कोरोना संकट में भारतीयों को सोने पर कितना भरोसा?
वैसे तो भारतीय हमेशा से सोने के दीवाने रहे हैं, लेकिन कोरोना संकट के समय सोने पर उनको कितना भरोसा है, ये जानना भी दिलचस्प होगा। सोने पर भारतीयों को कितना भरोसा है, उसको लेकर एक सर्वे किया गया है। इसमें 2000 से ज्यादा रिटेल इन्वेस्टर्स यानी खुदरा निवेशकों ने भाग लिया है। सर्वे वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (WGC) ने किया है। इन 2000 से ज्यादा निवेशकों में 1,005 ग्रामीण और 1,280 शहरी निवेशक शामिल हैं। शहरी निवेशकों से ऑनलाइन सर्वे किया गया जबकि ग्रामीणों से उनके पास जाकर सर्वे किया गया।
> सर्वे की खास बातें:
-सर्वे में भाग लेने वाले 29% ने पहले कभी सोना नहीं खरीदा लेकिन भविष्य में सोना खरीदना चाहते हैं, इसलिए आने वाले दिनों में सोने की मांग बढ़ सकती है
-सर्वे में शामिल 61% ने पहले कभी सोना नहीं खरीदा, क्योंकि प्रोडक्ट या इंडस्ट्री पर उनका भरोसा नहीं है, अगर भरोसा कायम करने के लिए कुछ कदम उठाया जाता है तो वो भविष्य में सोना खरीदने पर विचार कर सकते हैं
-सर्वे में शामिल 65% का कहना है कि वो सोना खरीदना चाहते हैं लेकिन जानकारी की कमी के कारण नहीं खरीद पाते हैं, जानकारी में शामिल है जैसे- सोने की कीमत कैसे प्रभावित होती है, उन्हें नहीं पता होता है। उनका कहना है सोने के संबंध में जानकारी होने पर वो सोना खरीदना चाहेंगे
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जुलाई-सितंबर में भारत की सोने की मांग में 10 प्रतिशत इजाफा : विश्व स्वर्ण परिषद
देश में सोने की मांग जुलाई-सितंबर तिमाही में सालाना आधार पर 10 प्रतिशत बढ़कर 183.2 टन हो गई। विश्व स्वर्ण परिषद (डब्ल्यूजीसी) ने बृहस्पतिवार को अपनी रपट में यह जानकारी दी।सोने की बढ़ती कीमतों और बाजार में नकदी/तरलता की कमी से इस बार धनतेरस और दिवाली पर सोने की मांग सामान्य रह सकती है।डब्ल्यूजीसी की तीसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) की ‘स्वर्ण मांग रुख’ रपट के अनुसार मूल्य के आधार पर देश में इस दौरान सोने की मांग 14 प्रतिशत बढ़ी। यह 50,090 करोड़ रुपये रही जबकि 2017 की इसी तिमाही में यह आंकड़ा 43,800 करोड़ रुपये था।डब्ल्यूजीसी के भारत के प्रबंध निदेशक सोमसुंदरम पी. आर. ने यहां पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘ तिमाही की शुरुआत में सोने के दाम में कमी देखी गई। यह कर सहित 29,000 रुपये प्रति दस ग्राम के स्तर पर आ गए, जो जनवरी 2018 के बाद सोना भाव का सबसे निचला स्तर था। इससे सोने की मांग में तेजी आयी।’’ हालांकि डॉलर के मुकाबले रुपये के कमजोर होने से सोने के स्थानीय भाव प्रभावित हुए और इनमें तेजी देखी गई। जल्द ही इसका भाव बिना किसी कर के 32,000 रुपये से 33,000 रुपये प्रति 10 ग्राम हो गया, इसलिए तिमाही में बाद के दौरान इसकी मांग घट गई।उन्होंने कहा, ‘‘ सोना खरीद के अवसर कम होने और केरल जैसे प्रमुख बाजार के बाढ़ से प्रभावित होने जैसे कई कारणों के चलते इस तिमाही में सोने की मांग पर असर पड़ा।’’ साल की आखिरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) आम तौर पर सोने की मांग के लिए अच्छी रहती है। त्यौहारों और शादियों के चलते इस दौरान सोने की मांग और खरीद बढ़ती है।सोमसुंदरम ने कहा कि इसके बावजूद हालांकि इस साल सोने की मांग इस दौरान सामान्य ही रह सकती है, क्योंकि बाजार तरलता की कमी है, वहीं भारत में इसकी कीमतें भी बढ़ रही हैं। इसके अलावा कुछ राज्यों में चुनाव के चलते इसकी आवाजाही भी प्रभावित होगी।उन्होंने कहा सालभर में सोने की मांग कम रहने का अनुमान है। यह 700 से 800 टन के दायरे में रह सकती है।रपट में कहा गया है कि जुलाई-सितंबर तिमाही में इस साल आभूषणों की कुल मांग 10 प्रतिशत बढ़कर 148.8 टन है जो पिछले साल समान अवधि में 134.8 टन थी। मूल्य के आधार पर आभूषण की मांग में वृद्धि 14 प्रतिशत रही है। यह 40,690 करोड़ रुपये रही जो पिछले साल की इसी अवधि में 35,610 करोड़ रुपये थी।इसी दौरान भारतीय रिजर्व बैंक ने अपना स्वर्ण भंडार 13.7 टन बढ़ाया है। इससे उसका कुल स्वर्ण भंडार 21.8 टन हो गया।स्वर्ण क्षेत्र में निवेश मांग भी इस अवधि में 11 प्रतिशत बढ़ी और यह 34.4 टन रही। जबकि 2017 की तीसरी तिमाही में यह 31 टन थी। मूल्य के आधार पर यह 15 प्रतिशत बढ़कर 9,400 करोड़ रुपये रही जो 2017 की इसी अवधि में 8,200 करोड़ रुपये थी।रपट के अनुसार देश में पुन: प्रसंस्करण किए जाने वाले सोने की कुल मात्रा 13.85 प्रतिशत घटकर 23 टन रही जो 2017 की इसी अवधि में 26.7 टन थी।देश में सोने के आयात पर सोमसुंदरम ने कहा कि तिमाही के शुरुआती समय में इसके भाव कम रहने से इसमें 55 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई।
(सौ. पीटीआई भाषा )
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