RBI से श्री गुरु राघवेंद्र सहकारा बैंक नियमिता में पैसा जमा करने वालों को राहत नहीं

बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित धारा 35 ए के अंतर्गत निदेश – श्री गुरु राघवेंद्र सहकारा बैंक नियमिता, बेंगलुरु (कर्नाटक) - अवधि बढ़ाना

भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित धारा 35ए के अंतर्गत दिनांक 2 जनवरी 2020 के निदेश सं. DOS.CO.UCB.BSD-III.D-2/12.23.283/2019-20 द्वारा श्री गुरु राघवेंद्र सहकारा बैंक नियमिता, बेंगलुरु, कर्नाटक को 10 जुलाई 2020 तक छह माह की अवधि के लिए निदेश जारी किए थे, जिसे समय-समय पर संशोधित किया गया तथा इसकी वैधता अवधि को पिछली बार दिनांक 6 मई 2025 के निदेश DOR.MON/D-08/12.23.283/2025-26 द्वारा 10 अगस्त 2025 को कारोबार की समाप्ति तक बढ़ाया गया था। भारतीय रिज़र्व बैंक इस बात से संतुष्ट है कि जनहित में उक्त निदेश की परिचालन अवधि को 10 अगस्त 2025 से आगे बढ़ाया जाना आवश्यक है।

2. तदनुसार, भारतीय रिज़र्व बैंक, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित धारा 35ए की उप-धारा (1) के अंतर्गत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, एतद्द्वारा उक्त निदेश की वैधता अवधि को 10 अगस्त 2025 को कारोबार की समाप्ति से 10 नवंबर 2025 को कारोबार की समाप्ति तक अगले तीन माह की अवधि के लिए बढ़ाता है, जो कि समीक्षाधीन होगा।

3. भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा उपर्युक्त अवधि बढ़ाने और/या संशोधन का यह अर्थ नहीं लगाया जाना चाहिए कि भारतीय रिज़र्व बैंक, बैंक की वित्तीय स्थिति से संतुष्ट है।

4. संदर्भाधीन निदेश के अन्य सभी नियम एवं शर्तें यथावत् रहेंगी।

(साभार- www.rbi.org.in)

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5-अमीर बनने की ख्वाहिश हममें से हर किसी की होती है, लेकिन इसके लिए लोगों को पैसे से पैसा बनाने की कला तो आनी चाहिए। कैसे आएगी ये कला, पढ़िये - 'आपका पैसा, आप संभालें' - 
6-इंसान के पास संसाधन या मार्गदर्शन हो या ना हो, सपने जरूर होने चाहिए। सिर्फ सपने के सहारे भी कामयाब होने वालों की दुनिया में कमी नहीं है। - 'जब सपने बन जाते हैं मार्गदर्शक' -
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Rajanish Kant शनिवार, 9 अगस्त 2025
RBI ने अंडमान एंड निकोबार स्टेट कोऑपरेटिव बैंक पर जुर्माना लगाया, जानें क्यों और कितना

भारतीय रिज़र्व बैंक ने अंडमान एंड निकोबार स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड पर मौद्रिक दंड लगाया



भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 5 अगस्त 2025 के आदेश द्वारा अंडमान एंड निकोबार स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड (बैंक) पर बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (बीआर अधिनियम) की धारा 56 के साथ पठित धारा 26ए के प्रावधानों के उल्लंघन तथा भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी ‘अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी)’ संबंधी निदेशों के अननुपालन के लिए ₹16 लाख (सोलह लाख रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड बीआर अधिनियम की धारा 46(4)(i) और 56 के साथ पठित धारा 47ए(1)(सी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

31 मार्च 2024 को बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) द्वारा बैंक का सांविधिक निरीक्षण किया गया। सांविधिक प्रावधानों के उल्लंघन/ भारतीय रिज़र्व बैंक के निदेशों के अननुपालन के पर्यवेक्षी निष्कर्षों और उससे संबंधित पत्राचार के आधार पर, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि उक्त प्रावधानों और निदेशों के अनुपालन में विफलता के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए। नोटिस पर बैंक के उत्तर और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक ने, अन्य बातों के साथ-साथ, यह पाया कि बैंक के विरुद्ध निम्नलिखित आरोप सिद्ध हुए हैं, जिसके लिए मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है।

