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RBI ने A U Small Finance Bank को को सर्वव्यापी बैंक में परिवर्तन हेतु ‘सैद्धांतिक’ मंजूरी दी

भारतीय रिज़र्व बैंक ने एयू स्मॉल फाइनेंस बैंक लिमिटेड को सर्वव्यापी बैंक में परिवर्तन हेतु ‘सैद्धांतिक’ मंजूरी दी

रिज़र्व बैंक ने एयू स्मॉल फाइनेंस बैंक लिमिटेड (एयूएसएफबी) को लघु वित्त बैंक (एसएफबी) से सर्वव्यापी बैंक में परिवर्तन हेतु 'सैद्धांतिक' मंजूरी देने का निर्णय लिया है।



पृष्ठभूमि

यह विदित है कि दिनांक 27 नवंबर 2014 को जारी निजी क्षेत्र में लघु वित्त बैंकों को लाइसेंस जारी करने के लिए दिशानिर्देश में लघु वित्त बैंकों को सर्वव्यापी बैंकों में परिवर्तित करने के लिए एक संक्रमण पथ प्रदान किया गया था, जो कि लघु वित्त बैंकों द्वारा सर्वव्यापी बैंकों पर लागू न्यूनतम चुकता पूंजी/निवल मालियत की आवश्यकता को पूरा करने, न्यूनतम पांच वर्षों की अवधि के लिए लघु वित्त बैंकों के रूप में उसके कार्यनिष्पादन के संतोषजनक ट्रैक रिकॉर्ड और भारतीय रिज़र्व बैंक की समुचित जांच के अधीन था। इसके अलावा, बेहतर स्पष्टता लाने के उद्देश्य से, लघु वित्त बैंकों को सर्वव्यापी बैंक में परिवर्तन के पात्रता मानदंड को 26 अप्रैल 2024 को जारी “लघु वित्त बैंकों का सार्वभौमिक बैंकों में स्वैच्छिक परिवर्तन” संबंधी परिपत्र में विस्तृत रूप से बताया गया था।

 

(साभार- www.rbi.org.in)

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Rajanish Kant शनिवार, 9 अगस्त 2025
RBI से श्री गुरु राघवेंद्र सहकारा बैंक नियमिता में पैसा जमा करने वालों को राहत नहीं

बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित धारा 35 ए के अंतर्गत निदेश – श्री गुरु राघवेंद्र सहकारा बैंक नियमिता, बेंगलुरु (कर्नाटक) - अवधि बढ़ाना

भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित धारा 35ए के अंतर्गत दिनांक 2 जनवरी 2020 के निदेश सं. DOS.CO.UCB.BSD-III.D-2/12.23.283/2019-20 द्वारा श्री गुरु राघवेंद्र सहकारा बैंक नियमिता, बेंगलुरु, कर्नाटक को 10 जुलाई 2020 तक छह माह की अवधि के लिए निदेश जारी किए थे, जिसे समय-समय पर संशोधित किया गया तथा इसकी वैधता अवधि को पिछली बार दिनांक 6 मई 2025 के निदेश DOR.MON/D-08/12.23.283/2025-26 द्वारा 10 अगस्त 2025 को कारोबार की समाप्ति तक बढ़ाया गया था। भारतीय रिज़र्व बैंक इस बात से संतुष्ट है कि जनहित में उक्त निदेश की परिचालन अवधि को 10 अगस्त 2025 से आगे बढ़ाया जाना आवश्यक है।

2. तदनुसार, भारतीय रिज़र्व बैंक, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित धारा 35ए की उप-धारा (1) के अंतर्गत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, एतद्द्वारा उक्त निदेश की वैधता अवधि को 10 अगस्त 2025 को कारोबार की समाप्ति से 10 नवंबर 2025 को कारोबार की समाप्ति तक अगले तीन माह की अवधि के लिए बढ़ाता है, जो कि समीक्षाधीन होगा।

3. भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा उपर्युक्त अवधि बढ़ाने और/या संशोधन का यह अर्थ नहीं लगाया जाना चाहिए कि भारतीय रिज़र्व बैंक, बैंक की वित्तीय स्थिति से संतुष्ट है।

4. संदर्भाधीन निदेश के अन्य सभी नियम एवं शर्तें यथावत् रहेंगी।

(साभार- www.rbi.org.in)

