भारत को विनिमय दर निगरानी सूची से हटा सकता है अमेरिका
(सौ. भाषा)

अमेरिका भारत को विदेशी विनिमय निगरानी सूची से हटा सकता है। अमेरिका के वित्त मंत्रालय ने कहा कि भारत में ऐसी कुछ प्रगति हुई है और सरकार ने कुछ ऐसे कदम उठाए हैं जो उसकी कुछ बड़ी चिंताएं दूर हुयी हैं। 

अमेरिका उन देशों को निगरानी सूची में रखता है, जिनकी विनिमय दर नीतियों पर उसे शक है। अप्रैल में अमेरिका ने भारत के साथ चीन, जर्मनी, जापान, दक्षिण कोरिया और स्विट्जरलैंड को इस सूची में डाला था।

वित्त मंत्रालय ने बुधवार को जारी अपनी हालिया रिपोर्ट में भारत को इस सूची में बनाये रखा है। हालांकि उसने कहा कि भारत पिछले छह महीने में जिस दिशा में बढ़ा था वेसे आगे भी चलता रहा तो अगली द्वि-वार्षिक रिपोर्ट में उसका नाम सूची से हटाया जा सकता है। 

वित्त मंत्रालय ने अमेरिका के प्रमुख व्यापारिक साझेदारों की वृहत आर्थिक एवं मुद्रा विनिमय नीतियों पर जारी छमाही रिपोर्ट में यह बात कही। 

मंत्रालय ने अपनी रिपोर्ट में कहा, "भारत की परिस्थितयों में स्पष्ट बदलाव आया है। उसका केंद्रीय बैंक 2018 की पहली छह महीने में शुद्ध बिकवाल रहा जिससे जून 2018 में समाप्त चार तिमाहियों में डालर की शुद्ध खरीद कम होकर 4 अरब डॉलर या सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 0.2 प्रतिशत के बराबर रही।" 

उसने कहा कि वहां की स्थिति में 2017 की तुलना में इसमें काफी बदलाव आया है। उस दौरान पहली तीन तिमाहियों (सितंबर तक) में उसकी विदेशी मुद्रा की शुद्ध खरीद जीडीपी के दो प्रतिशत से अधिक थी। 

रिपोर्ट में कहा गया है कि साल के पहले छह महीने के दौरान विदेशी निवेशकों ने भारतीय पूंजी बाजार से निकासी की। पहले छह महीने में रुपया डॉलर के मुकाबले करीब सात प्रतिशत और वास्तविक आधार पर चार प्रतिशत से अधिक गिर गया है।

अमेरिका के साथ भारत का व्यापार अधिशेष (यानी अमेरिका का व्यापार घाटा) जून 2018 तक 23 अरब डॉलर है लेकिन भारत के चालू खाते का घाटा जीडीपी का 1.9 प्रतिशत हो गया है। 

वित्त मंत्रालय ने कहा, "भारत तीन में से सिर्फ एक मानदंड को पूरा कर पाया है। यदि अगली रिपोर्ट तक भारत का यह रुख बरकरार रहता है तो उसे निगरानी सूची से हटा दिया जायेगा।" 

उसने कहा कि भारत का चालू खाते का घाटा बड़े और लगातार उत्पाद व्यापार घाटे से बढ़ा है, जिसमें सोना और पेट्रोलियम पदार्थों का आयात शामिल है। तेल की आसमान छूती कीमतों के चलते उत्पाद व्यापार घाटा पहली छमाही में बढ़कर जीडीपी के 6.4 प्रतिशत पर पहुंच गया है। 

मंत्रालय ने भारत के विदेशी मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप नहीं करने की प्रशंसा की है। उसने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा कि रुपये की विनिमय दर में गिरावट बाजार-आधारित है और अनुचित उतार-चढ़ाव की स्थिति में ही हस्तक्षेप किया जायेगा।

Rajanish Kant गुरुवार, 18 अक्टूबर 2018
आधार से जारी मोबाइल नंबर नहीं होंगे बंद: सरकार

(सौ.भाषा)

आधार से जारी हुये फोन कनेक्शन रद्द होने की खबरों पर दूरसंचार विभाग और भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) ने बृहस्पतिवार को सफाई दी। सरकार ने कहा कि आधार का उपयोग करके जारी किये गये कनेक्शनों के बंद होने का कोई खतरा नहीं है। 

दूरसंचार विभाग और यूआईडीएआई ने उन खबरों को खारिज किया है, जिनमें कहा गया है कि आधार से जुड़े 50 करोड़ यानी आधे सिम कार्ड बंद हो जायेंगे। उन्होंने कहा कि ग्राहकों का पुन: सत्यापन तभी किया जायेगा जब कोई ग्राहक अपने आधार आधारित सत्यापन को किसी दूसरे पहचान पत्र या वैध पते प्रमाण पत्र से बदलना चाहेगा।

