों को राहत

 FD कराने वालों को झटका, लोन ग्राहकों को राहत 




मौद्रिक नीति वक्तव्य, 2025-26
मौद्रिक नीति समिति का संकल्प
3 से 5 दिसंबर 2025

मौद्रिक नीति निर्णय

मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की 58वीं बैठक 3 से 5 दिसंबर 2025 तक श्री संजय मल्होत्रा, गवर्नर, भारतीय रिज़र्व बैंक ​​की अध्यक्षता में आयोजित की गई। एमपीसी के सदस्य डॉ. नागेश कुमार, श्री सौगत भट्टाचार्य, प्रो. राम सिंह, डॉ. पूनम गुप्ता और श्री इन्द्रनील भट्टाचार्य बैठक में शामिल हुए।

2. उभरते समष्टि आर्थिक और वित्तीय घटनाक्रमों तथा संभावना का विस्तृत मूल्यांकन करने के बाद, एमपीसी ने सर्वसम्मति से चलनिधि समायोजन सुविधा (एलएएफ) के अंतर्गत नीतिगत रेपो दर को 5.25 प्रतिशत तक घटाने का निर्णय लिया। परिणामस्वरूप, स्थायी जमा सुविधा (एसडीएफ) दर 5.00 प्रतिशत, तथा सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) दर और बैंक दर 5.50 प्रतिशत पर समायोजित रहेगी। एमपीसी ने तटस्थ रुख बनाए रखने का भी निर्णय लिया।

संवृद्धि और मुद्रास्फीति की संभावना

3. वैश्विक अर्थव्यवस्था अपेक्षित से बेहतर ढंग से चल रही है, हालांकि पूर्व प्रारंभिक व्यापार सामान्य होने के लक्षण दिखा रहे हैं। अमेरिकी सरकार के शट डाउन समाप्त होने और व्यापार करारों पर प्रगति के बाद अनिश्चितता कुछ कम हुई है, लेकिन यह अभी भी उच्च स्तर पर बनी हुई है। वैश्विक मुद्रास्फीति की गतिशीलता असमान बनी हुई है, जिसमें अधिकांश प्रमुख उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में मुद्रास्फीति लक्ष्य से ऊपर चल रही है। अमेरिकी डॉलर ने मुख्य रूप से सुरक्षित आश्रय मांग के कारण मजबूती दिखाई जबकि खज़ाना प्रतिफल सीमित दायरे में रहा। इक्विटी बाजार अभी भी अस्थिर हैं, जो मौद्रिक नीति संभावना पर बदलते दृष्टिकोण और टेक स्टॉक्स में अतिरिक्त मूल्यांकन के बारे में चिंताओं से प्रेरित हैं।

4. भारत में, वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) ने 2025-26 की दूसरी तिमाही में छह तिमाहियों के उच्चत्तम संवृद्धि दर 8.2 प्रतिशत दर्ज की, जो वैश्विक व्यापार और नीतिगत अनिश्चितताओं के बीच सुदृढ़ घरेलू मांग पर आधारित थी। आपूर्ति की ओर से, वास्तविक योजित सकल मूल्य (जीवीए) 8.1 प्रतिशत तक बढ़ा, जिसमें औद्योगिक और सेवा क्षेत्रों में तेजी से मदद मिली। वित्त वर्ष की पहली छमाही के दौरान आर्थिक गतिविधि, आयकर और माल एवं सेवा कर (जीएसटी) सुधार, कम कच्चे तेल की कीमतों, प्रारंभिक सरकारी पूंजीगत व्यय, और सौम्य मुद्रास्फीति द्वारा समर्थित अनुकूल मौद्रिक और वित्तीय परिस्थितियों से लाभान्वित हुई।