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Rajanish Kant
RBI ने अंडमान एंड निकोबार स्टेट कोऑपरेटिव बैंक पर जुर्माना लगाया, जानें क्यों और कितना

भारतीय रिज़र्व बैंक ने अंडमान एंड निकोबार स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड पर मौद्रिक दंड लगाया



भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 5 अगस्त 2025 के आदेश द्वारा अंडमान एंड निकोबार स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड (बैंक) पर बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (बीआर अधिनियम) की धारा 56 के साथ पठित धारा 26ए के प्रावधानों के उल्लंघन तथा भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी ‘अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी)’ संबंधी निदेशों के अननुपालन के लिए ₹16 लाख (सोलह लाख रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड बीआर अधिनियम की धारा 46(4)(i) और 56 के साथ पठित धारा 47ए(1)(सी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

31 मार्च 2024 को बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) द्वारा बैंक का सांविधिक निरीक्षण किया गया। सांविधिक प्रावधानों के उल्लंघन/ भारतीय रिज़र्व बैंक के निदेशों के अननुपालन के पर्यवेक्षी निष्कर्षों और उससे संबंधित पत्राचार के आधार पर, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि उक्त प्रावधानों और निदेशों के अनुपालन में विफलता के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए। नोटिस पर बैंक के उत्तर और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक ने, अन्य बातों के साथ-साथ, यह पाया कि बैंक के विरुद्ध निम्नलिखित आरोप सिद्ध हुए हैं, जिसके लिए मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है।

बैंक:

i) निर्धारित समय के भीतर दावा न की गई पात्र राशि को जमाकर्ता शिक्षण और जागरूकता निधि में अंतरित करने में विफल रहा; और

ii) खातों के जोखिम वर्गीकरण की आवधिक समीक्षा करने में विफल रहा, जिसकी आवधिकता कम से कम छह महीने में एक बार होनी चाहिए।

यह कार्रवाई, विनियामकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है। इसके अलावा, इस मौद्रिक दंड को लगाने से भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक के विरुद्ध की जाने वाली किसी भी अन्य कार्रवाई पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।

(साभार- www.rbi.org.in)

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RBI ने दि कटिहार डिस्ट्रिक्ट सेंट्रल कोऑपरेटिव बैंक पर जुर्माना लगाया, जानें क्यों और कितना

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दि कटिहार डिस्ट्रिक्ट सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, बिहार पर मौद्रिक दंड लगाया



भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 5 अगस्त 2025 के आदेश द्वारा दि कटिहार डिस्ट्रिक्ट सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, बिहार (बैंक) पर बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (बीआर अधिनियम) की धारा 56 के साथ पठित धारा 20 के प्रावधानों के उल्लंघन तथा भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी ‘सहकारी बैंकों द्वारा साख सूचना कंपनियों (सीआईसी) की सदस्यता’ संबंधी कतिपय निदेशों के अननुपालन के लिए 3.03 लाख (तीन लाख तीन हजार रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, बीआर अधिनियम की धारा 46(4)(i) और 56 के साथ पठित धारा 47ए(1)(सी) तथा प्रत्यय विषयक जानकारी कंपनी (विनियमन) अधिनियम, 2005 की धारा 23 के साथ पठित धारा 25 के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

31 मार्च 2024 को बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) द्वारा बैंक का सांविधिक निरीक्षण किया गया। भारतीय रिज़र्व बैंक के निदेशों के अननुपालन के पर्यवेक्षी निष्कर्षों और उससे संबंधित पत्राचार के आधार पर, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि उक्त निदेशों के अनुपालन में विफलता के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए। नोटिस पर बैंक के उत्तर और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान इसके द्वारा की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक ने, अन्य बातों के साथ-साथ, यह पाया कि बैंक के विरुद्ध निम्नलिखित आरोप सिद्ध हुए हैं, जिसके लिए मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है।

बैंक ने:

i) अपने निदेशक को ऋण स्वीकृत किया; और

ii) दो साख सूचना कंपनियों को अपने ग्राहकों की ऋण संबंधी सूचना प्रस्तुत करने में विफल रहा।

