जूता और चमड़ा उद्योग के लिए केन्द्र सरकार का विशेष पैकेज
आईएफएलएडीपी के तहत तमिलनाडु में चार परियोजनाओं को मंजूरी
केन्द्र सरकार ने चमड़ा और जूता उद्योग के क्षेत्र में रोजगार के अवसर तैयार करने के लिए एक विशेष पैकेज को मंजूरी दी है। इस पैकेज में वर्ष 2017-20 के लिए 2600 करोड़ रुपये की लागत की मंजूरी से केन्द्रीय क्षेत्र की योजना-इण्डियन फूटवियर, लेदर और ऐसेसरीज डेवलपमेंट प्रोग्राम (आईएफएलएडीपी) का कार्यान्वयन शामिल है।
इस योजना का लक्ष्य चमड़ा उद्योग के लिए आधारभूत सुविधाओं का विकास करना, चमड़ा उद्योग से जुड़ी पर्यावरण संबंधी चिंताओं का समाधान करना, अतिरिक्त निवेश को आसान बनाना, रोजगार सृजन करना और उत्पादन बढ़ाना है। कर प्रोत्साहनों में वृद्धि होने से इस क्षेत्र में बड़े पैमाने पर निवेश आकर्षित होंगे और श्रम कानून में सुधार होने से इस क्षेत्र से अर्थव्यवस्था में योगदान बढ़ेगा ।
आईएफएलएडीपी के तहत तमिलनाडु में चमड़ा उद्योग पर प्रमुखता से जोर देते हुए औद्योगिक नीति और संवर्धन विभाग द्वारा 117.33 करोड़ रुपये की कुल लागत से चार परियोजनाएं मंजूर की गई हैं, ताकि आधारभूत सुविधाओं का उन्नयन होने के साथ-साथ रोजगार सृजन हो और पर्यावरण की स्थिति में निरन्तर सुधार हो।
तमिलनाडु मंजूर की गई परियोजनाओं में त्रिची में ताला त्रिची कॉमन एफ्लूएंट ट्रिटमेंट प्लांट (सीईटीपी) का उन्नयन, नागलकेनी क्रोमपेट में पल्लावरम सीईटीपी, रानीपेट में सिडको फेज़-1 सीईटीपी और इरोड़ में पेरुंदुरई लेदर इंडस्ट्रिज़ इको सिक्यूरिटी प्राइवेट लिमिटेड शामिल है।
उद्योग नीति और संवर्धन विभाग ने पश्चिम बंगाल के बनतला में एक वृहद लेदर कलस्टर के लिए अपनी सैद्धांतिक मंजूरी भी दी है। इससे लगभग 7000 लोगों को रोजगार मिलेगा और 400 से 500 करोड़ रुपये का निवेश संभव होगा ।
उपयोजना के अधिन 469.18 करोड़ रुपये की कुल लागत और भारत सरकार की ओर से 328.43 करोड़ रुपये की सहायता के बल पर सीईटीपी उन्नयन के लिए कुल 9 परियोजनाएं पहले ही मंजूर की गई हैं। यह परियोजनाएं कार्यान्वयन के दौर में हैं । सीईटीपी उन्नयन के लिए अतिरिक्त परियोजनाएं विभाग के विचाराधीन हैं।
(सौ. पीआईबी

Rajanish Kant शुक्रवार, 12 अक्टूबर 2018
NSE पर शुरू हुआ कमोडिटी डेरिवेटिव्ज कारोबार, सोना और चांदी वायदा में कर सकेंगे खरीद-बिक्री
अगर आप सोना, चांदी समेत दूसरे कमोडिटी डेरिवेटिव्ज में कारोबार करते हैं तो आपके लिए अब ज्यादा विकल्प हो गए हैं। आप MCX, NCDEX, BSE के अलावा, NSE पर कमोडिटी डेरिवेटिव्ज में कारोबार कर सकते हैं। आज से NSE पर भी कमोडिटी डेेरिवेटिव्ज लांच हो गया है। 


हाल ही में मार्केट रेगुलेटर सेबी ने देश के दिग्गज स्टॉक एक्सचेंज बीएसई और एनएसई को कमोडिटी डेरिवेटिव्ज में कारोबार शुरू करने की मंजूरी दी थी। इससे पहले इसी महीने बीएसई पर कमोडिटी डेरिवेटिव्ज कारोबार शुरू किया गया।  