बयान में कहा गया कि ऐप के माध्यम से नये सिम कार्ड खरीदने की प्रक्रिया पर काम चल रहा है। इस प्रक्रिया में व्यक्ति की लाइव तस्वीर के साथ वैध पहचान पत्र जैसे आधार कार्ड, मतदाता पहचान या पोसपोर्ट देना होगा।

दोनों विभागों ने संयुक्त बयान में कहा, "उच्चतम न्यायालय ने आधार मामले में अपने फैसले में उन मोबाइल नंबरों को बंद करने का कहीं कोई निर्देश नहीं दिया है, जो आधार ई-केवाईसी के जरिये जारी हुये हैं। इसलिये लोगों को डरने या घबराने की कोई जरूरत नहीं है। लोगों को इस तरह की अफवाहों पर यकीन नहीं करना चाहिये।" 

न्यायालय ने 6 महीने के बाद दूरसंचार ग्राहकों के ईकेवाईसी (इलेक्ट्रॉनिक-ग्राहक को जानो) डेटा को हटाने के लिए भी नहीं कहा है। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि यूआईडीएआई को 6 महीने से अधिक समय तक सत्यापन का लॉग इन नहीं रखना चाहिए। तय सीमा से ज्यादा दिन तक सत्यापन लॉग इन नहीं रखने का प्रतिबंध यूआईडीएआई पर है, दूरसंचार कंपनियों पर नहीं। इसलिए, दूरसंचार कंपनियों को सत्यापन लॉग इन हटाने की कोई आवश्यकता नहीं है।

डीओटी-यूआईडीआई ने कहा कि प्रौद्योगिकी कंपनियां ग्राहकों की समस्याओं का समाधान करने के लिये आधार नियमों के अनुसार अपने स्तर पर सत्यापन लॉग इन रख सकते हैं। 

बयान में कहा गया है, "फैसले के मद्देनजर यदि कोई ग्राहक अपने आधार ईकेवाईसी को नये केवाईसी से बदलवाना चाहता है तो, वह नये वैध दस्तावेज जमा करके आधार को डी-लिंक (हटाने) करने का सेवा प्रदाता से अनुरोध कर सकता है।" 

इसमें कहा गया है कि न्यायालय ने कानून के अभाव में आधार के जरिये नये सिम कार्ड के सत्यापन पर रोक लगाई है लेकिन पुराने मोबाइल कनेक्शनों को रद्द करने का कोई निर्देश नहीं दिया है।

यूआईडीएआई ने न्यायालय के आदेश का पालन करने के लिये दूरसंचार कंपनियों को 15 अक्टूबर का समय दिया है और अपनी सेवाओं के लिये आधार आधारित सत्यापन को बंद करने के लिये कहा है। 

Rajanish Kant
साधारण बीमा कंपनियों की प्रीमियम आय सितंबर में 9 प्रतिशत बढ़कर 19,098 करोड़ रुपये

(सौ. भाषा)

गैर-जीवन बीमा कंपनियों को सितंबर में प्रीमियम से 19,098.51 करोड़ रुपये की आय हुई। यह नौ प्रतिशत की वृद्धि को दिखाता है। भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (इरडा) के हालिया आकंड़ों में यह जानकारी दी गयी है। 

इन बीमा कंपनियों की सितंबर, 2017 में प्रीमियम आय 17,514.64 करोड़ रुपये रही थी।

आंकड़ों के मुताबिक इनमें से 25 साधारण बीमा कंपनियों ने आलोच्य महीने में 8.2 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 14,468.64 करोड़ रुपये का प्रीमियम जुटाया। पिछले साल की इसी महीने में इन कंपनियों ने 13,373.16 करोड़ रुपये का प्रीमियम जुटाया था।

न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी ने पिछले साल के सितंबर के लगभग बराबर ही इस साल भी प्रीमियम जुटाया। कंपनी ने इस दौरान 2,450.28 करोड़ रुपये का प्रीमियम अर्जित किया। ओरियंटल इंश्योरेंस कंपनी ने आलोच्य महीने में दस प्रतिशत की वृद्धि के साथ 1,552.05 करोड़ रुपये जुटाए। यूनाइडेट इंडिया इंश्योरेंस कंपनी ने 10.3 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 1,305.12 करोड़ रुपये का प्रीमियम जुटाया। 