5. उच्च-आवृत्ति संकेतकों से पता चलता है कि तीसरी तिमाही में घरेलू आर्थिक गतिविधि बनी हुई है, हालांकि कुछ अग्रणी संकेतकों में कमजोरी के उभरते संकेत हैं। अक्तूबर-नवंबर के दौरान जीएसटी सुधार और त्योहार-संबंधी व्यय ने घरेलू मांग का समर्थन किया। ग्रामीण मांग लगातार मजबूत बनी हुई है जबकि शहरी मांग लगातार बढ़ रही है। निवेश गतिविधि स्वस्थ बनी हुई है, जिसमें गैर-खाद्य बैंक ऋण में विस्तार और उच्च क्षमता उपयोग के कारण निजी निवेश में गति आ रही है। बाहरी मांग में कमी और साथ में सौम्य सेवा निर्यात से अक्तूबर में पण्य निर्यात में तेजी से गिरावट आई। आपूर्ति की ओर से, स्वस्थ खरीफ फसल उत्पादन, उच्च जलाशय स्तर और बेहतर रबी फसल बुआई के कारण कृषि संवृद्धि समर्थित है। विनिर्माण गतिविधि में सुधार जारी है, और सेवा क्षेत्र स्थिर गति बनाए हुए हैं।

6. आगे, स्वस्थ कृषि संभावनाएं, जीएसटी सुधार का लगातार प्रभाव, सौम्य मुद्रास्फीति, निगमों और वित्तीय संस्थानों के स्वस्थ तुलन-पत्र और अनुकूल मौद्रिक एवं वित्तीय परिस्थितियां जैसे घरेलू कारक आर्थिक गतिविधि का समर्थन जारी रखेंगे। चल रही सुधार पहलें संवृद्धि को और अधिक सुविधाजनक बनाएंगी। बाहरी मोर्चे पर, सेवा निर्यात संभवतः मजबूत बने रहेंगे, जबकि पण्य निर्यात कुछ चुनौतियों का सामना करेंगे। बाहरी अनिश्चितताएं, संभावना के लिए लगातार अधोगामी जोखिम उत्पन्न कर रही हैं, जबकि चल रही व्यापार और निवेश वार्ताओं का शीघ्र समापन ऊर्ध्वगामी संभाव्यता प्रस्तुत करता है। इन सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए, 2025-26 के लिए वास्तविक जीडीपी संवृद्धि 7.3 प्रतिशत रही, जिसमें यह तीसरी तिमाही में 7.0 प्रतिशत; और चौथी तिमाही में 6.5 प्रतिशत रही। 2026-27 की पहली तिमाही के लिए वास्तविक जीडीपी संवृद्धि 6.7 प्रतिशत और दूसरी तिमाही में 6.8 प्रतिशत (चार्ट 1) अनुमानित है। जोखिम संतुलित हैं।

7. अक्तूबर 2025 में हेडलाइन सीपीआई मुद्रास्फीति अब तक के सबसे निचले स्तर पर आ गयी। मुद्रास्फीति में अपेक्षा से तेज गिरावट, खाद्य मूल्यों में सुधार के कारण हुई, जो सितंबर-अक्तूबर के महीनों में समान्यतः देखी जाने वाली प्रवृत्ति के विपरीत थी। मूल मुद्रास्फीति (खाद्य और ईंधन को छोड़कर सीपीआई हेडलाइन) सितंबर-अक्तूबर में अधिकांशतः नियंत्रित रही, भले ही कीमती धातुओं द्वारा लगातार मूल्य दबाव बना रहा। स्वर्ण को छोड़कर, मूल मुद्रास्फीति अक्तूबर में 2.6 प्रतिशत तक कम हो गई। समग्र रूप से, मुद्रास्फीति में गिरावट अधिक सामान्य हो गई है।

