बैंकों ने किस सेक्टर में सबसे ज्यादा लोन बांटे


बैंक ऋण का क्षेत्र-वार अभिनियोजन – मार्च 2023

मार्च 20231 महीने के लिए 40 चुनिंदा अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों से जुटाए गए बैंक ऋण के क्षेत्र-वार अभिनियोजन संबंधी आंकड़ें, जो सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों द्वारा अभिनियोजित कुल खाद्येतर ऋण का लगभग 93 प्रतिशत होता है, विवरण I और II में दिए गए हैं।

वर्ष-दर-वर्ष (व-द-व) आधार पर देखें तो, खाद्येतर बैंक ऋण2 में मार्च 2023 में 15.4 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, जबकि एक वर्ष पहले यह 9.7 प्रतिशत थी।

बैंक ऋण के क्षेत्र-वार अभिनियोजन की मुख्य बातें नीचे दी गई हैं:

  • मार्च 2023 में कृषि और संबद्ध कार्यकलापों के लिए प्रदत्त ऋण में 15.4 प्रतिशत (वर्ष-दर-वर्ष) तक की बढ़ोतरी हुई, जबकि एक वर्ष पहले यह 9.9 प्रतिशत थी।

  • उद्योग क्षेत्र को प्रदत्त ऋण में मार्च 2023 में 5.7 प्रतिशत (वर्ष-दर-वर्ष) की वृद्धि दर्ज की गई, जबकि यह मार्च 2022 में 7.5 प्रतिशत थी। आकार के अनुसार देखें तो, बड़े उद्योग को प्रदत्त ऋण में एक वर्ष पहले के 2.0 प्रतिशत की वृद्धि की तुलना में 3.0 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। मध्यम उद्योगों को प्रदत्त ऋण में एक वर्ष पहले के 54.4 प्रतिशत की तुलना में 19.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई। सूक्ष्म और लघु उद्योगों को प्रदत्त ऋण में मार्च 2023 में 12.3 प्रतिशत की वृद्धि (एक वर्ष पहले 23.0 प्रतिशत) दर्ज की गई।

  • उद्योग के भीतर, ‘मूल धातु और धातु उत्पादों’, ‘रसायन और रासायनिक उत्पादों’ और ‘पेट्रोलियम, कोयला उत्पादों’ और परमाणु ईंधन’ हेतु प्रदत्त ऋण में वृद्धि मार्च 2023 में पिछले वर्ष के इसी महीने की तुलना में बढ़ी, जबकि ‘खाद्य प्रसंस्करण’, ‘अवसंरचना’, एवं ‘कपड़ा’ की ऋण वृद्धि में गिरावट/कमी आई।

  • सेवा क्षेत्र को प्रदत्त ऋण, एक वर्ष पहले के 8.7 प्रतिशत से बढ़कर मार्च 2023 में 19.8 प्रतिशत (वर्ष-दर-वर्ष) हो गया, जो ‘गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी)’ और ‘व्यापार’ को प्रदत्त ऋण में सुधार की वजह से था।

  • वैयक्तिक ऋण में एक वर्ष पहले के 12.6 प्रतिशत की तुलना में मार्च 2023 में 20.6 प्रतिशत (वर्ष-दर-वर्ष) की वृद्धि दर्ज की गई, जिसकी मुख्य वजह ‘आवास ऋण’ थी।

1 आंकड़ें माह के अंतिम रिपोर्टिंग शुक्रवार से संबंधित हैं।

खाद्येतर ऋण के आंकड़ें माह के अंतिम रिपोर्टिंग शुक्रवार हेतु धारा – 42 विवरणी पर आधारित हैं, जिसमें सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक (एससीबी) शामिल हैं।

(साभार: www.rbi.org.in)

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