बैंक:

i) निर्धारित समय के भीतर दावा न की गई पात्र राशि को जमाकर्ता शिक्षण और जागरूकता निधि में अंतरित करने में विफल रहा; और

ii) खातों के जोखिम वर्गीकरण की आवधिक समीक्षा करने में विफल रहा, जिसकी आवधिकता कम से कम छह महीने में एक बार होनी चाहिए।

यह कार्रवाई, विनियामकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है। इसके अलावा, इस मौद्रिक दंड को लगाने से भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक के विरुद्ध की जाने वाली किसी भी अन्य कार्रवाई पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।

(साभार- www.rbi.org.in)

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Rajanish Kant
RBI ने दि कटिहार डिस्ट्रिक्ट सेंट्रल कोऑपरेटिव बैंक पर जुर्माना लगाया, जानें क्यों और कितना

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दि कटिहार डिस्ट्रिक्ट सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, बिहार पर मौद्रिक दंड लगाया



भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 5 अगस्त 2025 के आदेश द्वारा दि कटिहार डिस्ट्रिक्ट सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, बिहार (बैंक) पर बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (बीआर अधिनियम) की धारा 56 के साथ पठित धारा 20 के प्रावधानों के उल्लंघन तथा भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी ‘सहकारी बैंकों द्वारा साख सूचना कंपनियों (सीआईसी) की सदस्यता’ संबंधी कतिपय निदेशों के अननुपालन के लिए 3.03 लाख (तीन लाख तीन हजार रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, बीआर अधिनियम की धारा 46(4)(i) और 56 के साथ पठित धारा 47ए(1)(सी) तथा प्रत्यय विषयक जानकारी कंपनी (विनियमन) अधिनियम, 2005 की धारा 23 के साथ पठित धारा 25 के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

31 मार्च 2024 को बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) द्वारा बैंक का सांविधिक निरीक्षण किया गया। भारतीय रिज़र्व बैंक के निदेशों के अननुपालन के पर्यवेक्षी निष्कर्षों और उससे संबंधित पत्राचार के आधार पर, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि उक्त निदेशों के अनुपालन में विफलता के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए। नोटिस पर बैंक के उत्तर और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान इसके द्वारा की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक ने, अन्य बातों के साथ-साथ, यह पाया कि बैंक के विरुद्ध निम्नलिखित आरोप सिद्ध हुए हैं, जिसके लिए मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है।

बैंक ने:

i) अपने निदेशक को ऋण स्वीकृत किया; और

ii) दो साख सूचना कंपनियों को अपने ग्राहकों की ऋण संबंधी सूचना प्रस्तुत करने में विफल रहा।

यह कार्रवाई, विनियामकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है। इसके अलावा, इस मौद्रिक दंड को लगाने से भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक के विरुद्ध की जाने वाली किसी भी अन्य कार्रवाई पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।

(साभार- www.rbi.org.in)

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RBI ने मृतक खाताधारकों के संबंध में दावों के निपटान पर परिपत्र का मसौदा जारी किया, 27 अगस्त तक टिप्पणी देने का मौका

 भारतीय रिज़र्व बैंक ने ‘भारतीय रिज़र्व बैंक (बैंकों के मृतक ग्राहकों के संबंध में दावों का निपटान) निदेश,

2025’ संबंधी परिपत्र के मसौदे पर टिप्पणियाँ आमंत्रित कीं



मृतक जमाकर्ताओं के संबंध में दावों के निपटान पर मौजूदा विनियामक दिशानिर्देशों की समीक्षा के संबंध में दिनांक 6 अगस्त 2025 को विकासात्मक और विनियामक नीतियों पर वक्तव्य में की गई घोषणा के अनुसरण में, रिज़र्व बैंक इस संबंध में परिपत्र का मसौदा जारी किया है।

परिपत्र के मसौदे पर हितधारकों और जन सामान्य द्वारा टिप्पणियां/प्रतिक्रिया रिज़र्व बैंक की वेबसाइट पर उपलब्ध ‘कनेक्ट 2 रेगुलेट’ खंड के अंतर्गत संबंधित लिंक के माध्यम से या वैकल्पिक रूप से ई-मेल के माध्यम से 27 अगस्त 2025 तक प्रस्तुत की जा सकती हैं। हितधारकों/ जन सामान्य की टिप्पणियों पर विचार करने के बाद अंतिम परिपत्र जारी किया जाएगा।


