RBI ने दि यशवंत को-ऑपरेटिव बैंक पर जुर्माना लगाया, जानें कितना और क्यों

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दि यशवंत को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, सतारा, महाराष्ट्र पर मौद्रिक दंड लगाया



भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 16 जुलाई 2024 के आदेश द्वारा दि यशवंत को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, सतारा, महाराष्ट्र (बैंक) पर बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (बीआर अधिनियम) की धारा 56 के साथ पठित धारा 26ए के प्रावधानों के उल्लंघन और भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी ‘आय निर्धारण, आस्ति वर्गीकरण, प्रावधानीकरण और अन्य संबंधित मामले- यूसीबी’, ‘एक्सपोज़र मानदंड और सांविधिक/ अन्य प्रतिबंध - यूसीबी’, ‘अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी) मानदंड’ और ‘जमा खातों का रखरखाव - प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक’ संबंधी कतिपय निदेशों के अननुपालन के लिए 5.00 लाख (पाँच लाख रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, बीआर अधिनियम की धाराओं 46(4)(i) और 56 के साथ पठित धारा 47ए(1)(सी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

31 मार्च 2023 को बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक का सांविधिक निरीक्षण किया गया। सांविधिक प्रावधानों/ भारतीय रिज़र्व बैंक के निदेशों के अननुपालन के पर्यवेक्षी निष्कर्षों और उससे संबंधित पत्राचार के आधार पर, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि उक्त निदेशों के अनुपालन में विफलता के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए। नोटिस पर बैंक के उत्तर पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक ने, अन्य बातों के साथ-साथ, यह पाया कि बैंक के विरुद्ध निम्नलिखित आरोप सिद्ध हुए हैं, जिसके लिए मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है। बैंक (i) आय निर्धारण, आस्ति वर्गीकरण और प्रावधानीकरण मानदंडों के संदर्भ में कतिपय ऋण खातों को अनर्जक आस्तियों के रूप में वर्गीकृत करने और तदनुसार प्रावधान करने में विफल रहा; (ii) ऐसे ऋण स्वीकृत किए जो गैर-जमानती अग्रिमों तथा एकल सदस्यों और नाममात्र सदस्यों के लिए एक्स्पोज़र सीमा का उल्लंघन करते थे; (iii) निर्धारित आवधिकता के अनुसार अपने ग्राहकों के जोखिम वर्गीकरण की समीक्षा करने में विफल रहा; (iv) 10 वर्षों से अधिक समय तक अदावी शेषराशि को जमाकर्ता शिक्षण और जागरूकता निधि में अंतरित करने में विफल रहा; और (v) बचत खातों में न्यूनतम शेष राशि के रखरखाव में कमी के लिए ग्राहकों को सूचित किए बिना एकसमान दंडात्मक प्रभार लगाया।

यह कार्रवाई, विनियामकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है। इसके अलावा, इस मौद्रिक दंड को लगाने से भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक के विरुद्ध की जाने वाली किसी भी अन्य कार्रवाई पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।

(साभार: www.rbi.org.in)

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