8. मुद्रास्फीति की संभावना पर विचार करते हुए, अधिक खरीफ उत्पादन, स्वस्थ रबी बुवाई, पर्याप्त जलाशय स्तर और अनुकूल मिट्टी की नमी के कारण खाद्य आपूर्ति के दृष्टिकोण अच्छे बने हुए हैं। कुछ धातुओं को छोड़कर, अंतरराष्ट्रीय कमोडिटी मूल्यों में आगे चलकर गिरावट आने की संभावना है। समग्र रूप से, मुद्रास्फीति अक्तूबर में अनुमानित स्तर से अधिक नर्म होने की संभावना है, मुख्य रूप से खाद्य मूल्यों में गिरावट के कारण। इन सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए, 2025-26 के लिए सीपीआई मुद्रास्फीति अब 2.0 प्रतिशत पर अनुमानित है, जिसमें तीसरी तिमाही के लिए 0.6 प्रतिशत और चौथी तिमाही के लिए 2.9 प्रतिशत होगी। 2026-27 की पहली तिमाही और दूसरी तिमाही के लिए सीपीआई मुद्रास्फीति क्रमशः 3.9 प्रतिशत और 4.0 प्रतिशत पर अनुमानित है (चार्ट 2)। वास्तव में, अंतर्निहित मुद्रास्फीति दबाव और भी कम हैं क्योंकि कीमती धातुओं के मूल्य में वृद्धि का प्रभाव लगभग 50 आधार अंक (बीपीएस) है। जोखिम संतुलित हैं।

Chart 1 and 2

मौद्रिक नीति संबंधी निर्णयों का औचित्य

9. एमपीसी ने पाया कि हेडलाइन मुद्रास्फीति में काफी कमी आई है और यह संभवतः पहले के अनुमानों से कम होगी, मुख्य रूप से असाधारण रूप से अनुकूल खाद्य मूल्यों के कारण। इन अनुकूल परिस्थितियों को देखते हुए, 2025-26 और 2026-27 की पहली तिमाही में औसत हेडलाइन मुद्रास्फीति के लिए अनुमानों को आगे घटाया गया है। मूल मुद्रास्फीति, जो 2024-25 की पहली तिमाही से लगातार बढ़ रही थी, 2025-26 की दूसरी तिमाही में सीमित रूप से कम हुई है और आगे की अवधि में स्थिर रहने की आशा है। हेडलाइन और मूल मुद्रास्फीति दोनों को 2026-27 के पहले अर्ध वर्ष में लगभग 4 प्रतिशत लक्ष्य के आसपास रहने की उम्मीद है। अंतर्निहित मुद्रास्फीति दबाव और भी कम हैं क्योंकि कीमती धातुओं के मूल्य में वृद्धि का प्रभाव लगभग 50 बीपीएस है। संवृद्धि, हालांकि आघात-सह बनी हुई है, थोड़ी कम होने की उम्मीद है।

10. इस प्रकार, संवृद्धि-मुद्रास्फीति संतुलन, विशेष रूप से हेडलाइन और मूल दोनों पर अनुकूल मुद्रास्फीति संभावना, संवृद्धि गति का समर्थन करने के लिए नीतिगत समय प्रदान करता रहा है। तदनुसार, एमपीसी ने एकमत रूप से नीतिगत रेपो दर को 25 बीपीएस से कम करके 5.25 प्रतिशत तक करने का निर्णय लिया। एमपीसी ने तटस्थ रुख जारी रखने का भी निर्णय लिया। हालांकि, प्रो. राम सिंह का मत था कि रुख को तटस्थ से निभावकारी में बदल दिया जाना चाहिए।

11. एमपीसी की बैठक के कार्यवृत्त 19 दिसंबर 2025 को प्रकाशित किए जाएंगे।

12. एमपीसी की अगली बैठक 4 से 6 फरवरी 2025 के दौरान निर्धारित है।

(साभार- www.rbi.org.in)