Rajanish Kant
सॉवरेन गोल्ड बांड सीरीज 2018-19 II के लिए आवेदन कर सकते हैं, जानें एक ग्राम के लिए कितना देना होगा


सॉवरेन गोल्ड बांड सीरीज II के लिए आवेदन 15-19 अक्‍टूबर,  2018 तक कर सकते हैं। इसका मूल्य अभिदान की अवधि के पहले के सप्ताह के पिछले तीन कारोबारी दिवसों अर्थात 10 से 12 अक्टूबर 2018 के लिए [इंडियन बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन लिमिटेड (आईबीजेडए) द्वारा प्रकाशित] 999 शुद्धता वाले सोने के लिए बंद भाव की साधारण औसत के आधार पर तय किया गया है, जो  3146/- (तीन हजार एक सौ छयालिस रुपये मात्र) प्रति ग्राम है।

भारत सरकार ने भारतीय रिजर्व बैंक के परामर्श से, उन निवेशकों के लिए सॉवरेन स्वर्ण बॉन्ड के सांकेतिक मूल्य पर प्रति ग्राम  50 की छूट देने का फैसला किया है जो इसका आवेदन ऑनलाइन तथा इसका भुगतान डिजिटल मोड द्वारा करेगें। ऐसे निवेशकों के लिए, स्वर्ण के प्रति ग्राम का निर्गम मूल्य  3096 (तीन हजार छयानवे रुपये मात्र) होगा।

सॉवरेन गोल्‍ड बांड योजना 2018-19
भारत सरकार ने भारतीय रिजर्व बैंक के परामर्श से सॉवरेन गोल्‍ड बांड 2018-19 जारी करने का निर्णय लिया है। अक्‍टूबर 2018 से लेकर फरवरी 2019 तक हर महीने सॉवरेन गोल्‍ड बांड जारी किए जाएंगे। ये बांड निम्‍नलिखित कैलेंडर के अनुसार जारी किए जाएंगे :

क्रसं.
सीरीजखरीदने के लिए आवेदन की अवधिबांड जारी करने की तिथि
1
2018-19 सीरीज II
15-19 अक्‍टूबर,  201823 अक्‍टूबर, 2018
22018-19 सीरीज III05-09 नवम्‍बर, 201813 नवम्‍बर, 2018
32018-19 सीरीज IV24-28 दिसंबर, 201801 जनवरी, 2019
42018-19 सीरीज V14–18 जनवरी, 201922 जनवरी, 2019
52018-19 सीरीज VI04-08 फरवरी, 201912 फरवरी, 2019