>मृतक खाताधारकों के संबंध में दावों के निपटान पर परिपत्र का मसौदा विस्तार से पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें 


(साभार- www.rbi.org.in)

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Rajanish Kant
आज (08-08-2025) शेयर बाजार का हाल

आज (08-08-2025) शेयर बाजार का हाल, सेंसेक्स, निफ्टी गिरा या चढ़ा, सबसे ज्यादा पैसा बनाने वाले 5 शेयर, सबसे ज्यादा पैसा डूबाने वाले 5 शेयर 







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Rajanish Kant शुक्रवार, 8 अगस्त 2025
RBI ने दि चाणस्मा नागरिक सहकारी बैंक पर जुर्माना लगाया, जानें क्यों और कितना

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दि चाणस्मा नागरिक सहकारी बैंक लिमिटेड, चाणस्मा, जिला पाटण, गुजरात पर मौद्रिक दंड लगाया



भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 31 जुलाई 2025 के आदेश द्वारा दि चाणस्मा नागरिक सहकारी बैंक लिमिटेड, चाणस्मा, जिला पाटण, गुजरात (बैंक) पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी ‘ग्राहक संरक्षण - अनधिकृत इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग लेनदेन में सहकारी बैंकों के ग्राहकों की देयता को सीमित करना’ संबंधी कतिपय निदेशों के अननुपालन के लिए 1 लाख (एक लाख रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 46(4)(i) और 56 के साथ पठित धारा 47ए(1)(सी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

31 मार्च 2024 को बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक का सांविधिक निरीक्षण किया गया। भारतीय रिज़र्व बैंक के निदेशों के अननुपालन के पर्यवेक्षी निष्कर्षों तथा उससे संबंधित पत्राचार के आधार पर, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया, जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि उक्त निदेशों के अनुपालन में विफलता के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए। नोटिस पर बैंक के उत्तर और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक ने, अन्य बातों के साथ-साथ, यह पाया कि बैंक के विरुद्ध निम्नलिखित आरोप सिद्ध हुए हैं, जिसके लिए मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है:

बैंक:

  1. ग्राहकों को कई चैनलों के माध्यम से अनधिकृत इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग लेनदेन की सूचना देने के लिए 24x7 पहुंच प्रदान करने में; तथा

  2. अपने ग्राहकों को अनधिकृत इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग लेनदेन, यदि कोई हो, के संबंध में आपत्ति को सूचित करने के लिए एसएमएस अलर्ट पर "उत्तर" द्वारा तुरंत प्रतिक्रिया देने की सुविधा प्रदान करने में विफल रहा।

यह कार्रवाई, विनियामकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य बैंक द्वारा ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है। इसके अलावा, इस मौद्रिक दंड को लगाने से भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक के विरुद्ध की जाने वाली किसी भी अन्य कार्रवाई पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।

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Rajanish Kant गुरुवार, 7 अगस्त 2025
RBI ने रायगंज सेंट्रल कोऑपरेटिव बैंक पर जुर्माना लगाया, जानें क्यों और कितना

भारतीय रिज़र्व बैंक ने रायगंज सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, पश्चिम बंगाल पर मौद्रिक दंड लगाया



भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 5 अगस्त 2025 के आदेश द्वारा रायगंज सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, पश्चिम बंगाल (बैंक) पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी ‘अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी)’ संबंधी कतिपय निदेशों के अननुपालन के लिए 3.10 लाख (तीन लाख दस हजार रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 46(4)(i) और 56 के साथ पठित धारा 47ए(1)(सी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

31 मार्च 2024 को बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) द्वारा बैंक का सांविधिक निरीक्षण किया गया। भारतीय रिज़र्व बैंक के निदेशों के अननुपालन के पर्यवेक्षी निष्कर्षों तथा उससे संबंधित पत्राचार के आधार पर, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया, जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि उक्त निदेशों के अनुपालन में विफलता हेतु उस पर दंड क्यों न लगाया जाए। नोटिस पर बैंक के उत्तर और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक ने, अन्य बातों के साथ-साथ, यह पाया कि बैंक के विरुद्ध निम्नलिखित आरोप सिद्ध हुए हैं, जिसके लिए मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है:

