RBI ने रेपो रेट को 6.50% पर स्थिर रखा, जानें महगाई और GDP ग्रोथ पर क्या बोला

मौद्रिक नीति वक्तव्य, 2024-25
मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) का संकल्प
7 से 9 अक्तूबर 2024



मौद्रिक नीति निर्णय

वर्तमान और उभरती समष्टि-आर्थिक स्थिति के आकलन के पश्चात, मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने आज (9 अक्तूबर 2024) अपनी बैठक में यह निर्णय लिया है कि:

  • चलनिधि समायोजन सुविधा (एलएएफ) के अंतर्गत नीतिगत रेपो दर को 6.50 प्रतिशत पर यथावत् रखा जाए।

परिणामस्वरूप, स्थायी जमा सुविधा (एसडीएफ) दर 6.25 प्रतिशत तथा सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) दर और बैंक दर 6.75 प्रतिशत पर यथावत् बनी हुई है।

  • एमपीसी ने मौद्रिक नीति के रुख को बदलकर 'तटस्थ' करने तथा संवृद्धि को समर्थन प्रदान करते हुए मुद्रास्फीति को लक्ष्य के साथ टिकाऊ आधार पर संरेखित करने पर स्पष्ट रूप से ध्यान केंद्रित करने का निर्णय लिया।

ये निर्णय संवृद्धि को समर्थन देते हुए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) मुद्रास्फीति के लिए +/- 2 प्रतिशत के दायरे में 4 प्रतिशत के मध्यम अवधि लक्ष्य को प्राप्त करने के उद्देश्य के अनुरूप हैं।

संवृद्धि और मुद्रास्फीति की संभावना

2. वैश्विक अर्थव्यवस्था आघात-सह बनी हुई है और भू-राजनीतिक संघर्षों के बढ़ने से होने वाले अधोगामी जोखिमों के बावजूद, शेष वर्ष में इसकी गति स्थिर रहने की उम्मीद है। भारत में, निजी खपत और निवेश के कारण वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) ने 2024-25 की पहली तिमाही में 6.7 प्रतिशत की संवृद्धि दर्ज की। आगे देखते हुए, सामान्य से अधिक वर्षा और जलाशयों के मजबूत स्तरों के कारण कृषि क्षेत्र के बेहतर कार्य-निष्पादन की उम्मीद है, जबकि विनिर्माण और सेवा गतिविधियाँ स्थिर बनी हुई हैं। मांग पक्ष पर, खरीफ की अच्छी बुआई और त्यौहारी समय में उपभोक्ता खर्च में निरंतर वृद्धि निजी खपत के लिए शुभ संकेत है। उपभोक्ता और कारोबारी विश्वास में सुधार हुआ है। निवेश संभावना को आघात-सह गैर-खाद्य बैंक ऋण संवृद्धि, उच्च क्षमता उपयोग, बैंकों और कॉरपोरेट्स के मजबूत तुलन-पत्र और बुनियादी ढांचे पर खर्च पर सरकार के निरंतर जोर से समर्थन मिल रहा है। वैश्विक व्यापार मात्रा में सुधार से बाह्य मांग को समर्थन मिलने की उम्मीद है। इन सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए, 2024-25 के लिए वास्तविक जीडीपी संवृद्धि 7.2 प्रतिशत अनुमानित है, जिसमें यह दूसरी तिमाही में 7.0 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 7.4 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 7.4 प्रतिशत अनुमानित है। 2025-26 की पहली तिमाही के लिए वास्तविक जीडीपी संवृद्धि 7.3 प्रतिशत अनुमानित है (चार्ट 1)। जोखिम समान रूप से संतुलित हैं।

3. जुलाई और अगस्त में हेडलाइन मुद्रास्फीति तेजी से घटकर क्रमशः 3.6 और 3.7 प्रतिशत हो गई, जबकि जून में यह 5.1 प्रतिशत थी। आगे चलकर, आधार प्रभाव प्रतिकूल होने तथा खाद्य कीमतों में वृद्धि से सितम्बर माह के मुद्रास्फीति आंकडों में उल्लेखनीय वृद्धि देखने को मिल सकती है। तथापि, बेहतर खरीफ आवक और अच्छे रबी मौसम की बढ़ती संभावनाओं के कारण खाद्य मुद्रास्फीति 2024-25 की चौथी तिमाही तक कम होने की उम्मीद है। प्रमुख खरीफ फसलों की बुवाई पिछले वर्ष की तुलना में तथा दीर्घावधि औसत से अधिक है। खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अनाज के लिए पर्याप्त बफर भंडार उपलब्ध हैं। जलाशयों का पर्याप्त स्तर, अच्छी सर्दी की संभावना और अनुकूल मिट्टी की नमी की स्थिति, आगामी रबी मौसम के लिए शुभ संकेत हैं, तथापि प्रतिकूल मौसम की घटनाएं जोखिम बनी हुई हैं। रिज़र्व बैंक के उद्यम सर्वेक्षणों में शामिल कंपनियों को उम्मीद है कि निविष्टि लागत का दबाव कम होगा; तथापि, प्रमुख वस्तुओं, विशेषकर धातुओं और कच्चे तेल की कीमतों में हाल ही में हुई तेजी पर बारीकी से नजर रखने की जरूरत है। इन सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए, 2024-25 के लिए सीपीआई मुद्रास्फीति 4.5 प्रतिशत अनुमानित है, जिसमें यह दूसरी तिमाही 4.1 प्रतिशत, तीसरी तिमाही 4.8 प्रतिशत और चौथी तिमाही 4.2 प्रतिशत अनुमानित है। 2025-26 की पहली तिमाही के लिए सीपीआई मुद्रास्फीति 4.3 प्रतिशत रहने का अनुमान है (चार्ट 2)। जोखिम समान रूप से संतुलित हैं।