((कच्चे तेल और नैचुरल गैस के निवेशक इन आंकड़ों पर नजर रखेंगे तो फायदे में रहेंगे
((सोने-चांदी के निवेशक इन आंकड़ों को लेकर अलर्ट रहें, नुकसान से बचे रहेंगे
((बेस मेटल्स में कारोबार करते हैं, तो इन आंकड़ों को नजरअंदाज मत करें, फायदा होगा
((कमोडिटी में ट्रेडिंग करना चाहते हैं, पहले जान लीजिए कुछ खास बातें
((आप अगर कमोडिटीज डेरिवेटिव्ज ट्रेनर्स बनना चाहते हैं, तो सेबी के इन नियमों का पालन करें
(सेबी ने कमोडिटी फ्यूचर्स में ऑप्शंस ट्रेडिंग के संबंध में गाइडलाइंस जारी की, जानिए इसके फायदे
(सेबी इन्वेस्टर सर्वे 2015: निवेशक कहां जल्दी से कैश (तरलता) की उम्मीद करते हैं-म्युचुअल फंड्स, इक्विटीज, डिबेंचर्स, कमोडिटी फ्यूचर्स, डेरिवेटिव्स?
(सेबी इन्वेस्टर सर्वे 2015: निवेशक कहां ज्यादा रिटर्न की उम्मीद करते हैं-कमोडिटी फ्यूचर्स, डेरिवेटिव्स, डिबेंचर्स,  इक्विटीज या  म्युचुअल फंड्स ?
(सेबी इन्वेस्टर सर्वे 2015: बॉन्ड्स, इक्विटीज, म्युचुअल फंड्स में से किसको सबसे ज्यादा सुरक्षित मानते हैं निवेशक ?

(बच्चों को फाइनेंशियल एजुकेशन क्यों देना चाहिए पर हिन्दी किताब- बेटा हमारा दौलतमंद बनेगा)
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Rajanish Kant
PACLके एक लाख से ज्यादा निवेशकों के पैसे वापस, सेबी ने दी खुशखबरी

PACLके एक लाख से ज्यादा निवेशकों के पैसे वापस, सेबी ने दी खुशखबरी

Rajanish Kant
सुप्रीम कोर्ट का ये फैसला होम लोन लेने वालों को राहत पहुंचाएगा!
  • बैंकों से घटी ब्याज दर का लाभ लोगों तक नहीं पहुंचने पर न्यायालय ने रिजर्व बेंक से जवाब मांगा....
  • उच्चतम न्यायालय ने बैंकों से फ्लोटिंग दर पर कर्ज लेने वाले ग्राहकों को ब्याज दर में कमी का लाभ देने में देरी के खिलाफ की गई शिकायत पर भारतीय रिजर्व बैंक से जवाब देने को कहा है। 

    प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एस के कौल एवं न्यायमूर्ति के एम जोसेफ की पीठ ने भारतीय रिजर्व बैंक को लोक न्यास ‘मनीलाइफ फाउंडेशन’ को छह सप्ताह के भीतर उसकी शिकायत पर जवाब देने को कहा है। न्यास ने अपनी दायर की गई शिकायत में आरोप लगाया है कि रेपो दर और रिवर्स रेपो दर को लेकर आरबीआई के फैसले के बावजूद बैंक और वित्तीय संस्थाएं ब्याज दरों में कमी लाने में सुस्त रुख अपनाते हैं। ग्राहकों को दर में कमी का लाभ देने में देरी की जाती है। 

    रिजर्व बैंक हर दो महीने पर अपनी मौद्रिक नीति की समीक्षा करता है और रेपो रेट तय करता है। केंद्रीय बैंक रेपो दर के आधार पर ही बैंकों एवं वित्तीय संस्थानों को अल्पकालिक कर्ज उपलब्ध कराता है। इसी दर से बैंकों में आगे ब्याज दर की दिशा तय होती है। रेपो दर में घटबढ से मकान एवं वाहनों के रिण सहित अन्य कर्ज के ईएमआई पर असर पड़ता है। 

    पीठ ने कहा, “याचिकाकर्ता के मुताबिक इस विषय में लिये गए निर्णय के नतीजे के बारे में उसे जानकारी नहीं दी गयी। इसके बाद याचिकाकर्ता के पास इस न्यायालय का दरवाजा खटखटाने के अलावा कोई विकल्प नहीं रह बचा।” 