यह कार्रवाई, विनियामकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है। इसके अलावा, इस मौद्रिक दंड को लगाने से भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक के विरुद्ध की जाने वाली किसी भी अन्य कार्रवाई पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।

(साभार- www.rbi.org.in)

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RBI ने दि सोनीपत सेंट्रल कोऑपरेटिव बैंक पर जुर्माना लगाया, जानें क्यों और कितना

 भारतीय रिज़र्व बैंक ने दि सोनीपत सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, हरियाणा पर मौद्रिक दंड लगाया



भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 30 जुलाई 2025 के आदेश द्वारा दि सोनीपत सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, हरियाणा (बैंक) पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी ‘सहकारी बैंकों द्वारा साख सूचना कंपनियों (सीआईसी) की सदस्यता’ संबंधी कतिपय निदेशों के अननुपालन के लिए 25,000 (पच्चीस हजार रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, प्रत्यय विषयक जानकारी कंपनी (विनियमन) अधिनियम, 2005 की धारा 23 के साथ पठित धारा 25 के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

31 मार्च 2024 को बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में नाबार्ड द्वारा बैंक का सांविधिक निरीक्षण किया गया। भारतीय रिज़र्व बैंक के निदेशों के अननुपालन के पर्यवेक्षी निष्कर्षों तथा उससे संबंधित पत्राचार के आधार पर, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया, जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि उक्त निदेशों के अनुपालन में विफलता के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए। नोटिस पर बैंक के उत्तर और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक ने, अन्य बातों के साथ-साथ, यह पाया कि बैंक के विरुद्ध निम्नलिखित आरोप सिद्ध हुआ है, जिसके लिए मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है:

बैंक अपने उधारकर्ताओं की ऋण संबंधी जानकारी सभी चार सीआईसी को प्रस्तुत करने में विफल रहा।

यह कार्रवाई, विनियामकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य बैंक द्वारा ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है। इसके अलावा, इस मौद्रिक दंड को लगाने से भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक के विरुद्ध की जाने वाली किसी भी अन्य कार्रवाई पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।

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Rajanish Kant मंगलवार, 5 अगस्त 2025
RBI ने गोमती नगरिया सहकारी बैंक पर जुर्माना लगाया, जानें क्यों और कितना

भारतीय रिज़र्व बैंक ने गोमती नगरिया सहकारी बैंक लिमिटेड, जौनपुर, उत्तर प्रदेश पर मौद्रिक दंड लगाया



भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 30 जुलाई 2025 के आदेश द्वारा गोमती नगरिया सहकारी बैंक लिमिटेड, जौनपुर, उत्तर प्रदेश (बैंक) पर ‘पर्यवेक्षी कार्रवाई ढांचा’ के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी विशिष्ट निदेशों के अननुपालन के लिए 2.00 लाख (दो लाख रूपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 46(4)(i) और 56 के साथ पठित धारा 47ए(1)(सी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

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एसएएफ के अंतर्गत जारी निदेशों का पालन न करते हुए बैंक ने:

  1. 100% से अधिक जोखिम भार वाले नए ऋण और अग्रिम स्वीकृत किए; तथा

  2. भारतीय स्टेट बैंक द्वारा प्रदान की गई ब्याज दरों की तुलना में अधिक ब्याज दरों की पेशकश की।

यह कार्रवाई, विनियामकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य बैंक द्वारा ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है। इसके अलावा, इस मौद्रिक दंड को लगाने से भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक के विरुद्ध की जाने वाली किसी भी अन्य कार्रवाई पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।

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Rajanish Kant
बैंकों की जमा ब्याज दरों में कमी- RBI

अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों की ऋण और जमा दरें – जुलाई 2025



जुलाई 2025 के महीने के दौरान प्राप्त अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (एससीबी) (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और लघु वित्त बैंकों को छोड़कर) के ऋण और जमा दर संबंधी आंकड़े सारणी 1 से 7 में प्रस्तुत किए गए हैं।

मुख्य बातें:

ऋण दरें:

  • एससीबी के नए रुपया ऋणों पर भारित औसत उधार दर (डब्ल्यूएएलआर) मई 2025 में 9.20 प्रतिशत से घटकर जून 2025 में 8.62 प्रतिशत हो गई।

