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RBI ने की रेपो रेट में 0.25% की कटौती, ग्रोथ अनुमान भी घटाया,लोन होंगे और सस्ते, FD पर ब्याज भी घटेगा
भारतीय रिजर्व बैंक यानी RBI ने रेपो रेट में 0.25% की कटौती करते हुए इसे 5.15% कर दिया है। केंद्रीय बैंक ने तीन दिनों के बैठक के बाद  आज नीतिगत दरों में कटौती की घोषणा की। RBI के इस फैसले के बाद बैंक लोन और सस्ते कर सकते हैं। हालांकि FD पर ब्याज दर और घट सकते हैं। 


इस कटौती के साथ ही ब्याज दरों में यह लगातार पांचवीं कटौती हो गई। रिजर्व बैंक ने इस साल अब तक कुल मिलाकर प्रमुख दरोौं में 1.35% की कमी की है। 

(RBI की डीटेल्स में घोषणा पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

>RBI घोषणा की खास बात:
-रेपो रेट 0.25% घटकर 5.15% 
-रिवर्स रेपो रेट 0.25% घटकर 4.90% 
-MSF 0.25% घटकर 5.45% 
-बैंक रेट 0.25% घटकर 5.45% 
-RBI ने ग्रोथ कम होने का अनुमान जताया है
-मौजूदा वित्त वर्ष में जीडीपी ग्रोथ का अनुमान अगस्त बैठक के 6.9 प्रतिशत से घटाकर
6.1 प्रतिशत किया, 

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Rajanish Kant शुक्रवार, 4 अक्तूबर 2019
RBI ने की प्रमुख दरों में 0.25% की कटौती,लोन होगा सस्ता, एफडी पर ब्याज होंगे कम, ग्रोथ अनुमान घटा

RBI की मौद्रिक पॉलिसी कमिटी ने उम्मीद के मुताबिक, प्रमुख दरों में 0.25% कटौती कर दी है। नई दरें तत्काल प्रभाव से लागू हो गईं। इस कटौती के बाद रेपो रेट 6 प्रतिशत से घटकर 5.75 प्रतिशत, रिवर्स रेपो रेट 5.75 प्रतिशत से कम होकर 5.50 प्रतिशत, एमएसएफ यानी मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी 6.25 प्रतिशत से कम होकर 6 प्रतिशत और बैंक रेट 6.25 प्रतिशत से कम होकर 6 प्रतिशत हो गया।

मौद्रिक पॉलिसी कमिटी 3,4 और 6 जून की बैठक के बाद प्रमुख दरों में चौथाई प्रतिशत कटौती का फैसला किया। 

कमिटी ने कहा कि लक्ष्य के आसपास महंगाई दर (4 प्रतिशत) रहने की वजह से और ग्रोथ को बढ़ाने के लिए  प्रमुख दरों में कटौती की गई है। इस कटौती के बाद होम, पर्सनल, ऑटो समेत सभी तरह के लोन सस्ते हो जाएंगे, वहीं बैंक एफडी में पैसा लगाने वालों को नुकसान उठाना पड़ेगा।

मौद्रिक पॉलिसी कमेटी ने वित्त वर्ष 2019-20 के ग्रोथ अनुमान को 7.2 प्रतिशत से घटाकर 7 प्रतिशत कर दिया है। कमेटी के अनुसार वित्त वर्ष 2019-20 की पहली छमाही में जीडीपी ग्रोथ 6.4-6.7 प्रतिशत, जबकि दूसरी छमाही में 7.2-7.5 प्रतिशत रह सकती है।

कमेटी ने महंगाई के अनुमान को भी संशोधित किया है।  उसके अनुसार वित्त वर्ष 2019-20 की पहली छमाही में सीपीआई महंगाई दर 3-3.1 प्रतिशत, जबकि दूसरी छमाही में 3.4-3.7 प्रतिशत रह सकती है।

इस बैठक के मिनट्स 20 जून को जारी किए जाएंगे। आरबीआई एमपीसी  अगली बैठक 5,6 और सात अगस्त 2019 को होगी।

