रिज़र्व बैंक ने डिजिटल भुगतान लेनदेन के लिए अधिप्रमाणन तंत्र पर रूपरेखा संबंधी निदेश जारी किए
भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने आज भारतीय रिज़र्व बैंक (डिजिटल भुगतान लेनदेन के लिए अधिप्रमाणन तंत्र) निदेश, 2025 जारी किए।
भारतीय रिज़र्व बैंक ने 31 जुलाई 2024 को डिजिटल भुगतान लेनदेन के लिए वैकल्पिक अधिप्रमाणन तंत्र संबंधी निदेशों का मसौदा और 7 फरवरी 2025 को सीमापारीय कार्ड नॉट प्रेजेंट (सीएनपी) लेनदेन के लिए अधिप्रमाणन के अतिरिक्त कारक (एएफ़ए) की शुरुआत संबंधी निदेशों का मसौदा, हितधारकों की टिप्पणियों के लिए जारी किए थे।
जनता से प्राप्त प्रतिक्रिया की जांच की गई और उसे अंतिम निदेशों में उचित रूप से शामिल किया गया है। ये निदेश, अन्य बातों के साथ-साथ, निम्नलिखित पर केंद्रित हैं:
ए. प्रौद्योगिकीय प्रगति का लाभ उठाकर अधिप्रमाणन के नए कारकों की शुरुआत को प्रोत्साहित करना। तथापि, यह ढाँचा अधिप्रमाणन कारक के रूप में एसएमएस आधारित ओटीपी को बंद करने के लिए नहीं कहता है।
बी. जारीकर्ताओं को अंतर्निहित लेनदेन की धोखाधड़ी जोखिम धारणा के आधार पर, न्यूनतम दो-कारक अधिप्रमाणन से परे अतिरिक्त जोखिम-आधारित जांच अपनाने में सक्षम बनाना।
सी. अंतरपरिचालनीयता और प्रौद्योगिकी तक खुली पहुंच को सुविधाजनक बनाना।
डी. जारीकर्ताओं की जिम्मेदारी का निर्धारण।
ई. जब भी विदेशी व्यापारी या अधिग्रहणकर्ता द्वारा ऐसा अनुरोध किया जाता है तब, कार्ड जारीकर्ताओं को गैर-आवर्ती सीमापारीय सीएनपी लेनदेन में एएफ़ए को मान्य करने के लिए अनिवार्य करना।
जब तक कि किसी विशेष निदेश द्वारा अन्यथा न कहा जाए, इन निदेशों का अनुपालन 1 अप्रैल 2026 तक किया जाएगा।
(साभार- www.rbi.org.in)
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