  • एससीबी के बकाया रुपया ऋणों पर डब्ल्यूएएलआर मई 2025 में 9.69 प्रतिशत से गिरकर जून 2025 में 9.48 प्रतिशत हो गया।1

  • एससीबी की एक वर्षीय निधि की सीमांत लागत आधारित ऋण दर (एमसीएलआर) की माध्यिका जून 2025 में 8.90 प्रतिशत से कम होकर जुलाई 2025 में 8.75 प्रतिशत हो गई।

जमा दरें:

  • एससीबी की नई रुपया मीयादी जमाओं पर भारित औसत घरेलू मीयादी जमा दर (डब्ल्यूएडीटीडीआर) जून 2025 में 5.75 प्रतिशत रही, जो मई 2025 में 6.11 प्रतिशत थी।

  • एससीबी की बकाया रुपया मीयादी जमाओं पर भारित औसत घरेलू मीयादी जमा दर (डब्ल्यूएडीटीडीआर) जून 2025 में 6.99 प्रतिशत थी (मई 2025 में 7.07 प्रतिशत)।1

1 बैंक के साथ गैर-बैंक के विलय के प्रभाव को आंकड़ों में शामिल नहीं किया गया है।


(साभार- www.rbi.org.in)

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7-बेटियों को बहादुर बनने दीजिए और बनाइये, ये समय की मांग है,  "बेटी तुम बहादुर ही बनना " -
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Rajanish Kant गुरुवार, 31 जुलाई 2025
देश में पर्सनल लोन की रफ्तार में कमी- RBI

बैंक ऋण का क्षेत्रवार अभिनियोजन – जून 2025



जून 2025 महीने1 के लिए 41 चुनिंदा अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (एससीबी) से जुटाए गए बैंक ऋण के क्षेत्रवार अभिनियोजन संबंधी आंकड़े, जो सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों द्वारा अभिनियोजित कुल खाद्येतर ऋण का लगभग 95 प्रतिशत होता है, विवरण I और II में दिए गए हैं।

वर्ष-दर-वर्ष (व-द-व) आधार पर देखें तो, खाद्येतर बैंक ऋण2 27 जून 2025 को समाप्त पखवाड़े की स्थिति के अनुसार 10.2 प्रतिशत की दर से बढ़ा3, जबकि पिछले वर्ष के इसी पखवाड़े में यह 13.8 प्रतिशत था (अर्थात, 28 जून 2024)।

27 जून 2025 को समाप्त पखवाड़े की स्थिति के अनुसार बैंक ऋण3 के क्षेत्रवार अभिनियोजन की मुख्य बातें नीचे दी गई हैं:

  • कृषि और संबद्ध कार्यकलापों हेतु प्रदत्त ऋण में वर्ष-दर-वर्ष 6.8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई (पिछले वर्ष के इसी पखवाड़े में 17.4 प्रतिशत)।

  • उद्योग क्षेत्र को प्रदत्त ऋण में वर्ष-दर-वर्ष 5.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि पिछले वर्ष के इसी पखवाड़े में यह 7.7 प्रतिशत थी। सूक्ष्म एवं लघु, और मझोले उद्योगों को प्रदत्त ऋण लगातार बढ़ता रहा। प्रमुख उद्योगों में, ‘सभी अभियांत्रिकी’, ‘निर्माण’ और ‘कपड़ा’ को बकाया ऋण में वर्ष-दर-वर्ष तेज वृद्धि दर्ज की गई।

  • सेवा क्षेत्र को प्रदत्त ऋण में वृद्धि वर्ष-दर-वर्ष घटकर 9.6 प्रतिशत हो गई (पिछले वर्ष के इसी पखवाड़े में 15.1 प्रतिशत), जो मुख्य रूप से ‘गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों’ (एनबीएफसी) को प्रदत्त ऋण में धीमी वृद्धि के कारण थी। ‘कंप्यूटर सॉफ्टवेयर’ एवं ‘पेशेवर सेवाएं’ खंड में ऋण वृद्धि मजबूत रही।

  • वैयक्तिक ऋण खंड हेतु प्रदत्त ऋण में वर्ष-दर-वर्ष 14.7 प्रतिशत की धीमी वृद्धि दर्ज की गई, जबकि एक वर्ष पहले यह 16.6 प्रतिशत थी, जिसका मुख्‍य कारण ‘अन्‍य वैयक्तिक ऋण’, ‘वाहन ऋण’, और ‘क्रेडिट कार्ड बकाया’ की वृद्धि का कम होना था।