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Rajanish Kant गुरुवार, 6 जून 2019
RBI मौद्रिक पॉलिसी कमिटी की अगली बैठक 2-4 अप्रैल, जानिए वित्त वर्ष 2019-20 की सभी बैठक की तारीख
Meeting Schedule of the Monetary Policy Committee for 2019-20
As per Section 45ZI (1) and (2) of the Reserve Bank of India Act, 1934, the Reserve Bank shall organize at least four meetings of the Monetary Policy Committee in a year and the meeting schedule of the Monetary Policy Committee for a year shall be published at least one week before the first meeting in that year.
Accordingly, it has been decided that the Monetary Policy Committee (MPC) will meet six times during 2019-20 as indicated below:
First Bi-monthly Monetary Policy Statement for 2019-20April 2 to 4, 2019
Second Bi-monthly Monetary Policy Statement for 2019-20June 3, 4 and 6, 2019
Third Bi-monthly Monetary Policy Statement for 2019-20August 5 to 7, 2019
Fourth Bi-monthly Monetary Policy Statement for 2019-20October 1, 3 and 4, 2019
Fifth Bi-monthly Monetary Policy Statement for 2019-20December 3 to 5, 2019
Sixth Bi-monthly Monetary Policy Statement for 2019-20February 4 to 6, 2020
(Source: rbi.org.in)
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Rajanish Kant सोमवार, 25 मार्च 2019
RBI Policy Meet: रेपो रेट 0.25% बढ़ाकर 6.50% किया, लोन महंगे होंगे, EMI बढ़ेगी, FD पर ज्यादा ब्याज मिलेगा
रिजर्व बैंक की मौद्रिक पॉलिसी कमेटी ने लगातार दूसरी बार प्रमुख दरों में चौथाई प्रतिशत का इजाफा किया है। कमेटी ने 30,31 जुलाई और एक अगस्त की बैठक में रेपो रेट को 0.25 प्रतिशत बढ़ाकर 6.50 प्रतिशत, रिवर्स रेपो रेट को 0.25 प्रतिशत बढ़ाकर 6.25 प्रतिशत, एमएसएफ और बैंक रेट में भी 0.25 प्रतिशत का इजाफा करते हुए 6.75 प्रतिशत कर दिया। 
प्रमुख दरों में बढ़ोतरी के बाद होम लोन समेत सभी लोन महंगे होने की संभावना है जबकि बैंक एफडी कराने वालों को फायदा होगा। 
नई प्रमुख दरें:
-रेपो रेट                                  :  6.50%
-रिवर्स रेपो रेट                          :  6.25%
-मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी रेट (MSF): 6.75%
-बैंक रेट                             : 6.75%
-कैश रिजर्व रेश्यो (CRR)   : 4%
-एसएलआर                         :   19.5%
-बेस रेट                              :   8.75 - 9.45%
-MCLR (Overnight) : 7.90% -8.05%
-Savings Deposit Rate : 3.50% - 4.00%
-Term Deposit Rate > 1 Year: 6.25% - 7.00% 

RBI का अनुमान:
-2018-19 की  Q2 में महंगाई दर 4.2 प्रतिशत और दूसरी छमाही में 4.8 प्रतिशत रहने का अनुमान
-2019-20 की पहली तिमाही में महंगाई दर 5 प्रतिशत रहने का अनुमान
-2018-19 में जीडीपी ग्रोथ 7.4 प्रतिशत, पहली छमाही में 7.5-7.6 प्रतिशत, दूसरी छमाही में 

7.3-7.4 प्रतिशत और 2019-20 की पहली तिमाही में जीडीपी ग्रोथ 7.5 प्रतिशत रहने का अनुमान

इससे पहले रिजर्व बैंक ने 4,5 और 6 जून की बैठक में मोदी सरकार के कार्यकाल में पहली बार ब्याज दर में इजाफा किया गया था। रेपो रेट में चौथाई प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई थी। 
(मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के बारे में जानें  
(मौद्रिक पॉलिसी क्या है

