भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने 02 दिसंबर 2025 को अपनी वार्षिक प्रेस रिलीज़ जारी की, जिसमें इस साल की D-SIB (Domestic Systemically Important Banks – घरेलू रूप से प्रणालीगत महत्त्वपूर्ण बैंक) की ऑफिशियल सूची घोषित की गई।
प्रमुख बिंदु
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इस सूची में State Bank of India (SBI), HDFC Bank और ICICI Bank को पुनः D-SIB के रूप में पहचाना गया।
बैंक को उनके Systemic Importance Score (SIS) के आधार पर अलग-अलग “बकेट” में रखा गया है।
इन बैंकों के लिए अतिरिक्त Common Equity Tier 1 (CET1) पूंजी की जरूरत तय की गई है, जो उनकी जोखिम-संतुलित संपत्तियों (Risk Weighted Assets, RWAs) का एक प्रतिशत या उससे कम हो सकती है, बकेट के अनुसार।
| बैंक | बकेट | अतिरिक्त CET1 पूंजी आवश्यकता (RWAs का %) |
|---|---|---|
| State Bank of India (SBI) | बकेट – 5 | 1.00% |
| HDFC Bank | बकेट – 2 | 0.40% |
| ICICI Bank | बकेट – 1 | 0.20% |
सम्मिलित बैंकों को अतिरिक्त CET1 पूंजी को उनके Capital Conservation Buffer के ऊपर बनाए रखना होगा।” — RBI प्रेस नोट D-SIB क्या है, और यह क्यों मायने रखता है?“Systemically Important Banks” वे बैंक होते हैं जिनकी बैंकिंग प्रणाली और देश की अर्थव्यवस्था पर व्यापक प्रभाव होता है — यानी, यदि ये बैंक अस्थिर हो जाएँ, तो इसका प्रभाव सिर्फ उनके ग्राहकों तक सीमित नहीं रहता, बल्कि पूरे वित्तीय तंत्र व आम अर्थव्यवस्था पर पड़ सकता है। इसलिए, RBI उन्हें विशेष रूप से वर्गीकृत करता है और उनकी पूंजी संबंधी आवश्यकता बढ़ा कर उन्हें और अधिक सुरक्षित बनाता है। यह व्यवस्था यह सुनिश्चित करती है कि ये बड़े बैंक अपने ऋण, कर्ज और अन्य वित्तीय दायित्वों का सामना करने में सक्षम हों — जिससे बैंकिंग व्यवस्था की स्थिरता व वित्तीय प्रणाली में विश्वास बना रहे। आपके लिए क्या मायने रखता है
निष्कर्षRBI द्वारा D-SIB सूची में SBI, HDFC और ICICI बैंक का पुनः चयन इस बात का संकेत है कि ये बैंक न सिर्फ आकार में बड़े हैं, बल्कि देश की बैंकिंग प्रणाली पर उनकी ज़िम्मेदारी और भरोसे की भूमिका स्पष्ट है। निवेशक, खाता धारक और आम ग्राहक — सभी के लिए यह राहत की बात है। RBI का यह कदम बैंकिंग संस्थानों में वित्तीय मजबूती, स्थिरता और जोखिम प्रबंधन को बढ़ावा देने की दिशा में एक अहम कदम है। |
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