1 आंकड़े माह के अंतिम रिपोर्टिंग शुक्रवार से संबंधित हैं, जो क्षेत्रवार और उद्योगवार बैंक ऋण (एसआईबीसी) विवरणी पर आधारित हैं।

2 खाद्येतर ऋण के आंकड़े माह के अंतिम रिपोर्टिंग शुक्रवार हेतु धारा-42 विवरणी पर आधारित हैं, जिसमें सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक (एससीबी) शामिल हैं।

3 आंकड़ों में बैंक के साथ गैर-बैंक के विलय के प्रभाव को शामिल नहीं किया गया है।

 (साभार- www.rbi.org.in)

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Rajanish Kant
RBI ने सोनपेठ नगरी सहकारी बैंक मर्यादित पर लगाया प्रतिबंध, जानिये अब कितना पैसा निकाल सकेंगे खाताधारक

बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ धारा 35 ए के तहत निर्देश - सोनपेठ नगरी सहकारी बैंक मर्यादित, सोनपेठ



जनता की जानकारी के लिए एतद्द्वारा सूचित किया जाता है कि बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ धारा 35 ए की उपधारा (1) के तहत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने निर्देश संदर्भ के तहत... सं. एनजीपी.डीओएस.एसएसएम 3.सं.एस403/15-04-395/2025-2026 दिनांक 29 जुलाई, 2025 ने सोनपेठ नगरी सहकारी बैंक मर्यादित, सोनपेठ ("बैंक") को कुछ निर्देश जारी किए हैं, जिसके अनुसार, 30 जुलाई, 2025 को कारोबार बंद होने से, बैंक, आरबीआई की लिखित पूर्व स्वीकृति के बिना, कोई भी ऋण और अग्रिम राशि प्रदान या नवीनीकृत नहीं करेगा, कोई निवेश नहीं करेगा, धन उधार लेने और नए जमा स्वीकार करने सहित कोई भी देयता नहीं लेगा, अपनी देनदारियों और दायित्वों के निर्वहन में या अन्यथा कोई भुगतान वितरित या वितरित करने के लिए सहमत नहीं होगा, कोई समझौता या व्यवस्था नहीं करेगा और अपनी किसी भी संपत्ति या परिसंपत्ति को बेचेगा, स्थानांतरित करेगा या अन्यथा उसका निपटान करेगा, सिवाय इसके कि आरबीआई के 29 जुलाई, 2025 के निर्देश में अधिसूचित किया गया हो, जिसकी एक प्रति जनता के इच्छुक सदस्यों द्वारा अवलोकन के लिए बैंक की वेबसाइट/परिसर में प्रदर्शित करने का निर्देश दिया गया है। बैंक की वर्तमान तरलता स्थिति को ध्यान में रखते हुए, बैंक को निर्देश दिया गया है कि वह जमाकर्ता के बचत बैंक या चालू खाते या किसी अन्य खाते से किसी भी राशि की निकासी की अनुमति न दे, लेकिन उपरोक्त आरबीआई निर्देशों में उल्लिखित शर्तों के अधीन जमाराशियों के विरुद्ध ऋण समायोजित करने की अनुमति है। बैंक उक्त निर्देशों में निर्दिष्ट कुछ आवश्यक मदों जैसे कर्मचारियों के वेतन, किराया, बिजली बिल आदि पर व्यय कर सकता है।


2. आरबीआई ने हाल ही में बैंक के कामकाज में सुधार के लिए बोर्ड और वरिष्ठ प्रबंधन के साथ बातचीत की है। हालाँकि, पर्यवेक्षी चिंताओं को दूर करने और बैंक के जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा के लिए बैंक द्वारा ठोस प्रयास न किए जाने के कारण, ये निर्देश जारी करना आवश्यक हो गया।