    पीठ ने कहा, ‘‘हमारा मानना है कि, इस स्तर पर रिजर्व बैंक को यह निर्देश दिया जाना चाहिये कि वह याचिकाकर्ता के दिनांक 12-10-2017 के पत्र..ज्ञापन में दिये गये मामले पर अपने फैसले की जानकारी याचिकाकर्ता को छह सप्ताह के भीतर उपलब्ध कराये।’’ 

    न्यायालय ने याचिकाकर्ता ट्रस्ट तथा अन्य से कहा है कि यदि वह रिजर्व बैंक के जवाब से संतुष्ठ नहीं हो तो वह फिर से न्यायालय के समक्ष अपनी बात रख सकते हैं। 

    जनहित याचिका में देश में बैंकिंग कंपनियों द्वारा भारतीय रिजर्व बैंक (कर्ज पर ब्याज दर) मास्टर निर्देशन 2016 को लागू करने के तरीके को चुनौती दी गई थी।
    (सौ. भाषा)

    Rajanish Kant बुधवार, 10 अक्टूबर 2018
    मुथूट माइक्रोफिन (Muthoot Microfin) को आईपीओ लाने की मंजूरी मिली
    मार्केट रेगुलेटर सेबी ने  मुथूट पप्पाचन ग्रुप की माइक्रो फाइनेंस कंपनी मुथूट माइक्रोफिन (Muthoot Microfin) को आईपीओ लाने की मंजूरी दे दी है।

    कंपनी की योजना अगले साल जनवरी या फरवरी कंपनी के शेयर शेयर बाजार पर लिस्ट करवाने की है। अगर शेयर बाजार पर मुथूट माइक्रोफिन लिस्ट हो जाती है, तो ऐसा करने वाली ये चौथी कंपनी होगी।

    इस आईपीओ  की मैनेजर Edelweiss है जबकि Credit Suisse, Motilal Oswal और SMC Capitals अन्य बैंकर्स में शामिल हैं। 
    >आईपीओ Vs एफपीओ  Vs ओएफएस;  IPO vs FPO Vs OFS 

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    Rajanish Kant मंगलवार, 9 अक्टूबर 2018
    विदेशी कंपनियों को मिली कमोडिटी डेरिवेटिव्ज में सीधे कारोबार करने की अनुमति
    मार्केट रेगुलेटर सेबी ने घरेलू कमोडिटी डेरिवेटिव्ज कारोबार के विस्तार के लिए बड़ा फैसला लिया है। रेगुलेटर ने विदेशी कंपनियों को स्टॉक एक्सचेंज के कमोडिटी डेरिवेटिव्ज में कारोबार करने की मंजूरी दे दी।

    अभी तक विदेशी कंपनियां भले ही कमोडिटी का भारत में आयात-निर्यात करती हो, लेकिन उसे सीधे तौर पर कमोडिटी डेरिवेटिव्ज में कारोबार करने की मंजूरी नहीं थी। 

    सेबी का इस बारे में क्या कहना है, डीटेल्स पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें-

    Rajanish Kant
    Sovereign Gold Bond: अक्टूबर 2018 से फरवरी 2019 तक बांड कब-कब जारी होंगे, डीटेल्स जानें
    सॉवरेन गोल्‍ड बांड योजना 2018-19
    भारत सरकार ने भारतीय रिजर्व बैंक के परामर्श से सॉवरेन गोल्‍ड बांड 2018-19 जारी करने का निर्णय लिया है। अक्‍टूबर 2018 से लेकर फरवरी 2019 तक हर महीने सॉवरेन गोल्‍ड बांड जारी किए जाएंगे। ये बांड निम्‍नलिखित कैलेंडर के अनुसार जारी किए जाएंगे :

    क्रसं.
    सीरीजखरीदने के लिए आवेदन की अवधिबांड जारी करने की तिथि
    12018-19 सीरीज II15-19 अक्‍टूबर,  201823 अक्‍टूबर, 2018
    22018-19 सीरीज III05-09 नवम्‍बर, 201813 नवम्‍बर, 2018
    32018-19 सीरीज IV24-28 दिसंबर, 201801 जनवरी, 2019
    42018-19 सीरीज V14–18 जनवरी, 201922 जनवरी, 2019
    52018-19 सीरीज VI04-08 फरवरी, 201912 फरवरी, 2019