बांडों की बिक्री बैंकों, स्‍टॉक होल्डिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एसएचसीआईएल), नामित डाकघरों और मान्‍यता प्राप्‍त स्‍टॉक एक्‍सचेंजों जैसे कि नेशनल स्‍टॉक एक्‍सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड और बॉम्‍बे स्‍टॉक एक्‍सचेंज लिमिटेड के जरिए की जाएगी। बांड की खूबियों का उल्‍लेख नीचे किया गया है:
क्र.सं.
मद
विवरण
1उत्‍पाद का नाम
सॉवरेन गोल्‍ड बांड 2018-19
2जारी करना
भारत सरकार की ओर से भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी किए जाएंगे।
3पात्रता
बांडों की बिक्री विभिन्‍न व्‍यक्तियोंहिंदू अविभाजित परिवार (एचयूएफ), ट्रस्‍ट, विश्‍वविद्यालयों और धर्मार्थ संस्‍थानों जैसे निवासी निकायों तक ही सीमित रहेगी।
4मूल्‍य वर्ग
बांडों को 1 ग्राम की बुनियादी इकाई के साथ सोने के ग्राम संबंधी गुणक में अंकित किया जाएगा।
5अवधि
बांड की अवधि 8 साल होगी और पांचवें, छठे एवं सातवें साल में इससे बाहर निकलने का विकल्‍प रहेगा, जिसका इस्‍तेमाल ब्‍याज भुगतान की तिथियों पर किया जा सकता है।
6न्‍यूनतम आकार
न्‍यूनतम स्‍वीकार्य सीमा 1 ग्राम सोना है।
7अधिकतम सीमा
खरीदने की अधिकतम सीमा व्‍यक्तियों के लिए 4 किलोग्राम, एचयूएफ के लिए भी 4 किलोग्राम और ट्रस्‍ट एवं इसी तरह के निकायों के लिए 20 किलोग्राम प्रति वित्त वर्ष (अप्रैल-मार्च) होगी, जिसके बारे में सरकार द्वारा समय-समय पर अधिसूचित किया जाता है। इस आशय की एक स्‍व-घोषणा पत्र प्राप्‍त करना होगा। वार्षिक सीमा में सरकार द्वारा आरंभिक निर्गमन के दौरान विभिन्‍न सीरीज के तहत खरीदे गए बांड और द्वितीयक बाजार से खरीदे गए बांड भी शामिल होंगे।
8संयुक्‍त धारक
संयुक्‍त रूप से धारण किए जाने की स्थिति में 4 किलोग्राम की निवेश सीमा केवल प्रथम आवेदक पर लागू होगी।  
9निर्गम मूल्‍य या इश्‍यू प्राइस
बांड का मूल्‍य भारतीय रुपये में तय किया जाएगा जो अभिदान अवधि से ठीक पिछले सप्‍ताह के अंतिम 3 कार्य दिवसों पर 999 शुद्धता वाले सोने के बंद मूल्‍य के सामान्‍य औसत पर आधारित होगा। इसका प्रकाशन इंडिया बुलियन एंड ज्‍वेलर्स एसोसिएशन लिमिटेड द्वारा किया जाएगा। स्‍वर्ण बांड का निर्गम मूल्‍य उन लोगों के लिए प्रति ग्राम 50 रुपये कम होगा जो इसकी खरीदारी ऑनलाइन करेंगे और इसका भुगतान डिजिटल मोड के जरिए करेंगे।
10भुगतान का विकल्‍प
बांड का भुगतान या तो नकद अदायगी (अधिकतम 20,000 रुपये तक) अथवा डिमांड ड्राफ्ट या चेक अथवा इलेक्‍ट्रॉनिक बैंकिंग के जरिए की जा सकेगी।
11निर्गमन फॉर्म
स्‍वर्ण बांडों को जीएस अधिनियम, 2006 के तहत भारत सरकार के स्‍टॉक के रूप में जारी किया जाएगा। निवेशकों को इसके लिए एक धारण (होल्डिंग) प्रमाण-पत्र जारी किया जाएगा। बांडों को डिमैट स्‍वरूप में बदला जा सकेगा।
12विमोचन मूल्‍य
विमोचन मूल्‍य भारतीय रुपये में होगा जो 999 शुद्धता वाले सोने के बंद मूल्‍य के पिछले 3 कार्य दिवसों के सामान्‍य औसत पर आधारित होगा। इसका प्रकाशन इंडिया बुलियन एंड ज्‍वेलर्स एसोसिएशन (आईबीजेए) द्वारा किया जाएगा।