बैंक:

  1. निर्धारित समय-सीमा के भीतर ग्राहकों के केवाईसी रिकॉर्ड केंद्रीय केवाईसी रिकॉर्ड रजिस्ट्री (सीकेवाईसीआर) पर अपलोड करने में विफल रहा; और

  2. बैंक ने प्रत्येक ग्राहक के लिए एक विशिष्ट ग्राहक पहचान कोड (यूसीआईसी) के बजाय कतिपय एकल ग्राहकों को एकाधिक ग्राहक पहचान कोड आवंटित किए।

यह कार्रवाई विनियामकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है। इसके अलावा, इस मौद्रिक दंड को लगाने से भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक के विरुद्ध की जाने वाली किसी भी अन्य कार्रवाई पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।

(साभार- www.rbi.org.in)

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आज (07-08-2025) शेयर बाजार का हाल

आज (07-08-2025) शेयर बाजार का हाल, सेंसेक्स, निफ्टी गिरा या चढ़ा, सबसे ज्यादा पैसा बनाने वाले 5 शेयर, सबसे ज्यादा पैसा डूबाने वाले 5 शेयर







Rajanish Kant
बैंकों के मृत ग्राहकों के जमा खातों के संबंध में दावों के निपटान हेतु प्रक्रिया का मानकीकरण

 RBI की 4-6 अगस्त तक चली मौद्रिक पॉलिसी कमिटी बैठक में बैंकों के मृत ग्राहकों के जमा खातों के संबंध में दावों के निपटान हेतु प्रक्रिया का मानकीकरण का फैसला लिया गया है|




विकासात्मक और विनियामक नीतियों पर वक्तव्य

यह वक्तव्य (i) विनियमन; (ii) वित्तीय बाजारों से संबंधित विकासात्मक और विनियामक नीतिगत उपायों को निर्धारित करता है।

I. विनियमन

1. बैंकों के मृत ग्राहकों के जमा खातों के संबंध में दावों के निपटान हेतु प्रक्रिया का मानकीकरण

बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 के प्रावधानों के अंतर्गत, जमा खातों, सुरक्षित अभिरक्षा में रखी वस्तुओं या सुरक्षित जमा लॉकरों के संबंध में नामांकन सुविधा उपलब्ध है। इसका उद्देश्य ग्राहक की मृत्यु होने पर दावों का शीघ्र निपटान, वस्तुओं की वापसी या सुरक्षित जमा लॉकर की सामग्री की रिलीज करने के कार्य को सुगम बनाना और परिवार के सदस्यों को होने वाली कठिनाइयों को कम करना है। मौजूदा अनुदेशों के अनुसार, बैंकों को उत्तरजीवियों/ नामित व्यक्तियों/ कानूनी उत्तराधिकारियों द्वारा किए गए दावों के शीघ्र और झंझट-रहित निपटान हेतु एक सरलीकृत प्रक्रिया अपनानी होगी। ये प्रक्रियाएँ अलग-अलग बैंकों में अलग-अलग होती हैं। ग्राहक सेवा मानकों को बेहतर बनाने के उद्देश्य से, प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने और बैंकों को प्रस्तुत किए जाने वाले दस्तावेज़ों को मानकीकृत करने का निर्णय लिया गया है। इस संबंध में जनता से परामर्श के लिए एक परिपत्र का मसौदा शीघ्र ही जारी किया जाएगा।

II. वित्तीय बाजार

2. ख़जाना-बिलों में निवेश और पुनर्निवेश के लिए आरबीआई रिटेल डायरेक्ट में स्वचालित बोली प्रक्रिया सुविधाओं की शुरूआत