    बांडों की बिक्री बैंकों, स्‍टॉक होल्डिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एसएचसीआईएल), नामित डाकघरों और मान्‍यता प्राप्‍त स्‍टॉक एक्‍सचेंजों जैसे कि नेशनल स्‍टॉक एक्‍सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड और बॉम्‍बे स्‍टॉक एक्‍सचेंज लिमिटेड के जरिए की जाएगी। बांड की खूबियों का उल्‍लेख नीचे किया गया है:
    क्र.सं.
    मद
    विवरण
    1उत्‍पाद का नाम
    सॉवरेन गोल्‍ड बांड 2018-19
    2जारी करना
    भारत सरकार की ओर से भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी किए जाएंगे।
    3पात्रता
    बांडों की बिक्री विभिन्‍न व्‍यक्तियोंहिंदू अविभाजित परिवार (एचयूएफ), ट्रस्‍ट, विश्‍वविद्यालयों और धर्मार्थ संस्‍थानों जैसे निवासी निकायों तक ही सीमित रहेगी।
    4मूल्‍य वर्ग
    बांडों को 1 ग्राम की बुनियादी इकाई के साथ सोने के ग्राम संबंधी गुणक में अंकित किया जाएगा।
    5अवधि
    बांड की अवधि 8 साल होगी और पांचवें, छठे एवं सातवें साल में इससे बाहर निकलने का विकल्‍प रहेगा, जिसका इस्‍तेमाल ब्‍याज भुगतान की तिथियों पर किया जा सकता है।
    6न्‍यूनतम आकार
    न्‍यूनतम स्‍वीकार्य सीमा 1 ग्राम सोना है।
    7अधिकतम सीमा
    खरीदने की अधिकतम सीमा व्‍यक्तियों के लिए 4 किलोग्राम, एचयूएफ के लिए भी 4 किलोग्राम और ट्रस्‍ट एवं इसी तरह के निकायों के लिए 20 किलोग्राम प्रति वित्त वर्ष (अप्रैल-मार्च) होगी, जिसके बारे में सरकार द्वारा समय-समय पर अधिसूचित किया जाता है। इस आशय की एक स्‍व-घोषणा पत्र प्राप्‍त करना होगा। वार्षिक सीमा में सरकार द्वारा आरंभिक निर्गमन के दौरान विभिन्‍न सीरीज के तहत खरीदे गए बांड और द्वितीयक बाजार से खरीदे गए बांड भी शामिल होंगे।
    8संयुक्‍त धारक
    संयुक्‍त रूप से धारण किए जाने की स्थिति में 4 किलोग्राम की निवेश सीमा केवल प्रथम आवेदक पर लागू होगी।  
    9निर्गम मूल्‍य या इश्‍यू प्राइस
    बांड का मूल्‍य भारतीय रुपये में तय किया जाएगा जो अभिदान अवधि से ठीक पिछले सप्‍ताह के अंतिम 3 कार्य दिवसों पर 999 शुद्धता वाले सोने के बंद मूल्‍य के सामान्‍य औसत पर आधारित होगा। इसका प्रकाशन इंडिया बुलियन एंड ज्‍वेलर्स एसोसिएशन लिमिटेड द्वारा किया जाएगा। स्‍वर्ण बांड का निर्गम मूल्‍य उन लोगों के लिए प्रति ग्राम 50 रुपये कम होगा जो इसकी खरीदारी ऑनलाइन करेंगे और इसका भुगतान डिजिटल मोड के जरिए करेंगे।
    10भुगतान का विकल्‍प
    बांड का भुगतान या तो नकद अदायगी (अधिकतम 20,000 रुपये तक) अथवा डिमांड ड्राफ्ट या चेक अथवा इलेक्‍ट्रॉनिक बैंकिंग के जरिए की जा सकेगी।
    11निर्गमन फॉर्म
    स्‍वर्ण बांडों को जीएस अधिनियम, 2006 के तहत भारत सरकार के स्‍टॉक के रूप में जारी किया जाएगा। निवेशकों को इसके लिए एक धारण (होल्डिंग) प्रमाण-पत्र जारी किया जाएगा। बांडों को डिमैट स्‍वरूप में बदला जा सकेगा।
    12विमोचन मूल्‍य
    विमोचन मूल्‍य भारतीय रुपये में होगा जो 999 शुद्धता वाले सोने के बंद मूल्‍य के पिछले 3 कार्य दिवसों के सामान्‍य औसत पर आधारित होगा। इसका प्रकाशन इंडिया बुलियन एंड ज्‍वेलर्स एसोसिएशन (आईबीजेए) द्वारा किया जाएगा।