Rajanish Kant बुधवार, 1 अगस्त 2018
RBI MPC Meeting: आज दोपहर 2.30 बजे पता चलेगा कि ब्याज बढ़ा या नहीं ? रेपो रेट 0.25% बढ़ने का अनुमान
वर्ष 2018-19 के तृतीय द्विमासिक मौद्रिक नीति वक्तव्य के लिए मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक का आज आखिरी दिन है। एमपीसी ब्याज दर पर क्या फैसला लेती है, इसका पता आज  दोपहर 2.30 बजे चलेगा। यह तीनदिवसीय बैठक 30 अगस्त को शुरू हुई थी। कुछ जानकारों का मानना है कि बैठक में प्रमुख दरों में चौथाई प्रतिशत की बढ़ोतरी की जा सकती है। 
इससे पहले रिजर्व बैंक ने 4,5 और 6 जून की बैठक में मोदी सरकार के कार्यकाल में पहली बार ब्याज दर में इजाफा किया गया था। रेपो रेट में चौथाई प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई थी। 
RBI ने प्रमुख दरों में 0.25% का इजाफा किया, रेपो रेट@6.25%, रिवर्स रेपो रेट@6.00%, EMI बढ़ेगी, FD पर ज्यादा ब्याज मिलेगा

मौजूदा प्रमुख दरें:
-रेपो रेट                                  :  6.25%

-रिवर्स रेपो रेट                          :  6.00%

-मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी रेट (MSF): 6.50%

-बैंक रेट                             : 6.50%

-कैश रिजर्व रेश्यो (CRR)   : 4%

-एसएलआर                         :   19.5%

-बेस रेट                              :   8.75 - 9.45%

-MCLR (Overnight) : 7.90% -8.05%

-Savings Deposit Rate : 3.50% - 4.00%

-Term Deposit Rate > 1 Year: 6.25% - 7.00% 

>30,31 जुलाई, 1 अगस्त की बैठक में क्या है संभावनाएं: 
आज से शुरु हो रही बैठक के बारे में कुछ जानकारों का मानना है कि ब्याज दर स्थिर रखी जा सकती है, जबकि कुछ का मानना है कि बढ़ोतरी की जा सकती है। ब्याज दर में कमी की उम्मीद तो नहीं जताई जा रही है। 

जो जानकार ब्याज दर में बढ़ोतरी का अनुमान जता रहे हैं वो कच्चे तेल की वैश्विक कीमतों में तेजी का रुझान, महंगाई दर में इजाफा और डॉलर के मुकाबले रुपए में आ रही गिरावट को वजह मान रहे हैं। अभी महंगाई दर रिजर्व बैंक के मध्यम अवधि के लक्ष्य 4% से ऊपर चल रही है और कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी के साथ ही डॉलर के मुकाबले रुपए में गिरावट से महंगाई दर पर और दबाव पड़ने की आशंका है। जानकारों का साथ ही ये भी कहना है विकास दर ठीक-ठाक है, ऐसे में रेपो रेट में 0.25 % की बढ़ोतरी मुमकिन है। 

जून में थोक मूल्य सूचकांक (WPI) पर आधारित महंगाई दर 5.77% दर्ज की गई, जो कि दिसंबर 2013 के बाद सबसे अधिक है, जबकि खुदरा मूल्य सूचकांक (CPI) पर आधारित महंगाई दर 5 % दर्ज की गई। हालांकि, जुलाई में महंगाई दर में कमी संभव है, क्योंकि करीब 80 वस्तुओं के जीएसटी में कमी की गई है। लेकिन, कृषि उपजों के एमएसपी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बढ़ोतरी की घोषणा से महंगाई दर पर दबाव बढ़ने की भी संभावना जताई जा रही है। 

अगर ब्याज दर बढ़ती है तो लोन और महंगे होंगे, जबकि एफडी करने वालों को फायदा होगा। 

((फाइनेंस का फंडा: भाग-21, RBI की क्या भूमिका है 
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Rajanish Kant
क्या RBI फिर ब्याज 0.25% बढ़ाएगा! आज से मंथन शुरू, 1 अगस्त को पता चलेगा
वर्ष 2018-19 के तृतीय द्विमासिक मौद्रिक नीति वक्तव्य के लिए मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक आज से शुरू हो रही है और 1 अगस्त 2018 तक चलेगी। एमपीसी ब्याज दर पर क्या फैसला लेती है, इसकी जानकारी 1 अगस्त 2018 को दोपहर 2.30 बजे पता चलेगा। इससे पहले रिजर्व बैंक ने 4,5 और 6 जून की बैठक में मोदी सरकार के कार्यकाल में पहली बार ब्याज दर में इजाफा किया गया था। रेपो रेट में चौथाई प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई थी। 