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Rajanish Kant शुक्रवार, 5 दिसंबर 2025
LIC की नई पॉलिसियां-Protection Plus Plan 886 & Bima Kavach Plan 887| कौन...
LIC New PlansProtection Plus Plan 886 & Bima Kavach Plan 887 LIC ने 2025 में दो नई पॉलिसियाँ लॉन्च की हैं — LIC Protection Plus Plan 886 और LIC Bima Kavach Plan 887। यह वीडियो इन दोनों प्लानों की डिटेल को आसान भाषा और स्टोरी फॉर्म में समझाता है। इस वीडियो में आप सीखेंगे: ✔ Protection Plus Plan 886 क्या है? ✔ Bima Kavach 887 किसके लिए बेस्ट है? ✔ Entry Age, Maturity Age, PPT और TermMinimum व Maximum Sum AssuredDeath Benefit OptionsTop-up, Fund Value, Riders आदि की पूरी जानकारी ✔ तुलना करके बताएंगे कि कौन-सा प्लान किसके लिए सही है? अगर आप कम प्रीमियम में ज्यादा सुरक्षा और लंबे समय की फाइनेंशियल स्टेबिलिटी चाहते हैं, तो यह वीडियो आपके लिए बहुत उपयोगी है। 📌 Important: वीडियो केवल शैक्षिक उद्देश्य के लिए है। किसी भी प्लान को खरीदने से पहले LIC की आधिकारिक वेबसाइट या अपने विश्वसनीय LIC सलाहकार से सभी शर्तें अवश्य जांचें। 👉 चैनल BeYourMoneyManager को SUBSCRIBE करें 👉 LIKE करें 👉 कमेंट में बताएं कि अगला वीडियो किस प्लान पर चाहिए




Rajanish Kant
RBI का ब्याज दर पर फैसला आज, ब्याज घटेगा, बढ़ेगा या जस का तस रहेगा?

देश के केंद्रीय बैंक भारतीय रिजर्व बैंक यानी RBI की मौद्रिक पॉलिसी कमिटी ब्याज पर आज फैसले की घोषणा करेगी। कमिटी की तीन दिनों की बैठक 3 दिसंबर को शुरू हुई थी। माना जा रहा है कि ब्याज दर को 5.5 प्रतिशत पर जस का तस रखा जाएगा। इससे पहसे अक्टूबर की बैठक में ब्याज दर को जस का तस रखा गया था। 


इस साल अब तक आरबीआई ने अगस्त में प्रमुख दरों में बदलाव पर विराम लगाने के बाद प्रमुख दरों में 1प्रतिशत यानी 100 बेसिस पॉइंट की कटौती कर चुका है। 


आरबीआई की प्रमुख दर (स्रोत-www.rbi.org.in)

नीति रेपो दर: 5.50%
स्थायी जमा सुविधा दर: 5.25%
सीमांत स्‍थायी सुविधा दर: 5.75%
बैंक दर: 5.75%
प्रत्‍यावर्तनीय रेपो दर: 3.35%
सीआरआर: 3.00%
एसएलआर: 18.00%