    13बिक्री का माध्यम
    बांडों की बिक्री बैंकोंस्टॉक होल्डिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एसएचसीआईएल)नामित डाकघरों (जिन्‍हें अधिसूचित किया जा सकता है) और मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंजों जैसे कि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड और बॉम्बे स्टॉ‍क एक्सचेंज लिमिटेड के जरिए या तो सीधे अथवा एजेंटों के जरिए की जाएगी।
    14ब्‍याज दर
    निवेशकों को प्रति वर्ष 2.50 प्रतिशत की निश्चित दर से मुआवजा दिया जाएगाजो अंकित मूल्‍य पर हर छह महीने में देय होगा।
    15जमानत या गारंटी के रूप में 
    बांडों का उपयोग ऋणों के लिए जमानत या गारंटी के रूप में किया जा सकता है। ऋण-मूल्‍य (एलटीवी) अनुपात को साधारण स्‍वर्ण ऋण के बराबर तय किया जाएगा जिसके बारे में रिजर्व बैंक द्वारा समय-समय पर अधिदेश जारी किया जाएगा। बांडों पर स्‍वत्व अथवा वैध अधिकार को डिपोजिटरी अथवा अधिकृत बैंकों द्वारा चिन्हित किया जाएगा। सॉवरेन गोल्‍ड बांड (एसजीबी) पर ऋण देने का निर्णय कर्जदाता बैंक/संस्‍थान द्वारा लिया जाएगा और इसे एसजीबी धारक का अधिकार नहीं माना जा सकता है।
    16केवाईसी दस्‍तावेज
    अपने ग्राहक को जानो (केवाईसी)’ से जुड़े मानक वही होंगे जो भौतिक या ठोस रूप में सोने की खरीदारी के लिए तय किए गए हैं। केवाईसी दस्‍तावेज जैसे कि वोटर आईडी, आधार कार्ड/पैन अथवा टैन/ पासपोर्ट की आवश्‍यकता होगी। प्रत्‍येक आवेदन के साथ आयकर विभाग द्वारा निवेशकों को जारी स्‍थायी खाता संख्‍या (पैन) की प्रति भी अवश्‍य संलग्‍न की जानी चाहिए।
    17टैक्‍स देनदारी
    आयकर अधिनियम, 1961 (43, 1961) के प्रावधान के अनुसार, स्‍वर्ण बांड पर प्राप्‍त होने वाले ब्‍याज पर टैक्‍स अदा करना होगा। किसी भी व्‍यक्ति को एसजीबी के विमोचन पर होने वाले पूंजीगत लाभ को कर मुक्‍त कर दिया गया है। बांड के हस्‍तांतरण पर किसी भी व्‍यक्ति को प्राप्‍त होने वाले दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ पर इंडेक्सेशन या मूल्‍य सूचकांक से जोड़ने के कारण टैक्‍स भार कम करने संबंधी फायदे भी मिलेंगे।
    18ट्रेडिंग पात्रता
    किसी भी निर्धारित तिथि पर बांड जारी होने के एक पखवाड़े के भीतर बांडों की ट्रेडिंग स्‍टॉक एक्‍सचेंजो पर हो सकेगी, जैसा कि आरबीआई द्वारा अधिसूचित किया जाएगा। 
    19 एसएलआर संबंधी पात्रता
    स्‍वत्व अथवा वैध अधिकार/ बंधक/गिरवी का उपयोग करने की प्रक्रिया के जरिए बैंकों द्वारा हासिल किए गए बांडों की गिनती वैधानिक तरलता अनुपात (एसएलआर) के संदर्भ में की जाएगी। 
    20कमीशन
    बांडों के वितरण पर कमीशन प्राप्‍तकर्ता कार्यालयों को हासिल होने वाले प्रति 100 रुपये के अभिदान पर 1 रुपये की दर से दिया जाएगा और प्राप्‍तकर्ता कार्यालय इस तरह से हासिल होने वाले प्रति 100 रुपये के कमीशन पर कम से कम 50 पैसे को उन एजेंटों अथवा उप-एजेंटों के साथ साझा करेंगे जिनके जरिए संबंधित बिजनेस या कारोबार हासिल किया गया है।  