13बिक्री का माध्यम
बांडों की बिक्री बैंकोंस्टॉक होल्डिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एसएचसीआईएल)नामित डाकघरों (जिन्‍हें अधिसूचित किया जा सकता है) और मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंजों जैसे कि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड और बॉम्बे स्टॉ‍क एक्सचेंज लिमिटेड के जरिए या तो सीधे अथवा एजेंटों के जरिए की जाएगी।
14ब्‍याज दर
निवेशकों को प्रति वर्ष 2.50 प्रतिशत की निश्चित दर से मुआवजा दिया जाएगाजो अंकित मूल्‍य पर हर छह महीने में देय होगा।
15जमानत या गारंटी के रूप में 
बांडों का उपयोग ऋणों के लिए जमानत या गारंटी के रूप में किया जा सकता है। ऋण-मूल्‍य (एलटीवी) अनुपात को साधारण स्‍वर्ण ऋण के बराबर तय किया जाएगा जिसके बारे में रिजर्व बैंक द्वारा समय-समय पर अधिदेश जारी किया जाएगा। बांडों पर स्‍वत्व अथवा वैध अधिकार को डिपोजिटरी अथवा अधिकृत बैंकों द्वारा चिन्हित किया जाएगा। सॉवरेन गोल्‍ड बांड (एसजीबी) पर ऋण देने का निर्णय कर्जदाता बैंक/संस्‍थान द्वारा लिया जाएगा और इसे एसजीबी धारक का अधिकार नहीं माना जा सकता है।
16केवाईसी दस्‍तावेज
अपने ग्राहक को जानो (केवाईसी)’ से जुड़े मानक वही होंगे जो भौतिक या ठोस रूप में सोने की खरीदारी के लिए तय किए गए हैं। केवाईसी दस्‍तावेज जैसे कि वोटर आईडी, आधार कार्ड/पैन अथवा टैन/ पासपोर्ट की आवश्‍यकता होगी। प्रत्‍येक आवेदन के साथ आयकर विभाग द्वारा निवेशकों को जारी स्‍थायी खाता संख्‍या (पैन) की प्रति भी अवश्‍य संलग्‍न की जानी चाहिए।
17टैक्‍स देनदारी
आयकर अधिनियम, 1961 (43, 1961) के प्रावधान के अनुसार, स्‍वर्ण बांड पर प्राप्‍त होने वाले ब्‍याज पर टैक्‍स अदा करना होगा। किसी भी व्‍यक्ति को एसजीबी के विमोचन पर होने वाले पूंजीगत लाभ को कर मुक्‍त कर दिया गया है। बांड के हस्‍तांतरण पर किसी भी व्‍यक्ति को प्राप्‍त होने वाले दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ पर इंडेक्सेशन या मूल्‍य सूचकांक से जोड़ने के कारण टैक्‍स भार कम करने संबंधी फायदे भी मिलेंगे।
18ट्रेडिंग पात्रता
किसी भी निर्धारित तिथि पर बांड जारी होने के एक पखवाड़े के भीतर बांडों की ट्रेडिंग स्‍टॉक एक्‍सचेंजो पर हो सकेगी, जैसा कि आरबीआई द्वारा अधिसूचित किया जाएगा। 
19 एसएलआर संबंधी पात्रता
स्‍वत्व अथवा वैध अधिकार/ बंधक/गिरवी का उपयोग करने की प्रक्रिया के जरिए बैंकों द्वारा हासिल किए गए बांडों की गिनती वैधानिक तरलता अनुपात (एसएलआर) के संदर्भ में की जाएगी। 
20कमीशन
बांडों के वितरण पर कमीशन प्राप्‍तकर्ता कार्यालयों को हासिल होने वाले प्रति 100 रुपये के अभिदान पर 1 रुपये की दर से दिया जाएगा और प्राप्‍तकर्ता कार्यालय इस तरह से हासिल होने वाले प्रति 100 रुपये के कमीशन पर कम से कम 50 पैसे को उन एजेंटों अथवा उप-एजेंटों के साथ साझा करेंगे जिनके जरिए संबंधित बिजनेस या कारोबार हासिल किया गया है।  