3. पात्र जमाकर्ता, संबंधित जमाकर्ताओं की इच्छा के आधार पर और उचित सत्यापन के बाद, जमा बीमा एवं ऋण गारंटी निगम (DICGC) से, उसी क्षमता और उसी अधिकार के साथ, ₹5,00,000/- (मात्र पाँच लाख रुपये) की मौद्रिक सीमा तक अपनी जमा राशि पर जमा बीमा दावा राशि प्राप्त करने के हकदार होंगे, जैसा कि DICGC अधिनियम, 1961 के प्रावधानों के अंतर्गत लागू है। जमाकर्ता अधिक जानकारी के लिए बैंक अधिकारियों से संपर्क कर सकते हैं। विवरण DICGC की वेबसाइट www.dicgc.org.in पर भी देखे जा सकते हैं।


4. RBI द्वारा उपरोक्त निर्देशों के जारी होने को RBI द्वारा बैंकिंग लाइसेंस रद्द करने के रूप में नहीं समझा जाना चाहिए। बैंक अपनी वित्तीय स्थिति में सुधार होने तक उक्त निर्देशों में निर्दिष्ट प्रतिबंधों के अधीन बैंकिंग व्यवसाय करना जारी रखेगा। RBI बैंक की स्थिति की निगरानी करता रहेगा और परिस्थितियों और जमाकर्ताओं के हित में, आवश्यकतानुसार, इन निर्देशों में संशोधन सहित आवश्यक कार्रवाई करेगा।


5. ये निर्देश 30 जुलाई, 2025 को कारोबार बंद होने से छह महीने की अवधि के लिए लागू रहेंगे और समीक्षा के अधीन होंगे। 

(साभार- www.rbi.org.in)

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RBI ने लोकपावनी महिला सहकारी बैंक नियमिथा में पैसा रखने वालों को दिया झटका, अब पूरे पैसे नहीं निकाल पाएंगे खाताधारक

बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ धारा 35 ए के तहत निर्देश - लोकपावनी महिला सहकारी बैंक नियमिथा, मांड्या



जनता की जानकारी के लिए एतद्द्वारा सूचित किया जाता है कि बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ धारा 35 ए की उपधारा (1) के तहत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने निर्देश संदर्भ के तहत। सं. बीएलआर.डीओएस.एसएसएमएस.सं.एस628/09-01-242/2025-2026 दिनांक 29 जुलाई, 2025 ने लोकपावनी महिला सहकारी बैंक नियमिथा, मांड्या ("बैंक") को कुछ निर्देश जारी किए हैं, जिसके अनुसार, 30 जुलाई, 2025 को कारोबार की समाप्ति से, बैंक, आरबीआई की लिखित पूर्व स्वीकृति के बिना, कोई भी ऋण या अग्रिम राशि प्रदान या नवीनीकृत नहीं करेगा, कोई निवेश नहीं करेगा, धन उधार लेने और नई जमा राशि स्वीकार करने सहित कोई भी देयता नहीं लेगा, अपनी देनदारियों और दायित्वों के निर्वहन में या अन्यथा कोई भुगतान वितरित या वितरित करने के लिए सहमत नहीं होगा, कोई समझौता या व्यवस्था नहीं करेगा और अपनी किसी भी संपत्ति या परिसंपत्ति को बेचेगा, स्थानांतरित करेगा या अन्यथा उसका निपटान करेगा, सिवाय इसके कि आरबीआई के 29 जुलाई, 2025 के निर्देश में अधिसूचित किया गया हो, जिसकी एक प्रति जनता के इच्छुक सदस्यों द्वारा अवलोकन के लिए बैंक की वेबसाइट/परिसर में प्रदर्शित करने का निर्देश दिया गया है। बैंक की वर्तमान तरलता स्थिति को ध्यान में रखते हुए, बैंक को जमाकर्ता के बचत बैंक या चालू खाते या किसी अन्य खाते में रखी गई कुल शेष राशि में से अधिकतम ₹30,000/- (केवल तीस हज़ार रुपये) की निकासी की अनुमति देने का निर्देश दिया गया है, लेकिन उपरोक्त RBI निर्देशों में उल्लिखित शर्तों के अधीन जमाराशियों के विरुद्ध ऋण सेट-ऑफ करने की अनुमति है। बैंक उक्त निर्देशों में निर्दिष्ट कुछ आवश्यक मदों जैसे कर्मचारियों के वेतन, किराया, बिजली बिल आदि पर व्यय कर सकता है।

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