मौजूदा प्रमुख दरें:
-रेपो रेट                                  :  6.25%

-रिवर्स रेपो रेट                          :  6.00%

-मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी रेट (MSF): 6.50%

-बैंक रेट                             : 6.50%

-कैश रिजर्व रेश्यो (CRR)   : 4%

-एसएलआर                         :   19.5%

-बेस रेट                              :   8.75 - 9.45%

-MCLR (Overnight) : 7.90% -8.05%

-Savings Deposit Rate : 3.50% - 4.00%

-Term Deposit Rate > 1 Year: 6.25% - 7.00% 

>30,31 जुलाई, 1 अगस्त की बैठक में क्या है संभावनाएं: 
आज से शुरु हो रही बैठक के बारे में कुछ जानकारों का मानना है कि ब्याज दर स्थिर रखी जा सकती है, जबकि कुछ का मानना है कि बढ़ोतरी की जा सकती है। ब्याज दर में कमी की उम्मीद तो नहीं जताई जा रही है। 

जो जानकार ब्याज दर में बढ़ोतरी का अनुमान जता रहे हैं वो कच्चे तेल की वैश्विक कीमतों में तेजी का रुझान, महंगाई दर में इजाफा और डॉलर के मुकाबले रुपए में आ रही गिरावट को वजह मान रहे हैं। अभी महंगाई दर रिजर्व बैंक के मध्यम अवधि के लक्ष्य 4% से ऊपर चल रही है और कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी के साथ ही डॉलर के मुकाबले रुपए में गिरावट से महंगाई दर पर और दबाव पड़ने की आशंका है। जानकारों का साथ ही ये भी कहना है विकास दर ठीक-ठाक है, ऐसे में रेपो रेट में 0.25 % की बढ़ोतरी मुमकिन है। 

जून में थोक मूल्य सूचकांक (WPI) पर आधारित महंगाई दर 5.77% दर्ज की गई, जो कि दिसंबर 2013 के बाद सबसे अधिक है, जबकि खुदरा मूल्य सूचकांक (CPI) पर आधारित महंगाई दर 5 % दर्ज की गई। हालांकि, जुलाई में महंगाई दर में कमी संभव है, क्योंकि करीब 80 वस्तुओं के जीएसटी में कमी की गई है। लेकिन, कृषि उपजों के एमएसपी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बढ़ोतरी की घोषणा से महंगाई दर पर दबाव बढ़ने की भी संभावना जताई जा रही है। 

अगर ब्याज दर बढ़ती है तो लोन और महंगे होंगे, जबकि एफडी करने वालों को फायदा होगा। 

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Rajanish Kant सोमवार, 30 जुलाई 2018
क्या सस्ता कर्ज ही इकोनॉमी को बढ़ाने का एकमात्र मर्ज है? सरकार सिर्फ RBI के भरोसे क्यों ? 3-4 अक्टूबर को क्या ब्याज घटेगा?
देश में इकोनॉमी की रफ्तार मोदी जी के 2014 में सत्ता संभालने के बाद सबसे कम दर्ज की गई है, महंगाई दर पांच महीने की उंचाई पर पहुंच गई है, कर्ज की प्रमुख दरें सात साल में सबसे कम है, इन सब तथ्यों के बीच 3 और 4 अक्टूबर को  RBI मौद्रिक नीति समिति की बैठक होने वाली है। 

सरकार ने रिजर्व बैंक से प्रमुख दरों में कटौती की मांग की है। सरकार का कहना है कि अभी भी प्रमुख दरों में कटौती की गुंजाइश है। लेकिन, सवाल है कि क्या एकमात्र कर्ज की दरों में कटौती से ही इकोनॉमी में जान फूंकी जा सकती है या फिर सरकार को भी इसके लिए कुछ करना होगा। 

इकोनॉमी और सस्ते कर्ज को लेकर एक बात और अगर सस्ते कर्ज से इकोनॉमी को सरपट दौड़ाई जा सकती थी तो आज जापान के अलावा कई यूरोपीय देशों में नकारात्मक ब्याज दर की व्यवस्था है, लेकिन वो देश इकोनॉमी में सुस्ती के दर्द से गुजर रहे हैं। 