(Source: pib.nic.in)

Rajanish Kant मंगलवार, 16 अक्टूबर 2018
मोदी सरकार ‘शून्‍य भुखमरी’ के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए निरंतर प्रयासरत है : राधामोहन सिंह
देश के युवाओं को कृषि की ओर आकर्षित करने के लिए कृषि विज्ञान केन्द्रों के माध्यम से ‘आर्या’ नामक परियोजना संचालित की जा रही है और ‘फार्मर फर्स्‍ट’ कार्यक्रम भी इस दिशा में अग्रणी भूमिका निभा रहा है : कृषि मंत्री 


केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री  श्री राधामोहन सिंह ने एनएएससी कॉम्प्लेक्स, पूसा,   नई दिल्ली में विश्‍व खाद्य दिवस के अवसर पर आयोजित दो दिवसीय कृषि-स्‍टार्टअप एवं उद्यमिता कॉन्‍क्‍लेव के उद्घाटन समारोह को सम्बोधित करते हुए बताया कि इस वर्ष विश्‍व खाद्य दिवस मनाने का उद्देश्य वर्ष 2030 तक ‘शून्‍य भुखमरी (जीरो हंगर)’   वाली दुनिया बनाने के लक्ष्‍य को प्राप्‍त करने के लिए वैश्विक प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करना है। मोदी सरकार भी ‘शून्‍य भुखमरी’   के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए निरंतर चरणबद्ध ढंग से कार्य कर रही है। उन्होंने बताया कि भारत में कृषि उत्‍पादन बढ़ाने व खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) द्वारा विकसित तकनीकों और हमारे किसान भाइयों का बहुत बड़ा योगदान है। वर्ष 2017-18 में चौथे अग्रिम आकलन के अनुसार  खाद्यान्‍न उत्‍पादन 284.83 मिलियन टन है, जो वर्ष 2013-14 में हासिल उत्‍पादन (265.04 मिलियन टन) के मुकाबले लगभग 20 मिलियन टन ज्‍यादा है। वर्ष 2013-14 में बागवानी फसलों का उत्पादन 277.35 मिलियन टन था जो वर्ष 2017-18 में चौथे अग्रिम आकलन के अनुसार बढ़कर  307 मिलियन टन हो गया और यह वर्ष 2013-14 में हासिल उत्‍पादन के मुकाबले में लगभग 30 मिलियन टन ज्‍यादा है। बागवानी उत्‍पादन में आज भारत विश्‍व में प्रथम स्‍थान पर है।
वर्ष 2015-16 में दलहन फसलों का उत्‍पादन 16.25 मिलियन टन था जो वर्ष 2017-18 में चौथे अग्रिम आकलन के अनुसार बढ़कर  25.23 मिलियन टन हो गया और जो वर्ष 2013-14 में हासिल उत्‍पादन के मुकाबले लगभग 9 मिलियन टन ज्‍यादा है।
उन्होंने बताया कि कृषि उत्‍पादन बढ़ाने में उन्‍नत किस्‍मों, तकनीकों और बीजों का महत्‍वपूर्ण योगदान होता है। वर्ष 2010 से वर्ष 2014 तक की अवधि में जहां 448 किस्‍में खेती के लिए जारी की गईं थीं, वहीं वर्ष 2014 से वर्ष 2018 तक की चार साल की अवधि में 795 उन्‍नत किस्‍मों को खेती के लिए जारी किया गया, जो संख्‍या में लगभग दोगुनी हैं। प्रजनक बीजों के मामले में वर्ष 2013-14 में जहां मांग व उत्‍पादन क्रमश: 8479 टन एवं 8927 टन रहा, वहीं 2016-17 में यह आंकड़ा क्रमश: 10405 टन एवं 12265 टन तक पहुंच गया।
श्री सिंह के अनुसार पहले उत्‍पादन पर कहीं अधिक बल दिया जाता था, मगर खाद्य पदार्थों (फूड) में वृहद एवं सूक्ष्‍म पोषक तत्‍वों की कमी होती थी जिसका असर हमारी 60 प्रतिशत से भी अधिक जनसंख्‍या पर सीधे तौर पर पड़ता था और इससे छिपी हुई भुखमरी की नौबत आती थी। कुपोषण का निवारण करने के लिए पिछले साढ़े चार सालों में आईसीएआर ने पहली बार फसलों की ऐसी 20 किस्‍मों का विकास किया जिनमें पोषक तत्‍वों की मात्रा सामान्‍य से काफी अधिक है। कृषि का विविधीकरण करने के लिए ‘राष्ट्रीय बाजरा मिशन’ प्रारंभ करने के साथ एकीकृत खेती पर जोर दिया गया।
 दो दिवसीय कृषि-स्‍टार्टअप एवं उद्यमिता कॉन्‍क्‍लेव में उपस्थित कृषि उद्यमियों को संबोधित करते हुए श्री सिंह ने कहा कि कृषि-स्‍टार्टअप के लिए देश में माहौल बनाने हेतु सरकार ने स्टार्टअप एवं स्टैंडअप कार्यक्रम की शुरुआत की, जिसमें नये युवकों को उद्यम स्थापित करने के लिए उचित सहायता एवं माहौल प्रदान करने का प्रयास किया गया। इसी परिप्रेक्ष्‍य में स्किल इंडिया योजना भारत सरकार ने बड़े पैमाने पर शुरू की जिसमें सभी क्षेत्रों में कौशल विकास का कार्यक्रम देशव्यापी रूप में शुरू किया गया। आंकड़ों के अनुसार, कृषि क्षेत्र को 22 लाख कुशल युवकों की आवश्यकता है, जिसके लिए आईसीएआर एवं कृषि विज्ञान केन्द्रों के सहयोग से कौशल विकास से जुड़ा प्रशिक्षण विभिन्न रोजगारपरक क्षेत्रों में दिया जा रहा है। देश में मोदी सरकार ने कौशल विकास एवं स्टार्टअप के जरिए नये-नये उद्यमियों को विकसित करने का काम किया है। यह उसी का नतीजा है कि आज हम यहां विश्व खाद्य दिवस पर इन विषयों पर चर्चा कर रहे हैं। देश में खाद्यान्न उत्पादन में नए रिकॉर्ड बनाए गये हैं, परंतु मूल्‍य श्रृंखला (वैल्यू चेन) बनाने की तरफ सरकार बहुत तेजी से कार्य कर रही है और इसलिए प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना की शुरुआत की गई है। उद्यमी युवक एवं किसान इसके अंतर्गत प्रसंस्‍करण एवं मूल्‍यवर्धन से जुड़ी इकाइयां स्थापित कर पा रहे हैं। देश के युवाओं को कृषि की ओर आकर्षित करने के लिए कृषि विज्ञान केन्द्रों के माध्यम से ‘आर्या’ नामक परियोजना संचालित की जा रही है और ‘फार्मर फर्स्‍ट‘ कार्यक्रम भी इस दिशा में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। स्नातक स्तर पर युवाओं में कौशल विकास को ध्‍यान में रखते हुए इंटर्नशिप देने के लिए ‘अभ्यास’ नामक योजना प्रारंभ की गई है, ताकि जब युवक बी.एस.सी. एग्रीकल्चर की डिग्री प्राप्त कर बाहर निकलें तो अपनी कंपनी स्थापित करने में सक्षम हो सकें। बीज एवं पौध के उत्पादन, खाद्य प्रसंस्करण एवं फसल कटाई उपरांत प्रबंधन, पशु चिकित्सा, कृषि मशीनरी, पोल्ट्री, मछली उत्पादन, जैविक उत्पाद के क्षेत्र में स्टार्टअप की अपार संभावनायें हैं।
अपने सम्बोधन के आखिर में कृषि मंत्री ने कहा कि हम सभी यहां एक बार पुन: कृषि और किसानों की बेहतरी के लिए अपनी प्रतिबद्धता को दोहराते हैं। उन्‍होंने इस सम्‍मेलन में भाग लेने वाले कृषि उद्यमियों और कृषि स्‍टार्ट-अप, किसानों एवं वैज्ञानिकों का धन्‍यवाद किया। उन्‍होंने उम्‍मीद जताई कि विश्‍व खाद्य दिवस के पावन अवसर पर प्रारंभ होने वाले इस दो दिवसीय कार्यक्रम के दौरान विचार मंथन से कृषि क्षेत्र और किसानों की बेहतरी का मार्ग प्रशस्‍त होगा जिसके लिए हम सभी संकल्‍पबद्ध हैं। 
((सौ. पीआईबी)