रिटेल डायरेक्ट योजना के अंतर्गत खुदरा निवेशकों को रिज़र्व बैंक में अपने गिल्ट खाते खोलने में सुविधा प्रदान करने के लिए नवंबर 2021 में रिटेल डायरेक्ट पोर्टल का लोकार्पण किया गया था। यह योजना खुदरा निवेशकों को प्राथमिक नीलामी में सरकारी प्रतिभूतियाँ (जी-सेक) खरीदने के साथ-साथ द्वितीयक बाजार में जी-सेक खरीदने और बेचने की सुविधा प्रदान करता है। योजना के शुभारंभ के बाद से, उत्पाद और भुगतान विकल्पों के संदर्भ में कई नई सुविधाएँ शुरू की गई हैं, जिनमें मई 2024 में एक मोबाइल ऐप का शुभारंभ भी शामिल है।

निवेशकों को अपने निवेश की व्यवस्थित योजना बनाने में सक्षम बनाने के लिए, रिटेल डायरेक्ट में ख़जाना बिलों (टी-बिल) के लिए एक स्वचालित बोली-प्रक्रिया सुविधा शुरू की गई है, जिसमें निवेश और पुनर्निवेश दोनों विकल्प शामिल हैं। यह नई सुविधा निवेशकों को ख़जाना बिलों की प्राथमिक नीलामी में बोलियों को स्वचालित रूप से लगाने में मदद करती है।


(साभार- www.rbi.org.in)

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Rajanish Kant बुधवार, 6 अगस्त 2025
RBI ने रेपो रेट को जस का तस रखा, महंगाई और विकास दर पर क्या बोला

 मौद्रिक नीति वक्तव्य, 2025-26

मौद्रिक नीति समिति का संकल्प
4 से 6 अगस्त 2025



मौद्रिक नीति निर्णय

मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की 56वीं बैठक 4 से 6 अगस्त 2025 तक श्री संजय मल्होत्रा, गवर्नर, भारतीय रिज़र्व बैंक ​​की अध्यक्षता में आयोजित की गई। एमपीसी के सदस्य डॉ. नागेश कुमार, श्री सौगत भट्टाचार्य, प्रो. राम सिंह, डॉ. पूनम गुप्ता और डॉ. राजीव रंजन बैठक में शामिल हुए।

2. वर्तमान और उभरती समष्टि-आर्थिक स्थिति के आकलन के पश्चात, एमपीसी ने मौद्रिक नीति रेपो दर को 5.50 प्रतिशत पर बनाए रखने का निर्णय लिया। इसके परिणामस्वरूप, चलनिधि समायोजन सुविधा (एलएएफ) के अंतर्गत स्थायी जमा सुविधा (एसडीएफ) दर 5.25 प्रतिशत पर यथावत् बनी रहेगी तथा सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) दर और बैंक दर 5.75 प्रतिशत पर बनी रहेगी। यह निर्णय संवृद्धि को समर्थन प्रदान करते हुए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) मुद्रास्फीति के लिए +/- 2 प्रतिशत के दायरे में 4 प्रतिशत के मध्यम अवधि लक्ष्य को प्राप्त करने के उद्देश्य के अनुरूप है।

संवृद्धि और मुद्रास्फीति संभावना

3. वैश्विक परिवेश चुनौतीपूर्ण बना हुआ है। यद्यपि, वित्तीय बाज़ार में अस्थिरता और भू-राजनीतिक अनिश्चितताएँ हाल के महीनों में अपने चरम से कुछ कम हुई हैं, लेकिन फिर भी व्यापार वार्ता संबंधी चुनौतियाँ बनी हुई हैं। हालाँकि, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा वैश्विक संवृद्धि में ऊर्ध्वगामी संशोधन किया गया है, लेकिन अभी भी यह मंद है। अवस्फीति की गति धीमी हो रही है, फिर भी कुछ उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में मुद्रास्फीति में वृद्धि देखी जा रही है।

4. घरेलू संवृद्धि आघात-सह बना हुआ है और मोटे तौर पर हमारे आकलन के अनुरूप ही विकसित हो रहा है। ग्रामीण माँग से समर्थित निजी उपभोग और सरकारी पूंजीगत व्यय में तेज़ी से समर्थित स्थिर निवेश, आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा दे रहे हैं। आपूर्ति पक्ष पर, स्थिर दक्षिण-पश्चिम मानसून खरीफ की बुवाई को बढ़ावा दे रहा है, जलाशयों के स्तर को फिर से भर रहा है और कृषि गतिविधियों को बढ़ावा दे रहा है। इसके अलावा, सेवा क्षेत्र और निर्माण गतिविधियाँ मज़बूत बनी हुई हैं। हालाँकि, औद्योगिक क्षेत्र में संवृद्धि धीमी और सभी क्षेत्रों में असमान रही, जिसकी वजह बिजली और खनन क्षेत्र रहे।