आधार दर : 8.35% - 10.00%

एमसीएलआर (ओवरनाइट): 7.80% - 7.95%

बचत जमा दर : 2.50%

सावधि जमा दर > 1 वर्ष: 5.85% - 6.60%


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Income Tax ने घर में रखे सोने पर टैक्स ठोका, ऐसे सोने पर टैक्स देने से क...
Income Tax vs Family Gold Explained अगर आप को बाप-दादा से विरासत में या उपहार में सोना या सोने के गहने जेवर मिले हैं और आपके पास इसका बिल या इनवॉयस नहीं है तो इनकम टैक्स आप से टैक्स के साथ साथ पेनाल्टी भी वसूल सकता है। ऐसा ही एक मामला सुर्खियों में आया है। हालांकि, ऐसे सोने पर आप इनकम टैक्स और उस पर लगने वाला पेनाल्टी भी बचा सकते हैं। ये पूरा मामला क्या है और ऐसे सोने पर आप इनकम टैक्स और उस पर लगने वाला पेनाल्टी कैसे बचा सकते हैं, ये जानने के लिए एपिसोड को लास्ट तक देखें। आज की इस सच्ची केस स्टडी में हम देखेंगे कि कैसे इनकम टैक्स ने एक शख्स के घर में रखे सोने पर जो उसे पिता से विरासत में मिला था, लाखों का टैक्स और पेनाल्टी ठोक दिया। लेकिन, फिर उसे मुंबई ITAT से कैसे राहत मिली। इस वीडियो में हम जानेंगे: सोने की विरासत को कैसे प्रूव करें? पुराने बिल न हो तो क्या करें? ITAT ने कौन से 7 पावरफुल तर्क माने? आपके लिए 10 ज़रूरी सबक (ज्यादा सोना रखने वालों के लिए ज़रूरी) ITAT का पूरा फैसला भारत में घर का सोना कितना Tax-Free है विरासत और पारिवारिक सोने पर Income Tax के नियम गलत टैक्स नोटिस आने पर क्या करें और आपके लिए महत्वपूर्ण Financial Tips देखिए पूरी कहानी और बनिए अपने पैसे के मैनेजर! अगर आपके घर में भी पुराना सोना है जो दादा-परदादा से चला आ रहा है, तो ये वीडियो आपके ₹लाखों बचा सकता है! वीडियो पसंद आए तो Like करो, चैनल Subscribe करो और घंटी दबाना न भूलो! Disclaimer: यह वीडियो केवल जागरूकता और शिक्षा के उद्देश्य से है, टैक्स एडवाइज़ नहीं है। अपना केस डालने से पहले CA से सलाह लें।






















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Rajanish Kant गुरुवार, 4 दिसंबर 2025
Change in Price Band : आज से Indowind Energy, Shlokka Dyes, Coastal Corporation समेत इन कंपनियों के Price Band (प्राइस बैंड) में बदलाव

                                                                                                                                      

                                                

आज से Indowind Energy, Shlokka Dyes, Coastal Corporation समेत इन कई कंपनियों के Price Band (प्राइस बैंड) में बदलाव किये गए हैं। बीएसई ने इसकी जानकारी दी।          

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Sr. No.

Scrip Code

Scrip Name

Price Band % Revised to

1

524602

Bandaram Pharma Packtech Ltd

5

2

501831

Coastal Corporation Ltd

5

3

524614

IEL Ltd

2

4

751063

Indowind Energy Ltd

20

5

543256

Rita Finance and Leasing Ltd

5

6

544582

Shlokka Dyes Ltd

10

7

517166

SPEL Semiconductor Ltd

2

प्राइस बैंड को ही भी सर्किट लिमिट्स कहते हैं।  प्राइस बैंड, एक्सचेंज द्वारा सेट किया गया सुरक्षा उपाय है। जब बहुत ही कम समय में स्टॉक के प्राइस बहुत तेजी से घटते बढ़ते है, तब उसको रोकने में यह काम आता है। जब प्राइस एक्सचेंज द्वारा निर्धारित उप्पर या लोअर सर्किट लिमिट को हिट करती है, तो उस विशेष स्टॉक या कॉन्ट्रैक्ट (EQ, FNO, CDS or MCX) के लिए उस सर्किट प्राइस पर ऑर्डर पेंडिंग रहता हैं।


आसान शब्दों में कहें तो प्राइस बैंड वह प्राइस रेंज है जिसके अंदर ही स्टॉक में उस दिन के लिए ट्रेड कर सकतें है। सर्किट लिमिट 2 से 20% के बीच में हो सकती हैं। यह लिक्विडिटी, वॉल्यूम और शेयरों की केटेगरी के आधार पर तय होती है।

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(साभार: www.bseindia.com)

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Rajanish Kant
बैंक डूबने पर सिर्फ 5 लाख? इसे 25 लाख होना चाहिए! | DICGC नई सीमा की मांग
हमारे देश में जब भी कोई बैंक फेल होता है, खाताधारकों को DICGC के तहत सिर्फ 5 लाख रुपये तक ही सुरक्षा मिलती है। मार्च 2024 की रिपोर्ट के अनुसार, 1997 पंजीकृत बैंकों में जमा राशि का आधे से ज्यादा हिस्सा बीमित नहीं है — और इसका सबसे ज्यादा असर बुजुर्गों पर पड़ता है, जो ब्याज पर निर्भर रहते हैं। जब बैंक फेल होने की घटनाएँ लगातार बढ़ रही हैं, तो क्या बीमा सीमा को 5 लाख से बढ़ाकर 25 लाख नहीं कर देना चाहिए?
आपकी क्या राय है—कमेंट में जरूर लिखें।