Rajanish Kant
इन 13 सेक्टर की कंपनियां बैंक धोखाधडी करने में हैं सबसे आगे, जानें क्यों
केन्‍द्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) ने वर्ष 2017 में शीर्ष 100 बैंक धोखाधडि़यों की समीक्षा की और इसके साथ ही इन सभी का व्‍यापक विश्‍लेषण भी किया।
डॉ. टी. एम. भसीन, सतर्कता आयुक्‍त, सीवीसी ने इससे संबंधित विस्‍तृत जानकारियों को साझा करते हुए यह जानकारी दी कि आयोग ने इस अध्‍ययन को 13 क्षेत्रों ( सेक्‍टर) में उप-विभाजित किया है। इन 13 सेक्‍टरों में रत्‍न एवं जेवरात, विनिर्माण, कृषि क्षेत्र, मीडिया, उड्डयन, सेवा क्षेत्र, चेक एवं बिल डिस्‍काउंटिंग, व्‍यापार क्षेत्र, आईटी, निर्यात, सावधि जमा और डिमांड लोन, इत्‍यादि शामिल हैं।
  डॉ. भसीन ने कहा कि एक सचेत निर्णय के साथ-साथ पृथकता या भिन्‍नता को बनाए रखने के उद्देश्‍य से ऋण लेने वालों के खातों/निकायों और बैंकों के नामों का खुलासा इस रिपोर्ट में नहीं किया गया है। हालांकि, सभी सम्मिलित कार्यों जैसे कि प्रमुख खोजी एजेंसियों द्वारा जांच-पड़ताल करवाने, संबंधित कर्मचारियों की जवाबदेही तय करने और ऋण वसूली के कदम उठाने के लिए आवश्‍यक कदम उठाए जा रहे हैं।

डॉ. भसीन ने कहा कि इन ऋणों की वसूली के तरीकों का व्‍यापक विश्‍लेषण किया गया है और विभिन्‍न खामियों का पता लगाया गया है। निष्‍कर्षों के आधार पर प्रणाली में सुधार के लिए विभिन्‍न उद्योग विशिष्‍ट सुझाव अंतिम रिपोर्ट में प्रस्‍तुत किए गए हैं। यह अंतिम रिपोर्ट वित्तीय सेवाओं के विभाग (डीएफएस) और आरबीआई को भेज दी गई है, ताकि आयोग द्वारा पता लगाई गई खामियों को दूर किया जा सके। सुझाए गए उपायों में निगरानी प्रणाली को मजबूत करना और नियंत्रणकारी कार्यालयों की भूमिका पर प्रकाश डालना इत्‍यादि शामिल हैं, ताकि कारोबार की गुणवत्ता के पहलुओं पर गौर किया जा सके।
डॉ. भसीन ने कहा कि आयोग द्वारा एक निवारक सतर्कता उपाय के रूप में यह विश्लेषणात्मक अध्‍ययन कराया गया है, ताकि भविष्‍य में इस तरह की धोखाधडि़यां करने की प्रवृत्ति पर लगाम लगाई जा सके।
सीवीसी की ओर से किए गए शीर्ष 100 बैंक धोखाधडि़यों के विश्‍लेषण की प्रति तैयार सामग्री के रूप में सीवीसी की वेबसाइट पर अपलोड कर दी गई है: http://www.cvc.gov.in/sites/default/files/new1111.pdf