Chart 1 and Chart 2

मौद्रिक नीति निर्णयों का औचित्य

4. एमपीसी ने कहा कि घरेलू संवृद्धि संभावना घरेलू चालकों - निजी खपत और निवेश के समर्थन से आघात-सह बनी हुई है। यह मौद्रिक नीति को लक्ष्य के साथ मुद्रास्फीति के टिकाऊ संरेखण को प्राप्त करने के लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करने के लिए अवसर प्रदान करता है। एमपीसी ने दोहराया कि स्थायी मूल्य स्थिरता, उच्च संवृद्धि की निरंतर अवधि की नींव को मजबूत करती है। निकट भविष्य में क्षणिक उछाल के बाद, हेडलाइन मुद्रास्फीति में ऊपर बताए गए अनुमान के अनुसार कमी आने की उम्मीद है। खरीफ और रबी दोनों फसलों के लिए बेहतर संभावनाओं और खाद्यान्नों के पर्याप्त बफर भंडार के कारण, अब वित्तीय वर्ष के अंत में अवस्फीति के मार्ग पर अधिक विश्वास है। वर्तमान और अपेक्षित मुद्रास्फीति-संवृद्धि गतिकी को ध्यान में रखते हुए, जो कि अच्छी तरह से संतुलित है, एमपीसी ने मौद्रिक नीति के रुख को, निभाव को वापस लेने से बदलकर 'तटस्थ' करने तथा संवृद्धि को समर्थन प्रदान करते हुए मुद्रास्फीति को लक्ष्य के साथ टिकाऊ आधार पर संरेखित करने पर स्पष्ट रूप से ध्यान केंद्रित करने का निर्णय लिया। रुख में परिवर्तन से एमपीसी को लचीलापन प्राप्त होगा, साथ ही इससे उसे अवस्फीति की प्रगति पर नजर रखने में भी मदद मिलेगी, जो अभी भी अधूरी है। वैश्विक भू-राजनीतिक जोखिमों, वित्तीय बाज़ार में अस्थिरता, प्रतिकूल मौसम की घटनाओं और वैश्विक खाद्य एवं धातु की कीमतों में हाल की बढ़ोतरी से संबंधित अनिश्चितताओं से जोखिम उत्पन्न हो रहे हैं। अतएव, एमपीसी को उभरती मुद्रास्फीति संभावना के प्रति सतर्क रहना होगा। तदनुसार, एमपीसी ने इस बैठक में नीतिगत रेपो दर को 6.50 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखने का निर्णय लिया।

5. श्री सौगत भट्टाचार्य, प्रोफेसर राम सिंह, डॉ. राजीव रंजन, डॉ. माइकल देवब्रत पात्र और श्री शक्तिकान्त दास ने नीतिगत रेपो दर को 6.50 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखने के लिए वोट किया। डॉ. नागेश कुमार ने नीतिगत रेपो दर में 25 आधार अंकों की कमी करने के लिए वोट किया।

6. डॉ. नागेश कुमार, श्री सौगत भट्टाचार्य, प्रोफेसर राम सिंह, डॉ. राजीव रंजन, डॉ. माइकल देवब्रत पात्र और श्री शक्तिकान्त दास ने रुख को निभाव को वापस लेने से बदलकर 'तटस्थ' करने तथा संवृद्धि को समर्थन प्रदान करते हुए मुद्रास्फीति को लक्ष्य के साथ टिकाऊ आधार पर संरेखित करने पर स्पष्ट रूप से ध्यान केंद्रित करने के लिए वोट किया।

7. एमपीसी की इस बैठक का कार्यवृत्त 23 अक्तूबर 2024 को प्रकाशित किया जाएगा।

8. एमपीसी की अगली बैठक 4 से 6 दिसंबर 2024 के दौरान निर्धारित है।

 

(साभार-www.rbi.org.in) 

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