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Rajanish Kant बुधवार, 3 दिसंबर 2025
SBI, HDFC, ICICI पर RBI का बड़ा फैसला! आपका पैसा कितना सुरक्षित?I beyour...
RBI releases 2025 list of Domestic Systemically Important Banks (D-SIBs) RBI ने 2025 की D-SIB (Domestic Systemically Important Banks) लिस्ट जारी कर  दी है, और इस वीडियो में हम समझेंगे कि SBI, HDFC Bank और ICICI Bank को फिर से भारत के सबसे महत्वपूर्ण और सुरक्षित बैंकों में क्यों शामिल किया गया है। इस खास वीडियो में आप जानेंगे: ✔ D-SIB क्या है? ✔ किन 3 बैंकों को RBI ने सूची में शामिल किया? ✔ SBI, HDFC और ICICI को अलग-अलग बकेट में क्यों रखा गया? ✔ CET1 capital क्या होता है और यह आपकी सुरक्षा के लिए क्यों ज़रूरी है? ✔ इस लिस्ट से ग्राहकों, निवेशकों और स्टॉक मार्केट पर क्या प्रभाव पड़ता है? ✔ क्या यह बैंक वाकई “Too Big To Fail” हैं? ✔ आपके पैसे और निवेश पर इसका क्या असर होगा? अगर आप बैंकिंग, निवेश और फाइनेंस से जुड़ी सही जानकारी चाहते हैं, तो यह वीडियो जरूर देखें। 📌 यह वीडियो विशेष रूप से उपयोगी है यदि: -आपका खाता SBI, HDFC या ICICI में है -आप FD, RD या Mutual Funds में निवेश करते हैं -आप Indian Banking System को समझना चाहते हैं -आप सुरक्षित बैंक चुनना चाहते हैं 👍 वीडियो को Like करें 🔔 चैनल BeYourMoneyManager को Subscribe करें 📣 और अपने दोस्तों, परिवार व सोशल मीडिया पर शेयर करें!


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1-कोऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी में रहने वाले हर लोगों के लिए जरूरी किताब।
2-अचानक की गई बंदी इंसान को संभलने का मौका नहीं देती। ऐसे में आनंद के साथ जीने के उपाय क्या हैं। मेरी इस किताब में पढ़िये...बंदी में कैसे रहें बिंदास" 
3-अमीर बनने के लिए पैसों से खेलना आना चाहिए। पैसों से खेलने की कला सीखने के लिए पढ़िये...
4-बच्चों को फाइनेंशियल एजुकेशन क्यों देना चाहिए पर हिन्दी में किताब- 'बेटा हमारा दौलतमंद बनेगा' - 
5-अमीर बनने की ख्वाहिश हममें से हर किसी की होती है, लेकिन इसके लिए लोगों को पैसे से पैसा बनाने की कला तो आनी चाहिए। कैसे आएगी ये कला, पढ़िये - 'आपका पैसा, आप संभालें' - 
6-इंसान के पास संसाधन या मार्गदर्शन हो या ना हो, सपने जरूर होने चाहिए। सिर्फ सपने के सहारे भी कामयाब होने वालों की दुनिया में कमी नहीं है। - 'जब सपने बन जाते हैं मार्गदर्शक' -
7-बेटियों को बहादुर बनने दीजिए और बनाइये, ये समय की मांग है,  "बेटी तुम बहादुर ही बनना " -
8 -अपनी हाउसिंग सोसायटी को जर्जर से जन्नत बनाने के लिए पढ़ें,  डेढ़ साल बेमिसाल -

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Rajanish Kant