5. जहाँ तक संवृद्धि की संभावना का प्रश्न है, सामान्य से बेहतर दक्षिण-पश्चिम मानसून, न्यून मुद्रास्फीति, बढ़ता क्षमता उपयोग और अनुकूल वित्तीय परिस्थितियाँ घरेलू आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा दे रही हैं। मज़बूत सरकारी पूंजीगत व्यय सहित सहायक मौद्रिक, विनियामक और राजकोषीय नीतियों से भी माँग में वृद्धि होनी चाहिए। आने वाले महीनों में निर्माण और व्यापार में निरंतर वृद्धि के कारण सेवा क्षेत्र में भी तेजी बनी रहने की उम्मीद है। हालाँकि, चल रही टैरिफ संबंधी घोषणाओं और व्यापार वार्ताओं के बीच, बाह्य माँग की संभावनाएँ अनिश्चित बनी हुई हैं। लंबे समय से चले आ रहे भू-राजनीतिक तनाव, वैश्विक अनिश्चितताओं और वैश्विक वित्तीय बाजारों में अस्थिरता से उत्पन्न प्रतिकूल परिस्थितियाँ संवृद्धि की संभावना के लिए जोखिम उत्पन्न करती हैं। इन सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए, 2025-26 के लिए वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि का अनुमान 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा गया है, जोकि पहली तिमाही में 6.5 प्रतिशत, दूसरी तिमाही में 6.7 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 6.6 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 6.3 प्रतिशत रहने का अनुमान है। 2026-27 की पहली तिमाही के लिए वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि 6.6 प्रतिशत रहने का अनुमान है (चार्ट 1)। जोखिम समान रूप से संतुलित हैं।

6. सीपीआई हेडलाइन मुद्रास्फीति लगातार आठवें महीने घटकर जून 2025 में 77 महीनों के निचले स्तर 2.1 प्रतिशत (वर्ष-दर-वर्ष) पर आ गई। यह मुख्य रूप से कृषि गतिविधियों में सुधार और विभिन्न आपूर्ति-पक्ष उपायों के कारण खाद्य मुद्रास्फीति में तीव्र गिरावट के कारण हुई। फरवरी 2019 के बाद से खाद्य मुद्रास्फीति पहली बार जून में (-) 0.2 प्रतिशत पर नकारात्मक रही। उच्च-आवृत्ति मूल्य संकेतक इस वर्ष जुलाई तक भी खाद्य कीमतों में गिरावट की गति जारी रहने का संकेत देते हैं। मूल मुद्रास्फीति, जो फरवरी-मई के दौरान 4.1-4.2 प्रतिशत के सीमित दायरे में रही, जून में बढ़कर 4.4 प्रतिशत हो गई, जिसका एक कारण स्वर्ण की कीमतों में लगातार वृद्धि भी है।

7. 2025-26 के लिए मुद्रास्फीति की संभावना जून में अपेक्षा से अधिक सौम्य हो गया है। दक्षिण-पश्चिम मानसून की स्थिर प्रगति, खरीफ की बेहतर बुवाई, पर्याप्त जलाशय स्तर और खाद्यान्नों के पर्याप्त बफर स्टॉक के साथ बड़े अनुकूल आधार प्रभावों ने इस नरमी में योगदान दिया है। हालाँकि, प्रतिकूल आधार प्रभावों और नीतिगत कार्रवाइयों से उत्पन्न मांग पक्ष के कारकों के प्रभाव में आने के कारण, सीपीआई मुद्रास्फीति का 2025-26 की चौथी तिमाही और उसके बाद 4 प्रतिशत से ऊपर जाने की संभावना है। इनपुट कीमतों पर किसी भी बड़े नकारात्मक आघातों को छोड़कर, मूल मुद्रास्फीति का वर्ष के दौरान 4 प्रतिशत से थोड़ा ऊपर रहने की संभावना है। मौसम संबंधी आघात, मुद्रास्फीति की संभावना के लिए जोखिम उत्पन्न करते हैं। इन सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए, 2025-26 के लिए सीपीआई मुद्रास्फीति अब 3.1 प्रतिशत अनुमानित है, जोकि दूसरी तिमाही में 2.1 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 3.1 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 4.4 प्रतिशत रहने की संभावना है। 2026-27 की पहली तिमाही के लिए सीपीआई मुद्रास्फीति 4.9 प्रतिशत अनुमानित है (चार्ट 2)। जोखिम समान रूप से संतुलित हैं।