तो, सरकार को इस बात भी गौर करना चाहिए कि इकोनॉमी के लिए सरकार की कोशिशें भी काफी मायने रखती है। 

> अब बात करते हैं कि 3.4 अक्टूबर की बैठक में क्या ब्याज घटेगा...आइये देखते हैं इस मामले में देश की इकोनॉमी से जुड़े महत्वपूर्ण आंकड़े क्या संकेत देते हैं...। 

इससे पहले कि हम अपने देश के आंकड़ों की बात करें, आपको बता दूं कि आरबीआई मौद्रिक पॉलिसी की समीक्षा करते समय अमेरिकी फेडरल रिजर्व के ब्याज दरों की संभावित कदमों पर भी  विचार करेगा। अभी हाल ही में फेडरल रिजर्व ने बैठक की थी, जिसमें ब्याज दर तो स्थिर रखने पर सहमति बनी, लेकिन इस साल ब्याज दर में एक बढ़ोतरी की संभावना जताई गई है। तो, अमेरिका में ब्याज बढ़ना और अपने यहां ब्याज घटने का मतलब होगा कि विदेशी निवेशक भारत से पैसा निकालकर अमेरिका में लगाएंगे। जो कि आरबीआई कभी नहीं चाहेगा। चलिए, अब बात करते हैं अपने यहां के प्रमुख आर्थिक आंकड़ों की....

इस वित्त वर्ष में अगस्त की बैठक में आरबीआई ने प्रमुख दरों में चौथाई परसेंट की कटौती की थी। इस कटौती के बाद देश में प्रमुख दर सात साल में सबसे कम हो गई है। 

अगस्त में खुदरा मूल्य सूचकांक (CPI) पर आधारित महंगाई दर बढ़कर 3.36 परसेंट पर पहुंच गई,जो कि पांच महीने में सबसे अधिक है। जुलाई में यह 2.36 परसेंट थी। खाने के सामान खासकर सब्जियों के महंगे होने से महंगाई को हवा मिली।  

देश की ताजा जीडीपी ग्रोथ की बात करें, तो यह उम्मीद से काफी खराब रही है। इस वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही में जीडीपी ग्रोथ 5.7 प्रतिशत दर्ज की गई, जबकि पिछले वित्त वर्ष की इसी तिमाही में यह 7.9 प्रतिशत थी। नरेंद्र मोदी सरकार के 2014 में सत्ता में आने के बाद अप्रैल-जून तिमाही की जीडीपी ग्रोथ सबसे कम है। इस मामले में हम लगातार दो तिमाहियों से चीन से पिछड़ गए हैं। 

जानकार इसके लिए नोटबंदी और इसी साल एक जुलाई से लागू जीएसटी यानी वस्तु और सेवा कर को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। हालांकि, सरकार इकोनॉमी में जान फूंकने के लिए लगातार कोशिश कर रही है। वरिष्ठ सरकारी अधिकारी इकोनॉमी में तेजी लाने, एक्सपोर्ट को बढ़ावा देने, निवेश में गति लाने और नौकरियों के सृजन के लिए लगातार बैठकें कर रहे हैं। 


देखते हैं, सरकार की कोशिशें इकोनॉमी में तेजी लाने के लिए क्या रंग लाती है...? 

Rajanish Kant मंगलवार, 26 सितंबर 2017
RBI ने ब्याज दर में कोई बदलाव नहीं किया, SLR में कटौती,आर्थिक वृद्धि अनुमान में की कमी
रिजर्व बैंक की मौद्रिक पॉलिसी समिति ने 6 और 7  जून 2017 की बैठक के बाद रेपो रेट 6.25% पर और रिवर्स रेपो रेट  6% पर स्थिर रखा है। हालांकि, समिति ने एसएलआर को 0.50 प्रतिशत कम करते हुए इसे 20 प्रतिशत कर दिया है। नया एसएलआर 24 जून से लागू होगा।