(सौ. पीआईबी)

Rajanish Kant
Sovereign Gold Bond: अक्टूबर 2018 से फरवरी 2019 तक कब-कब निवेश कर सकते हैं

Sovereign Gold Bond: अक्टूबर 2018 से फरवरी 2019 तक कब-कब निवेश कर सकते हैं

Rajanish Kant रविवार, 14 अक्टूबर 2018
सेंसेक्स की उछाल से निवेशकों की संपत्ति 2.98 लाख करोड़ रुपये बढ़ी
सौ. भाषा 

वैश्विक बाजारों में सुधार के साथ ही सेंसेक्स के शुक्रवार को 700 अंक से अधिक उछल जाने से निवेशकों की संपत्ति 2.98 लाख करोड़ रुपये बढ़ गयी।

बंबई शेयर बाजार का 30 शेयरों वाला संवेदी सूचकांक 732.43 अंकइ मजबूत होकर 34,733.58 अंक पर बंद हुआ।

बाजार में तेजी से बंबई शेयर बाजार में सूचीबद्ध कंपनियों का बाजार पूंजीकरण 2,98,411.33 करोड़ रुपये बढ़कर 1,38,68,813.92 करोड़ रुपये पर पहुंच गया।

सेंसेक्स बृहस्पतिवार को 750 अंक से अधिक गिर गया था।

सेंसेक्स की 30 में से 29 कंपनियां शुक्रवार को बढ़त में रही।

बंबई शेयर बाजार की कुल कंपनियों में 2,074 कंपनियों के शेयर बढ़त में रहे जबकि 609 को नुकसान उठाना पड़ा। 135 कंपनियों के शेयर अपरिवर्तित रहे।

Rajanish Kant शुक्रवार, 12 अक्टूबर 2018
इमामी सीमेंट (Emami Cement) ने आईपीओ के लिए अर्जी दी
सीमेंट निर्माता कंपनी इमामी सीमेंट (Emami Cement) ने आईपीओ के लिए मार्केट रेगुलेटर सेबी को अर्जी दी
है। कंपनी इस आईपीओ के जरिये ₹1,000 करोड़ जुटाएगी। इस आईपीओ के तहत कंपनी ₹500 का नया शेयर जारी करेगी जबकि बाकी शेयर ओएफएस के तहत जारी करेगी।

इस आईपीओ के जरिये जुटाए गए पैसों का इस्तेमाल लोन चुकाने और सामान्य कारोबारी कामकाज में किया जाएगा। इस आईपीओ को IIFL Holdings, Axis Capital, CLSA India, Edelweiss Financial Services और Nomura Financial Advisory and Securities (India)मैनेज करेगी। 


>आईपीओ Vs एफपीओ  Vs ओएफएस;  IPO vs FPO Vs OFS 

(बच्चों को फाइनेंशियल एजुकेशन क्यों देना चाहिए पर हिन्दी किताब- बेटा हमारा दौलतमंद बनेगा)
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(ब्लॉग एक, फायदे अनेक

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Rajanish Kant
औद्योगिक लाइसेंस पाने के लिए ऑनलाईन पोर्टल
      औद्योगिक उद्यमिता ज्ञापन-पत्र और औद्योगिक लाइसेंस पाने के लिए ऑनलाईन पोर्टल

औद्योगिक नीति और संवर्द्धन विभाग ने वेबसाइट https://services.dipp.gov.in. पर शस्त्र अधिनियम के साथ ही उद्योग (विकास और नियमन) अधिनियम, 1951 के तहत औद्योगिक उद्यमिता ज्ञापन-पत्र और औद्योगिक लाइसेंस की प्राप्ति के लिए ऑनलाईन आवेदन भरने में आसानी के लिए एक नया ऑनलाईन पोर्टल विकसित किया है।
      आवेदन दाखिल करने के उद्देश्य से, लोगों के लिए यह पोर्टल 16 अक्टूबर, 2018 से उपलब्ध होगा। इसके बाद उपर्युक्त अधिनियम के तहत ई-बिज पोर्टल के माध्यम से अथवा कागजी रूप में आवेदन स्वीकार नहीं किए जाएंगे।
      फिलहाल उपर्युक्त अधिनियम के तहत औद्योगिक उद्यमिता पत्रक और औद्योगिक लाइसेंस के लिए ई-बिज पोर्टल के माध्यम से आवेदन स्वीकार किए जाते हैं, जबकि शस्त्र अधिनियम के तहत रक्षा सामग्रियों के निर्माण के लिए कागजी रूप में आवेदन स्वीकार किए जाते हैं।
(Source: pib.nic.in)

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