Chart 1 and 2

मौद्रिक नीति संबंधी निर्णयों का औचित्य

8. एमपीसी ने कहा कि निकट भविष्य में मुद्रास्फीति की संभावना पहले के अनुमान से कहीं अधिक सौम्य हो गई है, और इस वर्ष औसत सीपीआई मुद्रास्फीति लक्ष्य से काफी नीचे रहने की आशा है। यह मुख्य रूप से कम खाद्य मुद्रास्फीति के कारण है, जो जून में अपस्फीतिकारी क्षेत्र में प्रवेश कर गई थी। हालाँकि, 2025-26 की चौथी तिमाही से सीपीआई मुद्रास्फीति का 4 प्रतिशत के लक्ष्य से ऊपर जाने की संभावना है। इसके अलावा, मूल मुद्रास्फीति दिसंबर-जनवरी 2024-25 के दौरान दर्ज किए गए 3.6 प्रतिशत के हालिया निम्नतम स्तर से लगातार बढ़ रही है और इस वर्ष पहली तिमाही में औसतन 4.3 प्रतिशत रही। कीमती धातुओं को छोड़कर मूल मुद्रास्फीति में भी वृद्धि देखी गई है और यह पहली तिमाही में औसतन 3.4 प्रतिशत रही।

9. आगामी त्यौहारी सीजन में कुछ तेजी आने की आशा के साथ संवृद्धि दर अच्छी बनी हुई है और यह 2025-26 के लिए 6.5 प्रतिशत के हमारे आकलन के अनुरूप विकसित हो रही है।

10. इस प्रकार, हेडलाइन मुद्रास्फीति पहले के अनुमान से काफी कम है, जिसका मुख्य कारण खाद्य पदार्थों, विशेषकर सब्जियों की कीमतों में अस्थिरता है। दूसरी ओर, मूल मुद्रास्फीति, अनुमान के अनुसार, 4 प्रतिशत के आसपास स्थिर बनी हुई है। इस वित्तीय वर्ष की अंतिम तिमाही से मुद्रास्फीति में वृद्धि का अनुमान है। हालाँकि पहले के अनुमानों के अनुरूप संवृद्धि दर मजबूत है और लेकिन यह हमारी आकांक्षाओं से कम है। प्रशुल्क (टैरिफ़) संबंधी अनिश्चितताएँ अभी भी उभर रही हैं। मौद्रिक नीति का संचरण अभी भी जारी है। फरवरी 2025 से दरों में होने वाली 100 बीपीएस की कटौती का अर्थव्यवस्था पर प्रभाव अभी भी स्पष्ट नहीं है।

11. अतः, कुल मिलाकर, वर्तमान समष्टि आर्थिक स्थितियां, संभावना और अनिश्चितताएं 5.5 प्रतिशत की नीतिगत रेपो दर को जारी रखने तथा अग्रिम दर कटौती का ऋण बाजारों और व्यापक अर्थव्यवस्था में आगे संचरण हेतु प्रतीक्षा की मांग करती हैं। तदनुसार, एमपीसी ने सर्वसम्मति से रेपो दर को यथावत् रखने के लिए वोट किया। एमपीसी ने उचित मौद्रिक नीति मार्ग निर्धारित करने के लिए प्राप्त आंकड़ों और उभरती घरेलू संवृद्धि-मुद्रास्फीति गतिकी पर कड़ी निगरानी रखने का संकल्प लिया। तदनुसार, सभी सदस्यों ने तटस्थ रुख बनाए रखने का निर्णय लिया।

12. एमपीसी की बैठक का कार्यवृत्त 20 अगस्त 2025 को प्रकाशित किया जाएगा।

13. एमपीसी की अगली बैठक 29 सितंबर से 1 अक्तूबर 2025 तक निर्धारित है।


(साभार- www.rbi.org.in)

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