मौद्रिक पॉलिसी समिति की बैठक में इस बात पर चर्चा की गई कि नीतिगत दरों में कटौती पर फैसला लेने के लिए आगे आने वाले आंकड़ों का इंतजार किया जाएगा। साथ ही इस बात पर भी सहमति बनी कि घरेलू इकोनॉमी की सेहत ठीक करने के लिए निजी निवेश को बढ़ाने, बैंकिंग सेक्टर की हालत सुधारने और इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर के रास्ते में आने वाली बाधाओं को दूर करने की जरूरत है।

रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2017-18 की पहली छमाही में महंगाई दर 2-3.5 प्रतिशत और दूसरी छमाही में 3.5-4.5 प्रतिशत के दायरे में रहने का अनुमान लगाया है। रिजर्व बैंक ने इसके साथ ही चालू वित्त वर्ष के लिए आर्थिक वृद्धि के अनुमान को भी 7.4 प्रतिशत से घटा कर 7.3 प्रतिशत कर दिया.

RBI की इस बैठक का मिनट्स 21 जून को प्रकाशित होगा,जबकि मौद्रिक पॉलिसी समिति की अगली बैठक 1 और 2 अगस्त को होगी।

Second Bi-monthly Monetary Policy Statement, 2017-18 
रिवर्स रेपो रेट को ऐसे समझिए: बैंकों के पास दिन भर के कामकाज के बाद बहुत बार एक बड़ी रकम शेष बच जाती है। बैंक वह रकम अपने पास रखने के बजाय रिजर्व बैंक में रख सकते हैं, जिस पर उन्हें रिजर्व बैंक से ब्याज भी मिलता है। जिस दर पर यह ब्याज मिलता है, उसे रिवर्स रेपो रेट कहते हैं।

वैसे कई बार रिजर्व बैंक को लगता है कि बाजार में बहुत ज्यादा नकदी हो गई है तब वह रिवर्स रेपो रेट में बढ़ोतरी कर देता है। इससे होता यह है कि बैंक ज्यादा ब्याज कमाने के लिए अपना पैसा रिजर्व बैंक के पास रखने लगते हैं।

रिजर्व बैंक की प्रमुख दरें:
रेट                                           पुराना रेट ( %)              मौजूदा रेट ( %)
>रेपो रेट:                                              6.25                 6.25
----------------------------------------------------------------------------------------
>रिवर्स रेपो रेट:                                      5.75                6.00
----------------------------------------------------------------------------------------
>मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी रेट (MSF):  6.75               6.50
-------------------------------------------------- -----------------------------------------            
>कैश रिजर्व रेश्यो (CRR):                        4                      4.00
------------------------------------------------------------------------------------------
>बैंक रेट:                                               6.75                    6.50
---------------------------------------------------------------------------------------------
>SLR:                                                    20.50             20.00
-------------------------------------------------------- -------------------------------------
>बेस रेट        :                                  9.25 - 9.65                   9.25-9.60
-----------------------------------------------------------------------------------------------
>MCLR (Overnight) :                        7.75 -8.20                     7.75-8.20  
---------------------------------------------------------------------------------------------
>Savings Deposit Rate :                               4                                 4.00
--------------------------------------------------------------------------------------------------
>Term Deposit Rate > 1 Year :                  6.50- 7.00                          6.50-7.00
--------------------------------------------------------------------------------------------------

((5 और 6 अप्रैल 2017 की RBI मौद्रिक पॉलिसी समिति बैठक: रेपो रेट जस का तस, रिवर्स रेपो रेट 0.25% बढ़ा 
((RBI ने 7,8 फरवरी की बैठक में ब्याज दर में कोई बदलाव नहीं किया 
(वर्ष 2017-18 में मौद्रिक नीति समिति की कब-कब बैठक होगी, जानिए बैठकों की समयसारिणी
((फाइनेंस का फंडा: भाग-21, RBI की क्या भूमिका है 
(मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के बारे में जानें  
(मौद्रिक पॉलिसी क्या है

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((ये दिसंबर तिमाही को कुछ Q2, कुछ Q3 तो कुछ Q4 क्यों बताते हैं ?
((कैसे करें शेयर बाजार में एंट्री 
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((खुद का खर्च कैसे मैनेज करें? 


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Rajanish Kant बुधवार, 7 जून 2017