    (Source: pib.nic.in)

    Rajanish Kant
    आयकर रिटर्न भरनेवालों के लिए खुशखबरी
    अगर अभी तक आपने वित्त वर्ष 2017-18 इनकम टैक्स रिटर्न नहीं भरा है और ऑडिट रिपोर्ट जमा नहीं किया है तो आपके जरूरी खबर है। दरअसल, आयकर विभाग कुछ खास कैटेगरी के लिए इनकम टैक्स रिटर्न भरने और ऑडिट रिपोर्ट जमा करने की आखिरी तारीख बढ़ाकर 31 अक्टूबर 2018 कर दिया है। इससे पहले आखिरी तारीख को बढ़ाकर 15 अक्टूबर 2018 किया गया था। 

    इसका मतलब ये हुआ कि अगर आप 31 अक्टूबर 2018 तक आईटी रिटर्न भरते हैं तो आपको जुर्माना नहीं देना पड़ेगा, लेकिन इसके बाद भरते हैं तो आपसे जुर्माना वसूला जाएगा। 

    (('बिना प्रोफेशनल ट्रेनिंग के शेयर बाजार जरूर जुआ है'
    ((शेयर बाजार: जब तक सीखेंगे नहीं, तबतक पैसे बनेंगे नहीं! 
    ((जानें वो आंकड़े-सूचना-सरकारी फैसले और खबर, जो शेयर मार्केट पर डालते हैं असर
    म्युचुअल फंड के बदल गए नियम, बदलाव से निवेशकों को फायदा या नुकसान, जानें विस्तार से  
    ((फाइनेंशियल प्लानिंग (वित्तीय योजना) क्या है और क्यों जरूरी है?
    ((ये दिसंबर तिमाही को कुछ Q2, कुछ Q3 तो कुछ Q4 क्यों बताते हैं ?
    ((कैसे करें शेयर बाजार में एंट्री 
    ((सामान खरीदने जैसा आसान है शेयर बाजार में पैसे लगाना
    ((खुद का खर्च कैसे मैनेज करें? 
    (बच्चों को फाइनेंशियल एजुकेशन क्यों देना चाहिए पर हिन्दी किताब- बेटा हमारा दौलतमंद बनेगा)
    ((मेरा कविता संग्रह "जब सपने बन जाते हैं मार्गदर्शक"खरीदने के लिए क्लिक करें 

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    Rajanish Kant सोमवार, 8 अक्टूबर 2018
    FD: सालाना 9.5% ब्याज पा सकते हैं, SBI नहीं, ये बैंक दे रहे हैं इतना ब्याज

    FD: सालाना 9.5% ब्याज पा सकते हैं, SBI नहीं, ये बैंक दे रहे हैं इतना ब्याज

    Rajanish Kant
    RBI के प्रमुख दरों को जस का तस रखने के फैसले का सरकार ने किया स्वागत
       
     मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने आज अपनी बैठक में वर्तमान एवं उभरती समग्र आर्थिक स्थिति के आकलन के आधार पर अपना चौथा द्विमासिक वक्‍तव्‍य जारी किया और इसके साथ ही तरलता समायोजन सुविधा (एलएएफ) के तहत नीतिगत रेपो रेट को 6.5 प्रतिशत पर यथावत रखने का निर्णय लिया।
         वित्‍त वर्ष 2018-19 के लिए सकल घरेलू उत्‍पाद (जीडीपी) के विकास अनुमान को अगस्‍त माह के 7.4 प्रतिशत पर ही अपरिवर्तित रखा गया है। वित्‍त वर्ष 2018-19 और वित्‍त वर्ष 2019-20 की प्रथम तिमाही के लिए महंगाई के अनुमान को अगस्‍त माह की तुलना में संशोधित करके कम कर दिया गया है।
         सरकार ने एमपीसी के आकलन का स्‍वागत किया है और नीतिगत रेट को यथावत रखने संबंधी उसके निर्णय को रेखांकित किया।
    (Source: pib.nic.in)

    Rajanish Kant शुक्रवार, 5 अक्टूबर 2018